सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 21 अक्टूबर। मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने सात सूत्रीय मांगों को लेकर गुरुवार को कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है।
इस दौरान महासंघ के अध्यक्ष रवि किशोर गुप्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ में मनरेगा को प्रारंभ हुए 15 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इतनी लंबी अवधि के बाद भी मनरेगा में अधिकारी कर्मचारी ग्राम पंचायत, जनपद जिला, राज्य कार्यालय में आज भी संविदा, मानदेय पर कार्यरत हैं और आज तक मनरेगा में अधिकारी-कर्मचारी नियमित होने से वंचित हंै।
महासंघ ने कहा कि आज नरेगा के समस्त कार्यरत कर्मचारी-अधिकारी की उम्र लगभग 40 वर्ष से उपर हो गयी है और अपना जीवन का महत्वपूर्ण समय नरेगा में कार्यकर गुजार दिया है। इसके बाद भी हम लोग का नौकरी सुरक्षा एवं भविष्य कि कोई दिशा दशा तय नहीं। आज तक किसी भी प्रकार की शासन के तरफ से हम लोगों के भविष्य को लेकर किसी प्रकार की सकरात्मक पहल नहीं किया गया है। जिसके हम लोग बहुत असुरक्षा से जीवनयापन कर रहे हंै।
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने अपने 7 सूत्रीय मांग को लेकर कहा कि मनरेगा के सभी अधिकारी कर्मचारियों को जन घोषणा पत्र के आधार पर नियमितीकरण किया जाए। शिक्षाकर्मी की तरह पंचायत कर्मी सेवा शर्त नियमावली 2008 को लागू करते हुए हिमाचल प्रदेश के तर्ज पर व सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार समान कार्य समान वेतन का प्रावधान किया जाए। 2 वर्ष पूर्ण कर चुके अधिकारी कर्मचारियों का प्रतिवर्ष सेवा वृद्धि का प्रावधान को बंद कर एकमुश्त योजना परयंत्र तक अथवा मध्य प्रदेश की तर्ज पर 62 वर्ष की सेवा सुनिश्चित किया जाए। मनरेगा के सभी अधिकारी कर्मचारियों की भांति ग्राम रोजगार सहायकों का भी वेतन ग्रेड निर्धारित किया जाए। 5 वर्ष पूर्ण कर चुके अधिकारी कर्मचारियों को ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, जिला पंचायत, राज्य में समान पद में संविलियन किया जाए। साथ ही स्थानांतरण नीति का निर्धारण किया जाए। मनरेगा अंतर्गत संविदा अवधि में किए गए कार्य अनुभव वर्ष के आधार पर प्रतियोगिता परीक्षा में आयु सीमा में छूट व रोजगार सहायक तर्ज पर अनुभव पर अंक प्रदान किया जाए।
ज्ञापन सौंपते दौरान महासंघ के उपाध्यक्ष डीवी सिंह, सचिव नीलम जायसवाल सहित भारी संख्या में अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे।