बस्तर

जेई का एक मरीज मिला, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
19-Jul-2024 8:44 PM
 जेई का एक मरीज मिला, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

बच्चे के साथ ही परिजनों का भी टेस्ट

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 

जगदलपुर, 19 जुलाई। एक 12 वर्षीय बच्चे में जेई के लक्षण पाया गया। उसे मेकाज में भर्ती किया गया। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. सी मैत्री ने बताया कि जेई का पहला मरीज जगदलपुर शहर में मिला है, जेई के लक्षण 12 साल के स्कूली बच्चे में पाया गया है। मेकाज में बच्चे का इलाज चल रहा है।

जेई बच्चों के लिए काफी घातक है, जापानी इंसेफ्टीलाइटिस मच्छर के काटने से होने वाला एक ऐसा दुर्लभ संक्रमण है जो लगभग दो लाख लोगों में से किसी एक आदमी में पाया जाता है, इन्सेफेलाइटिस को आमतौर पर जापानी बुखार के नाम से भी पहचाना जाता है, यह एक तरह का दिमागी बुखार होता है जो वायरल संक्रमण की वजह से होता है। बता दें, यह रोग क्यूलेक्स ट्राइिरनोटिक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है।

कैसे फैलता है
जब क्यूलेक्स प्रजाति का कोई मच्छर रोग से ग्रसित सूअर या जंगली पक्षियों का रक्त चूसता है तो उस रोग के वायरस मच्छर में पहुंच जाते हैं, जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति भी इस रोग की चपेट में आ जाता है, संक्रमण के शिकार व्यक्ति में इस रोग के लक्षण 5 से 15 दिनों के बीच देखने को मिलते हैं, 

जापानी बुखार के लक्षण
बुखार, सिरदर्द, गर्दन में जकडऩ, कमजोरी और उल्टी होना इस बुखार के शुरुआती लक्षण हैं, अक्सर इस बुखार में रोग की पहचान नहीं हो पाती, क्योंकि ये लक्षण ज्यादातर सभी तरह के बुखारों में पाए जाते हैं, लेकिन मस्तिष्क ज्वर में रोगी गहरी बेहोशी में जा सकता है, छोटे बच्चों में ज्यादा देर तक रोना, भूख की कमी, बुखार और उल्टी होना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।

छूने से नहीं होता ये बुखार
यह वायरस छूने से नहीं फैलता है। बता दें, यह रोग अधिकतर 1 से 14 साल की उम्र के बच्चों में और 65 वर्ष से ऊपर के लोगों को ही ज्यादातर अपनी चपेट में लेता है। गौरतलब है कि यह रोग अगस्त, सितंबर और अक्टूबर माह में ही ज्यादा फैलता है।

बचाव के उपाय
क्यूलेक्स मच्छर जहां उत्पन्न होते हैं, वहां मेलाथियान नामक कीटनाशक का छिडक़ाव मच्छरों को पैदा होने से रोकता है। खासकर जिस जगह इस रोग के मामले ज्यादा पाए गए हों, वहां इस कीटनाशक का छिडक़ाव अवश्य करवाना चाहिए, घरों की खिडक़ी और रोशनदानों में मच्छरजालियां लगवाकर रखें। इसके अलावा रात को सोते समय मच्छरदानी का भी प्रयोग करें, इसके अलावा पूरी आस्तीन के कपड़े पहने, अगर इस रोग से पीडि़त मरीज बेहोशी की हालत में है तो उसके मुंह में कुछ न डाले उसे पीठ के बल बिल्कुल न लिटाए, भोजन से पहले, शौच के बाद और जानवरों के संपर्क में आने के बाद हाथों को जरुर धोएं। इसके अलावा समय से टीकाकरण कराएं और साफ-सफाई से रहें।

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