अंतरराष्ट्रीय
यूक्रेन और रूस के बीच मंगलवार को तुर्की के इस्तांबुल में आमने सामने बैठक बातचीत होगी. यूक्रेनी राष्ट्रपति ने डोनबास के मुद्दे पर कुछ नरमी के संकेत दिए हैं. इस बीच रूसी हमला झेल रहे यूक्रेनी इलाकों की हालत अब भी खराब है.
यू्क्रेन और रूस आमने सामने बैठ कर बातचीत की तैयारी में जुटे हैं. यह बातचीत दो हफ्ते से ज्यादा समय के बाद होने जा रही है. इस्तांबुल में होने वाली यह बातचीत तुर्क राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान के रविवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करने के बाद तय हुई है.
इससे पहले 10 मार्च को अंकारा में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने मुलाकात की थी. सोमवार को दोनों देशों का प्रतिनिधिमंडल इस्तांबुल पहुंच रहा है लेकिन बातचीत मंगलवार से शुरू होगी.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का कहना है कि वो तुरंत युद्ध रोकना चाहते हैं और इसके लिए रूस को अपनी तटस्थता और सुरक्षा की गारंटी देने को तैयार हैं. जेलेंस्की का कहना है इसमें यूक्रेन को परमाणु हथियारों से मुक्त रखना भी शामिल है.
जेलेंस्की ने पत्रकारों से कहा है कि तटस्थता और नाटो से बाहर रहने के मुद्दे पर यूक्रेन में जनमत संग्रह होना चाहिए और वो भी जब रूसी सैनिक यहां से बाहर निकल जाएं. जेलेंस्की ने रूसी सैनिकों के यूक्रेन से बाहर निकलने के कुछ ही महीने के भीतर जनमत संग्रह कराने की बात कही है.
जेलेंस्की का कहना है, "हम बिना किसी देर के शांति का इंतजार कर रहे हैं. तुर्की आमने सामने बैठ कर बात करने की जरूरत और मौका है. यह बुरा नहीं है. देखते हैं क्या नतीजा निकलता है."
हालांकि यूक्रेनी राष्ट्रपति यूक्रेन का कोई इलाका छोड़ने को तैयार नहीं हैं लेकिन डोनबास के मुद्दे पर कोई समझौता कर सकते हैं. जेलेंस्की ने कहा है, "यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर कोई संदेह नहीं है लेकिन डोनबास के जटिल मुद्दे पर" समझौता हो सकता है.
ये दोनों बातें कैसे संभव होंगी यह साफ नहीं है. जेलेंस्की का कहना है कि वो समूचे डोनबास को वापस लेने की कोशिश नहीं करेंगे क्योंकि "इसके कारण तीसरा विश्वयुद्ध शुरू हो सकता है." डोनबास के इलाके में रूस समर्थित अलगाववादी लंबे समय से यूक्रेन के साथ लड़ रहे हैं और बहुत से इलाकों पर उनका नियंत्रण भी है.
रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव का कहना है कि कुछ प्रमुख शर्तें पूरी होने के बाद पुतिन और जेलेंस्की की मुलाकात हो सकती है. यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की कई दिनों से इसकी मांग कर रहे हैं.
जमीनी हालात अब भी खराब
यूक्रेन की जमीनी हालत अब भी बेहद खराब है. खासतौर से मारियोपोल का संकट अब भी बना हुआ है. शहर के मेयर का कहना है कि वहां एक लाख से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं क्योंकि रूस इन लोगों को बाहर निकालने की मुहिम बार-बार बंद कर दे रहा है. दो दिन पहले रूसी सेना ने पहला चरण पूरा होने और पूर्वी इलाकों पर ध्यान देने की बात कही थी. हालांकि सोमवार को भी राजधानी कीव के आसपास के इलाकों से सेना की वापसी के कोई संकेत नहीं मिले हैं.
