राजपथ - जनपथ
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ईमानदार-गरीब चले
विधानसभा के बजट और मानसून सत्र के बीच की अवधि में पांच पूर्व विधायक गुजर गए। इनमें से चार पूर्व विधायक अमीन साय, मक़सूदन लाल चंद्राकर, अग्नि चंद्राकर और लक्ष्मी प्रसाद पटेल व अंतुराम कश्यप को श्रद्धांजलि दी गई। जबकि मनेन्द्रगढ़ के पूर्व विधायक विजय सिंह का 6 दिन पहले ही निधन हुआ है और इसकी सूचना विधानसभा सचिवालय तक नहीं पहुंची थी। इसलिए उन्हें सदन में श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकी।
साय और अंतुराम कश्यप की आर्थिक स्थिति का भी सदन में जिक्र हुआ। अमीन साय सरगुजा के सामरी से विधायक रहे हैं। वो एक ईमानदार नेता रहे हैं। जीवन पर्यंत वे गांव में खपरैल के मकान में रहे। कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने उन्हें याद करते हुए कहा कि अमीन साय को पता चला कि पूर्व विधायकों का पेंशन 20 हजार रूपया हो गया है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब तो एक लाख तक पहुंच गया है। कुल मिलाकर उनका गुजारा पेंशन से ही चलता था।
कुछ इसी तरह अंतुराम कश्यप भी रहे। हालांकि वो शिक्षक की नौकरी छोडक़र विधानसभा का चुनाव लड़े और उस वक्त के भाजपा के सबसे बड़े नेता बलीराम कश्यप को हराकर बस्तर से विधायक बने। अंतुराम कश्यप दो बार विधायक रहे लेेकिन वो अंतिम वक़्त तक बस्तर के ही अपने पैतृक मकान में रहे। उन्होंने राजनीति में आकर और नेताओं की तरह धन नहीं कमाया। कुछ इसी तरह मनेन्द्रगढ़ के आदिवासी विधायक विजय सिंह का भी जीवन रहा। विजय सिंह दो बार विधायक रहे। पंच से सरपंच, और जनपद अध्यक्ष बनने के बाद विधायक बने लेकिन वो अपनी ईमानदारी और सादगी की वजह से दूसरे समाजों में भी लोकप्रिय रहे। अब ऐसे ईमानदार नेताओं की कमी महसूस की जाने लगी है।
पहली बार में छाप छोड़ी सांसद ने
बस्तर के पहली बार के भाजपा सांसद महेश कश्यप ने अपने पहले ही भाषण में लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। कश्यप पंचायत प्रतिनिधि से सीधे सांसद बने हैं और लोकसभा में बजट सत्र के पहले दिन उन्हें दो मिनट बोलने का मौका मिला तो उन्होंने सीमित समय में काफी कुछ कह दिया।
महेश कश्यप ने बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार की मांग रखी। उन्होंने रावघाट रेल परियोजना को जगदलपुर तक ले जाने और रायपुर-धमतरी रेल लाइन को जगदलपुर से जोडऩे की मांग जोरदार तरीके से रखी। उन्होंने गीदम-बीजापुर नए रेल लाइन की भी मांग रखी। उन्होंने रेल मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया है। महेश कश्यप की मांग कितनी पूरी होती है, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा। मगर उन्होंने पहले ही दिन अपनी अलग छाप छोड़ी है। इसकी पार्टी के भीतर काफी सराहना हो रही है।
गडकरी सब ठीक करेंगे
देश में सडक़ों का जाल बिछाने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की ख्याति ऐसी हो गई है कि उन्हें पीएम पद का दावेदार भी कहा जाने लगा है। इस बात पर यकीन करते हुए महासमुंद जिले के बंबूरडीह के सरपंच शत्रुघ्न चेलक ने सोचा कि अब तो सीधे दिल्ली जाकर गडकरी जी से ही बात करनी चाहिए। सरपंच ने जिला कलेक्टर और राज्य के मंत्रियों को ओवरलुक किया। दिल्ली में सरपंच की बात पर कौन ध्यान देता, तो उन्होंने गडकरी के निवास तक दो किलोमीटर तक जमीन पर लोटते हुए जाने का फैसला किया। जब वे गडकरी के ऑफिस पहुंचे, तो ज्ञापन सौंपकर कहा कि जब आप बड़े-बड़े हाईवे बना रहे हैं, तो मेरे गांव तक जाने वाले दो किलोमीटर लंबे पहुंच मार्ग को बनवाना तो मंत्री के लिए चुटकी का काम है। सरपंच बहुत उम्मीदों के साथ वापस लौटे हैं, अब देखना होगा कि गडकरी की चुटकी बजेगी या नहीं।
पुलिस अब चोर से कहेगी-स्माइल प्लीज
नए कानून लागू होते के बाद थानों में फिल्म की शूटिंग सा माहौल बन गया है। आईपीसी और सीआरपीसी की धाराएं तो जैसे पुलिस के दिमाग में छपी थीं, पर अब तीन नए कानूनों के नाम ठीक ठीक लेते नहीं बनता। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को संक्षेप में बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए कहकर याद रखने की जद्दोजहद चल रही है।
खासकर बीएसए के तहत 7 साल या उससे अधिक की सजा वाले मामलों की वीडियो रिकॉर्डिंग के प्रावधान ने पुलिसवालों को कुछ ज्यादा ही एक्शन में ला दिया है। छत्तीसगढ़ के एक थाने में गांजा तस्कर पकड़ा गया। वीडियो रिकॉर्डिंग चालू होते ही वह चिल्लाने लगा- प्यासे मार रहे हो, खाना नहीं दिया। घर वालों को बुलाओ, वकील को बुलाओ, पीट रहे हो...। पुलिसवालों का माथा घूम गया। आखिरकार तस्कर को मान-मनौव्वल के बाद वीडियो के लिए तैयार किया गया। अब पुलिस के सामने मजबूरी है कि अपराधियों का नखरा सहे और कहे- शॉट रेडी... स्माइल प्लीज!