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भिक्षुकों के पुनर्वास पर शासन से कार्ययोजना मांगी हाईकोर्ट ने
18-Jun-2024 11:53 AM
भिक्षुकों के पुनर्वास पर शासन से कार्ययोजना मांगी हाईकोर्ट ने

बेवजह गिरफ्तारी के खिलाफ दायर पीआईएल पर सुनवाई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 18 जून। भिक्षावृत्ति अधिनियम को निरस्त करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शासन से जवाब मांगा है कि भिखारियों के पुनर्वास के लिए उसके पास क्या योजना है।

ज्ञात हो कि हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम 1973 के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए उसे निरस्त करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इस अधिनियम के चलते किसी भी व्यक्ति को पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। सरकार एक तरफ भिक्षुकों के पुनर्वास का दावा करती है और इसके लिए बजट आवंटित करती है वहीं इस अधिनियम में उन्हें गिरफ्तार करने का अधिकार मिला हुआ है। कई राज्यों में भिक्षुकों को गिरफ्तार करने के कानून रद्द किए जा चुके हैं। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि भिक्षुकों को गिरफ्तार करने की नहीं, उन्हें पुनर्वास की सुविधा देने की जरूरत है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार भिक्षुकों के पुनर्वास के लिए योजनाएं संचालित कर रही है। जबकि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल की है, जिसमें संबंधित विभागों की ओर से बताया गया है कि भिक्षुकों के लिए उनके पास कोई योजना नहीं है। याचिका में आवंटित बजट और खर्च तथा गिरफ्तारियों का ब्यौरा देने की मांग की गई है।

इस पर कोर्ट ने राज्य शासन को जवाब देने कहा है कि वह भिक्षुकों के पुनर्वास के लिए कौन सी योजनाएं चला रही है। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी। 

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