बीते 24 घंटे में रूसी सेना की कार्रवाई में कोई खास प्रगति नहीं हुई है. ऐसी खबरें आ रही है कि रूसी सेना तक रसद की आपूर्ति में काफी दिक्कत आ रही है. यूक्रेन की सेना का प्रतिरोध उनके मार्ग में बड़ी बाधा बन गया है. रूसी सेना मारियोपोल पर कब्जे की कोशिश में अब भी जुटी हुई है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त का कहना है कि उन्होंने यूक्रेन पर हमले के बाद अब तक 1,119 आम लोगों की मौत दर्ज की है. इसके अलावा 1790 लोग इस युद्ध में घायल भी हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार एजेंसी का कहना है कि ज्यादातर लोग टैंकों की गोलाबारी, रॉकेट, मिसाइल और हवाई जहाज से गिराए गए बमों के शिकार बने हैं. एजेंसी का कहना है कि मारे गए लोगों में 224 पुरुष, 168 महिलाएं, 15 लड़कियां और 32 लड़के हैं. अभी 52 बच्चों और 628 वयस्कों की पहचान होनी बाकी है. एजेंसी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूसी घेराबंदी में फंसे मारियोपोल, वोल्नोवाखा, इजियुम पोपासना, रूबीज्ने और ट्राॉस्टियानेट्स में नागरिकों को हुए जान-माल के नुकसान की जानकारी जुटाई जा रही है और इनकी संख्या अभी एजेंसी की सूची में शामिल नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाकार एजेंसी के मुताबिक अब तक 38 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन से बाहर गए हैं जिनमें 90 फीसदी औरतें और बच्चे हैं.
युद्ध अपराधों की जांच
यूरोपीय संघ की न्यायिक सहयोग एजेंसी यूरोजस्ट का कहना है कि उसने पोलैंड, लिथुआनिया और यूक्रेन को यूक्रेन में युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध और दूसरे अपराधों की जांच करने के लिए एक संयुक्त जांच दल बनाने में मदद दी है. एजेंसी ने समोवार को कहा कि तीनों देशों ने शुक्रवार को यह टीम बनाने के करार पर दस्तखत किए हैं.
यूरोजस्ट के मुताबिक इस टीम का मकसद सबूत जुटाना और सहयोगियों तक तुरंत और सुरक्षित रूप से पहुंचाना है. यह टीम अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के अभियोजन कार्यालय के साथ सहयोग करने में तीनों देशों की मदद करेगी. अभियोजन कार्यालय पहले ही इस बारे में जांच शुरू कर चुका है. अभियोजकों का कहना है कि उन्होंने यूक्रेन की सीमा पर उमड़ रहे शरणार्थियों से अब तक 300 गवाहों के बयान जमा कर लिए हैं.
रूबल में भुगतान नहीं
दुनिया के साथ प्रमुख औद्योगिक देशों के संगठन जी7 ने रूस को ऊर्जा की सप्लाई के बदले रूबल में भुगतान करने से मना करने पर सहमति दे दी है. जर्मन ऊर्जा मंत्री ने सोमवार को यह जानकारी दी. रॉबर्ट हाबेक ने पत्रकारों से कहा, "जी-7 के सभी मंत्री इस बात पर पूरी तरह से रजामंद हैं कि ऐसा करना एक तरफा और मौजूदा करार का सीधा उल्लंघन होगा. रूबल में भुगतान स्वीकार्य नहीं है और हम प्रभावित कंपनियों से आग्रह करेंगे कि वो पुतिन की मांग ना मानें."
पिछले हफ्ते रूसी राष्ट्रपति ने कहा था कि उनका देश अब "गैर-दोस्ताना" देशों से प्राकृतिक गैस के बदले केवल रूबल में भुगतान की मांग करेगा. उन्होंने रूसी सेंट्रल बैंक को निर्देश दिया था कि वो प्राकृतिक गैस खरीदने वालों को रूस में रूबल मुहैया कराने की व्यवस्था करे.
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह कदम रूबल की मदद करने के लिए उठाया गया. यूक्रेन पर हमला करने के बाद रूबल की कीमत दूसरी मुद्राओं की तुलना में बहुत ज्यादा गिर गई है. हालांकि कुछ विश्लेषक संदेह जता रहे हैं कि यह उपाय काम करेगा.
पत्रकारों ने जब सोमवार को पूछा कि अगर यूरोपीय ग्राहकों ने रूबल में भुगतान से इनकार किया तो क्या रूस सप्लाई रोक सकता है. इसके जवाब में क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा, "निश्चित रूप से हम मुफ्त में गैस की सप्लाई नहीं करेंगे."
जी-7 के देशों में फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा शामिल हैं.
