महासमुन्द

छोटे बच्चों को रिश्तेदारों के पास छोडक़र कोरोना मरीजों की सेवा कर रहीं नर्सें
12-May-2021 2:14 PM
छोटे बच्चों को रिश्तेदारों के पास छोडक़र कोरोना मरीजों की सेवा कर रहीं नर्सें

  आज अंतरराष्ट्रीय नर्स डे पर विशेष  

उत्तरा विदानी
महासमुंद, 12 मई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
महासमुंद जिले के तुरेंगा स्वास्थ्य केंद्र में सेवा दे रहीं एएनएम पूर्णिमा साहू अपने छोटे-छोटे बच्चों को घर पर छोडक़र संक्रमण के बीच अपनी सेवाएं दे रही हैं। नर्स लता 15 माह की बच्ची को चाचा के पास और किरण 6 साल के बेटे को बुआ के पास मरीजों की सेवा खातिर छोड़ती हैं। 

कोरोना संक्रमण के बीच इनकी तरह और भी कई नर्सें अपने मासूम बच्चों को परिवार में छोडक़र सेवाएं दे रही हैं। अछोली स्वास्थ्य केंद्र में सेवा दे रहीं लता ध्रुव अपनी 15 महीने की बच्ची को अपने देवर के पास छोडक़र ड्यूटी पर हैं। वे बताती हैं-पति कलपराम पुलिस में हैं, इसलिए उन्हें भी ड्यूटी पर जाना होता है। इसलिए उनकी बेटी रिया का पूरा ध्यान उसके चाचा रखते हैं। हालांकि ड्यूटी के बाद घऱ जाने पर पूरी एतियात के साथ खुद को डिसइंफेक्ट करने के बाद ही बच्ची को छूती हूं। लता कोरोना सैंपलिंग, वैक्सीनेशन व अन्य स्वास्थ्य संबंधी कार्यों को करती हैं। वे बताती हैं कि 6 महीने के मेटरनिटी लीव के बाद जुलाई 2020 में वापस ड्यूटी पर तैनात हुई हैं।

इसी तरह तुरेेंंगा स्वास्थ्य केंद्र में सेवा दे रहीं एएनएम पूर्णिमा साहू अपने छोटे-छोटे बच्चों को घर पर छोडक़र संक्रमण के बीच अपनी सेवाएं दे रही हैं। वे बताती हैं कि मेरे दो बेटे हैं। एक 6 साल का भेवेंद्र व डेढ़ साल का तुसार। जब मैं ड्यूटी पर होती हूं, दोनों बच्चों का ख्याल उनके पिता रखते हैं। बच्चों को संक्रमण की चिंता हमेशा रहती है। लेकिन हमारे कार्य से बड़ी संख्या में लोगों को लाभ मिलता है। इसलिए कार्य भी जरूरी है। कोरोना काल में सैंपलिंग, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, वैक्सीनेशन व मैटरनिटी जैसे अन्य कार्यों को पूरी एतियात के साथ करती हूं। काम के बाद जब घऱ जाती हूं तो बच्चे देखकर पास आने के लिए रोते हैं। लेकिन खुद को पूरी तरह से डिसइंफेक्टेड करने के बाद ही उन्हें पकड़ती हूं। 

बिरकोनी स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम के तौर पर पदस्थ किरण कौशिक कोरोना काल के दौर में सैंपलिंग, मैटरनिटी व वैक्सीनेशन का कार्य कर रही हैं। अपने 6 साल के बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए उन्होंने बेटे को उसकी बुआ के पास भेज दिया है। वे बताती हैं कि बच्चा मेरे से दूर है उसकी याद तो बहुत आती है और वो भी हमारे पास रहना चाहता है लेकिन मेरा काम भी जरूरी है और उसकी सुरक्षा भी। इसलिए ही उसे उसके बुआ के पास भेज दिया है। किरण कौशिक बताती मैं 11 साल से इस फील्ड में हूं, लेकिन सबसे कठिन दौर कोरोना के कारण ही देखना पड़ रहा है। गत दिवस किरण व उनके पति राजेंद्र कौशिक भी कोरोना संक्रमित हो गए थे और हाल ही में स्वस्थ होकर लौटे हैं और वैक्सीनेशन में किरण अपनी सेवाएं दे रही हैं। 


 

खुद संक्रमित होते हुए दूसरे मरीज के लिए दिया अपना बिस्तर, चेयर के सहारे ट्रीटमेंट लेती रहीं
जिला मुख्यालय के डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में पदस्थ नर्स गायत्री साहू ने सेवा की एक मिसाल कायम की है। अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज करते हुए गायत्री 21 अप्रैल को खुद भी कोरोना संक्रमित थीं। उसी अस्पताल में उसका इलाज जारी था। इसी दौरान एक युवा पेशेंट 85 से 90 फीसदी फेफ ड़ा संक्रमण के साथ यहां आया। जिसके लिए अस्पताल में एक भी बेड नहीं था। पेशेंट की स्थिति को देखते हुए गायत्री ने अपना बेड उस पेशेंट को दे दिया और खुद एक चेयर के सहारे ट्रीटमेंट लेती रही। गायत्री साहू बताती हैं कि जब पेशेंट ठीक होकर जा रहे थे तो उनके परिजनों ने मुझसे मुलाकात की। बहुत ही भावुकता के साथ मुझे धन्यवाद दिया। यही हमारी सेवा का प्रतिफल है। 

ज्ञात हो कि गायत्री साहू गत 2020 अक्टूबर से डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में सेवा दे रहीं हैं। कोरोना काल में सेवा के अनुभव को लेकर गायत्री कहती हैं कि डेडिकेटेड अस्पताल में मरीज बहुत खराब कंडीशन में आते हैं। बहुत से मामलों में मरीज का देहांत भी हो जाता है। ऐसी कंडीशन में मृतक के परिजन हमसे लड़ाई करने पहुंच जाते हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है। हम उनकी सेवा कर उन्हें घर वापस भेजना चाहते हैं न कि किसी के परिजनों से लड़ाई करना। गायत्री के परिवार में वह एक ही नर्स हैं। कहती हैं कि कोरोनाकाल में सेवाएं देने को लेकर माता-पिता चिंता जरूर करते हैं, लेकिन इस काम को समझते भी हैं। मैं जब संक्रमित हुई थी तब भी वे काफी चिंतित थे।

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