रायपुर
![हसदेव में कोल खनन की जरूरत नहीं-सुदीप हसदेव में कोल खनन की जरूरत नहीं-सुदीप](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1721388065SC_0834a.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 जुलाई। अंचल के वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने शुक्रवार को एक पत्रकारवार्ता में हसदेव जंगल स्थित कोयला खदान आबंटन को लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा राजस्थान की आड़ में अडानी को कोयला देने का काम होगा। इसके लिए सरकार हसदेव के जंगल और आदिवासियों को न उजाड़े। राजस्थान के 4340 मेगावॉट पॉवर प्लांट जो हसदेव कोल ब्लॉक से लिंक है। इनकी आवश्यकता चालू खदान पीइकेबी से पूरी हो रही है।
राजस्थान की कुल सालाना जरूरत 21 मिलियन टन है। और पीइकेबी की क्षमता 21 टन है। श्रीवास्तव ने कहा साय सरकार परसा, और केते एक्सटेंशन को खनन मुक्त रखें क्योंकि हसदेव जलग्रहण क्षेत्र को बचाना देश और राज्य के लिए होगा। खनन क्षेत्र बढऩे से मानव और हाथी द्वंद भीषण होगा। उन्होंने कहा राजस्थान मध्यप्रदेश के खदानों से कोयला ले सकता है। इससे उसे परिवहन में 4 सौ रूपए टन की बचत भी होगी। पिछली कांग्रेस सरकार हसदेव के एक हिस्से को लेमरू एलीफेंट रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया था। लेकिन काफी बड़ा हिस्सा जिस पर खनन का खतरा है रिजर्व के बाहर छोड़ दिया।
श्रीवास्तव ने कहा आज इनमें से ही परसा और केते एक्सटेंशन ब्लॉक पर खनन की तलवार लटकी है। भारत में कोयले के 3 सौ से अधिक खदान हैं, जो किसी को आबंटित नहीं है। अगले 50 वर्ष में कोयले का उपयोग कम होते जाएगा। इसलिए हसदेव का जंगल उजाडक़र कोयले का खनन गलत है।