बस्तर
पोस्टर से बताए अंगदान के महत्व, मिलेगा प्रशस्ति पत्र
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 3 अगस्त। स्व. बलिराम कश्यप मेमोरियल शासकीय मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को भारतीय अंगदान दिवस महोत्सव (इंडियन ऑर्गन डोनेशन डे) मनाया गया, जिसमें वर्ष 2022 के छात्र-छात्राओं को इस दिन के लिए पोस्टर बनाने की बात भी कही गई थी। बेस्ट तीन पोस्टर बनाने वाले ग्रुप को प्रशस्ति पत्र भी दिया जाएगा। इन पोस्टरों के निरीक्षण के लिए 3 निर्णायक भी रखे गए थे, जिनके द्वारा ग्रुप का सलेक्शन भी किया गया।
इंडियन ऑर्गन डोनेशन डे के संबंध में एनाटोमी विभाग के एचओडी डॉ. बीथिका नेल कुमार ने बताया कि भारत सरकार के द्वारा आए आदेश के अनुसार आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में अंगदान महोत्सव 1 से 31 जुलाई तक मनाया गया, वहीं 3 अगस्त को छत्तीसगढ़ के सभी मेडिकल कॉलेज से लेकर जिला अस्पताल में अंगदान महोत्सव को मानने की अपील की गई थी। जिसके अनुसार गुरुवार को मेकाज में वर्ष 2022 के छात्र छात्राओं को इस दिन को मानने के साथ ही ऑर्गन के महत्व के बारे में जानकारी के लिए एक पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसमें 124 छात्र छात्राओं को अलग-अलग ग्रुप में विभाजित करते हुए उन्हें पोस्टर के बारे में विस्तृत जानकारी को लेकर पोस्टर बनाने बताया गया, जिसके चलते इन ग्रुप के द्वारा करीब 32 पोस्टर भी तैयार किया गया।
इन पोस्टरों में बेस्ट पोस्टर के चयन के लिए 3 निर्णायक भी रखे गए थे, जिसमें डॉ. छाया सोरी, डॉ. प्रदीप पांडेय एवं कमलेश ध्रुव मौजूद थे, जहां उनके द्वारा पोस्टरों का निरीक्षण करने के साथ ही उन पोस्टरों में बने ऑब्जेक्टिव के संबंध में छात्र-छात्राओं से जानकारी भी पूछी गई।
इंडियन ऑर्गन डोनेशन डे
जानकारी के अनुसार 8 जुलाई 1994 को ह्यूमन ऑर्गन एक्ट बनाया गया था, जिसके बाद पहला दिल का ट्रांसफ्लांट 3 अगस्त को किया गया था।
एक व्यक्ति के ऑर्गन से बचा सकते हंै 8 जिंदगी
ज्ञात हो कि 13 अगस्त को दुनियाभर में ऑर्गन डोनेशन डे (विश्व अंगदान दिवस) मनाया जाता है।
नेशनल हेल्थ पोर्टल के मुताबिक भारत में हर साल 5 लाख लोगों की मौत समय पर ऑर्गन न मिलने की वजह से हो जाती है, इनमें से 2 लाख ऐसे हैं, जिनकी मौत लिवर नहीं मिलने की वजह से होती है, एक इंसान अपने ऑर्गन डोनेट कर 8 लोगों को नया जीवन दे सकता है।
ऑर्गन डोनेशन की कब हुई शुरुआत
आधुनिक चिकित्सा ने एक शख्स से दूसरे शख्स में अंगों को प्रत्यारोपित करना संभव बना दिया है। पहली बार सफल अंग प्रत्यारोपण अमेरिका में 1954 में किया गया था। डॉ. जोसेफ मरे को फिजियोलॉजी और मेडिसिन में जुड़वां भाइयों रोनाल्ड और रिचर्ड हेरिक के बीच सफलतापूर्वक किडनी प्रत्यारोपण करने पर 1990 में नोबेल पुरस्कार मिला।