रायपुर
96 बच्चों का पुनर्वास हुआ
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 मार्च। प्रदेश में तीन सौ से अधिक बच्चे भीख मांगते पाए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा करीब सवा सौ बच्चे मुंगेली में हैं। सरकार ने भिक्षावृत्ति के रोकथाम के लिए अभियान चला रही है, और 96 बच्चों का पुनर्वास भी किया है।
वैसे तो प्रदेश में भीख मांगने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए कानून भी प्रभावशील है। छत्तीसगढ़ भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम, 1973 प्रभावशील है, और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 76 के अनुसार बालकों को भीख मांगने के लिए नियोजन या उनसे भीख मंगवाए जाने को प्रतिबंधित करने संबंधित निर्देश जारी किए गए हैं।
यह भी बताया गया कि प्रदेश में भिक्षावृत्ति में संलिप्त बच्चों के सर्वे के लिए 24 नवम्बर 2020 को निर्देश जारी किए गए हैं। सर्वे में कुल 307 बच्चे भिक्षावृत्ति में संलिप्त पाए गए हैं। इनमें बालोद में 1, बलौदाबाजार में 36, बेमेतरा 1, बिलासपुर 33, धमतरी 21, जांजगीर-चांपा 22, कबीरधाम 2, कोरबा 1, कोरिया 3, मुंगेली 123, रायपुर 59, राजनांदगांव 2 और सरगुजा 3 है।
बताया गया कि पुनर्वास के तहत समाज में एकीकरण का प्रावधान है, अब तक 96 बालकों का पुनर्वास किया गया है। भिक्षावृत्ति के रोकथाम के लिए जागरूकता और पुनर्वास के लिए समय-समय पर अभियान चलाए जा रहे हैं। जानकार लोग सरकारी सर्वे से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि सर्वे संख्या से कई गुना अधिक बच्चे भिक्षावृत्ति में लिप्त हैं।
आदिवासी इलाकों की स्थिति और भी खराब है। यदि इस अभियान में आम लोगों को भी जोड़ा जाता है, तो तकरीबन सही संख्या सामने आ सकती है।