राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 8 मई। कलेक्टर संजय अग्रवाल ने फसल विविधीकरण के लिए कार्ययोजना बनाकर किसानों को जानकारी देने कहा। उन्होंने कहा कि रबी फसलों में धान की फसल के स्थान पर गेहूं, मक्का, रागी एवं लघुधान्य फसलों को बढ़ावा देने किसानों को प्रेरित करें। जिससे ग्रीष्मकाल में वाटर लेवल बना रहे। वर्तमान में सतही एवं भूमिगत जल का घटता हुआ जल स्तर एक गंभीर समस्या है। जिले की कृषि में प्रमुख फसल धान है। जिसके लिए सर्वाधिक जल की आवश्यकता होती है।
वैज्ञानिक अनुसंधान के अनुसार 1 किलो ग्राम चावल उत्पादन हेतु औसत 1432 लीटर जल की आवश्यकता होती है। फसलों में जल मांग के अनुसार धान में 140-150 सेमी हाईब्रिड मक्का को 50-60 सेमी, दलहन फसलों को 25-30 सेमी, सोयाबीन को 60-70 सेमी, तिल को 30 से 36 सेमी, गेहूं को 45-50 सेमी एवं गन्ना को 180-200 सेमी की आवश्यकता होती है। घटते हुए भूमिगत जल का प्रमुख कारण नलकूपों के माध्यम से अन्धाधुंध दोहन एवं सर्वाधिक जल आवश्यकता वाले धान की फसल है। जिले में कुल 29380 नलकूपों द्वारा फसलों की सिंचाई की जाती है।
कलेक्टर के निर्देश पर भूमि की स्थलाकृति, प्रकार, संस्थापना को ध्यान में रखते फसल चक्र परिवर्तन, फसल विविधीकरण के माध्यम से जल संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि आगामी खरीफ फसल में धान की खेती के 176044 में से 171110 हेक्टेयर (4934 हेक्टेयर कम) कम जल आवश्यकता वाले फसलें मक्का, लघुधान्य-रागी, कोदो, कुटकी एवं दलहन, तिलहनी फसलों की कार्ययोजना तैयार की गई है। इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक आदान सामग्री बीज, उर्वरक, जैव उर्वरक, पौध सरंक्षण औषधि एवं कृषि यंत्रों की व्यवस्था की जा रही है।