महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 24 अप्रैल। कांकेर की एक सभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए बयानों को चुनावी जुमला व झूठ का पुलिंदा निरूपित करते हुए पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने हास्यास्पद बताया है। उन्होंने कहा कि देश के गृहमंत्री ये जान चुके हैं कि मोदी के नाम पर अब भाजपा को वोट नहीं मिलने वाला, इसलिए नक्सलवाद के नाम प्रदेशवासियों को बरगला रहे हैं।
श्री चंद्राकर ने कहा कि अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को तीन साल में खत्म करने की बात कही है। जब विधानसभा चुनाव चल रहा था तब शाह ने कहा था कि राज्य में भाजपा की सरकार बनते ही नक्सलवाद चुटकियों में खत्म हो जायेगा। अब लोकसभा चुनाव में फिर वोट लेने के लिये तीन साल की बात कर रहे हैं। श्री शाह के अनुसार छत्तीसगढ़ और देश में नक्सल समस्या के समाधान के लिए भाजपा की सरकार होना अनिवार्य है तो छत्तीसगढ़ में 2003 से 2018 तक भाजपा की सरकार थी। 2014 से 2018 तक केंद्र और राज्य दोनों ही जगह भाजपा की ही सरकार थी। उस समय क्यों नक्सलवाद को अमित शाह ने चुटकियों में खत्म नहीं किया। इन वर्षों में हुई हजारों हत्याओं की जिम्मेदारी अमित शाह को लेनी चाहिए। क्योंकि उनके पास संसाधनों की कमी नहीं थीए लेकिन उन्होंने उपयोग नहीं किया।
पूर्व संसदीय सचिव श्री चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में तो भाजपा के 15 साल के सरकार में नक्सलवाद 3 ब्लाकों से निकलकर 14 जिलों तक पहुंच गया था। 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद नक्सली घटनाओं और नक्सल के विस्तार में 80 फीसदी तक कमी आई थी। यह कमी कांग्रेस की सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नक्सल समस्या के समाधान की दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण आई थी। भूपेश सरकार ने विश्वास, विकास और सुरक्षा के अपने मूल मंत्र से नक्सल क्षेत्र के निवासियों का विश्वास जीत कर वहां विकास कार्य, पहुंच मार्ग विकसित किया। उनमें सुरक्षा का भाव और सरकार के प्रति भरोसा पैदा किया था। जिसके कारण आज प्रदेश में नक्सलवाद बैकफुट पर था। जो डबल इंजन की सरकार में फिर बढ़ गया।