रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 नवंबर। सनातन धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। इस दिन तुलसी जी और शालिग्राम स्वरूप भगवान विष्णु का विवाह संपन्न कराया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन शुभ मुहूर्त में तुलसी माता का विवाह कराते हैं उनका वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।
पंचाग के अनुसार, तुलसी विवाह हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के अगले दिन आयोजित किया जाता है। इस दिन देशभर में तुलसी विवाह बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही शादी-ब्याह जैसे मांगलिक आयोजन भी शुरू हो जाते हैं। तो आइए जानते हैं इस साल तुलसी विवाह कब पड़ रही है और इसका क्या महत्व है।
तुलसी विवाह का सही समय
तुलसी विवाह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की देवदाशी तिथि को होता है। पंचान के अनुसार देवदाशी तिथि का आरंभ 23 नवंबर गुरुवार को रात्रि 9: 01 बजे से हो रहा है, शुक्रवार, 24 नवंबर को शाम 7: 06 बजे समाप्त होगा। ऐसे में उदयति के अनुसार तुलसी विभा 24 नवंबर को ही मनाई जाती है। इस शुभ संयोग के कारण कहा जाता है कि आपके घर में तुलसी शालिग्राम विवाह का आयोजन करने से आपके घर में अपार धन-संपदा आएगी और आपके वैवाहिक जीवन में भी खुशियां आएंगी।
तुलसी विवाह का अर्थ
सनातन धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार का तुलसी माता से विवाह होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रीति-रिवाज के अनुसार तुलसी और शालिग्राम विवाह का आयोजन करने से जीवन में सकारात्मक भावनाएं आती हैं। साथ ही विवाह में आ रही बाधाएं भी दूर होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप जीवन में एक बार भी तुलसी विवाह करते हैं तो आपको कन्यादान के समान फल मिलता है।
साल में एक दिन होता है भगवान
शिव को तुलसी की मंजरी अर्पित
कार्तिक मास की पूर्णिमा को राजधानी के महादेव घाट में पून्नी मेला का आयोजन भी किया जाता है। जो इस बार 27 नवम्बर को है। कार्तिक पूर्णिमा को लगने वाले मेला को हरीहर पूुर्णिमा भी कहा जाता है इसके दूसरे दिन होने वाले में को बुढ़ा पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
इन दो दिनों में महादेव घाट और म़दिर के आसपास मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें शहर और उसके आसपास के लोग सुबह कार्तिक पून्नी स्नान कर भगवान शिव की आराधना करते है। और मेला का आनंद लेते है।
हटकेश्वर महादेव मंदिर महादेवघाट के पुजारी सुरेश गोस्वामी ने बताया कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा 27 नवम्बर को है। आज के दिन ही हरी और हर का समावेश होता है। इसलिए इसे हरीहर मास भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा का बड़ा महत्व है। भक्त सुबह से नदी में स्नान कर भगवान हरी और हर को तुलसी की मंजरी और कमल की पं$खुडियां चढ़ा कर निरोगी जीवन की कामना करते हैं।