महासमुन्द
मवेशियों के चारागाह के लिए 10 एकड़ चिन्हांकित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 8 फरवरी। सुराजी योजना के तहत निर्मित नरवा, गरवा, घुरवा, बारी के तहत गांव-गांव में तैयार किए गए गोठान आजीविका के नए केंद्र स्थापित हो रहे हैं। गांवों में तैयार किए गए गोठान एक नहीं बल्कि कई महिला समूहों के आजीविका का साधन बन रही है।
समूह की महिलाएं गोठान से केवल वर्मी खाद तैयार करने के साथ ही कुक्कुट पालन, आटा चक्की और सब्जी उत्पादन कर कमाई कर रही हैं। जिले के बसना ब्लॉक के ग्राम पंचायत गनेकेरा के नवागांव का गोठान इसी तरह का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। नवागांव में 3 एकड़ का गोठान तैयार किया गया है। साथ ही मवेशियों के चारागाह के लिए 10 एकड़ भूमि चिह्नांकित की गई है। गांव में पशुओं की संख्या 222 है, जिसमें से औसतन 100 मवेशी रोजाना गोठान में आते हैं। यहां घुरवा के तहत 20 वर्मी बेड और 10 वर्मी कम्पोस्ट टैंक का निर्माण किया गया है। इसके जरिए महिला समूह केचुआ खाद तैयार कर रही हैं। भगवती महिला स्व सहायता समूह द्वारा 126 क्विंटल वर्मी खाद का उत्पादन किया गया जिसे उद्यानिकी विभाग ने 1 लाक 7 हजार रुपए में खरीदा। इसी तरह भगवती महिला समूह कुक्कुट पालन कर अतिरिक्त आमदनी भी कर रही है। नवागांव के गोठान से ही ज्योति महिला स्व सहायता समूह ने भी 44 क्विंटल वर्मी खाद का उत्पादन किया, जिसे प्रति किलो 10 रुपए की दर से 44 हजार रुपये का लाभ कमाया।