ताजा खबर

सऊदी के युवराज ने पत्रकार ख़ाशोज्जी की हत्या की मंज़ूरी दी थी: अमेरिकी रिपोर्ट
27-Feb-2021 9:29 AM
सऊदी के युवराज ने पत्रकार ख़ाशोज्जी की हत्या की मंज़ूरी दी थी: अमेरिकी रिपोर्ट

अमेरिकी ख़ुफ़िया विभाग की एक रिपोर्ट ने पाया है कि सऊदी अरब के युवराज सलमान बिन मोहम्मद ने ही निर्वासन में रह रहे सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या की मंज़ूरी दी थी.

बाइडन प्रशासन ने शुक्रवार को ख़ुफ़िया रिपोर्ट जारी की जिसमें कहा गया है कि सऊदी युवराज ने उस योजना को अपनी सहमति दी थी जिसके तहत अमेरिका में रह रहे सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी को या तो ज़िंदा पकड़ने या मारने का फ़ैसला किया गया था.

अमेरिका ने पहली बार ख़ाशोज्जी की हत्या के लिए सीधे पर तौर सऊदी क्राउन प्रिंस का नाम लिया है, हालांकि सऊदी युवराज इस बात से इनकार करते रहे हैं कि उन्होंने जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या के आदेश दिए थे.

साल 2018 में सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की इस्तांबूल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास के अंदर हत्या कर दी गई थी जब वो अपने कुछ निजी दस्तावेज़ हासिल करने के लिए वाणिज्य दूतावास के अंदर गए थे.

जमाल ख़ाशोज्जी सऊदी सरकार के आलोचक के रूप में जाने जाते रहे थे.

ख़शोज्जी की मंगेतर ट्रंप से क्यों नहीं मिलना चाहतीं

जमाल ख़ाशोज्जी हत्याकांड में पाँच को सज़ा-ए-मौत

कितने रसूख वाला है जमाल ख़ाशोज्जी का ख़ानदान

'ख़ाशोज्जी की हत्या में क्राउन प्रिंस की भूमिका नहीं'

अमेरिकी की रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारा आकलन है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इस्तांबूल में एक ऑपरेशन की मंज़ूरी दी जिसका उद्देश्य सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी को ज़िंदा पकड़ना या मार देना था."

साल 2018 में ही अमेरिकी ख़ुफ़िया विभाग सीआईए को पूरा यक़ीन था कि सऊदी क्राउन प्रिंस ने ही जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या के आदेश दिए थे लेकिन इससे पहले आज तक अमेरिकी अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप ने कभी नहीं कहा था कि ख़ाशोज्जी की हत्या में प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान शामिल थे.

ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन अपने से पहले के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तुलना में सऊदी अरब में मानवाधिकार और क़ानून के शासन के प्रति सख़्त नीति अपनाएंगे.

व्हाइट हाउस के अनुसार गुरुवार को बाइडन ने सऊदी अरब के बादशाह शाह सलमान से फ़ोन पर बात की थी और इस बात को ज़ोर देकर कहा था कि अमेरिका यूनिवर्सल मानवाधिकार और क़ानून के शासन की कितनी अहमियत देता है.

रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि बाइडन प्रशासन सऊदी अरब से हथियारों के समझौते को रद्द करने पर विचार कर रहा है. हथियारों के समझौते ने मानवाधिकार की चिंताओं को बढ़ा दिया है और इसी कारण बाइडन प्रशासन भविष्य में भी हथियारों की बिक्री को केवल अपनी हिफ़ाज़त के लिए ज़रूरी हथियार तक सीमित रखने पर विचार कर रहा है.

सऊदी अरब का अब तक आधिकारिक रूप से यही कहना रहा है कि पत्रकार ख़ाशोज्जी की हत्या सऊदी अरब के एजेंटों ने कर दी थी लेकिन उन्हें सिर्फ़ यह कह कर भेजा गया था कि उन्हें ख़ाशोज्जी को अग़वा कर सऊदी अरब लाना है.

