रायगढ़

करोड़ों का धान घोटाला होने की आशंका, कई की संलिप्तता..!
15-Apr-2024 3:28 PM
करोड़ों का धान घोटाला होने की आशंका, कई की संलिप्तता..!

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 15 अप्रैल।
धान खरीदी के दौरान बोगस खरीदी और फर्जी लोन के मामले सामने आए, लेकिन प्रशासन चुप रहा। खरीदी पूरी होने के बाद भौतिक सत्यापन कराया गया, लेकिन अफसर सब कुछ छिपा गए। अब उठाव के आखिरी दिनों में राजपुर समेत दर्जन भर समितियों में शॉर्टेज आ चुका है। इसकी भरपाई कराने के लिए अब अधिकारी मिलरों के डीओ बिकवा रहे हैं।

रायगढ़ जिले में इस साल 53.91 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई है। इसमें से 50 हजार क्विंटल से अधिक धान अब भी केंद्रों में पड़ा दिखाई दे रहा है। अभी किसी भी केंद्र में धान नहीं है लेकिन उठाव हो रहा है। बोगस खरीदी के कारण दर्जनभर समितियों में भारी मात्रा में धान रिकॉर्ड में बचा हुआ है। अब इस बोगस खरीदी की जानकारी को छिपाकर भरपाई कराने का काम अधिकारी कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री के रायगढ़ प्रवास के पूर्व ही सभी केंद्रों को जीरो शॉर्टेज करने की तैयारी है। चाहे किसी भी तरह हो, समिति में धान की भरपाई कराई जानी है। जिन मिलरों के डीओ काटे जा चुके हैं, उनकी डील समिति प्रबंधकों से कराई जा रही है। हैरानी की बात यह है कि खरीदी के तुरंत बाद कलेक्टर कार्तिकेया गोयल ने उपार्जन केंद्रों का सत्यापन करने का आदेश दिया था। खाद्य विभाग के मार्गदर्शन में टीम भी बनी, लेकिन कैसा भौतिक सत्यापन हुआ किसी को नहीं पता। बोगस खरीदी का पता उसी समय चल गया था, लेकिन इसकी रिपोर्टिंग कलेक्टर को नहीं की गई। करीब 15 करोड़ के घोटाले को छिपाया गया।

कई लोगों की है संलिप्तता
इस बार राजपुर, लैलूंगा, कापू, लिप्ती, सिसरिंगा, लारीपानी, लिबरा, घरघोड़ा, कोड़ासिया, खडगांव आदि केंद्रों में बोगस खरीदी हुई और ओडिशा का धान खपा है। फरवरी में ही धान कम मिला था, लेकिन तब कार्रवाई नहीं की गई। अब उन्हीं केंद्रों में शॉर्टेज आ रहा है। अब भी जांच और कार्रवाई नहीं हो रही। गड़बड़ी को छिपाने के लिए ताबड़तोड़ तरीके से डीओ में गड़बड़ी की जा रही है।

1900 से 2200 में बिक रहे डीओ
जिन केंद्रों में मिलरों के डीओ जारी हो गए हैं, लेकिन धान नहीं है, वहां डीओ को बिकवाया जा रहा है। समिति प्रबंधक ही बोगस खरीदी को एडजस्ट करने केे लिए मिलरों के डीओ 1900-2200 रुपए प्रति क्विंटल में खरीद रहे हैं। धान की कीमत 3100 रुपए है मतलब करीब 1000 रुपए प्रति क्विंटल की अवैध कमाई हो रही है जो कई स्तरों में बंट रही है।

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