राजनांदगांव

तीन पार्षदों को छह साल के लिए पार्टी से निकाला
06-Jul-2023 12:48 PM
तीन पार्षदों को छह साल के लिए पार्टी से निकाला

छुरिया नपं की कांग्रेस अध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर संगठन की कार्रवाई

'छत्तीसगढ़' संवाददाता
राजनांदगांव, 6 जुलाई।
छुरिया नगर पंचायत की कांग्रेस अध्यक्ष राजकुमारी सिन्हा को अपने ही पार्टी के पार्षदों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के चलते सीट गंवाने के मामले में संगठन ने उपाध्यक्ष समेत तीन पार्षदों को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।

पार्टी की इस कार्रवाई के बावजूद निष्कासित पार्षदों ने एक तरह से नए सिरे से अध्यक्ष की ताजपोशी को लेकर अपना दावा ठोंका है। यानी अब 15 सदस्यीय  नगर पंचायत में 10 पार्षद निर्दलीय हो गए हैं। आने वाले दिनों में निर्दलीय पार्षदों में से ही नया अध्यक्ष होगा। इस बीच प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा एक आदेश जारी कर उपाध्यक्ष मनोज यादव, राधेश्याम ठाकुर और मुकेश कुंजाम के विरूद्ध पार्टी ने कार्रवाई करते छह साल का निष्कासन का फरमान जारी कर दिया।  इन तीनों के निष्कासन के बाद छुरिया की राजनीति में  एक रोचक स्थिति पैदा हो गई है।

भाजपा और कांग्रेस को मिलाकर अब बागियों की संख्या 10 के करीब पहुंच गई है। माना जा रहा है कि दोनों दल से निष्कासित पार्षद अब निर्दलीय की श्रेणी में आ गए हैं। आने वाले दिनों में इन्हीं पार्षदों के बीच नए अध्यक्ष पर फैसला होगा। बताया जा रहा है कि निष्कासित पार्षदों ने एक  रणनीति भी बनाई है। जिससे नगर पंचायत को जल्द नया अध्यक्ष मिलेगा। दरअसल लगभग साढ़े 3 साल के कार्यकाल में कांग्रेस अध्यक्ष राजकुमारी सिन्हा भाजपा से एक पार्षद को तोडऩे में कामयाब हुई। भाजपा पार्षद सलमान खान पर क्रॉस वोटिंग के जरिये  श्रीमती सिन्हा के पक्ष में वोट करने का आरोप लगा। बाद में सलमान खान को पार्टी ने निलंबित भी कर दिया।

श्रीमती सिन्हा द्वारा राजनीतिक परिस्थितियों को सम्हालने में दिलचस्पी नहीं ली गई। शॉपिंग काम्प्लेक्स एवं अन्य विकास कार्य के मामले में कमीशीनखोरी को शह देने का आरोप लगाते पार्षदों ने अध्यक्ष के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। करीब तीन माह पूर्व अविश्वास प्रस्ताव के लिए भाजपा-कांग्रेस के पार्षदों ने एक होकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। लंबा वक्त मिलने के बावजूद श्रीमती सिन्हा बागियों को अपने पाले में करने में नाकाम रही। नतीजतन राजकुमारी सिन्हा को अविश्वास प्रस्ताव के चलते अपनी कुर्सी छोडऩी पड़ गई। कांग्रेस ने तीन पार्षदों को बाहर का रास्ता दिखाकर सांगठनिक रूप से जरूर बड़ी कार्रवाई की, लेकिन यह देर से उठाया गया कदम माना जा रहा है। कांग्रेस के जिलास्तर के नेता भी बागियों को मनाने में नाकाम रहे। ऐसे में संगठन की क्षमता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

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