रायगढ़

अप्रैल में ही पड़ रही प्रचंड गर्मी, लोगों का हुआ बुरा हाल
19-Apr-2023 9:00 PM
अप्रैल में ही पड़ रही प्रचंड गर्मी, लोगों का हुआ बुरा हाल

दोपहर होते ही शहर की सडक़ें हो जाती है सूनी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायगढ़, 19 अप्रैल। अप्रैल माह में सूर्य देव ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है जहां रायगढ़ शहर में पारा 44 के पार हो गया है दोपहर 12 बजे के बाद तो सूर्य उगलना शुरू कर देता है लोग जरूरी काम होने पर ही घर से या अपने दफ्तर से बाहर निकल रहे हैं पूरे शरीर को ढक कर निकलने पर भी जलन महसूस किया जा रहा है।

दोपहर को शहर की सडक़ें खचाखच लोगों से भरी रहती थी। जो अब खाली नजर आएगी तापमान काफी अधिक बढ़ गया है मौसम विभाग की मानें तो इस माह के अंतिम हफ्ते में कुछ राहत मिल सकती है। हल्की बूंदाबांदी होने की संभावना जताई जा रही है छत्तीसगढ़ में तो कुछ हद तक लोगों को इस गर्मी से राहत मिल सकती है।

जैसे ही गर्मी बढऩे लगती है तो कूलर एसी की लोगों को जरूरत होती है जो कुछ हद तक गर्मी से राहत दिलाती है सभी चौक चौराहों पर कूलर के सामान मिल रहे हैं। शहर में सभी जगहों पर प्याऊ की व्यवस्था की गई है ताकि आने जाने वाले राहगीरों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना ना पड़े साफ और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई है। 

स्कूली बच्चों की जान सांसत में

एक तरफ जहां रायगढ़ शहर सहित जिले व पूरे प्रदेश में दिन के समय लू के गर्म थपेड़े लोगों का हाल बेहाल कर रहे हैं। तेज गर्मी के कारण सुबह 9 बजे के बाद लोगों का घर से निकलना दुभर होनें लगा है। कपड़े ढककर निकलने और शीतल पेय का उपयोग करने के बावजूद लोग भीषण गर्मी के चलते बीमार पड़ रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर स्कूली बच्चों को अभी भी कोरोना के फैलते खतरों के बीच मजबूरी में स्कूल आना पड़ रहा है।

गौरतलब रहे कि कुछ वर्ष पहले तक अपै्रल महीने में ही ग्रीष्मकाल की छुट्टी कर दी जाती थी और जुलाई के महीने में स्कूल शुरू होते थे इसके बावजूद सभी कक्षाओं के कोर्स पूरे कर लिये जाते थे। वर्तमान में नई व्यवस्था के तहत कुछ दिनों के लिये स्कूल लगाये जा रहे हैं और आने वाले कुछ दिनों पश्चात उन्हें बंद हो जाना है। इसके बावजूद स्कूलों में छात्रों को मजबूरी में पढऩे के लिये आना पड़ रहा है।

आलम यह है कि डरे हुए अभिभावक अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने में भी खौफ महसूस कर रहे हैं। कई लोगों ने तो अपने बच्चों को स्कूल भेजना भी बंद कर दिया है। सवाल यह उठता है कि भीषण गर्मी और लू के प्रकोप के साथ-साथ फैलते कोरोना के खतरे के बीच क्या स्कूलों को नियमित रूप से संचालित करना सही है और यदि इस दौरान किसी स्कूल में कोई घटना घटित हो जाती है या कोई बड़ा मामला सामने आ जाता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और राज्य सरकार को जिले तथा प्रदेश में स्कूलों के आगे संचालन के संबंध में तत्काल संज्ञान लेकर त्वरित पहल करने की जन अपेक्षा महसूस की जा रही है।

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