सरगुजा

फिसल गए तो हर-हर गंगे वाले शिक्षक न बने-डॉ.सिद्धार्थ
15-May-2023 10:08 PM
फिसल गए तो हर-हर गंगे वाले शिक्षक न बने-डॉ.सिद्धार्थ

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,15 मई।
सरस्वती  शिक्षा महाविद्यालय सुभाषनगर में दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अमित जिंदल डीएलसए विधिक सचिव, प्रोफेसर प्रमोद कुमार नायक वाइस चांसलर आइसेक्ट यूनिवर्सिटी हजारीबाग झारखंड, डॉ. सिद्धार्थ जैन प्रिंसिपल अपोलो कालेज दुर्ग, सुभाषचंद्र अग्रवाल शिशु मंदिर समिति अध्यक्ष,बसंत कुमार गुप्ता व्यवस्थापक, डॉ.सीमा मिश्रा सहायक प्राध्यापक होली क्रास विमेंस कालेज अम्बिकापुर मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण कर  कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इंपैक्ट ऑफ़ नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 ऑन टीचर एजुकेशन विषय पर कार्यक्रम के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. सिद्धार्थ जैन प्रिंसिपल अपोलो कॉलेज दुर्ग ने अपने विषय शिक्षक-शिक्षा में चुनौतियां और मुद्दे पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, कोई भी शिक्षक भले ही बाई चॉइस या बाई चांस ही क्यों ना आए  हमें उसे अपने पुरी शिद्दत मेहनत व प्रतिबद्धता के साथ शिक्षकीय जीवन को गौरवान्वित करने वाला जीवन बनाना चाहिए। 

जैन ने एक मुहावरे को उद्धृत करते हुए बताया कि फिसल गए तो हर- हर गंगे के उलट यदि गंगा के किनारे आ ही गए हैं तो फिसल कर हर-हर गंगे की बजाय छलांग लगाकर तैरते हुए डुबकी लगाएं और फिर हर हर गंगे बोलें। उन्होंने अपने विषय प्रतिपादन में भाषा व विषय की कठिनाई के ऊपर विचार साझा करते हुए कहा कि हमें स्वयं को किसी विषय विशेष के अंदर  बांध कर नही रखना चाहिए। शिक्षक सब्जेक्ट टिचर्स बनकर न रहे । बल्कि हर एक विषय की अच्छी समझ व गहराई से अध्ययन कर अपने ज्ञान कौशल, भारतीय चिंतन ज्ञान परंपरा की स्वयं के अंदर वृद्धि कर समाज निर्माण हेतु शिक्षकीय जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।

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