सरगुजा
न्यायालयीन व्यवस्था के अनुरूप की जाएगी कार्रवाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 17 जुलाई। कुछ समाचार पत्र में प्रकाशित कोणार्क रेसीडेंसी के संबंध में आदिवासी मंदरू उरांव की भूमि नमना कला स्थित भूमि खसरा नम्बर 15/8 रकबा 0.11 हेक्टेयर को छोटे-छोटे भू-खण्डों में रजिस्ट्री करा देने के संबंध में विभागीय स्तर पर जांच की गई है तथा जांच प्रतिवेदन के अनुसार भूमि का अंतरण नियमानुसार होना पाया गया है।
न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी के पारित आदेश 21 अक्टूबर 2016 के अनुसार गैर आदिवासी के पक्ष में 2 अक्टूबर 1959 के पूर्व का प्रमाणित होना के फलस्वरूप संहित की धारा 170 (ख) का प्रावधान आर्षित नहीं होने के कारण खारिज किया जाना दर्शित होता है। इस प्रकरण में टीम बनाकर जांच की गई है जिसमें किसी प्रकार की अनियमितता नहीं पाई गई है।
कलेक्टर संजीव कुमार झा ने बताया है कि किसी भी आवेदक द्वारा शिकायत किए जाने पर राजस्व विभाग उसकी विधिवत जांच करता है और अनियमितता पाए जाने पर कार्यवाही की जाती है। न्यायलयीन व्यवस्था के तहत हर एक को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है। न्यायालय सभी दस्तावेजों एवं साक्ष्यों का समग्र आंकलन व विचार करने के उपरांत ही अपना निर्णय लेती है। इस प्रकरण में खसरा नम्बर 15/2 में किसी प्रकार की अनियमितता प्रमाणित होती है तो वह इस पर हुए सभी अंतरणों को खारिज भी कर सकता है। किसी प्रकार की संशय होने पर न्यायालय में अपील कर सकते हैं।
अधीक्षक भू-अभिलेख अमित कुमार झा ने बताया कि इस प्रकरण में धारा 170 ’ख’ प्रकरण में पूर्व में आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा आवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिस पर पूर्ण सुनवाई उपरांत 21 अक्टूबर 2016 को विधिवत आदेश पारित हुआ। जिसमें वाद भूमि का अंतरण गैर अनुसूचित जनजाति के पक्ष में 2 अक्टूबर 1969 के पूर्व का प्रमाणित होना पाया जाने के फलस्वरूप खारिज कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि यह एक राजस्व न्यायालय में दर्ज मामला है जिसे छुपाने का कोई औचित्य नहीं है। आवेदक पक्ष के पास पूर्व में निराकृत मामले में संज्ञान में लाए गए। दस्तावेजों के अतिरिक्त कोई भी अन्य विधिक दस्तावेज हैं तो उसे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।