रायपुर
![राज्य के बाहर के उच्च चिकित्सा संस्थानों को मान्यता देने मंत्री को पत्र राज्य के बाहर के उच्च चिकित्सा संस्थानों को मान्यता देने मंत्री को पत्र](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1716282104ANTRALAY-1.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 मई। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने स्वास्थ्य मंत्री एसबी जायसवाल को पत्र लिखकर शासकीय सेवकों के इलाज के राज्य के बाहर के बेहतर अस्पतालों को मान्यता देने का आग्रह किया है। संयोजक कमल वर्मा ने कहा है कि महज सुरक्षा निधि जमा न करने से इन्हें मान्यता नहीं दिया जाना उचित नहीं है।
वर्मा ने अपने पत्र में कहा है कि बीते मार्च में प्रदेश के 103को एवं राज्य के बाहर नागपुर स्थित 3 निजी चिकित्सालयों को शासकीय सेवकों एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्यों के उपचार की मान्यता दी गई है।
उल्लेखनीय है कि इस वित्तीय वर्ष में शासन के 07 जुलाई 2024 के पुनरीक्षित आदेश के कारण प्रदेश के हजारों शासकीय सेवक, वर्तमान व पूर्व विधायक परिजन राष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्ट अस्पतालों में ईलाज की सुविधा प्राप्त करने से एकाएक वंचित हो गये हैं।
और जिनका दीर्घकालीन ईलाज पूर्व से चल रहा था, जो कि अब एकाएक बाधित हो गया है।
इस वर्ष जारी किये गये पुनरीक्षित पत्र में सर गंगाराम हास्पिटल नई दिल्ली, मेदांता हास्पिटल, जसलोक हास्पिटल, सी.एम.सी. वेल्लोर शंकर नेत्रालय चेन्नई. अपोलो हास्पिटल चेन्नई, हैदराबाद एवं नई दिल्ली, एस्कार्ट्स हार्ट इन्स्टीट्यूट नई दिल्ली, लीलावती हास्पिटल मुम्बई, बाम्बे हास्पिटल मुम्बई, नानावटी हास्पिटल मुम्बई जैसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थाओं की मान्यता समाप्त कर दी गई है। इस संदर्भ में ज्ञात हुआ है कि इतने माने हुए चिकित्सा संस्थानों को छत्तीसगढ़ राज्य की मान्यता की सूची से मात्र इसलिए बाहर किया गया है क्योंकि उनके द्वारा संभवत: 50 हजार अथवा 1 लाख रूपये की कोई निर्धारित राशि जमा नहीं कराई है। चूंकि संवेदनशील सरकार अपने कर्मचारियों एवं निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की देखभाल के लिए ये सुविधा प्रदान करती हैं जिसमें अस्पतालों से सरकार का कोई आर्थिक लाभ प्राप्त करने का लक्ष्य होना ही नहीं चाहिए। इसलिए जिन चिकित्सा संस्थानों को मान्यता से बाहर किया गया है, वे इतने उच्च स्तरीय हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य में अल्पराशि का शुल्क जमा कराने नहीं आयेंगे और इस कागजी प्रक्रिया के कारण शासकीय सेवक/निर्वाचित जनप्रतिनिधि लगातार उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा से वंचित होते जायेंगे । इलाज के संकट को दूर करने इस वर्ष के निर्णय को तत्काल अपास्त करते हुए पूर्व की तरह सभी मान्यता प्राप्त अस्पतालों को जो 31 मार्च 2023 तक मान्य थे, उन्हें ही निरंतर रखा जाये तथा शुल्क आदि जमा करने की बाध्यता को कर्मचारी कल्याण को ध्यान में रखते हुए तत्काल शिथिल कर दिया जाये ।