महासमुन्द

पुतरी-पुतरा के बिहाव होवत हे..आशीष दे बर आहू जी, पंगत मं खा के जाहू जी...
07-May-2024 3:28 PM
पुतरी-पुतरा के बिहाव होवत हे..आशीष दे बर आहू जी, पंगत मं खा के जाहू जी...

अक्षय तृतीया 10 को, बच्चों में उत्साह 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 7 मई।
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्योहार अक्षय तृतीया को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखने के लिए मिल रहा है। आज से दो दिन बाद 10 मई को यह त्यौहार है और इसे लेकर सडक़ों के किनारे खूबसूरत गुड्डे गुडिय़े बिक्री के पहुंच चुके हैं। बाजार में अच्छी बिक्री शुरू हो चुकी है।

चूंकि इस शुभ दिन पर छत्तीसगढ़ में मिट्टी के गुड्डे-गुड्डियों के विवाह की परंपरा रही है। लिहाजा हर घर में कम से कम एक-एक गुड्डे-गुडिय़े खरीदे जाते हैं। इसके लिए बच्चों की कई टोलियां तैयार हैं मित्रों को निमंत्रण देने का सिलसिला जारी है। बच्चे समेत घर के बड़े भी शादी के मंडप सजाने और नेंग आदि के सामान खरीद रहे हैं। इस दिन मुहूर्त विशेष में जिलेभर में सैकड़ों शादियां भी होंगी। इस बार पुतरा-पुतरी की आकर्षक सजावट बच्चों के साथ ही बड़ों को बरबस ही आकर्षित कर रही है। यहां 40 रुपए से 100 रुपए जोड़ी बिक रही है। 

मालूम हो कि अक्षय तृतीया को विवाह के लिए शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन बिना मुहूर्त देखे शादी की जा सकती है।
प्रदेश में यह परंपरा सालों से चली आ रही है। दूल्हे दुल्हन की तरह ही गुड्डे गुडिय़े की शादी में भी तेल माटी, चुलमाटी, मंडप में तेल-हल्दी, बारात, टिकावन, फेरे और विदाई की रस्म निभाई जाती है। गुड्डे को दूल्हे की तरह सेहरा बांधा जाता है और गुडिय़ा को दुल्हन की तरह सजाई जाती है। 

महासमुंद के नेहरू चौक, थाने के बाजू, बीएसएनएल दफ्तर के सामने इस पारंपरिक त्योहार के लिए बाजार सज कर तैयार है।
यहां कुम्हारों ने मिट्टी से बने गुड्डे-गुड़िय़ों को बिक्री के लिए स्टाल बनाकर सजाकर रखा है। महासमुंद के कुुम्हार पारा निवासी समेत आसपास गांवों के कुम्हारों ने अक्ती(अक्षय तृतीया) महोत्सव के लिए गुड्डे गुडिय़ा के साथ मौर, चुकिया, कलौरी, कलश, सुराही, धूपदान, सकोरा आदि का निर्माण किया है। गुड्डे-गुडिय़ा ब्याह का सामान का सेट 100 रुपए से लेकर 300 रुपए तक रखा गया है। 

मालूम हो कि अक्ती मुहुर्त में इस साल शहर समेत गांव-गांव में ढेरों शादियां हैं। नगर पंडित पंकज तिवारी करहते हैं कि गुरु और शुक्र के उदयकाल में विवाह करना शुभ माना जाता है। इस साल भी अक्षय तृतीया मुहूर्त में सैकड़ों शादियां होगी। इसके बाद विवाह पर ब्रेक लग जाएगा। मई माह में 2, 3, 4, 9 से 20, 24, 30 तक विवाह के लिए शुभ मुहूर्त है। 

गुड्डे-गुडिय़ों के विवाह के पीछे प्राचीन मान्यता यह है कि जिस घर में विवाह के लिए रिश्ता तय नहीं हो पा रहा है, वहां अक्षय तृतीया पर गुड्डे-गुडिय़ों की विवाह की रस्म अदायगी से बाधाएं दूर होती है। 

अक्षय तृतीया पर किए गए हर शुभ कार्य का क्षय नहीं होता। इस लिहाज से बड़े बुजुर्गों ने विवाह के प्राचीन रिवाजों को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए गुड्डे गुडिय़ों के विवाह की परंपरा बनाई है।

गुड्डे-गुडिय़े के ब्याह को लेकर छोटे-छोटे बच्चों में उत्साह ज््यादा है। वे जिनकों निमंत्रण देना है, उनकी लिस्ट लेकर मुहल्ले में पड़ोसियों के घर जाकर निमंत्रण दे रहे हैं और कह रहे हैं कि पुतरी पुतरा के बिहाव होवत हे, आशीष दे बर आहू जी, लाड़ू खा के जाहू जी। हमन मड़वा छाबो, बाजा बजाबो, चुलमाटी जाबो, तेल हरदी हा चढ़ाबो, मंऊर घलो सौंपबो। अभिन हमन बरा, सोंहारी,पपची, लाड़ू, सेव बूंदी बनावथन। पंगत में सबो माई पिल्ला आहू जी। 

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