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रायपुर, 7 जुलाई। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते पूरा देश लॉकडाउन है। इसे देखते हुए राज्य के शिक्षा बोर्ड ने सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेस लगाकर पढ़ाना शुरू कर दिया गया है। लेकिन मुश्किल यह है कि अधिकांश अभिभावकों के पास मोबाइल ही नहीं है, जिससे जरूरतमंद विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित रह गए हैं।
कैट राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने बताया कि इसी तारतम्य में कैट सी.जी. चैप्टर ने संकल्प लिया कि सभी व्यापारियों एवं व्यपारिक संगठनों के सहयोग से पुराने मोबाइल जो की सभी के पास एक-दो रखे होते हैं, उसे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को स्कूलों के माध्यम से देने हेतु एक समग्र योजना बनाई गई। अध्यापकों के अनुसार लगभग 40 से 50 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास मोबाइल फोन नहीं है।
श्री पारवानी ने बताया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले लगभग 1 लाख अध्यापकों द्वारा 15-20 लाख के करीब विद्यार्थियों को जूम ऐप तथा वाट्सअप के जरिए स्कूल का काम भेजा व चेक किया जा रहा है। अध्यापकों द्वारा विद्यार्थियों को अप्रैल तथा मई महीने का सिलेबस ऑनलाइन मुहैया करवानेे के साथ पाठ्îक्रम की आडियो-वीडियो तैयार करके विद्यार्थियों के पास सोशल मीडिया के जरिए भेजी जा रही है लेकिन मोबाइल न होने से जरूरतमंद विद्यार्थी इस सुविधा से वंचित हैं। बच्चों को पढ़ाना भी जरूरी है। आनलाइन पढ़ाई बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है।
श्री पारवानी ने कहा कि प्रवासी मजदूरों द्वारा अपने-अपने राज्यों में जाने के बाद शहरी इलाकों में अपने पोस्टिंग वाले स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम होने का डर भी बना हुआ है। विद्यार्थियों को मोबाइल फोन उपलब्ध कराने के कार्य में सहयोग के लिए कैट सी.जी. चैप्टर ने सुरेन्द्र सिंग को प्रदेश संयोजक और महेश जेठानी एवं सत्येन्द्र अग्रवाल को सह सयोजक बनाया है।