रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 नवंबर। छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव का मतदान निपट गया। डीए डीआर के आदेश नही हुए।इसके लिए राज्य शासन द्वारा निर्वाचन आयोग से जानबूझकर विलम्ब से अनुमति मांगने के कारण मतदान पूर्व अनुमति नहीं मिली और अब एरियर मिलने का भरोसा टूट गया है क्योंकि जो सरकार 5 साल तक एरियर नहीं दिया, अब उसी सरकार के पुन: सत्ता में आ जाने पर एरियर सहित डीए डीआर का आदेश होगा,इसमें अब मतदान सम्पन्न हो जाने के बाद संदेह है। मतदान के पहले डीए डीआर का एरियर सहित आदेश का जारी नहीं होना, कांग्रेस पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के प्रदेश संयोजक तथा भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने आगे बताया है कि राज्य शासन में जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों ने समय से अनुमति लेने में लापरवाही की है।कर्मचारी एवम पेंशनर संगठनों द्वारा मुख्य सचिव से भेंट कर निर्वाचन आयोग से अनुमति लेकर राजस्थान की भांति आदेश जारी करने मांग पर सही समय से कार्यवाही नहीं करने से सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के सरकार को इस चुनाव में नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है। प्रथम चरण के मतदान सम्पन्न होने के बाद मुख्यमंत्री को यह बात देर से समझ में आने पर उन्होंने चुनाव आयोग से अनुमति लेने की बात ट्वीट कर कर्मचारियों और पेंशनरों के बीच संदेश देकर स्थिति सम्हालने का असफल प्रयास किया परन्तु अनुमति के अभाव में आदेश जारी नहीं होने से कर्मचारी जगत की नाराजगी मतदान में स्पष्ट दिखाई।
दिया है। इसके असर से कई सीटों पर केवल इसी एक चुक के कारण सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की हार होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता।
जारी विज्ञप्ति में उन्होंने आगे बताया है कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में केन्द्र के समान डीए डीआर देने का वायदा किया है जबकि कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में कर्मचारी जगत के लिए कोई बिंदु का उल्लेख नहीं होना भी वाटरलू साबित हो सकता है और इसके लिए कांग्रेस पार्टी को पछताना पड़ सकता है। यह भी देखना होगा यदि भाजपा पार्टी सत्ता पर काबिज होता है तो क्या वह घोषणा पत्र में किए वादे के अनुरूप डीए डीआर का आदेश एरियर सहित देने का निर्णय लेगा, क्योंकि इस बारे में सलाह देने वाले अधिकारी तो वही रहेंगे जो पहले से है। यह आने वाले नए सरकार के रुख पर निर्भर करता है कि वह कर्मचारियों और पेंशनरों के हक का साथ दे।