राजपथ - जनपथ
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चैम्बर पर निगाहें
व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन चेम्बर ऑफ कामर्स के चुनाव को लेकर हलचल शुरू हो गई है। चेम्बर में पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी की अगुवाई वाले एकता पैनल का दबदबा रहा है। लेकिन पिछले चुनाव में अमर पारवानी ने एकता पैनल का वर्चस्व खत्म कर दिया था। मगर इस बार लड़ाई पहले से ज्यादा संघर्षपूर्ण होने के आसार दिख रहे हैं।
श्रीचंद ने प्रत्याशी तय करने के लिए एक पंच कमेटी बनाई है। कमेटी की अनुशंसा के आधार पर प्रत्याशी तय किए जाएंगे। कुछ लोगों का अंदाजा है कि एकता पैनल से संघ पृष्ठभूमि के तरल मोदी अध्यक्ष प्रत्याशी हो सकते हैं। दूसरी तरफ, पारवानी के खिलाफ पिछले कुछ समय से व्यापारियों के एक तबके में नाराजगी रही है। लेकिन पारवानी नाराज व्यापारियों को फिर अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं। पारवानी की व्यापारियों में पकड़ बरकरार है। ये अलग बात है कि वो खुद चुनाव लड़ेंगे या किसी को खड़ा करेंगे, यह साफ नहीं है। मगर व्यापारियों के इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की भी नजर टिकी है।
रितु सेन के नाम रिकार्ड
राज्य प्रशासन में विभागों की कमी नहीं है, 45 विभाग होते हैं । उस पर एक सुशासन विभाग और गठित कर दिया गया। इनके लिए आईएएस अफसर भी पर्याप्त हो गए हैं। तो कुछ डेपुटेशन से लौट रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने आईएफएस, आईपीएस अफसरों को भी बैक टू पवेलियन कर दिया है । उसके बाद भी एसीएस, प्रमुख सचिव, सचिव, विशेष सचिव स्वतंत्र प्रभार के रूप में एक दो या अधिक विभागों के प्रभार सम्हाल रहे हैं। और जो आ रहे उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा है। इस वेटिंग का रिकार्ड रितु सेन ने तोड़ दिया है । रितु ने इंतजार के दिनों का अर्धशतक पूरा कर लिया है। और न जाने कितने दिन करना होगा। वैसे तो वेटिंग लिस्ट वाली वह अकेली अफसर नहीं है।
शुरुआत पिछली सरकार में गौरव द्विवेदी से होती है। गौरव को 20दिनों बाद स्कूल शिक्षा दिया गया। बाद में वे सीएम के सचिव भी बनाए गए। इसी बीच आधा दर्जन अफसरों ने रायपुर से दिल्ली का रूख कर लिया। ये भी 23 में लौटने लगे तो पोस्टिंग के लिए वेट करना पड़ा।आते ही विभाग मिल गया हो ऐसा नहीं है, कारण जो भी हों।
पीएस सोनमणि बोरा को एक माह बाद विभाग मिला। एसीएस रिचा शर्मा को भी दो सप्ताह वेट करना पड़ा। और रितु के लिए तो रिकार्ड ही बन गया है। अब तो उनके पति डॉ. रोहित यादव भी आने वाले हैं। कहीं ऐसा तो नहीं दोनों को एक साथ पोस्टिंग देने का इंतजार किया जा रहा। वैसे पोस्टिंग के मामले में ड़ॉ. आलोक शुक्ला भाग्यशाली रहे, चुनाव आयोग से रिलीव होने से पहले ही रमन सरकार (2013-18 ) ने उन्हें स्वास्थ्य, खाद्य विभाग दिया था। लेकिनस वे विश्वास पर खरा नहीं उतर सके, और नान घोटाले में सरकार को फंसा गए।
छत्तीसगढ़ में यूसीसी लागू होगा?
छत्तीसगढ़ में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो पाएगी? भाजपा के प्रमुख एजेंडे में शामिल होने के बावजूद भाजपा शासित राज्यों में यह लोकसभा चुनाव से पहले लागू नहीं हो पाया, उत्तराखंड को छोडक़र। वैसे, गोवा में यह 1961 से लागू है, लेकिन उत्तराखंड में ने इसे लोकसभा चुनाव के पहले लागू किया। लोकसभा चुनाव में उसे सभी सीटों पर जीत मिली। पर हाल के विधानसभा उप चुनाव में वह दोनों सीटें बद्रीनाथ व मेंगलोर हार गई। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनावों के बीच का समय तो इतना कम था कि यूसीसी लाने के लिए जगह ही नहीं बची। दिल्ली में डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने मीडिया के सामने बड़ा बयान दिया है कि छत्तीसगढ़ में यूसीसी जरूर लागू होगा। इससे ऐसा लगा कि विधानसभा में इसका प्रस्ताव आ सकता है। लेकिन, कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई।
उत्तराखंड तो एक कदम आगे बढ़ चुका है, यहां तक कि लिव-इन रिश्तों को भी दायरे में ले लिया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ में 33 प्रतिशत से अधिक आदिवासी आबादी है, जिनकी अपनी परंपराएं और रीति-रिवाज हैं। यानी, यहां यूसीसी लागू करना आसान नहीं होगा। निकट भविष्य में कोई चुनाव भी नहीं है। अभी इस पर कोई ठोस कदम उठने के आसार नहीं दिखते।
ऊपरवाला चालान काटेगा...
अब तो ऊपरवाला भी चालान काटेगा! जी हां, कुछ शहरों में चौक-चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे और लाउड स्पीकर से यह व्यवस्था की गई है इनमें बिलासपुर भी शामिल है। लोगों को यह बताने के लिए बिलासपुर पुलिस ने एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किया है, जिसे 10 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं। जैसे ही आप जेब्रा क्रॉसिंग पार करते हैं या रेड सिग्नल जम्प करते हैं, कैमरा आपकी हरकत को कैद करके कंट्रोल रूम भेज देता है। अब नया सिस्टम इतना स्मार्ट है कि कंट्रोल रूम से ही लाउड स्पीकर पर अनाउंस कर देगा – गाड़ी नंबर एक्सवाईजेड, आप जेब्रा क्रॉसिंग से पीछे हो जाएं वरना चालान कट जाएगा!
अब तक इस सिस्टम ने एक करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना वसूल कर लिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे के दिनों में लोग सुधरते हैं या ट्रैफिक पुलिस की आमदनी बढ़ती है। ([email protected])