राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : पीएचई की बड़ी कार्रवाई के पीछे दिल्ली?
20-Jul-2024 3:49 PM
 राजपथ-जनपथ : पीएचई की बड़ी कार्रवाई के पीछे दिल्ली?

पीएचई की बड़ी कार्रवाई के पीछे दिल्ली?

जल जीवन मिशन की कार्यों में लापरवाही बरतने पर आधा दर्जन ईई को निलंबित कर दिया गया। और चार ईई को नोटिस जारी किया गया है। एक साथ सीनियर अफसरों के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई पीएचई विभाग में पहली बार हुई है। इससे विभाग में हडक़ंप मच गया है।  विभाग में कुछ को तो कार्रवाई होने का अंदाजा था लेकिन इतनी जल्दी कार्रवाई होगी, इसका अनुमान नहीं था।

दरअसल, सारी कार्रवाई के पीछे केन्द्रीय मंत्री सीआर पाटिल की भूमिका मानी जाती है जो कि केन्द्र सरकार में पीएचई मंत्रालय देख रहे हैं। जल जीवन मिशन के कार्यों की बारीक मानिटरिंग  कर रहे हैं। एक बैठक में पाटिल ने मिशन के कार्यों पर असंतोष जाहिर कर दिया था। इसके बाद से पीएचई मंत्री अरूण साव मिशन के कार्यों पर नजर रखे हुए थे। फिर उन्होंने एक झटके में बड़ी कार्रवाई कर दी। पिछले 7 महीने के कार्यकाल में अरूण साव विभागीय अफसरों पर नरम रहे हैं। ये अलग बात है कि गंभीर शिकायत पर ही उन्होंने पीडब्ल्यूडी और नगर प्रशासन के कुछ अफसरों पर कार्रवाई भी की है। मगर इस बार उनके तेवर कुछ अलग ही नजर दिखे हैं। इसकी विभाग में काफी चर्चा हो रही है।

बैज की अस्तित्व की लड़ाई  

कानून व्यवस्था के मसले पर कांग्रेस 24 तारीख को विधानसभा घेराव की जोरदार तैयारी कर रही है। खुद प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज सभी जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं को घेराव में शामिल होने का न्यौता दे रहे हैं। जिलेवार प्रभारी भी बनाए गए हैं। करीब 25 हजार कार्यकर्ताओं के जुटने की उम्मीद जताई जा रही है।

दरअसल, 8 महीने बाद कांग्रेस का अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन होगा। यह प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के लिए भी परीक्षा की घड़ी है। जिन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हार के बाद से बदलने की मांग दबे-छिपे तरीके से हो रही है। हालांकि कई प्रमुख नेताओं का बैज को समर्थन भी है। बैज ने सबको साथ लेकर प्रदर्शन को सफल बनाने की रणनीति बनाई है। उनकी रणनीति किस हद तक कामयाब रहती है, यह तो 24 तारीख को ही पता चलेगा।

कुछ लोगों का मानना है कि विधानसभा घेराव-प्रदर्शन पर भी कुछ हद तक बैज का भविष्य टिका है। यदि प्रदर्शन सफल नहीं होता तो यह मैसेज चला जाएगा कि बैज के साथ कार्यकर्ता नहीं है। इससे उन्हें हटाने की मांग जोर पकड़ सकती है। आगे क्या होता है यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। 

पिटबुल डॉग में खूबियां भी हैं..

खम्हारडीह में एक ऑटो चालक पर हमला करने वाले पिटबुल डॉग के मालिक को रायपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। कई बार लोग कुत्तों को पालने के बाद उसका प्रदर्शन करना जरूरी समझते हैं। उन्हें आनंद आता है जब कोई आगंतुक उसे देखकर डरता है या पीछा छुड़ाता है। कई देशों में इसका इस्तेमाल अपराधियों और गुम हुए लोगों की तलाश में लगाया जाता है। कई घुमंतू जातियां भी अपनी सुरक्षा के लिए इसे पालती हैं। पिटबुल डॉग कुत्तों की उन 24 नस्लों में शामिल हैं, जिन्हें खतरनाक होने के कारण भारत में पालने पर भी प्रतिबंध है।

साहसी और निडर पिटबुल डॉग की नस्ल विशेष रूप से अमेरिका में विकसित हुई है। सन् 2017 में टेक्सास के जंगलों में एक प्लेन क्रैश हुआ था, जिसमें 3 साल की बच्ची गुम हो गई थी। 200 से ज्यादा सैनिकों को उसकी खोज में तैनात किया गया था। डेक्सटर नाम के पिटबुल को भी इस मिशन में शामिल किया गया था, जिसने बच्ची को ढूंढ निकाला था। रायपुर की घटना ने पिटबुल को खलनायक बना दिया। कार्रवाई तो मालिक पर ही होनी थी क्योंकि डॉग तो वही करेगा, जैसा उसे प्रशिक्षण मिलेगा।

कांग्रेस की जमीन हाथ से खिसकी

कांग्रेस सरकार ने जमीन बांटने के संबंध में चार फैसले लिए थे, जिनमें ज्यादा विवाद 7500 वर्गफीट सरकारी जमीन का सिर्फ आवेदन के आधार पर बांटने पर था। सितंबर 2019 में आदेश जारी होने के करीब 6 माह के भीतर ही इसके खिलाफ जनहित याचिकाएं दायर हो गई थी। सुनवाई के दौरान बताया गया था कि इसका बड़े कारोबारी और भू माफिया फायदा उठा रहे हैं। याचिका लगाने वालों में से एक सुशांत शुक्ला अब विधायक हैं। पिछले जून महीने में इस मामले की आखिरी सुनवाई हुई। सरकार बदलने के बाद कोर्ट में जवाब बदला गया। यह बताया गया कि यह नियम रद्द किया जाएगा, जरूरत होगी तो नई नीति बनाएंगे। तब चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने याचिका निराकृत कर दी। अब कैबिनेट ने हाईकोर्ट में दिए वचन के अनुसार निर्णय ले लिया है। मगर अब तक करीब 200 एकड़ जमीन अलग-अलग जिलों में बांटी जा चुकी है। कांग्रेस नेताओं के नाम तो है ही, कांग्रेस भवन के लिए भी जमीन दी गई। इनमें से एक जिला कांग्रेस कमेटी बिलासपुर की जमीन भी है। पुराना बस स्टैंड की इस जमीन के आवंटन के खिलाफ भी भाजपा नेता कोर्ट गए थे। पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस ने जिला कलेक्टर को निर्देशित किया था कि वे नियमों के मुताबिक फैसला लें। भाजपा नेता इस आदेश से असंतुष्ट थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी। मगर, अब कैबिनेट के फैसले के बाद शायद इसकी नौबत नहीं आएगी।

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