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बिहार चुनावः कोरोना वायरस का डर क्या इलेक्शन कैम्पेन में ख़त्म हो गया है
26-Oct-2020 9:20 AM
बिहार चुनावः कोरोना वायरस का डर क्या इलेक्शन कैम्पेन में ख़त्म हो गया है

tejaswi kee aamsabha

- विकास पांडेय

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से कहा कि कोरोना महामारी के मद्देनज़र वो त्योहार के सीज़न में किसी तरह की लापरवाही न बरतें. उन्होंने लोगों से मास्क पहनने और सामाजिक दूरी का पालन जारी रखने के लिए कहा है.

लेकिन, ऐसा लगता है कि शायद उनका यह संदेश बिहार के लोगों तक नहीं पहुंचा है.

बिहार में विधानसभा चुनावों में पहले चरण की वोटिंग 28 अक्तूबर को होने वाली है. चुनाव प्रचार के लिए बिहार में बड़ी-बड़ी राजनीतिक रैलियां हो रही हैं और इन रैलियों में लोगों की भारी भीड़ भी उमड़ रही है.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) समेत चुनावी अखाड़े में उतर रही रही सभी पार्टियों ने प्रचार अभियान तेज़ कर दिया है.

कुछ रैलियों की वीडियो फुटेज से दिखाई दे रहा है कि लोगों में नेताओं की एक झलक पाने के लिए भगदड़ जैसे हालात बन रहे हैं. इन रैलियों में शामिल हो रही भीड़ में शायद ही कोई मास्क पहनता दिख रहा है.

वायरोलॉजिस्ट और डॉक्टरों ने चुनावी रैलियों में जुट रही इस भारी भीड़ को "संवेदनहीन" करार दिया है और कहा है कि इस तरह की लापरवाही के भयानक दुष्परिणाम हो सकते हैं.

उनका कहना है इससे कोरोना वायरस कहीं ज़्यादा तेज़ी से लोगों में फैल सकता है.

भारत में अब तक कोरोना संक्रमण के 70 लाख से अधिक मामले दर्ज किए जो चुके हैं, लेकिन हाल के दिनों में रोज़ाना संक्रमितों की संख्या में गिरावट आ रही है.

जहां कुछ लोगों का कहना है कि महामारी का सबसे बुरा दौर ख़त्म हो चुका है, वहीं कई जानकार चेतावनी दे रहे हैं कि इतनी जल्दी कोरोना के ख़त्म होने का जश्न मनाना सही नहीं होगा.

चुनाव आयोग ने कोविड-19 के लिए बताए गए नियमों का उल्लंघन करने वाले नेताओं को चेतावनी दी है. लेकिन, ऐसा लग रहा है कि इसका शायद ही कोई असर हुआ हो क्योंकि रैलियों में भीड़ लगातार इकट्ठी हो रही है.

 

कोरोना सेफ्टी नियमों का उल्लंघन

वायरोलॉजिस्ट डॉ. शाहिद जमील का कहना है कि राजनीतिक पार्टियों को और अधिक ज़िम्मेदार होने की ज़रूरत है और उन्हें अपने कार्यकर्ताओं को भी जागरूक बनाना होगा.

उन्होंने बताया, "हमें इन रैलियों में हजारों लोग जुटते दिखाई दे रहे हैं और शायद ही कोई व्यक्ति मास्क पहन रहा हो. राजनीतिक पार्टियों की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो अपने फ़ॉलोअर्स को कोरोना से बचाव के लिए बनाए गए नियमों का पालन करने के लिए कहें."

तेजस्वी यादव के चुनावी सभाओं में जिस कदर जन सैलाब उमड़ रहा है,उसे देखकर लालू जी के 1995 वाली चुनावी सभा की याद ताजा हो गई है। तेजस्वी जी की सभाओं में समाज के सभी वर्गों और समूहों का जो जुनून देखने को मिल रहा है उससे एक बात स्पष्ट है कि महागठवंधन ऐतिहासिक जीत दर्ज करने जा रही है। 

बिहार में पहले चरण का मतदान 28 अक्तूबर को होना है. इसके बाद 3 नवंबर और फिर 7 नवंबर को मतदान होना है. चुनावों के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.

यहां बीजेपी के अगुवाई वाला गठबंधन एक बार फिर सत्ता में आने की कोशिश कर रहा है. दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और वामदलों का गठबंधन है. इसके अलावा कुछ क्षेत्रीय पार्टियां भी चुनाव मैदान में हैं.