एनआर/आरएस( एपी, एएफपी, डीपीए)
इलॉन मस्क के सैटेलाइट यूक्रेन को इंटरनेट से जोड़ रहे हैं. स्टारलिंक नागरिक मकसदों के लिए बनाया गया था लेकिन यूक्रेनी सेना इसका इस्तेमाल रूसी सेना पर हमले के लिए कर पा रही है.
डॉयचे वैले पर अलेक्जांडर फ्रॉएंड की रिपोर्ट-
फरवरी में यूक्रेन पर रूसी हमला शुरू होने के कुछ ही दिनों के भीतर यूक्रेन के उप-प्रधानमंत्री मिखाइलियो फेदरोव ने अमेरिकी अरबपति इलॉन मस्क से मदद मांगी थी. यूक्रेन में इस्तेमाल के लिए फेदरोव ने स्टारलिंक सैटेलाइट चालू करने की अपील की थी. मस्क ने भी जल्द ही जवाब दिया कि 'स्टारलिंक सर्विस यूक्रेन में चालू हो गई है.' इसके बाद कई टर्मिनल और दमदार बैटरियां यूक्रेन पहुंची. फेदरोव ने दोबारा ट्विटर पर मस्क का शुक्रिया अदा किया.
कुल मिलाकर, कोई खुफिया आपूर्ति नहीं, कोई लंबी बहस नहीं, कोई सरकारी या संसदीय नियंत्रण नहीं. यानी साफ-सीधे तौर पर एक नेता, जिसके देश पर हमला हुआ है और पुतिन को चुनौती देने चले एक रहस्यमय अरबपति के बीच हुई सार्वजनिक डील. हो सकता है शुरू में यह एक नाम चमकाने का स्टंट नजर आया हो लेकिन अब यह यूक्रेन की रक्षा में अहम भूमिका निभाता दिख रहा है.
ब्रिटिश मीडिया के मुताबिक, यूक्रेन की सेना रूसी सेना के टैंकों और ठिकानों पर ड्रोन हमले करने के लिए स्टारलिंक का इस्तेमाल कर रही है. 'द टेलिग्राफ' अखबार के मुताबिक, स्टारलिंक की अहमियत यूक्रेनी सेना के उस इलाकों में खासतौर पर बढ़ गई है, जहां इंटरनेट नहीं है या फिर इंटरनेट का बुनियादी ढांचा बहुत कमजोर है. अखबार का यह भी कहना है कि हवाई क्षेत्र में जासूसी करने वाली यूक्रेनी सेना की यूनिट आयरोरोजवेदका स्टारलिंक का इस्तेमाल मानव रहित उड़ानों पर नजर रखने के लिए कर रही है. इसके अलावा टैंक हथियारों से सटीक निशाने लगाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. इस तरह का निशाना लगाने के लिए संचार में स्थिरता होना बहुत जरूरी है.
आयरोरोजवेदका के एक अफसर ने 'द टाइम्स' को बताया कि "हम स्टारलिंक के उपकरणों का इस्तेमाल करके ड्रोन टीम को हमारी आर्टिलरी टीम के साथ जोड़ देते हैं और तय निशानों को साधते हैं."
द टाइम्स के मुताबिक, आयररोजवेदका टीम जानकारी इकट्ठा करने के रोजाना करीब 300 अभियान चला रही है. दिन में जानकारी इकट्ठी की जाती है और रात में हमला किया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कुछ ड्रोन, खासतौर पर थर्मल कैमरा से लैस ड्रोनों को अंधेरे में देखना लगभग नामुमकिन हो जाता है.
कई और इस्तेमाल भी
स्टारलिंक सैटोलाइटों का मकसद शहरी इलाकों से दूर उन इलाकों तक इंटरनेट पहुंचाना है, जहां इंटरनेट की पहुंच बिल्कुल खत्म हो गई है. हालांकि यह भी एक चुनौती होगी क्योंकि जंग की शुरुआत में ही रूस का कोशिश थी कि बिजली और इंटरनेट की सप्लाई के लिए जरूरी ठिकानों पर हमला किया जाए.
