बलौदा बाजार

वाहन दुर्घटना के प्रकरणों में अनावश्यक चक्काजाम से बचे, कलेक्टर-एसपी ने की अपील
22-Apr-2023 3:47 PM
वाहन दुर्घटना के प्रकरणों में अनावश्यक चक्काजाम से बचे, कलेक्टर-एसपी ने की अपील

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 22 अप्रैल। जिले के विभिन्न स्थलों में अकास्मिक सडक़ दुर्घटना होने पर आमजनों एवं स्थानीय नागरिक, परिजनों के द्वारा चक्काजाम जैसे कृत्य किए जाते है। जिससे अन्य आमजनों को विभिन्न रूप से समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

कलेक्टर रजत बंसल एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक झा ने ऐसे कृत्यों से बचने की अपील की है। एवं विधिक प्रक्रिया के माध्यम से यातायात नियमों का पालन करते हुए आवेदक मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (ट्रिब्यूनल) में प्रकरण दर्ज कराते हुए मोटर यान अधिनियम 1988 धारा 166 के तहत बीमा कम्पनी (अन्य अनावेदकों) से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

ऐसे ही एक प्रकरण ग्राम रिसदा निवासी दीपा वर्मा पति स्व. दुर्गेश वर्मा बनाम सुखीराम टंडन निवासी तुरमा एवं इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी के मामले में न्यायालय मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के पीठासीन विजय कुमार एक्का ने निर्णय देते हुए आवेदक को 1 करोड़ 68 लाख 20 हजार रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी को देने का आदेश पारित किया गया है। जिसमें कुल प्रति कर राशि 1 करोड़ 13 लाख 97 हजार 30 रूपये दावा प्रस्तुत दिनांक 18 नवम्बर 2021 से 7.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से शामिल है।

गौरतलब है कि 21 मई 2021 को दुर्गेश कुमार वर्मा लेखापाल के रूप में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक शाखा लवन में पदस्थ था वह अपने गृह ग्राम रिसदा से अपने कार्य स्थल जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक शाखा लवन मोटर सायकल से जा रहा था।

सुबह 10 बजे ग्राम लाहोद चिरपोटा पुल के पास पहुंचे थे तभी लवन की आरे आ रही ड्रीम योगा के चालक ने तेज एवं लापरवाही पूर्वक चलाते हुए दुर्गेश वर्मा को ठोकर मारकर एक्सीडेंट कर दिया जिससे घटना स्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गई थी।

6 माह के भीतर होता है प्रकरणों का निराकरण

यदि कोई व्यक्ति यातायात नियमों का पूर्णत: पालन करते हुए हादसे का शिकार हो जाते है तो वाहित बीमा कम्पनीयों को क्षतिपूर्ति देनी होती है। पर नियमों के जानकारी के अभाव में आम व्यक्ति इसका लाभ नहीं ले पाते है। ऐसे प्रकरणों पर आवेदकों को मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में अपना प्रकरण पुलिस का सहयोग लेते हुए दर्ज कराना चाहिए। मामले का निराकरण 6 माह के भीतर ही कर दिया जाता है।

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