तेजस्वी यादव के चुनावी सभाओं में जिस कदर जन सैलाब उमड़ रहा है,उसे देखकर लालू जी के 1995 वाली चुनावी सभा की याद ताजा हो गई है। तेजस्वी जी की सभाओं में समाज के सभी वर्गों और समूहों का जो जुनून देखने को मिल रहा है उससे एक बात स्पष्ट है कि महागठवंधन ऐतिहासिक जीत दर्ज करने जा रही है।

इन चुनावों में सभी पार्टियों के लिए बहुत कुछ दांव पर लगा है. चुनाव में शुरुआती कैंपेन वर्चुअल रहा, लेकिन अब प्रचार पूरी तरह से ऑफ़लाइन हो चुका है. शुक्रवार को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन रैलियां थीं. वहीं कांग्रेस के राहुल गांधी भी रैलियों में शामिल हो रहे हैं.

राज्य के एक वरिष्ठ पत्रकार ने बीबीसी को बताया कि प्रचार के मुद्दे के तौर पर कोई भी यहां कोरोना के बारे में बात नहीं कर रहा है.

उन्होंने कहा, "ऐसा लग रहा है कि जैसे राज्य से कोरोना एकदम ग़ायब चुका है. लोग लापरवाह हो गए हैं और नेता लोगों को सतर्क करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं."

 

राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर चिंता

राज्य सरकार का कहना है कि वह हर दिन औसतन डेढ़ लाख कोरोना टेस्ट कर रही है और गुज़रे कुछ हफ्तों में संक्रमितों का अस्पतालों में आना कम हुआ है.

लेकिन, जानकार इसे लेकर संशय जता रहे हैं. उनका कहना है कि जिस टेस्ट की बात राज्य सरकार कर रही है वो रैपिड एंटीजन टेस्ट है जिसका नतीजा 30 मिनट में आ जाता है. लेकिन इनमें कुछ मामलों में एक्युरेसी रेट केवल 30 फीसदी तक होता है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 22 सितंबर को कहा था कि राज्य ने पहले रोज़ाना दो लाख टेस्ट किए जा रहे थे. लेकिन, इनमें से केवल 11,732 ही आरटी-पीसीआर टेस्ट थे.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्थिति जोख़िम भरी है क्योंकि रैपिड एंटीजन टेस्ट से टेस्ट नतीजे ग़लत आने के आसार बढ़ते हैं. ऐसे में संक्रमित होने के बावजूद लोग इससे अनजान रह सकते हैं और वे इधर-उधर जाकर वायरस फैला सकते हैं.

जानेमाने पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. ए फतहउद्दीन कहते हैं कि बिहार सेफ्टी नियमों को तोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकता, इससे समस्याओं में और इजाफ़ा होगा.

राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पहले ही लचर हालत में है और यहां डॉक्टरों, प्रशिक्षित पैरामेडिक्स और नर्सों की भारी कमी है.

जुलाई और अगस्त महीने की शुरुआत में कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफ़ा होने से राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भयंकर दबाव बन गया था. कुछ मरीज़ों के परिवारों को ख़ुद ही ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था करनी पड़ी थी, जबकि इलाज के अभाव में कुछ मरीज़ों की मौत हो गई थी.

डॉ. फतहउद्दीन कहते हैं, "राज्य में जनसंख्या का घनत्व काफी अधिक है और लोग संयुक्त परिवारों में रहते हैं. इन रैलियों में शिरकत करने वाले लोग लौट कर अपने परिवारों में जाएंगे, लोगों से मिलेंगे. ये लोग अपने साथ संक्रमण फैला सकते हैं."

त्योहारों के सीज़न और मौसम का भी राज्य में वायरस के फैलने में अहम रोल होगा. नवंबर के बाद से तापमान में गिरावट आने के चलते उत्तर भारत में हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है.

कई अध्ययनों से पता चला है कि प्रदूषण से कोविड-19 से होने वाली मौतों और संक्रमण की दर बढ़ जाती है.

डॉ. शाहिद जमील कहते हैं, "रैलियों की ऐसी तस्वीरें, सर्दियों के दिन और आने वाले त्योहार के सीज़न को देखते हुए मैं डर जाता हूं. मुझे डर लगता है कि अगर अगले कुछ हफ्तों में देश में सावधानी नहीं बरती गई तो किस तरह के हालात पैदा हो सकते हैं."

जानकारों का कहना है कि बिहार में जो हो रहा है उसका असर दूसरे राज्यों पर भी पड़ सकता है.

डॉ. फतहउद्दीन कहते हैं कि इस तरह की धारणा फैल रही है कि युवा लोगों में वायरस का ज़्यादा असर नहीं होता.

वे कहते हैं, "इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि युवा लोग इस वायरस से गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ सकते हैं."

डॉ. फतहउद्दीन कहते हैं कि देश के दूसरे हिस्सों में लोगों को इस तरह की बड़ी भीड़ दिखाई देगी तो उन्हें लग सकता है कि वायरस अब नहीं फैल रहा है. ये अपने आप में काफ़ी ख़तरनाक साबित हो सकता है.(bbc)

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