राजपथ - जनपथ
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अलार्मिंग है सत्ता पक्ष के लिए
विधानसभा में मतविभाजन के दौरान कभी भी सरकार को कोई खतरा नहीं है। लेकिन फ्लोर मैनेजमेंट तो करना होगा। एनी टाइम, कम से कम विपक्ष (35 )से एक दो अधिक विधायक सदन में रखने ही होंगे। क्योंकि मायावी महंत के साथ अनुभवी बघेल हैं,कब वोटिंग मांग ले पता नहीं। हम ऐसा इसलिए कह रहे कल ऐसा ही कुछ हुआ। मंडी संशोधन विधेयक के पारण पर नेता प्रतिपक्ष ने वोटिंग मांग ली। विधेयक 47 के मुकाबले 27 से पारित हो गया। सत्ता पक्ष से 7 और विपक्ष से 8 कम थे। हर समय सदन में मौजूद रहने की ताकीद के बाद भी विधायकों की अनुपस्थिति दोनों खासकर सत्ता पक्ष के लिए अलार्मिंग है। एक दो चलता है, एक साथ 6-7 अनुपस्थित। यह सचेतक और संसदीय कार्य मंत्री के लिए सचेत रहने की स्थिति है। वैसे विधायकों की अनुपस्थिति के लिए कोई नाराजगी, विरोध जैसे कारण नहीं थे। खासकर सत्ता पक्ष में। दोनों ओर से सभी विधायक विधानसभा परिसर में ही मौजूद थे। बस वोटिंग के लिए नहीं पहुंच पाए। वोटिंग से पहले सदन के सभी दरवाजे जिन्हें लॉबी डोर कहते हैं बंद कर दिए जाते हैं। ताकि कोई दूसरा न घुस सके। वही हुआ और दोनों पक्षों के 15 विधायक वोट नहीं कर सके। वैसे फ्लोर मैनेजर के लिए यह स्थिति भी ठीक नहीं। उम्मीद है शीत सत्र से सभी चौकन्ने रहेंगे।
सीईसी के लिए सुझाव
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त का पद दो साल से खाली है। इस पद पर नियुक्ति के लिए सिफारिशें आ रही हैं, लेकिन सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है। इन सबके बीच राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पाण्डेय ने सीएम विष्णुदेव साय से मिलकर एक अलग ही मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर किसी नौकरशाह की जगह न्यायिक सेवा, अथवा किसी सीनियर वकील को नियुक्त किया जाना चाहिए।
सूचना आयोग के गठन के बाद तीनों मुख्य सूचना आयुक्त नौकरशाह ही रहे हैं। सबसे पहले पूर्व सीएम एके विजयवर्गीय मुख्य सूचना आयुक्त बनाए गए। इसके बाद रिटायर्ड एसीएस सरजियस मिंज को मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया। फिर एसीएस एमके राऊत के रिटायर होने के बाद मुख्य सूचना आयुक्त का दायित्व सौंपा गया। राऊत का कार्यकाल खत्म होने के बाद से अब तक पद खाली पड़ा है।
वीरेन्द्र पाण्डेय ने सीएम से कहा कि सूचना के ज्यादातर मामले नौकरशाहों से जुड़े रहते हैं। ऐसे में कई बार नौकरशाह सूचना देने की राह में रोड़ा बन जाते हैं। सरकार, वीरेन्द्र पाण्डेय के सुझावों पर क्या फैसला करती है यह देखना है।
पेपर जांचने वालों के नाम लीक?
सीजी पीएससी 2021-22 की जांच अभी शुरू ही हुई है कि सन् 2023 में लिए गए एग्जाम की गोपनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है। कुछ सोशल मीडिया समूहों में कुछ टीचर्स के नाम, उनके मोबाइल फोन नंबर के साथ वायरल हो रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि इनको मेंस एग्जाम के पेपर जांचने की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि उच्च-शिक्षा विभाग विषय विशेषज्ञों की सूची जारी करता है लेकिन उसमें यह स्पष्ट नहीं होता कि इनमें से किसी को पेपर जांचने के काम में लगाया जाएगा। यदि वायरल हो रही सूची सही है तो परीक्षा परिणाम के किस तरह से हेराफेरी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार ने यूपीएससी परीक्षाओं की तर्ज पर सीजीपीएससी परीक्षा को भी दुरुस्त करने का ऐलान किया है लेकिन उसकी कोई नीति अभी सामने नहीं आई है।
बारिश में उड़ान जारी
इसे हवाई सेवाओं को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं का असर कहें, या लगातार चल रहे आंदोलन का, मगर इस बार लगातार बारिश के बावजूद बिलासपुर एयरपोर्ट से लैंडिंग और टेकऑफ जारी है। इसके पहले थोड़ी सी बारिश में फ्लाइट कैंसिल कर दी जाती थी। ठंड के मौसम में कोहरे और गर्मी में तापमान का हवाला देते हुए भी ऐसा ही किया जाता रहा है।