यूक्रेन के लोगों को स्टारलिंक से मदद मिल रही है. द टेलिग्राफ के मुताबिक, स्टारलिंक यूक्रेन के सबसे ज्यादा डाउनलोड की जाने वाली ऐप में से है. अब यूक्रेनियों को आस पास की जानकारी मिलने लगी है. स्टारलिंक की मदद से 1 लाख से ज्यादा लोगों तक लगातार जंग से जुड़ी जानकारी पहुंच रही है. इसके अलावा बाहरी दुनिया से जुड़ने का एक मात्र यही जरिया रह गया है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की दुनिया भर की संसदों में अपनी बात रख रहे हैं. इसके लिए भी वे स्टारलिंक इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. सैन्य सहायता के अलावा भी स्टालिंक यूक्रेन के लिए दुनिया से जुड़ने, वैश्विक समर्थन हासिल करने और यूक्रेनियों के प्रतिरोध को अटूट रखने के लिए अहम साबित हो रहा है.
रूस के लिए निशाना
रूस अब भी बिजली और इंटरनेट समेत यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को निशाना बना रहा है. ऐसे में स्टारलिंक का यूक्रेन में मौजूद ढांचा अगर रूसी सेना का निशाना बनता है तो हैरानी नहीं होनी चाहिए. स्टारलिंक के साथ एक बड़ा खतरा यह भी है कि जब इसके उपकरण काम कर रहे हों, तो इसकी जियोलोकेशन का पता लगाया जा सकता है. मार्च की शुरुआत में जब टर्मिनल पहुंचाए गए थे, तब मस्क ने कहा था कि "स्टारलिंक को तब ही चालू करें जब जरूरत हो और एंटीना को जितना संभव हो, लोगों से दूर रखें."
रूस भी ठिकानों का पता लगाकर हमला कर रहा है. इसके अलावा जैमर लगाकर अंतरिक्ष से आ रहे इंटरनेट को रोकने की कोशिश कर रहा है. हालांकि स्पेस एक्स के पास इससे बचने का रास्ता है. मस्क ने ट्विटर पर बताया कि नए सॉफ्टवेयर अपडेट से बिजली की खपत कम हो जाएगी और यह सिग्नल जाम करने वाले ट्रांसमीटरों से बच जाएगा.
रूसी सरकार की नजरों में मस्क का यूक्रेन की मदद करना एक आक्रामक रवैया है. रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन स्टारलिंक की गतिविधियों को दखलंदाजी कहा है. उन्होंने सरकारी मीडिया आरटी से कहा है, "जब रूस ने अपना राष्ट्रीय रुझान यूक्रेन की सरजमीं पर दिखा रहा है तो इलॉन मस्क अपने स्टारलिंक के साथ आ गए हैं. जिसे पहले पूरी तरह नागरिक इस्तेमाल में लेने की बात कही थी." इसके जवाब में मस्क ने कहा कि "यूक्रेन के सिविलियन इंटरनेट में हैरान कर देने वाली दिक्कतें हो रही हैं- शायद बुरा मौसम? तो स्पेसएक्स इसे ठीक करने में मदद कर रहा है." (dw.com)
रूस और यूरोपीय संघ के मंगल पर रोवर भेजने का साझा कार्यक्रम एक ऐसा उदाहरण है, जहां रूस की बहुत अहम भूमिका है. आज रूस के हटने से पृथ्वी के हर महाद्वीप, जल और अंतरिक्ष में हो रहे वैज्ञानिक शोध पर असर पड़ेगा.
जलवायु विज्ञानियों को चिंता है कि बिना रूसी मदद के वे कैसे आर्कटिक के गर्म होने पर चल रहे महत्वपूर्ण शोध पर काम जारी रख पाएंगे? यूरोपीय स्पेस एजेंसी मंथन कर रही है कि बिना रूसी हीटिंग यूनिट के, वे कैसे लाल ग्रह मंगल तक अपना मार्स रोवर मिशन पहुंचाएं? क्या होगा दुनिया को कार्बन फ्री बनाने के लिए 35 देशों के फ्रांस में चल रहे उस साझा एक्सपेरिमेंटल फ्यूजन पावर रिएक्टर का, जिसके प्रमुख हिस्से रूस से आने हैं?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर के यूक्रेन में जंग छेड़ने के फैसले का मानवता के भविष्य के लिए जरूरी विज्ञान और शोध पर बुरा असर पड़ रहा है. शीत युद्ध के बाद विज्ञान ही वो पहला क्षेत्र था जो रूस और पश्चिमी देशों को पास लाया था. यूक्रेन पर युद्ध के बाद पश्चिमी देश रूस पर कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं, और इस कार्रवाई की जद में वे वैज्ञानिक कार्यक्रम भी हैं जिनमें रूस शामिल है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह संबंध टूटने का बुरा असर दोनों तरफ होगा. जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं बिना आपसी सहयोग के प्रभावी साबित नहीं होंगी और जो वक्त बर्बाद होगा, वो अलग. रूसी और पश्चिमी वैज्ञानिक बीते कई सालों से एक दूसरे की विशेषज्ञता पर निर्भर रहे हैं.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी का मंगल मिशन
यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मार्स रोवर मिशन का उदाहरण ही ले लें. रूस इस परियोजना में बहुत संवेदनशील भूमिका निभा रहा था. रूस से सहयोग खत्म करने की वजह से इस साल प्रस्तावित लॉन्च टल गया है.
