महासमुन्द
15 महिलाओं के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 10 फरवरी। कोमाखान थाना क्षेत्र के नर्रा गांव के 21 पुरुषों के खिलाफ पुलिस पर पथराव के मामले में अलग-अलग अपराध दर्ज किया गया है। इनमें से 20 की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसके अलावा इधर 15 महिलाओं के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है। कोमाखान पुलिस इस मामले में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। वहीं किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए कोमाखान थाना में आगामी आदेश तक के लिए अतिरिक्त बल तैनात कर दिया गया है।
गौरतलब है कि बीते साल 30 सितंबर को पुलिस पार्टी पर हमला करने के मामले में गिरफ्तार युवकों को छोडऩे की मांग को लेकर नर्रा के ग्रामीण परसों सोमवार को कोमाखान थाना का घेराव करने पहुंचे थे। घेराव करने से पहले ही पुलिस ने ग्रामीणों को रोक दिया था लेकिन दोपहर बाद ग्रामीण उग्र हो गए और पुलिस पर जमकर पथराव किया। घटना में 35 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे। पथराव के बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग का ग्रामीणों को खदेड़ दिया था।
इसी मामले को लेकर कोमाखान पुलिस ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन पर धारा 147, 148 और शासकीय कार्य में बाधा की धारा 186, 353 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है। वहीं 15 महिलाओं को भी गिरफ्तार किया गया था जिन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
पुलिस पर पथराव के बाद ग्रामीणों को खदेड़ दिया गया था। वहीं रात से ही पथराव करने वाले और ग्रामीणों को उकसाने वालों को चिह्नांकित कर गिरफ्तारी शुरू कर दी गई थी। इसी रात पुलिस ने नर्रा में पेट्रोलिंग भी की, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो। मंगलवार की सुबह भी कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया और अब इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल कुमार ठाकुर का कहना है कि नर्रा में हालात सामान्य है। फिर भी ऐहतियात के तौर पर यहां अतिरिक्त बल तैनात कर दिया गया है। इनकी संख्या 200 से अधिक है। ये आगामी आदेश तक कोमाखान में ही रहेंगे। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने पूर्व में दर्ज मामले में युवकों की गिरफ्तारी का विरोध किया था। घटना के एक दिन पहले भी 7 फरवरी को ग्रामीणों ने गांव के रास्तों को ब्लॉक कर दिया था। गांव के ही चार-पांच लोगों ने माहौल खराब किया था और बाहरी व्यक्तियों को अंदर जाने भी नहीं दिया जा रहा था। सोमवार को कोमाखान थाना घेराव करने के लिए ग्रामीण पहुंचे थे, जिन्हें नदी के पास रोका गया था।