सरगुजा

सरकारी कुक्कुट फार्म में ही बर्ड फ्लू क्यों, निजी फार्म में क्यों नहीं?
20-Feb-2021 9:03 PM
 सरकारी कुक्कुट फार्म में ही बर्ड फ्लू  क्यों, निजी फार्म में क्यों नहीं?

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अंबिकापुर, 20 फरवरी। बर्ड फ्लू के मामले को लेकर मरीन ड्राइव व्यापारी संघ ने सवाल उठाए हंै। शनिवार को प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता के दौरान व्यापारी संघ ने कहा कि सीधे सरकारी कुक्कुट फार्म में ही बर्ड फ्लू क्यों, निजी कुक्कुट फार्म में क्यों नहीं..? मामले में व्यापारी संघ ने समुचित जांच कराए जाने एवं व्यवसाय करने की अनुमति प्रदान करने की भी मांग की।

मरीन ड्राइव व्यापारी संघ के अध्यक्ष संतोष साहू ने कहा कि मूलत: मरीन ड्राइव व्यापारी संघ का व्यवसाय मुर्गे-मुर्गियों का क्रय-विक्रय करना है, जहां वे अपना व्यवसाय सुचारू रूप से संचालित करते हैं। जो भी दुकाने मरीन ड्राइव के क्षेत्र के अंतर्गत है, वहां हर 15 दिन में पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टर, अधिकारी कर्मचारी जांच करने जाते हैं। सैम्पल लेकर जांच किया जाता है। दुकानों में जो भी मुर्गा मुर्गे आदि रखा व विक्रय किया जाता है, उसमें कभी भी जांच में यह नहीं पाया गया है कि किसी भी मुर्गा, मुर्गों में बर्ड फ्लू जैसी कोई बीमारी या उसके लक्षण पाये गये हैं।

मरीन ड्राइव व्यापारी संघ के अध्यक्ष संतोष साहू सहित अन्य व्यापारियों ने आरोप लगाया कि सकालो, सरगवां शासकीय पोल्ट्री फार्म से ही केवल बर्ड फ्लू पाया गया है, इसके अलावा नगर अम्बिकापुर के आस-पास या सरगुजा जिले के तहत संचालित प्राईवेट मुर्गों का फार्म में कहीं भी इस बीमारी का कोई लक्षण नहीं पाया गया है और न ही पुष्टि हुई है। यह तो एक हवा है, जो फैला दिया गया है। इस संबंध में समुचित व विस्तृत रूप से जांच कराया जाने की मांग व्यापारी संघ ने की है।

व्यापारियों ने आरोप लगाया कि इस बीमारी की आड़ में सभी मुर्गा मुर्गी विक्रय करने वालों की दुकानों को जबरन बंद करा दिया गया है। जिससे दुकान में काम करने वाले कर्मचारी भी बेकार हो गये हैं, जिससे भारी आर्थिक क्षति हो रही है तथा उसके कर्मचारी के समक्ष रोजी-रोटी की विकट समस्या उत्पन्न हो गई है।

प्रेस वार्ता के दौरान मरीन ड्राइव व्यापारी संघ के अध्यक्ष संतोष साहू, उपाध्यक्ष राजू सोनी, शकील कुरेशी, मनोज गुप्ता, हामिद अंसारी, शिवनाथ गुप्ता, विजय राम सहित भारी संख्या में व्यवसाई मौजूद थे।

हर रोज लाखों का कारोबार प्रभावित

संघ ने बताया कि नगर सहित आसपास 200 से ढाई सौ पोल्ट्री फार्म और छोटे बड़े लगभग 100 मुर्गा दुकान संचालित होते हैं। हर रोज 50 टन से ज्यादा की खपत होती है। ऐसे में दुकानदार को हर रोज लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। दुकानदार के साथ-साथ दुकानों में काम करने वाले स्टाफ के सामने भी रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है।

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