परियोजना में ग्रह के पर्यावरण को सूंघने, सैंपल इकट्ठा करने और जांचने के लिए इस्तेमाल हो रहे सेंसर रूस ही बना रहा था. अब उन्हें हटाना होगा. इसके अलावा रूस का रॉकेट लॉन्चर ही इस मिशन को लाल ग्रह तक पहुंचाने वाला था. अगर ये अलगाव लंबा चलता है तो यह मार्स रोवर साल 2026 तक अंतरिक्ष में नहीं पहुंच पाएगा.
एसोसिएटेड प्रेस के साथ एक इंटरव्यू में यूरोपियन स्पेस एजेंसी के निदेशक, जोसेफ आशबाखर ने कहा, "हमें इस सारे आपसी सहयोग(उपकरण वगैरह) को हटाना होगा. यह एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है. और मैं कह सकता हूं कि बहुत पीड़ादायक भी है." उन्होंने कहा, "एक दूसरे पर निर्भरता एक स्थिरता लाती है और एक हद तक भरोसा भी.रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद, यह वो चीज है, जो हम खोएंगे और अब हमने खो दिया है."
रूसी कंपनियां बाहर
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते रूस के साथ आधिकारिक सहयोग स्थापित करना लगभग असंभव हो गया है. साथ काम करने वाले वैज्ञानिक भले ही अच्छे दोस्त बन गए हों, लेकिन उनकी छोटी-बड़ी परियोजनाओं पर लगाम लग चुकी है.
यूरोपीय संघ ने शोध के लिए तय 95 अरब यूरो के बजट में रूसी कंपनियों और संगठनों को बाहर कर दिया है, पेमेंट रोक दी है और कहा है कि उन्हें कोई नया ठेका नहीं दिया जाएगा. जर्मनी, ब्रिटेन और दूसरे देशों की जिन परियोजनाओं में रूस की मौजूदगी है, उनसे पैसा और मदद वापस ली जा रही है.
शिक्षण संस्थानों में बदले हालात
वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में एक बेहतरीन अमेरिकी संस्थान मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी ने रूस की राजधानी मॉस्को में मौजूद एक यूनिवर्सिटी से संबंध तोड़ दिए हैं. इसे बनाने में संस्थान ने कभी खुद मदद की थी. एस्टोनिया की सबसे पुरानी और बड़ी यूनिवर्सिटी- एस्टोनियन एकेडमी ऑफ साइंस भी अब रूस और बेलारूस के विद्यार्थियों को अपने यहां दाखिला नहीं देगी. इसके अध्यक्ष तारमो सूमीरे ने कहा, "हम बहुत सारा गति खोने के खतरे में हैं, जो हमारी दुनिया को बेहतर उपायों, बेहतर भविष्य की ओर जाती. वैश्विक तौर पर हम साइंस का केंद्र खोने की ओर हैं, जो नई और जरूरी जानकारी हासिल करना और इसे दूसरों तक पहुंचाना है."
रूसी वैज्ञानिक भी इस दुखद अलगाव से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. रूसी वैज्ञानिकों और विज्ञान कर्मियों ने युद्ध का विरोध करती एक ऑनलाइन याचिका चलाई है, जिस पर 8 हजार से ज्यादर दस्तखत हैं. उन्होंने चेताया कि यूक्रेन पर हमला करके रूस ने खुद को अजब स्थिति में डाल लिया है. इसका मतलब है, "हम अपना काम बतौर वैज्ञानिक आराम से नहीं कर सकते, क्योंकि अपने विदेशी सहकर्मियों की पूर्ण सहयोग के बिना शोध करना असंभव है."
