रायपुर

फेक एडमिशन: रायपुर के दो स्कूलों की सीबीएसई मान्यता रद्द
23-Mar-2024 1:57 PM
फेक एडमिशन: रायपुर के दो  स्कूलों की सीबीएसई मान्यता रद्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 23 मार्च।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने डमी छात्रों और अयोग्य उम्मीदवारों को दाखिला देने के आरोप में 20 विद्यालयों की मान्यता रद्द कर दी है, जिनमें पांच दिल्ली और ऱायपुर के दो विद्यालय शामिल हैं। इनमें द्रोणाचार्य पब्लिक स्कूल राजेंद्र नगर, वाइकॉन स्कूल विस रोड शामिल हैं।

दिल्ली में  बोर्ड के सचिव हिमांशु गुप्ता ने शुक्रवार बताया कि बोर्ड ने तीन विद्यालयों के ग्रेड का स्तर भी कम कर दिया है। यह जांच सीबीएसई ने वर्ष-21-22, 22-23 शिक्षा सत्र में की थी। उसके निष्कर्षों के आधार पर ही यह कार्रवाई की गई है। साध्य दैनिक ‘छत्तीसगढ़’  ने 8 मई 22 को इस रैकेट का खुलासा करते हुए खबर प्रकाशित की थी। 

एक आईआईटीयन भी ऐसा ही निकला

सूत्रों ने बताया कि राजधानी के एक बड़े स्कूल के छात्र ने भी ऐसा ही फेक एडमिशन लेकर नीट दिया और आज रूढक़ी आईआईटी में अध्ययन रत है। वो तो अपनी विद्वता से सफल हो गया लेकिन इस तरह के बच्चों की सफलता की दर 2त्न ही है। ये बच्चे इसलिए फेक एडमिशन लेते हैं कि  बारहवीं बोर्ड की परीक्षा में प्रैक्टिकल इन्हीं स्कूलों में होता है और उसमें अच्छे प्राप्तांक मिल जाते हैं । और इससे नियमित विद्यार्थी हतोत्साहित हो रहे हैं। और सफल न होने पर आत्महत्या जैसे कदम उठाने से पीछे नहीं हटते।

आधा दर्जन स्कूल दे रहे फेक एडमिशन 

इस फेक एडमिशन के कारोबार में राजधानी के आधा दर्जन बड़े स्कूल और हैं। ये भी सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं। इनमें मुंबई मुख्यालय का एक अवंति विहार में, एक माना, दो सुंदर नगर, द्रोणाचार्य के पास दो न्यू राजेन्द्र नगर में और एक नवा रायपुर में  संचालित हैं। ये सभी बच्चों से 50-60 हजार  से 1 लाख रूपए लेकर फेक एडमिशन देते हैं। ऐसे बच्चे निजी कोचिंग में ट्यूशन कर इन स्कूलों से एन्यूल अटेंडेंस ले लेते हैं । साथ ही ऐसे बच्चों को ये स्कूल 10-12 की वार्षिक प्रैक्टिकल परीक्षा में अच्छे खासे अंक देते या दिलवाते है। जो लिखित परीक्षा में कम प्राप्तांक होने पर भी, रैंक सुधार के लिए मददगार साबित होते हैं । 

रोकना आसान

जानकर सूत्रों ने बताया कि इन सीबीएसई स्कूलों के इस फर्जी वाड़े को रोकना आसान भी है। सबसे पहले तो इन स्कूलों में 10-12 क्लास की दर्ज संख्या की बारीकि से जांच हो। इसमें सामान्य रूप से एक क्लास में अधिकतम 40बच्चों के प्रवेश की अनुमति होती है लेकिन यहां उससे अधिक 50,60 होते हैं । दूसरा स्कूल की टाइमिंग के समय में कोचिंग सेंटर की टाइमिंग बंद कराया जाए। दोनों समय के टकराने से बच्चों में फेक एडमिशन सी आदत बढ़ती जा रही है। इसके लिए कोचिंग संचालक, बच्चों,माता पिता को प्रोत्साहित करते हैं। इन संचालकों का ऐसे स्कूलों से गठजोड़ रहता हैं। ऐसे ही एक स्कूल का संचालक पहले टैगोर नगर में कोचिंग सेंटर चलाता रहा है।

राज्य की व्यवस्था माकूल

जानकारों का कहना है कि बोर्ड परीक्षाओं को लेकर राज्य बोर्ड (सीजी बीएसई) का परीक्षा पैटर्न माकूल है। राज्य में प्रैक्टिकल और लिखित परीक्षा के लिए दूसरे स्कूलों को केंद्र बनाया जाता है जहां बच्चों के साथ शिक्षक भी चाह कर भी नंबरगेम नहीं कर सकते।
 

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