बलौदा बाजार
नए जनप्रतिनिधि के लिए बड़ी चुनौती
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदा बाजार, 19 नवंबर। जिले में नए जनप्रतिनिधि के लिए कई चुनौतियां हंै। रमन सिंह सरकार के 15 साल एवं भूपेश बघेल के 5 साल में स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल पाया है। अब नए विधानसभा चुनाव के बाद बेरोजगारों को रोजगार मिलने की संभावना है।
जिले में सात सीमेंट संयंत्र होने के बाद भी स्थानीय बेरोजगार रोजगार से वंचित हो रहे हैं और बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड के व्यक्ति सीमेंट कंपनी में बड़े-बड़े पदों पर कार्यरत हैं। स्थानीय युवक को सीमेंट कंपनियां केवल मजदूरी और सुपरवाइजर के पद पर रखती है तथा यदि सीमेंट कंपनियों में बड़े अधिकारियों से किसी भी प्रकार से झगड़ा होता है तो उन्हें दूसरे प्रदेश के सीमेंट कंपनियों में भेज दिया जाता है या उनका प्रमोशन रोक दिया जाता है तथा परेशान किया जाता है।
रिसदा रोड स्थित कंपनी में कुछ दिन पूर्व लगातार कई बड़े-बड़े हादसे हुए और कंपनियां खानापूर्ति करके उस हादसे के शिकार लोगों के परिवारों को कुछ रकम देकर समझौता कर ली।
सीमेंट कंपनियां सरकारी खानापूर्ति को लेकर कुछ पौधारोपण बड़े सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों को ले जाकर करवा लेती है तथा आंकड़े ऐसा बताती है जो धरातल में होता नहीं है।
रिसदा रोड स्थित दो सीमेंट कंपनियों के बीच खैरताल जंगल स्थित है, जो लगभग 1000 एकड़ का है प्रदूषण का शिकार हो रहा है, उस जंगल में वन्य जीव भी हैं, परंतु सीमेंट कंपनियों के प्रदूषण का शिकार होकर अन्यत्र जाने को मजबूर हैं।
सीमेंट कंपनियों के पास स्थित गांव में प्रदूषण इतना ज्यादा है कि लोग कई बीमारियों से पीडि़त हो रहे हैं सीमेंट कंपनियां केवल एक सीमेंट कंपनी का एमओयू साइन करती है और उसके पश्चात कई सीमेंट कंपनियों लगाकर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही है अभी तक सीमेंट कंपनियां कोई नया बड़ा हॉस्पिटल नहीं बना पाई है।
सीमेंट कंपनियों का पॉल्यूशन इतना अधिक हो गया है, जिससे आसपास के लोगों को प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है सीमेंट कंपनियों से क्षतिग्रस्त व्यक्ति रायपुर बड़े अस्पताल में जाने को मजबूर है। सीमेंट कंपनियां सभी प्रोजेक्ट ठेके पर दे देती है, जिससे ठेकेदारों के अंडर में ही मजदूरों को काम करना पड़ता है।