इस बढ़ती अनबन के पीछे रूसी प्रशासन का हाथ भी है. यहां के विज्ञान मंत्रालय ने वैज्ञानिकों को सलाह दी है कि वे 'वैज्ञानिक जर्नलों में प्रकाशित होने की चिंता ना करें क्योंकि उन्हें वैज्ञानिकों के काम के लिए पैमाने की तरह अब इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.'
समाचार एजेंसी एपी को भेजे एक ईमेल में मॉस्को में स्थित स्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अग्रणी भौतिक विज्ञानी और एक्सो मार्स रोवर प्रोजेक्ट में शामिल रहे लेव जेलेनई ने स्थिति को दुखद बताया है. उन्होंने कहा कि रूसी वैज्ञानिकों को सीखना होगा कि इस अक्षम कर देने वाले माहौल में काम कैसे करना है.
35 देशों का साझा कार्यक्रम अधर में
इसके अलावा कई बड़ी परियोजनाओं का भविष्य भी अधर में लटका है. फ्रांस में 35 देशों के सहयोग से चल रहा आईटीईआर फ्यूजन एनर्जी प्रोजेक्ट का भविष्य भी साफ नहीं है. रूस इसके साथ संस्थापक सदस्यों में से है. यहां रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में टेस्टिंग के लिए रखे गए एक विशाल सुपरकंडक्टिंग मैगनेट का इंतजार भी हो रहा है. यह अब इस प्रोजक्ट को मिल पाएगा या नहीं, अभी साफ नहीं हो पाया है.
डार्क मैटर की खोज में जुटे यूरोपीयन न्यूक्लियर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (सीईआरएन) में भी 1000 से ज्यादा रूरी वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. इसके निदेशक योआखिम मनिच ने कहा कि प्रतिबंध रूसी सरकार तक ही होने चाहिए, रूसी सहकर्मियों के लिए नहीं. संगठन ने रूस का ऑब्जर्बर स्टेटस जरूर खत्म किया है, लेकिन किसी भी रूसी वैज्ञानिक को नहीं हटाया गया है.
रूसी विशेषज्ञता की कमी खलेगी
बाकी क्षेत्रों में भी रूसी विशेषज्ञता की कमी खलेगी. लंदन के इंपीरियल कॉलेज में प्रोफेसर एंड्रियन मक्सवर्दी कहते हैं कि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर हो रहे शोध में जो पैमाइश रूस में बने उपकरण कर पाते हैं, वो पश्चिमी देशों में बने उपकरण नहीं कर पाते. मक्सवर्दी खुद रूस से मिलने वाले 25 करोड़ साल पुराने साइबेरियाई पत्थर की जांच करना चाहते थे. अब उन्हें यह पत्थर मिलने की उम्मीद नहीं है.
जर्मनी के वातावरण विज्ञानी मार्कुस रेक्स ने कहा कि 2019-20 में साल भर लंबा चला अंतरराष्ट्रीय मिशन बिना दमदार रूसी जहाजों के पूरा नहीं हो सकता था. बर्फ के बीच रूसी जहाजों ने ही उन तक खाना, ईंधन और जरूरी सामान पहुंचाया था.
रेक्स के मुताबिक, यूक्रेन हमले के बाद यह 'बहुत करीबी सहयोग' थम गया है. और भविष्य में भी जलवायु परिवर्तन के लिए हो रहे बदलावों के लिए यह झटका है. उन्होंने कहा, "इससे विज्ञान को नुकसान होगा. हम चीजें खोने जा रहे हैं. जरा नक्शा निकालिए और आर्कटिक को देखिए. आर्कटिक में कोई भी काम का शोध करना बहुत मुश्किल है अगर आप वहां की बड़ी सी चीज को दरकिनार करते हैं तो. वो चीज रूस है. आर्कटिक बहुत तेजी से बदल रहा है. वो इंतजार नहीं करेगा कि हम अपने राजनैतिक संघर्ष निपटा लें या दूसरे देशों हर हमला करने के मंसूबे पूरे कर लें."
आरएस/एनआर (एपी)
पाकिस्तान की संसद में विपक्ष के सांसदों ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की शुरुआत कर दी है. अब प्रस्ताव पर तीन दिनों की चर्चा के बाद मतदान होगा.
