सरगुजा
अंबिकापुर, 21 फरवरी। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के ईएनटी विभाग में ब्रोंकोस्कॉपी व ट्रेकोस्टामी का सफल ऑपरेशन किया गया। डॉक्टरों ने पांच साल के बच्चे की सांस नली में फंसा बेर का बीज निकाला गया।
बेर खाते वक्त बीज 5 साल के एक बच्चे के सांस की नली में फंस गया था। जिससे बच्चे को लगातार खांसी, बुखार आ रहा था। मरीज 20 दिन तक इलाज के लिए इधर उधर भटका। सांस में ज्यादा तकलीफ बढऩे के कारण परिजन द्वारा शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय अम्बिकापुर के शिशु रोग विभाग में भर्ती कराया गया। रेडियोलाजी विभाग की अति आधुनिक 128 स्लाइस सीटी स्कैन मशीन से मरीज के परीक्षण पर बेर के बीज की बायें फेफड़े में फंसे रहने और दोनों फेफड़ों में निमोनिया होने की पुष्टि हुई। निश्चेतना विभाग व ईएनटी विभाग के चिकित्सकों द्वारा 2 घंटे के प्रयास से सफ़लतापूर्वक फेफड़े से बेर का बीज निकाला गया। अब मरीज पूर्णत: स्वस्थ है। मरीज का उपचार आयुष्मान कार्ड से निशुल्क किया गया।
ईएनटी के चिकित्सकों ने बताया कि यह बीज निकालना इसलिए चैलेंजिंग होता है, क्योंकि इस पर फोरसेप से पकड़ बनाना मुश्किल होता है और बार-बार फिसलता है। जिस तरफ यह बीज फंसा रहता है, वह फेफड़ा अक्रियाशील अर्थात काम नहीं करता है और मरीज का जीवन 1 फेफड़े पर निर्भर रहता है। ऐसे में पूरी सावधानी बरतनी होती है कि बीज निकालते समय बीज दूसरे फेफड़े में न जाये। जिस पर मरीज की जान बचाना मुश्किल होगा। इस प्रोसीजर में विभाग के डा शैलेन्द्र गुप्ता, डा ऊषा आर्मो, डा हरवंश, रेडियोलॉजिस्ट डॉ. शिवा, शिशु रोग विभाग के डॉ. सुमन, डॉ. राकेशवर्मा, डॉ. जेके रेलवानी, निश्चेतना विभागाध्यक्ष डॉ. मधुमिता मुर्ति, डॉ. दीपा, डॉ. डी एस पटेल, व ओटी स्टॉफ का विशेष योगदान रहा ।
अब तक 61 लोगों का किया सफल ऑपरेशन
नाक कान गला विभाग के चिकित्सकों द्वारा विगत वर्ष 61 मरीज के आहार नली व सांस की नली में फंसे फारेनबाडी को निकाला गया। ईएनटी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉक्टर शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि अभी तक मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर ईएनटी विभाग द्वारा मछली का कांटा फसने पर 23, आहार नली में सिक्का फसने पर 14, गले के अंदर पिन फंसने पर पांच, हड्डी फंसने पर 13, बटन बैटरी फंसने पर चार और बीज फंसने के मामले में 3 लोगों का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है।