दुर्ग
![मनरेगा में गड़बड़ी, सरपंच बर्खास्त मनरेगा में गड़बड़ी, सरपंच बर्खास्त](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1719998435G_LOGO-001.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 3 जुलाई। मनरेगा के कार्यों में वित्तीय अनियमितता कर गड़बड़ी किए जाने के मामले में तिरगा सरपंच घसिया राम देशमुख को बर्खास्त कर दिया गया है। दुर्ग एसडीएम ने इस संबंध में आदेश जारी किया है इसमें उन्हें 6 साल के लिए निर्वाचन के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया गया है।
जानकारी के अनुसार ग्राम वासियों ने मनरेगा नियम व प्रावधानों के विपिरीत कार्य करने करते हुए पद का दुरुपयोग कर निजी लोगों को लाभ पहुंचाने फर्जी मस्टर रोल तैयार कर मनरेगा की राशि गबन किए जाने जनपद सीईओ से शिकायत कर जांच करने मांग की थी, साथ ही मामले में एसडीएम को भी ज्ञापन सौंपकर सरपंच को पद से हटाने मांग की गई थी। जनपद सीईओ ने मामले की जांच कर प्रतिवेदन 29 मार्च2023 को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। एसडीएम ने दोनो पक्षों को सुनने के बाद उक्त आदेश जारी किया।
जारी आदेश में एसडीएम ने कहा है कि प्रकरण के अवलोकन से स्पष्ट है कि अनावेदक सरपंच घसियाराम देशमुख द्वारा गंभीर वित्तीय अनियमितताएं बरतते हुए वित्तीय अवचार किया गया है, उनके द्वारा पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 44 तथा पंचायत लेखा नियम के नियम 18 के विपरित कार्य किया गया है।
अनावेदक के द्वारा अपने जवाब में स्वयं स्वीकार किया गया है कि उनके द्वारा मनरेगा के कार्य के दौरान पाये गये अनियमितता के कारण उनसे राशि 35284.33 रूपये वसूली हेतु नोटिस जारी किया जाकर, उक्त राशि वसूल किया गया था। यदि अनावेदक सरपंच के द्वारा उक्त अनियमितता नहीं की गई होती तो, वे वसूली हेतु योग्य राशि के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में अपील करता मगर अनावेदक के द्वारा उक्त वसूल योग्य राशि को जमा किया जाने से अनावेदक के द्वारा उक्त कृत्यों किये जाने की पुष्टि की होती है। वहीं प्रकरण में अनावेदक सरपंच ग्राम पंचायत तिरगा घसियाराम देशमुख के द्वारा मस्टर रोल में फर्जी व्यक्तियों के भुगतान होने के संबंध में लगे आरोप के खंडन हेतु सक्षम दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया जा सका।
उपरोक्त आधार पर सरपंच घसियाराम देशमुख को ग्राम पंचायत तिरगा के सरपंच पद से छ.ग. पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 (1) के तहत् तत्काल प्रभाव से सरपंच पद से पृथक कर दिया गया है। उक्त अधिनियम की धारा 40 (1) के तहत् अनावेदक को पदच्युत किये जाने के फलस्वरूप अधिनियम की धारा 40 (2) के प्रावधानानुसार तत्काल किसी ऐसी अन्य पंचायत का सदस्य नहीं रहेगा जिसका कि वह सदस्य है। साथ ही अधिनियम के अधीन निर्वाचन, के लिए भी छह वर्ष की कालावधि के लिए निरर्हित हो जाएगा।