संसद के निचले सदन में विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ ने खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और 30 मार्च तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी. 31 मार्च को प्रस्ताव पर तीन दिनों की बहस शुरू होगी और फिर मतदान होगा.
342 सीटों वाले सदन में सरकार को गिराने के लिए विपक्ष को 172 मत चाहिए. विपक्ष का दावा है कि उसके पास इतने मत हैं. खान पर देश की अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन के आरोप हैं.
कमजोर हो रहे हैं खान
पाकिस्तानी डेमोक्रेटिक मूवमेंट नाम का विपक्ष का एक गठबंधन खान की गठबंधन सरकार के साझेदारों को अपनी तरफ लुभाने की कोशिश कर रहा है. ऐसा लग रहा है कि उनमें से कुछ तो खान का साथ छोड़ने को तैयार भी हैं.
विपक्ष ने कुछ हफ्तों पहले अविश्वास प्रस्ताव की घोषणा कर देश की राजनीति में उथल पुथल की शुरुआत कर दी थी. यह खान के राजनीतिक जीवन की अभी तक की सबसे मुश्किल चुनौती है.
रविवार 27 मार्च को खान ने एक रैली में उनकी अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और उनके सहयोगी दलों के सांसदों की मदद से अविश्वास प्रस्ताव को हराने का प्रण लिया. उनकी रैली का मुकाबला करने के लिए विपक्ष के गठबंधन ने भी इस्लामाबाद में एक विशाल सरकार-विरोधी रैली निकाली, जिसमें लाखों लोगों ने भाग लिया.
उसके अगले दिन ही खान के गठबंधन सरकार के चार सांसदों ने सरकार से इस्तीफे की घोषणा की. इस घोषणा से विपक्ष और मजबूत हो गया. विपक्ष की बड़ी पार्टी पीपीपी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने पत्रकारों को बताया, "हमारे पास इमरान खान सरकार को गिराने के आवश्यक संख्या में सांसदों का समर्थन है."
सहारे की तालाश
खान 2018 में 176 मत हासिल कर सत्ता में आए थे. उन्हें अपनी सरकार बचाने के लिए 172 मतों की जरूरत है लेकिन उनकी पार्टी के करीब एक दर्जन सांसद बगावत कर चुके हैं.
उनकी स्थिति अब इतनी नाजुक हो चुकी है कि और सांसदों का समर्थन हासिल करने के लिए उन्होंने 28 मार्च को पीएमएल-क्यू के नेता चौधरी परवेज इलाही को पंजाब प्रांत का मुख्यमंत्री मनोनीत कर दिया.
बताया जा रहा था कि इलाही खान को समर्थन देने को लेकर मन नहीं बना पा रहे थे लेकिन उनकी पार्टी के नेताओं ने बताया कि उन्हें मुख्यमंत्री बना देने से पांच मत पाने की गारंटी मिल जाएगी.
सीके/एए (एपी, एएफपी)
मैक्सिको सिटी, 29 मार्च। मैक्सिको के पश्चिमी राज्य मिचोआकेन में जिनापेकुआरो के निकट अवैध मुर्गा लड़ाई कार्यक्रम में बंदूकधारियों के हमले में 20 लोगों की मौत हो गई और चार अन्य लोग घायल हो गए। मिचोआकेन के अभियोजकों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
जिनापेकुआरो शहर के निकट रविवार देर रात हुए इस हमले में मारे गए लोगों में तीन महिलाएं भी शामिल हैं।
अभियोजकों ने बताया कि हमलावरों ने हमले की स्पष्ट रूप से पहले से योजना बनाई थी और वे नाश्ता बनाने वाली एक कंपनी के चुराए गए ट्रक के जरिए परिसर में घुसे।
उन्होंने एक बयान में बताया कि कंपनी के ट्रक के वहां पहुंचते ही कई सशस्त्र हमलावर उसमें से निकले और ‘‘उसी समय इमारत के बाहर खड़ी एक बस को अवरोधक के रूप में इस्तेमाल किया गया, ताकि पीड़ित बच कर नहीं निकल पाएं या मदद न मांग सकें।’’
अभियोजकों ने बताया कि इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोहों और अन्य आपराधिक गिरोहों के बीच लड़ाई चलती रहती है।
संघीय जनसुरक्षा विभाग ने एक बयान में कहा, ‘‘इस बात का संकेत है कि आपराधिक समूहों के बीच झगड़े के कारण यह हमला किया गया।’’
उसने बताया कि संघीय जांचकर्ताओं के एक दल को घटनास्थल पर भेजा गया है। (एपी)
यरुशलम, 29 मार्च । इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की अगले सप्ताह होने वाली भारत यात्रा स्थगित कर दी गई है और इसके लिए नई तिथि तय की जाएगी।
