सरगुजा
![मनरेगा बना ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा मनरेगा बना ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1612448904anrega__(2).jpg)
प्रतिदिन औसतन 60 हजार मजदूरों को मिल रहा रोजगार
फ़ोटो समाचार मनरेगा
अम्बिकापुर, 4 फरवरी। ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने एवं उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने में मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए लाईफ-लाईन बन गया है। सरगुजा जिले में प्रतिदिन औसतन 60 हजार से अधिक मजदूरों को मनरेगा में काम मिल रहा है। मनरेगा के मध्यम से परम्परागत जल संचयन इकाइयों जैसे तालाब, डबरी, कुंआ का निर्माण किया जा रहा है। ग्रामीणों को रोजगार मिलने के साथ जल संचयन से सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध हो रही है।
जिले के सभी जनपद पंचायत के 433 ग्राम पंचायत में 1 हजार 148 कार्य प्रगति पर है जिसमें गुरुवार को 51 हजार 388 मजदूर मनरेगा के कार्यों में लगे हुए थे। जल संवर्धन के कार्यों जैसे डबरी निर्माण, तालाब निर्माण, तालाब गहरीकरण, कुंआ निर्माण के कार्यों को प्राथमिकता से किया जा रहा है ताकि ग्रीष्म ऋतु के आगमन से पहले जल संवर्धन से संबंधित विकास कार्य पूर्ण हो जाये। इसके अलावा भूमि समतलीकरण, बोल्डर चेक डेम, वर्मी कम्पोस्ट पिट, आंगनबाड़ी भवन निर्माण आदि कार्य प्रमुखता से कराए जा रहे हैं। प्रत्येक मॉडल गोठानो में 3-3 नग कुक्कुट शेड का निर्माण किया जा रहा है।
मनरेगा से जहां ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है वहीं किसानों को स्थायी परिसंम्पति के रूप में कूप, तालाब, कुक्कुट आश्रय से स्वरोजगार प्राप्त हो रहा है।
हितग्राहियों को आजीविका मूलक गतिविधियों से जोडक़र आर्थिक मजबूती, स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। मनरेगा के कुँआ निर्माण योजना के अन्तर्गत बाड़ी तथा खेतों में कृषि हेतु सिंचाई उपलब्ध कराने के लिए वृहद स्तर पर कार्य किया जा रहा है।