गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 2 फरवरी। कृषि विज्ञान केंद्र गरियाबंद एवं प्रयोग समाज सेवी संस्था तिल्दा रायपुर के द्वारा प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ, मनीष चौरसिया के दिशा निर्देश में कृषि विज्ञान प्रशिक्षण कक्ष में प्रशिक्षण आयोजित हुआ, जिसमें प्रशिक्षक डॉ, शालू एन अब्राहम ने किसानों को प्राकृतिक खेती क्या है, प्राकृतिक खेती के तरीका और इसके फायदा हमारे मिट्टी पर्यावरण पर और मानव स्वास्थ्य पर तथा आने वाले पीढ़ी के लिए प्राकृतिक खेती करना ही विकल्प है।
कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित प्राकृतिक खेती पर किसानों रासायनिक खेती से मिट्टी एवं मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और विभिन्न प्रकार के जानलेवा रोग आ रहा है। प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्राकृतिक खेती के आह्वान और केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है। इसका छोटा-छोटा लघु फिल्म दिखाकर बताया गया प्राकृतिक खेती करने के लिए हम एक गाय से 30 एकड़ भूमि में कृषि कर सकते हैं। इसके लिए विभिन्न प्रकार के जीवामृत बनाने के तरीका एवं प्रयोग विधि घन जीवामृत ब्रह्मास्त्र, बीजउपचार विधि तीनपरनी, सप्तपर्णी के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दिया गया कैसे बनाते हैं, उसका प्रयोग तरीका बना कर दिखाया गया। इसके पश्चात प्राकृतिक खेती के द्वारा चना फसल अन्य फसल लगाया गया है, उसका भी फील्ड में किसानों को दिखाया गया इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र में मिट्टी विशेषज्ञ, पौध विशेषज्ञ, फल तथा कीट पतंग विशेषज्ञ धान खेती, मुर्गी पालन आदि के विषय में जानकारी दिया गया।
प्रयोग समाज सेवी संस्था द्वारा संचालित परियोजना सामुदायिक संगठनों का क्षमता विकास के जिला समन्वयक एवं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह राजपूत, जिला समन्वयक चमनलाल ठाकुर, नहरगांव से पुरुषोत्तम ध्रुव, तिलक राम, सुनील नागेश, सुखेन, त्रिलोक पटेल, रानी ध्रुव, संतोषी, तथा करता से कुल 40 किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।