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हसदेव अरण्य के 17 गांवों की बड़ी जीत, निरस्त कोल ब्लॉक पर मिला वन अधिकार
18-Mar-2024 9:43 AM
हसदेव अरण्य के 17 गांवों की बड़ी जीत, निरस्त कोल ब्लॉक पर मिला वन अधिकार

लेमरू हाथी रिजर्व अधिसूचित होने के बाद दावे किए गए मंजूर

‘छत्तीसगढ़’ संवादाता

रायपुर, 18 मार्च। कई वर्षो के प्रयासों के बाद हसदेव अरण्य के 17 गांवों को सामुदायिक वन अधिकार प्रदान कर दिया गया है। मान्यता प्राप्त सामुदायिक वन संसाधन अधिकार क्षेत्र में पतुरिया, गिदमुडी, मदनपुर साउथ सहित 9 कोल ब्लॉक प्रस्तावित थे।

हसदेव अरण्य क्षेत्र के कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के 17 गांव की ग्रामसभाओं ने वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत सामुदायिक वन संसाधन के दावों को विधिवत प्रक्रिया के तहत ब्लॉक स्तरीय समिति में जमा किया था। चूंकि दावा किए गए क्षेत्रों में कोल ब्लॉक प्रस्तावित था, उनके वन अधिकारों को मान्यता नही दी जा रही थी। वर्ष 2021 में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति की राजधानी तक पदयात्रा के दरम्यान राज्य सरकार ने हसदेव का 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र लेमरू हाथी रिजर्व के रूप में घोषित किया। इससे इस क्षेत्र में प्रस्तावित सभी कोल ब्लॉक की स्वीकृति की प्रक्रिया रोकते हुए आवंटन निरस्त कर दिए गए थे। लेमरू हाथी रिजर्व के रूप में अधिसूचित होने के बाद जिला स्तरीय समिति ने सभी दावों को स्वीकृत कर सामुदायिक वन संसाधन के अधिकारों को मान्यता प्रदान की है।

 छत्तीसगढ़ में पिछले 5 वर्षो में 4 हजार से ज्यादा गांवों में सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार मान्य किए गए हैं। वर्तमान में राज्य सरकार के द्वारा उन सभी गांव में सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति (सीएफएमसी) गांव स्तर पर गठन कर जंगल की सुरक्षा एवं प्रबंधन हेतु विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। सामुदायिक वन संसाधन प्राप्त गांव की ग्रामसभा अपने वन संसाधनों की प्रबंधन योजना तैयार कर जंगल वन विभाग के सहयोग से जंगल का संरक्षण, प्रबंधन और पुनरूत्पादन का कार्य करेंगे। राज्य सरकार ने प्रत्येक सीएफएमसी के लिए बजट भी जारी किया है।

हसदेव अरण्य बचाओ समिति के संयोजक उमेश्वर सिंह आर्मो ने और सभी पंचायतों के सरपंचों ने इसे संघर्ष की एक महत्वपूर्ण जीत बताते हुए हसदेव अरण्य के समृद्ध जंगलों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक सदस्य आलोक शुक्ला ने कहा कि यह एक सुखद अवसर है कि जिस जंगल में खनन परियोजना प्रस्तावित थी अब ग्रामसभा उस जंगल का संरक्षण और प्रबंधन करेगी। वनाधिकार मान्यता कानून आदिवासियों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को खत्म करने के लिए बनाया गया था । इस कानून का जितना प्रभावी क्रियान्वयन होगा आदिवासी और अन्य वन पर निर्भर समुदाय के साथ उतना ही न्याय होगा।

मदनपुर सरपंच देवसाय मरपच्ची, उपसरपंच राजू सिंह मरपच्ची, धजाक सरपंच धनसाय मंझवार, खिरटी सरपंच जयसिंह बिंझवार,मोरगा उपसरपंच सुनील कुमार अग्रवाल, गिद्ध मुड़ी वनाधिकार अध्यक्ष एवं मदनपुर के ग्रामीणों ने कहा है कि हसदेव के सरगुजा क्षेत्र में वनाधिकार मान्यता कानून का उल्लंघन करके खनन के लिए जंगल की कटाई के कार्यों को रोका जाना चाहिए।

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