राजनांदगांव
दिवाली से ज्यादा जलेंगे दीये, कम समय के कारण आर्डर भी हो रहे कैंसल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 11 जनवरी। अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से शहर से सटे मोहारा के कुम्हारों के पारंपरिक काम को रफ्तार मिल गई है। वजह यह है कि 22 जनवरी को शहर में रामलला उत्सव को व्यापक स्तर पर मनाने के लिए जगह-जगह दीये से रौशनी की जाएगी। कुम्हारों के लिए यह वक्त खाली बैठने का रहता है। फिलहाल उत्सव के कारण पिछले एक माह से कुम्हार आर्डर मिलने के बाद से दीया निर्माण में व्यस्त हैं। पारंपरिक रूप से तैयार दीयों की जरूरत को लेकर कई समितियों ने कुम्हारों को लाखों रुपए के आर्डर दिए हैं।
हालत यह है कि कुम्हार अब नए आर्डर लेने की स्थिति में नहीं है। सीमित दिन होने के कारण कई समितियां कुम्हारों को बिना आर्डर बैरंग लौट रही है। कुम्हारों के लिए रामलला उत्सव दिवाली पर्व में मिलने वाली डिमांड से ज्यादा हो गया है। एक तरह से कुम्हार दूसरी दिवाली के रूप में इस पर्व को देख रहे हैं। मोहारा बस्ती में कुम्हारों द्वारा सालों से मिट्टी से तैयार दीये और घड़े बनाए जाते हैं। जिससे यह वर्ग अपना भरण-पोषण करता है। अनुुमानित हर कुम्हार के पास 20 से 30 हजार दीये निर्माण कर रहे हैं। वहीं पूर्व में दिए गए आर्डर के तहत दीयों की खेप समितियों तक पहुंच गई है।
इस संबंध में ‘छत्तीसगढ़’ ने माटीकला में माहिर कुम्हारों से सीधी बातचीत की। राजेश प्रजापति बताते हैं कि अब दीयों का निर्माण करना संभव नहीं है। रोजाना 5 हजार से ज्यादा दीये उनके द्वारा तैयार किया जा रहा है। उन्होंने नए आर्डर लेने से साफ इंकार कर दिया।
इसी तरह पूरनलाल प्रजापति ने बताया कि अब तक सवा लाख दीये तैयार कर भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि रामलला उत्सव से उन्हें पारंपरिक काम को रफ्तार के साथ काम करने का मौका मिला। इस बीच अन्य कुम्हारों ने भी काम अपने हाथ में लिया है। एक तरह से कुम्हारों के हाथ खाली नहीं है। ऐसी स्थिति में लगातार रामभक्त समितियां दीये निर्माण के लिए आर्डर लेकर पहुंच रही है। बताया जा रहा है कि समितियों की ओर से उचित दाम का ऑफर दिया जा रहा है, लेकिन वक्त की कमी का हवाला देकर कुम्हार पहले मिले आर्डर को ही तय समय पर देने ताकत लगा रहे हैं।