सऊदी की एक अदालत ने इस मामले में पाँच लोगों को पहले फांसी की सज़ा सुनाई थी लेकिन पिछले साल सितंबर अदालत ने उनकी सज़ा को 20 साल क़ैद की सज़ा में तब्दील कर दिया था.

2019 में यूएन के एक विशेष अधिकारी एग्नेस कैलामार्ड ने सऊदी सरकार पर जानबूझकर पूर्व निर्धारित योजनाबद्ध तरीक़े से ख़ाशोज्जी की हत्या करने का आरोप लगाया था था और सऊदी सरकार के मुक़दमे को इंसाफ़ के ठीक विपरीत क़रार दिया था.

ख़ाशोज्जी की हत्या कैसे हुई थी?
59 साल के सऊदी पत्रकार अक्टूबर 2018 में इस्ताबूंल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास के दफ़्तर गए थे जहां उन्हें अपने कुछ निजी दस्तावेज़ लेने थे. उन दस्तावेज़ों के आधार पर वो अपनी तुर्की मंगेतर हतीजे जेंग्गिज़ से शादी कर सकते थे.

कथित तौर पर ऐसा माना जाता है कि क्राउन प्रिंस के भाई प्रिंस ख़ालिद बिन सलमान ने उन्हें आश्वस्त किया था कि तुर्की में सऊदी वाणिज्य दूतावास के दफ़्तर में जाना बिल्कुल सुरक्षित होगा.

प्रिंस ख़ालिद उस समय अमेरिका में सऊदी अरब के राजदूत थे. हालांकि प्रिंस ख़ालिद इस बात को मानने से इनकार करते हैं कि उनकी पत्रकार ख़ाशोज्जी से किसी भी तरह का कोई संपर्क हुआ था.

सऊदी अरब के अभियोजकों के अनुसार शुरूआती संघर्ष के बाद ख़ाशोज्जी को भारी मात्रा में ड्रग दिया गया था और ड्रग के ओवरडोज़ के कारण उनकी मौत हो गई थी.

उसके बाद उनके मृत शरीर को टुकड़े-टुकड़े किया गया और सऊदी दूतावास के बाहर मौजूद एक स्थानीय सूत्र को उनका शरीर दे दिया गया था. हालांकि ख़ाशोज्जी की बॉडी आज तक नहीं मिल पाई है.

तुर्की ख़ुफ़िया विभाग ने अपने पास इस हत्याकांड के दौरान हुई बातचीच की ऑडियो रिकॉर्डिंग होने का दावा किया था और फिर तुर्की ने ही इस ऑडियो क्लिप को सार्वजनिक कर दिया था जिसके बाद लोगों को इसकी जानकारी मिली.

सऊदी अरब ने जमाल ख़ाशोज्जी के शव का क्या किया?

ख़ाशोज्जी हत्या मामलाः क्या है सऊदी के लिए तुर्की का प्लान?

ख़ाशोज्जी केस: सऊदी सरकार से 5 सवाल

एक समय में ख़ाशोज्जी सऊदी शाही परिवार के बहुत क़रीबी थे और उनके सलाहकार भी थे लेकिन फिर उनके संबंध ख़राब हो गए और वो साल 2017 में अमेरिका चले गए और वहां निर्वासन में रहने लगे.

अमेरिका से ही वो वाशिंगटन पोस्ट में एक मासिक कॉलम लिखते थे जिनमें वो अक्सर सऊदी क्राउन प्रिंस की नीतियों की आलोचना करते थे.

अपने पहले ही कॉलम में ख़ाशोज्जी ने लिखा था कि उन्हें इस बात का डर था कि असहमति को दबाने की कोशिश में उन्हें भी गिरफ़्तार किया जा सकता था जिसकी देखरेख उनके अनुसार ख़ुद क्राउन प्रिंस कर रहे थे.

अपने आख़िरी कॉलम में उन्होंने यमन में सऊदी अरब के हस्तक्षेप की आलोचना की थी. (bbc.com)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news