रायपुर

नई शिक्षा नीति व्यापारिकरण का मार्ग प्रशस्त करती है
18-Jul-2024 6:40 PM
नई शिक्षा नीति व्यापारिकरण का मार्ग प्रशस्त करती है

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 18 जुलाई। भारत के लिए लोग मंच ने  मंगलवार की शाम एलआईसी मंडल कार्यालय में नई शिक्षा नीति — दावे और हकीकत विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया था द्य सेमीनार में आर डी आई ई यू, एस एफ आई, डी वाय एफ आई, सी एन एस एस एस, एस टी यू सी एवं सी जी एस पी यू आदि संगठनों के सदस्यों , रंगकर्मियों, छात्रों, शिक्षकों व बुद्धिजीवियों ने बडी संख्या में भागीदारी की।

बनारस हिंदू वि वि, आईआईटी  के प्रोफेसर आर. के. मंडल ने कहा कि नई शिक्षा नीति संवैधानिक मर्यादाओं एवं भारतीय नीति शास्त्रीय पद्धति दोनों का पालन नहीं करती है । यह नीति हाशिये में खड़े समाज के कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा जगत के दरवाजे सदैव के लिये बंद कर देगी द्य विश्व गुरु बनने के दावों के बावजूद एन ई पी का रुख अकादमिक स्वतंत्रता व शैक्षणिक परिसरों की स्वायत्तता को समाप्त करने की ओर जाता है । नई शिक्षा नीति में प्रश्न पूछने, तर्क व विमर्श की कोई गुंजाईश नहीं है।

 सरकार द्वारा शिक्षा हेतु फंड का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किये जाने से सार्वजनिक शिक्षा को  कार्पोरेट व निजी समूहों हेतु आउट सोर्स किया जायेगा द्य इससे शिक्षा महंगी होगी।  संचालन मंच के संयोजक धर्मराज महापात्र ने किया गया द्य उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति पर देश भर में जारी बहसों के क्रम में छत्तीसगढ़ की राजधानी मे संपन्न इस सेमिनार विशेषकर विश्व विद्यालय में मनु स्मृति पढ़ाने तथा  आकाश मिसाईल के मॉडल को गेट मे रखे जाने जैसे कदम  शिक्षा जगत में अवैज्ञानिक व तानाशाही रूख थोपे जाने को प्रतिबिंबित करते है द्य सेमिनार ने शिक्षकों को बड़े पैमाने पर चुनाव व जन गणना जैसे गैर शैक्षणिक कार्यो में संलग्न किये जाने का भी विरोध किया क्योंकि इससे छात्रों व शिक्षकों के बीच दूरी पैदा होती है।

 सेमिनार की अध्यक्षता कर रही नीतू  अवस्थी ने कहा कि शिक्षा नीति में बेतहाशा डिजिटिलाईजेशन व इस हेतु सरकारी फंड का अभाव सीधे सीधे पालकों की जेबों पर डाका डाल रहा है द्य सेमिनार में उपस्थित छात्र छात्राओं गर्व गभने, हर्ष मंधानी, रोजा अली, फिजा अली ने भी वैज्ञानिक व धर्म निरपेक्ष स्वरूप की शिक्षा प्रणाली की मांग की जिससे छात्र परीक्षा या बस्तों के बोझ से मुक्त होकर सत्य व ज्ञान की खोज में उन्मुक्त होकर प्रयास कर सके द्य सेमिनार के अंत में एक प्रश्न सत्र भी रखा गया था जिसमें मुख्य वक्ता प्रो. आर. के. मंडल ने श्रोताओं के प्रश्नों का जवाब दिया द्य प्रश्नोत्तर सत्र में प्रो. मंडल ने कहा कि ऐसे बिलों को संसद के पटल पर ही रोके जाने की जरूरत है और इस हेतु राजनीतिक परिवर्तन जरूरी हो गया है द्य आर डी आई ई यू के महासचिव सुरेंद्र शर्मा ने आभार जताया।

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