बस्तर
बस्तरवासियों को अब जाना नहीं पड़ेगा बाहर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 23 दिसंबर। मेडिकल कॉलेज डिमरापाल के ईएनटी विभाग में शनिवार की सुबह डीन, अधीक्षक, एचओडी की उपस्थिति में साउंड फ््रूफ रूम का उद्घाटन किया गया। इस विभाग के खुलने से बस्तरवासियों को काफी लाभ मिलेगा।
इसके बारे में जानकारी देते हुए एचओडी डॉ. सुरजीत ने बताया कि यह एक आधुनिक मशीनी जांच है। यह जांच नवजात शिशु के लिए उपयुक्त है, इस प्रकार की सुविधा विशेषकर स्पेशियलिटी हास्पिटल में ही उपलब्ध होती है, इसमें कान की बीमारियां फुंसी, फोड़े, मोम का इक_ा होना, सुनाई देना जैसी अन्य बीमारियों की जांच की जाती है, सुनने की क्षमता की जांच ऑडियोमीटरी तकनीक से की जाती है, इसमें इलेक्ट्रोड को चेस्ट के बजाय स्कल (खोपड़ी) पर लगाकर बहरेपन या सुनने की क्षमता का पता लगाया जाता है,
किसी बच्चे में सुनने की क्षमता है या नहीं, इसे जानने अब राजधानी या दूसरे बड़े शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि अब बहरेपन का इलाज मेकाज में होगा, इस मशीन की लागत लाखों की है।
डॉक्टरों ने बताया कि बीते कई सालों से इस मशीन की मांग की जा रही थी, इसके शुरू होने से एक ओर जहां चिकित्सकों को बहरापन जानने में सहायता मिलेगी, वहीं हैंडिकेप्ट प्रमाण पत्र बनाने के लिए भी मशीन से रिपोर्ट आसानी से मिल जाएगी।
यह मशीन रोगियों में कितना बहरापन है, इसे तुरंत बता देगी। उन्होंने बताया कि बैरा मशीन का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि अब बहरेपन का कोई भी फर्जी हैंडिकेप्ट प्रमाण पत्र नहीं बन सकेगा। इससे डॉक्टरों को भी सुरक्षा मिलेगी।
बैराजांच नवजात से लेकर कुछ सालों तक के बच्चों में होती है, क्योंकि बच्चे बहरेपन की शिकायत नहीं कर पाते। इस टेस्ट के लिए राइट लेफ्ट कान चिक के पास, सिर पर कैथोड लगाया जाता है। इसके बाद एक्टिविटी शुरू हो जाती है। कम्प्यूटर में साउंड वेव दिखने लगते हैं। पिक्चर अगर स्पष्ट दिखाई दे रही हो, तो इसका मतलब हियरिंग लॉस है। हियरिंग एड के बाद भी कोई हरकत नहीं है, तो कोकलिया इंप्लांट किया जाता है।