राजनांदगांव
सौंदर्यीकरण के नाम पर फूंके करोड़ों, ऐतिहासिक सरोवर रो रहा अपनी दशा पर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 7 मई। शहर का ऐतिहासिक बूढ़ासागर सरोवर से उठ रही दुर्गंध लोगों के लिए आफत बन गई है। सरोवर में फैली गंदगी से संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। खासतौर पर सरोवर के किनारे बसी बस्ती के बाशिंदों के लिए सरोवर का बदबू परेशान कर रहा है। पिछले एक दशक में बूढ़ासागर के जीर्णोद्वार और सौंदर्यीकरण के लिए नगर निगम ने करोड़ों रुपए फूंके।
16 करोड़ रुपए की लागत से बूढासागर की दशा और दिशा को बदलने के लिए खर्च किया गया, लेकिन खूबसूरती के नाम पर राजनीतिक दलों ने खानापूर्ति की। नतीजतन बूढ़ासागर आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। नगर निगम में शासित राजनीतिक दलों ने बूढ़ासागर की खूबसूरती का सब्जबाग दिखाकर करोड़ों रुपए फूंके। इस मामले को लेकर विवाद चल रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।
इस बीच बूढ़ासागर की गहराई लगातार कम होती जा रही है। पानी का जलस्तर कम होने से मछली पालन कारोबार भी कमजोर हो गया है। बूढ़ासागर के स्वच्छ जल को शहर का गंदा पानी दूषित कर रहा है। जिसके चलते बूढ़ासागर में दुर्गंध और बदबू फैल रही है। गंदे पानी के कारण साफ पानी का आक्सीजन लेवल घट गया है। पिछले दिनों बड़ी मात्रा में आक्सीजन की कमी से मछलियां मरी पाई गई।
बूढ़ासागर के खराब पानी को स्वच्छ बनाने के लिए नगर निगम के पास फिलहाल कोई ठोस योजना नहीं है। पूरा सरोवर जलकुंभी से भी पट गया है। मछलीपालन व्यवसाय करना खराब पानी के लिहाज से उचित नहीं है। पेशेवर मछलीपालक सरोवर की हालत देखकर मत्स्यपालन करने को खतरा मान रहे हैं। सरोवर से निकली मछलियां लोगों के सेहत के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है। सरोवर में भले ही चार दीवारी घेराबंदी की गई, लेकिन खूबसूरती के नाम पर सिर्फ वाहवाही लूटी गई। बहरहाल बूढ़ासागर की स्थिति दिन-ब-दिन खराब हो चली है। लगातार सरोवर से उठ रही बदबू से लोगों का सेहत प्रभावित हो रहा है।
बूढ़ासागर सौंदर्यीकरण में फूंके करोड़ों रुपए की हो जांच - हेमंत
पूर्व पार्षद हेमंत ओस्तवाल ने बूढ़ासागर में किए गए करोड़ों रुपए के सौंदर्यीकरण के नाम पर किए गए खर्च पर भाजपा-कांग्रेस के नेताओं और निगम के अधिकारियों से पाई-पाई का हिसाब मांगा है। उन्होंने कहा कि सौंदर्यीकरण की आड़ में 16 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम पानी में बहा दी गई। अफसरों और राजनेताओं ने सिर्फ कागजों में ही सौंदर्यीकरण की लकीर खींची। उनकी लड़ाई इसी बात को लेकर है कि शहर के इस ऐतिहासिक धरोहर के नाम पर लूट मचाई गई। इस मामले को लेकर वह आगे भी मुखर रहकर आवाज उठाएंगे।