बस्तर

नये कानून के प्रति जनजागरूकता निर्मित करने में मीडिया प्रतिनिधियों की अहम भूमिका- आईजी
11-Jul-2024 10:56 PM
नये कानून के प्रति जनजागरूकता निर्मित करने में मीडिया प्रतिनिधियों की अहम भूमिका- आईजी

मीडिया प्रतिनिधियों को दी नये कानून की जानकारी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 11 जुलाई। पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज सुंदरराज पी. एवं पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा द्वारा गुरुवार को लालबाग स्थित शौर्य भवन में मीडिया प्रतिनिधियों को नये कानून के संबंध में जागरूकता कार्यशाला के दौरान विस्तृत जानकारी दी गई।

इस मौके पर आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि देश में 1 जुलाई से नया कानून प्रभावशील हो गया है, नवीन कानून के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करने के लिए कम्युनिटी पुलिसिंग, विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में कार्यशाला इत्यादि के माध्यम से प्रयास किया जा रहा है। साथ ही नये कानून के प्रति व्यापक जनजागरूकता निर्मित करने के लिए मीडिया की अहम भूमिका है, जो मीडिया के विभिन्न माध्यम से लोगों तक नये कानून के संबंध में जागरूकता ला सकती है। इसे मद्देनजर रखते हुए शासन के निर्देशानुसार यह कार्यशाला आयोजित की गई है।

कार्यशाला में आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि भारतीय मूल्यों पर आधारित ये नये कानून दंडात्मक से न्याय-उन्मुख दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत है जो भारतीय न्याय व्यवस्था को प्रतिबिंबित करता है। इसका मुख्य लक्ष्य ऐसी आपराधिक न्याय प्रणाली बनाना है जो नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने सहित कानूनी व्यवस्था को भी और अधिक मजबूत बनाती है। जिससे सभी के लिए सुलभ एवं त्वरित न्याय सुनिश्चित हो सके।

इस दौरान पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने बताया कि देश में पुराने कानून ब्रिटिश काल से चले आ रहे थे। जिसे प्रासंगिक बनाने एवं निर्धारित समय-सीमा में प्रकरणों का समाधान करने के लिए बदलाव किया गया है। इस बदलाव से अपराधियों के खिलाफ एफआईआर करने में दिक्कत नहीं होगी तथा गंभीर अपराधियों के विरुद्ध प्रक्रिया का पालन करते हुए कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी। प्रकरणों के निराकरण के लिए समय-सीमा निर्धारित किया गया है। पीडि़त पक्ष को ध्यान में रखा गया है। पीडि़त पक्षकार को ई-साक्ष्य, जीरो एफआईआर और ई-एफआईआर से राहत मिलेगी।

पीडि़त पक्ष को न्याय जल्दी मिलेगा। यह कानून सभी नागरिकों तक पहुंच सके, इसके लिए विभिन्न माध्यमों से लगातार जानकारी दी जा रही है।

 पुलिस अधीक्षक श्री सिन्हा ने कहा कि ई-एफआईआर के लिए फोन, ई-मेल, व्हाट्सएप के माध्यम से अपराध घटित होने की सूचना दे सकते हैं। अब इसके लिए जवाबदेही तय हो जाएगी। प्रार्थी को निर्धारित समय-सीमा के भीतर संबंधित थाने में जाकर हस्ताक्षर कर एफआईआर दर्ज करानी होगी। थाना प्रभारी या विवेचक को जांच की जरूरत लगने पर एसडीओपी या सीएसपी की लिखित अनुमति के बाद जांच होगी। झूठी शिकायत से बचने के लिए तीन दिवस में पुलिस अधिकारी जांच करेंगे तथा गंभीर मामला होने पर एफआईआर दर्ज होगी तथा विधिवत प्रकरण की विवेचना की जाएगी। यह महत्वपूर्ण है कि डिजिटल फॉर्म में शिकायतों को लेने से विश्वसनीयता बढ़ेगी। प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समयावधि निर्धारित की गई है, जिससे जवाबदेही के साथ मामलों का निराकरण हो सकेगा। उन्होंने बताया कि आईपीसी में 20 नये अपराध जोड़े गए हैं कई अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही 06 छोटे अपराध से जुड़े आरोपियों के सुधार के लिए सामाजिक सेवा का प्रावधान किया गया है। कई अपराधों में जुर्माना वृद्धि सहित सजा की अवधि बढ़ाई गई है।

कार्यशाला में उप पुलिस अधीक्षक दिलीप कोसले ने बताया कि 1 जुलाई  से तीन मुख्य कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू हो गए हैं। पूर्व कानून में बदलाव किया गया है तथा अलग-अलग धाराओं में सजा के लिए परिवर्तन किया गया है।  कानूनों में एकरूपता लाने के लिए नया कानून लाया गया है। उन्होंने बताया कि प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समय का निर्धारण किया गया है। पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए है। विशेषकर अपराधिक मामलों में तलाशी एवं जब्ती के दौरान फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी अनिवार्य रूप से की जाएगी। इन कानूनों के संबंध में नागरिकों को जानकारी होना चाहिए। नये कानून में आरोपियों के लिए नये प्रावधान किए गए हैं। सभी के लिए आवश्यक है कि स्वयं भी इन कानूनों को समझें अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें तथा दूसरों को भी जागरूक करें। पुलिस समय पर विवेचना करें, इसके लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है।

उन्होंने बताया कि 1 जुलाई से कानून लागू होने के बाद कोई भी अपराध होने पर नये कानून के अंतर्गत घटना या अपराध दर्ज होगा। इसके अंतर्गत अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि निर्धारित समय में उनका निराकरण हो सके। सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया गया है। एफआईआर की प्रक्रिया, एफआईआर के निर्णय सभी डिजिटल फॉर्म में होंगे। सामाजिक-आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से अब नागरिक अलग-अलग स्थानों में भी रहते हैं,ऐसी स्थिति में दस्तावेज डिजिटल होने से फायदा मिलेगा।

उन्होंने बताया कि नये टेक्नॉलॉजी को अपनाने से कार्य सुगम होंगे तथा अपराधियों को समय पर दण्ड मिल सकेगा। बच्चों एवं महिलाओं के खिलाफ आरोप होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, इसे गंभीरता से लिया गया है। उन्होंने नये कानून के धाराओं के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।

 कार्यशाला में मीडिया प्रतिनिधियों की शंकाओं का समाधान भी किया गया। इस अवसर पर मीडिया प्रतिनिधियों सहित पुलिस विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

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