राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : जब दो नेताओं ने पद बांट लिए
22-Jul-2024 4:02 PM
राजपथ-जनपथ : जब दो नेताओं ने पद बांट लिए

जब दो नेताओं ने पद बांट लिए

कल रायपुर शहर जिला भाजपा कार्यसमिति की विस्तारित बैठक थी। एकात्म परिसर खचाखच भरा था। सांसद, विधायक ,पदाधिकारी सभी मौजूद थे। सभी ने राजधानी की चारों  विधानसभा और लोकसभा में भी चारों में रिकार्ड मतदान के साथ जीत पर कार्यकर्ताओं की पीठ ठोंकी। फिर लक्ष्य दिया निगम चुनाव का। रायपुर में दो निगम है, पुराना शहर और बीरगांव। अभी दोनों ही जगह कांग्रेस के मेयर हैं। इसे देखते हुए जमकर मेहनत करने और जीतने का संकल्प लिया गया ।

बैठक के बाद जब चाय को साथ चर्चा हो रही थी तब नेताओं ने अपने अपने लिए  पद बांट लिए। एक दूसरे से कहा अभी खाली हैं, अपन दोनों में से कोई एक लड़ लेते हैं। इनमें से एक मिनिस्टर इन वेटिंग हैं तो एक वेटिंग एमएलए। यह देख सुन साथ खड़े कार्यकर्ताओं ने आंखे तरेर कर एक दूसरे से कहा, हां बांट लो... तुम्हीं लोग हर पद पर रहोगे। हम लोगों को तो बस आभार ही मिलेगा। दूसरे ने कहा-इस बार ऐसा नहीं चलेगा। अगली पीढ़ी को आगे आना है।

आरक्षण तक अटकी दावेदारी

नगरीय निकाय चुनावों के लिए प्रशासनिक तैयारियों में तेजी आ गई है, लेकिन दावेदारी की गतिविधियों में अभी भी ठहराव है। इसका मुख्य कारण आरक्षण प्रक्रिया है। लोकसभा और विधानसभा की तरह नगरीय निकायों में सीटों का आरक्षण पहले से निर्धारित नहीं होता। रायपुर नगर निगम तीन बार से सामान्य सीट है, जिनमें एक बार सन् 2014 में महिला सामान्य सीट थी। पिछली बार प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव नहीं हुआ था। पिछले तीन चुनावों में क्रमश: किरणमयी नायक, सुनील सोनी, और एजाज ढेबर को मौका मिला।

ओबीसी के लिए आरक्षण का अलग प्रावधान केवल नगरीय निकायों में है, लेकिन इन्हें सामान्य सीटों में भी सफलता मिलती रही है। पिछले चुनाव में बिलासपुर में महापौर रामशरण यादव और जगदलपुर में सफीरा साहू चुने गए थे। पिछली बार दोनों बड़े नगर निगमों रायपुर, बिलासपुर में महापौर पद अनारक्षित थे। जगदलपुर सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित था। अनुसूचित जाति के लिए प्रदेश के 13 नगर निगमों में दो सीट आरक्षित हैं, जिनमें भिलाई-चरौदा और रायगढ़ को पिछली बार मौका मिला था। रायगढ़ महिला वर्ग के लिए आरक्षित था। अनुसूचित जनजाति के लिए एक सीट आरक्षित थी, जो अंबिकापुर को मिली। इनमें हर बार की तरह इस बार भी बदलाव होना तय है।

हर पांच साल में आरक्षण की प्रक्रिया होने के कारण नगरीय निकायों में महापौर व अध्यक्ष पद पर काम करने वालों को अंत तक पता नहीं होता कि उन्हें दोबारा मौका मिलेगा या नहीं। इसी वजह से कई महापौर अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीर नहीं होते। फिलहाल, जो लोग इन चुनावों में दावेदारी करना चाहते हैं, वे भी शांत बैठे हैं। स्थिति अगस्त के अंतिम सप्ताह या सितंबर के पहले हफ्ते में ही स्पष्ट होगी, जब आरक्षण की पर्ची खुलेगी।

अपना नियाग्रा वाटरफॉल

बस्तर में इन दिनों नदी-नाले उफान पर हैं। कई पुलिया बह गई हैं, और बांध के कुछ हिस्से भी टूट गए हैं। मगर इस बारिश ने यहां के प्राकृतिक वैभव को और निखार दिया है। मंत्री केदार कश्यप ने अपने सोशल मीडिया पर जिला मुख्यालय से करीब 38 किलोमीटर दूर चित्रकोट जलप्रपात के विहंगम दृश्य का एक वीडियो शेयर किया है। चित्रकोट जलप्रपात, इस मौसम में अद्वितीय और मनोहारी दिख रहा है। बारिश की वजह से जलप्रपात का जलस्तर बढ़ गया है और यह अपने पूरे वैभव में बह रहा है। यहां की खूबसूरती न केवल स्थानीय निवासियों को बल्कि पर्यटकों को भी मंत्रमुग्ध कर रही है। ([email protected])

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