महासमुन्द
मात्र 2 महीने में 54 में से 6 बच्चे पोषित हुए
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 26 जुलाई। महासमुंद जिले के एक अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने कुपोषित जिले के कुपोषित बच्चों को लिया गोद लिया है। उनके इससकारात्मक पहल से मात्र 2 महीनों में ही छह गंभीर कुपोषित बच्चे कुपोषण के कुचक्र से बाहर निकल आए हैं। उक्त अधिकारी का नाम हेमंत नंदनवार है और और इस वक्त वे सरायपाली विकासखंड की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनके अनुविभाग के अन्य अधिकारियोंने भी उनके इस अभियान से प्रेरणा लेते हुए इस अभियान में शामिल होकर कुल 54 कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया है। ये सभी बच्चे चिन्हांकन के वक्त शारीरिक रूप से काफी कमजोर और गंभीर कुपोषित थे। श्री नंदनवार के नेतृत्व में सामूहिक प्रयास से मात्र 2 महीने की अवधि में ही 6 बच्चे गंभीर कुपोषण से बाहर निकल आए हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी ने बताया कि ग्राम सेमलिया की नोसी,छुईपाली की रूबी, खरखरी गांव का साई, सरायपाली का आशी, बोड़सरा का जितेश और लखनपाली का यश अब सुपोषित हैं। श्री नंदनवार के मुताबिक बच्चों में व्याप्त कुपोषण एक सामाजिक अभिशाप है। कुपोषित बच्चे शारीरिक एवं मानसिक रूप से पिछड़ जाते हैं। ऐसे बच्चों को पोषित अन्य बच्चों के बराबर तैयार करना था।
यही सोचकर कुपोषण को दूर करने एवं सामाजिक चेतना लाने हेतु आई ए एस अनुविभागीय अधिकारी राजस्व हेमन्त नन्दनवार के नेतृत्व में विकासखण्ड सरायपाली के 56 बच्चों को कुपोषण मुक्त करने हेतु स्वयं एवं विकासखंड स्तरीय अधिकारी कर्मचारियों को गोद दिलाकर उन्हें सुपोषित करने का अभियान माह मई 2023 से छेड़ा गया।
इसके तहत महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चिन्हाकित कुपोषित बच्चों को स्वैच्छिक रूप से गोद लेने हेतु अधिकारी कर्मचारियों को प्रेरित किया गया। संबंधित अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा प्रतिमाह बच्चों के घर में भेंट कर उनके पालकों को स्वस्थ्य एवं पोषण संबंधित परामर्श दिया गया।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने संबंधित कुपोषित बच्चों के घर डाईट चार्ट दिये जाने आहार की सूची चस्पा की। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक प्रति सप्ताह बच्चों का वजन लेते रहे। आवश्यक परामर्श देते रहे। कुपोषित बच्चों का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सरायपाली में स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया तथा कुपोषित बच्चों को आवश्यक दवाई उपलब्ध करायी गई। अभियान में समन्वित प्रयास के फलस्वरूप 6 बच्चे अति गंभीर कुपोषण से बाहर आ गये।