रायपुर

राम, सीता, लक्ष्मण ने की थी पंचकोशी महादेव की पूजा
20-Jul-2024 4:35 PM
राम, सीता, लक्ष्मण ने की थी पंचकोशी महादेव की पूजा

बद्री-केदार धाम तुल्य पंचकोशी, चार धाम का मिलता है पूरा फल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर,  20 जुलाई।
महादेव को समर्पित सावन सोमवार की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है। सावन की दोनों तिथि सोमवार के दिन पड़ रही है। जिससे इन दोनों दिनों को काफी ज्यादा शुभ माना जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 47 मिनट से आरंभ हो जाएंगी। 22 जुलाई को सावन का पहला सोमवार होगा। 19 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। सावन माह को भगवान शिव का प्रिय महीना भी कहा जाता है। इस पूरे माह के दौरान भक्त भगवान शिव की आराधना करते हैं। भक्त भोले को रिझाने बेलपत्र, बेल, धतुरा, आंकड़े के फूल, भांग, श्रीफल भगवान को अर्पित कर पूजा अर्चना करते हैं। इसके लिए शहर के शिव मंदिरों में भी सावन की तैयारियां शुरू हो गई है। मुदिर प्रांगण को सजाया जा रहा है। इस दौरान शहर महादेव घाट स्थित हटकेश्वर महादेव, बुढ़ातलाब समीप बुढ़ेश्वर मंदिर और देवालयों में सावन महीने में भक्तों की काफी भीड़ रहने वाली है। 

प्रचलित कथा और मान्यताओं के अनुसार सावन सोमवार पर भगवान शंकर, का छत्तीसगढ़ राज्य को रामायण काल से भी जोडक़र देखा जाता है। जानकार बताते हैं कि रायपुर, गरियाबंद जिले से लगे सीमा पर  चम्पारण, कोपरा , पटेवा, बम्हनी और गरियाबंद जिले के फिगेश्वर में पंचकोशीय महादेव के पौराणिक मंदिर है। कहा जाता है कि जब भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण वनवास पर गए थे, तब वे छत्तीसगढ़ में आकर यहां रूके और माता सीता ने इन पांच शिवालयों में पूजा अर्चना की थी। इस कारण से इसे पंचकोशीय तीर्थ के नाम से जाना जाता है। 

जानकारों को कहना है कि जो लोग किसी कारणवश बद्रीनाथ-केदारनाथ की चारधाम यात्रा पर नहीं जा पाते वे पंचकोशीय यात्रा में शामिल होते है। इस यात्रा से चार धाम यात्रा का फल मिलता है। इस पंचकोशीय यात्रा में श्रद्धालु पैदल चलकर 5 पड़ाव में 5 शिवलिंगों की दर्शन करते हैं। जिनमें पदयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं का पहला पड़ाव पटेवा के पटेश्वरनाथ मंदिर में होता है। इसके बाद चंपेश्वरनाथ, बम्हनेश्वरनाथ, फणेश्वरनाथ और कोपेश्वरनाथ के दर्शन के बाद श्रद्धालु कुलेश्वरनाथ मंदिर पहुंचते हैं। 

पंचकोशीय महादेव मंदिर  पटेश्वर महादेव मंदिर
रायपुर से राजिम की ओर जाने पर राजिम से 5 किमी पहले ही ग्राम पटेवा में पटेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। सावन महीने में पंचकोशीय यात्रा का इसे पहला पड़ाव माना जाता है। मंदिर में सद्योजात रूप में भगवान शंकर की लींग विद्यामान है। कहा जाता है कि यहां सभी भक्तों की मनोंकामना पूरी होती है। नि: संतान दंपत्ति मनोकामना कर यात्रा की शुरूआत करते है। 

चम्पेश्वर महादेव 
चम्पेश्वर महादेव मंदिर नवा रायपुर के समीप चंम्पारण ग्राम में स्थित है । इसे प्रभुवल्लभाचार्य की जन्मस्थली भी माना जाता है। चम्पारंण में जंगलो के बीच भगवान शिव की त्रिमूर्ति रूप में विराजमान है। इसकी भी अपनी मान्यता है। शिव लिंग पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी के रूप में है। सावम महीने में इस स्थान पर कावडिय़ों का तांता लगा रहता है। 

फणिकेश्वर नाथ महादेव
गरियाबंद जिले में स्थित फणिकेश्वर नाथ महादेव का प्रसिद्ध मंदिर  फिंगेश्वर में है। यह मंदिर काफी प्राचीन है। मान्यता है कि यहां जो भी भक्त आता है भोले बाबा उसकी मनोकामना पूरी करते हैं। लोगो कि मान्यता के अनुसार इस स्थान पर राम जी वनवास के समय इस रास्ते से गुजरे थे और माता सीता ने इसी मंदिर में शिव जी का पूजा व शिव जी का जल अभिषेक किया था। यहाँ पर प्रती वर्ष सावन सोमवारी और महाशिवरात्रि को भारी भीड़ उमड़ती है। दूर- दूर से भक्त बाबा को जल से अभिषेक करते है।

इस मंदिर का निर्माण छ: मासी रात को किया गया था मंदिर में अनेक प्राचीन मुर्तिया रखी गयी है इसमें से प्रमुख चतुर्मुखी गणेश जी, भैरव बाबा कि प्रतिमा है। ऐशा लगता है कि सभी मुर्तिया धरती माता के गर्भ से निकली है। फणीकेश्वर नाथ महादेव मंदिर नागर शैली में बना हुवा है। और यह मंदिर पुरातत्व विभाग द्वार संरक्षित किया गया है।

कोपेश्वर महादेव
यह मंदिर पंचकोशीय यात्रा का चौथा पड़ाव माना जाता है। प्रदेश की दो पैरी और सोडू का संगम स्थली है। इस के तट पर ग्राम कोपरा में कोपेश्वर महादेव का मंदिर स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण और प्रर्दुभाव समुद्रगुप्त काल से माना जाता है। 

बम्हनेश्वर महादेव 
यह मंदिर ग्राम बम्हनी मे स्थित है। इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है। इस स्थान पर पंचकोशीय महात्माओं की ज्ञग्य स्थली भी रही है। संत यहां पर एकांतवास कर शिव अराधना में लीन रहते थे। इन पांचों शिवालयों के दर्शन के बाद राजिम के कुलेश्वर महादेव की पूजा अर्चना कर यात्रा का विराम किया जाता है।

सावन पर बन रहा दुर्लभ योग
पंडित कोमल दुबे ने बताया कि इस साल सावन माह में करीब 72 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। बता दें कि इस साल श्रावण मास सावन सोमवार के साथ आरंभ हो रहा है। इस बार कुल 5 सावन सोमवार पड़ रहे है। इसके साथ ही सावन माह के दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग बन रहा है। इसके साथ ही ग्रहों की स्थिति के कारण कुबेर योग, मंगल-गुरु युति, शुक्रादित्य योग, बुधादित्य, लक्ष्मी नारायण योग, गजकेसरी योग , शश राजयोगों जैसे योग बन रहे हैं।
 

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