राजनांदगांव
सांकरदाहरा में चातुर्मास महोत्सव में शंकराचार्य की पत्रकारवार्ता
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 25 सितंबर। शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि प्रत्यक्ष राजनीति के लिए संतों को दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि संतों का काम राजा पर नियंत्रण रखना है, न कि राजनीति में शामिल होना है। उनका कहना है कि उचित मार्गदर्शन देकर पदभ्रष्ट शासक और समाज को सही दिशा में लाना भी संतों का ही काम है।
डोंगरगांव क्षेत्र के सांकरदाहरा में चातुर्मास महोत्सव में पहुंचे शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती महाराज ने पत्रकारों से संक्षिप्त चर्चा करते कहा कि चातुर्मास का वक्त सन्यासियों के लिए एक साधना का वक्त होता है। बरसात में जलचर, हलचर और पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं। उनके संतों के पैरों से कुचलने का डर रहता है। संतों के पैरों से यदि कीट-मकोड़े रौंदे गए तो उसका पाप भी संत के हिस्से में आता है। उन्होंने कहा कि चातुर्मास के समय संतों को एक जगह रहकर साधना करना चाहिए। 75 दिन के चातुर्मास की जानकारी देते उन्होंने बताया कि उनके चातुर्मास के 69 दिवस पूरे हो चुके हैं। 30 सितंबर को इसका समापन होगा। उन्होंने यह भी बताया कि देश के कोने-कोने से सातु-संत महोत्सव में शामिल होंगे। सभी संत लोगों को मार्गदर्शन देंगे।
शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती महाराज ने आगे कहा कि संतों में भगवान का रूप सनातन समय से लोग देखते हैं। सभी को शांति संत नहीं दे सकते। जिस भाव से आप संतों के पास जाते हैं, वैसा ही आपको फल भी मिलता है। उन्होंने एक उदाहरण देते कहा कि आसमान से पानी की चार बूंदें गिरी। शिप में गिरी तो मोती बन गई, सांप के मुंह में गिरी तो विष बन गई, समुद्र में गिरी तो खारा जल बन गई और नाली में गिरी तो दुर्गंध बन गई। इसमें पानी का दोष नहीं है, यह पात्र का दोष है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सनातन धर्म से ही संत मार्गदर्शक के तौर पर राजाओं को दिशा देते थे। इस दौर में भी संत का यही काम है। उन्होंने कहा कि संतों के जरिये ही धार्मिक नजरिये में बदलाव हो सकता है।
सीएम बघेल की योजनाओं को सराहा
शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती महाराज ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की योजनाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि गोधन न्याय योजना और किसानों के प्रति मुख्यमंत्री का समर्पण प्रशंसनीय है। उन्होंने रामवन गमन पथ का विकास और निर्माण किया है वह एक ऐतिहासिक फैसला है। संत समाज का मुख्यमंत्री को हमेशा आशीर्वाद मिलता रहेगा।
राष्ट्रीय संत सम्मेलन व किसान मिलन समारोह में शामिल होंगे सीएम
सांकरदाहरा में आयोजित चातुर्मास महोत्सव के समापन अवसर पर राष्ट्रीय संत सम्मेलन एवं किसान मिलन समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस महोत्सव के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल होंगे। शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती महाराज ने उपस्थितजनों को इस बात की जानकारी दी है कि मुख्यमंत्री संतों का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचेंगे। कार्यक्रम में समस्त किसानों और श्रद्धालुओं से शामिल होने की अपील की गई।