रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 मार्च। अरुण सिंह सिसोदिया ने दीपक बैज को नोटिस का जवाब दिया है। इसमें उन्होंने अपने द्वारा संगठन के अनुशासन के विपरीत कोई कार्य न करने की बात कही है। साथ ही नोटिस को बैज के अधिकार क्षेत्र के बाहर कहा है । गुरुवार देर शाम तक सिसोदिया पर कार्रवाई के संकेत मिले हैं।
अपने दो पेज के बिंदुवार जवाब में सिसोदिया ने कहा कि एआईसीसी सदस्य होने के नाते बैज कीन नोटिस कांग्रेस बायलोज के विपरीत और अधिकार क्षेत्र के बाहर है।परन्तु व्यक्तिगत सम्मान व पद की गरिमा का सम्मान करते हुए स्पष्टीकरण दे रहा हूँ। इसकी एक एक प्रति राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खडगे व राहुल गाँधी को भी प्रेषित किया है। सबसे पहले मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ, कि मेरे द्वारा सार्वजनिक व मीडिया को नहीं दिया गया है, चूंकि मैं रायपुर के किसी मीडिया कर्मी को जानता ही नहीं हूँ, और अगर मेरे द्वारा किया जाना बताया गया है, तो कृपया साक्ष्य प्रस्तुत किया जाना चाहिए ।
यह की 5 करोड़ 89 लाख के टेसू मीडिया लैब की सोसल मीडिया मैनेजमेंट का ठेका दिए जाने का समाचार पत्रों में या पब्लिक में छपवाने का आरोप है वह आरोप पूर्णत: गलत, निराधार व भ्रामक है की यह मेरे द्वारा किया गया कार्य है। जबकि मेरे द्वारा किसी मीडिया में सार्वजनिक नहीं किया गया है।
यह की उक्त समाचार का विषय दिंनाक 8- 9 फरवरी को कई समाचार पत्रों व सोशल मीडिया पोर्टल में चल चुका व छप चुका है। अत: यह कोई मेरे द्वारा किया गया कार्य नहीं बल्कि जो समाचार पत्र में छपे अखबार व राम गोपाल अग्रवाल व टेसू मीडिया के समझौतों की कॉपी सलग्न कर मैंने स्पीड पोस्ट व वाट्सअप में संबंधित लोगो को भेजा था, इसलिए मेरे द्वारा किसी भी अखबार या सोशल मीडिया में नहीं दिया गया है। मुख्य विषय यह है, कि बिना टेंडर के 5.89 लाख का कार्य एक 10 लाख का एसेट वाली एक छोटी कम्पनी को दिया गया था, जो कार्य सम्पूर्ण रूप से 3 लाख में पुरी क्षमता व दक्षता से किया जा सकता था, जिसका की संगठन का पैसा बचाने के लिए टेंडर कर अनुभवी व सबसे कम दर वाली कम्पनी को कार्य दिया जाना था, वो कार्य 19 लाख रुपए प्रतिमाह में ठेका देकर अपनी मनमर्जी से अपने मित्रो को दे दिया गया, साथ ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी राजीव भवन के बिल व कर्मचारियों का वेतन देना, पैसे के अभाव में मुश्किल हो गया है।
जबकि सर्वविदित है, की ब्लाक अध्यक्ष व जिलाध्यक्ष 5-10 हजार रूपए संगठन के कार्यों के लिए तरसते रहे और उनको नहीं दिया गया, ऐसे में यह संगठन के पैसे की बर्बादी है, इसलिए एक कार्यकर्ता होने के नाते मेरा कर्तव्य है, की अध्यक्ष और संगठन के संज्ञान में बात लायी जाए। जबकि मुख्यमंत्री के प्रचार का सम्पूर्ण व्यवस्था व खर्च सरकार द्वारा किया जाता था । यह भी अनुचित है, कि यह काम बिना किसी कोटेशन के पूर्व मुख्यमंत्री के साले के बेटे को ही क्यों किया गया। चार साल का बैंक स्टेटमेंट निकलवा कर इसकी जाँच की जानी चाहिए, और भी कईअनियमित भुगतान हुए हैं। 6 महिनों से कोषाध्यक्ष और हमारे पीसीसी के खातों की भी जाँच होनी चाहिए। राजीव भवन के नाम से की गईउगाही की जाँच होनी चाहिए। संगठन चुनाव में हुए सारे कागजात और दस्तावेज, जो कि रामगोपाल और विनोद वर्मा ने बेबीलॉन हटल के एक कमरे में दादागिरी से रख लिए थे, उसे पीसीसी में लाना चाहिए ।
अंत में सिसोदिया ने अध्यक्ष के खिलाफ ही जांच की मांग करते हुए कहा है कि आपके व्दारा दिए गया पत्र कैसे लीक हुआ, इसकी एक समिति बनाकर जाँच की जाए। पीसीसी को हुए नुकसान की भरपाई रामगोपाल अग्रवाल और विनोद वर्मा से करने की भी माँग हो। पार्टी कार्यकर्ता को स्लीपर सेल द्य कहकर उनका अपमान करने पर भूपेश बघेल पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की जाए। और अंत में कहा कि मेरे द्वारा ऐसा कोई कार्य नहीं किया गया है, जिससे पार्टी की छवि धुमिल और मेरा पत्र व कार्य अनुशासनहीनता की श्रेणी में नहीं आता है। अतएव मुझ पर लगाये गए आरोप निराधार है अतएव उक्त आरोप पत्र निरस्त करने का कष्ट करें।