प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार ने मंगलवार को यह जानकारी दी। बेनेट की जांच में रविवार शाम को कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी और अभी वह घर पर पृथक-वास में रहकर काम कर रहे हैं। वह तीन से पांच अप्रैल के बीच भारत की यात्रा करने वाले थे।
मीडिया सलाहकार ने कहा, “प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की भारत यात्रा स्थगित कर दी गई है और इसके लिए नई तारीख तय की जाएगी।”(भाषा)
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 29 मार्च । अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को कहा कि यूरोप में सप्ताहांत में की गई उनकी टिप्पणी कि उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन ‘‘सत्ता में नहीं रह सकते’’, यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर उनका स्वभाविक आक्रोश था और यह रूस में सत्ता परिवर्तन के संबंध में अमेरिकी नीति में किसी भी बदलाव का संकेत नहीं है।
बाइडन ने अपने उस बयान के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया, जिसके संबंध में उनका प्रशासन पिछले कई दिनों से सफाई दे रहा है। बाइडन ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं अपनी बात पर कायम हूं। बात बस यह है कि मैं पुतिन के रवैये को लेकर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहा था... जो बेहद क्रूरता से चीजें को अंजाम दे रहे हैं। मैं यूक्रेन के उन पीड़ित परिवारों से मिलकर ही लौटा था।’’
यूरोप में उनकी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं ना तब और ना अभी नीति परिवर्तन की बात कर रहा हूं। मैं बस स्वभाविक आक्रोश व्यक्त कर रहा था और इस संबंध में माफी नहीं मांगने वाला।’’
बाइडन ने पिछले सप्ताह कहा था, ‘‘यह शख्स (पुतिन) सत्ता में नहीं रह सकता।’’ बाइडन ने कुछ सवालों के जवाब में कहा था कि पुतिन के नरसंहार में शामिल होने और उसे जारी रखने के बढ़ते प्रयास... ‘‘को देखकर पूरी दुनिया कह रही है कि हे भगवान, यह शख्स क्या कर रहा है?’’(भाषा)
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 29 मार्च। अमेरिका में बिहारी प्रवासी समुदाय के लोगों ने सिलिकॉन वैली में ‘बिहार दिवस’ मनाया और इस दौरान समारोह में शामिल लोगों ने राज्य के विकास में मदद करने का संकल्प किया।
‘बिहार दिवस’ हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है। वर्ष 1912 में इसी दिन बंगाल प्रांत से अलग होकर बिहार एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया था। ‘बिहार फाउंडेशन ऑफ यूएसए’ द्वारा आयोजित इस समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। इस मौके पर बिहार के उपमुख्यमंत्री ने एक वीडियो संदेश से लोगों को संबोधित भी किया।
संगठन के अध्यक्ष राजीव शर्मा ने कहा कि कैलिफोर्निया स्थित ‘बिहार फाउंडेशन’ पिछले कई वर्षों से स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में विभिन्न विकासात्मक तथा गैर-लाभकारी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।
‘बिहार फाउंडेशन’ के सचिव दीपक शर्मा ने ‘एडॉप्ट ए विलेज’ कार्यक्रम सहित संस्थान की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। साथ ही, कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान बिहार की मदद करने के लिए जरूरतमंद लोगों तथा अस्पतालों को ऑक्सीजन सांद्रक, ऑक्सीमीटर और दस्ताने भेजने के प्रयासों को भी रेखांकित किया।
इस कार्यक्रम में, सैन फ्रांसिस्को में भारत के वाणिज्य दूतावास के प्रतिनिधि रमाकांत कुमार, ‘सांता क्लारा काउंटी बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर’ की सिंडी शावेज, ‘सांता क्लारा काउंटी बोर्ड ऑफ एजुकेशन’ की ट्रस्टी तारा शिवकृष्णन, सांता क्लारा शहर के उप महापौर एवं परिषद के सदस्य राज चहल और अमेरिकी कांग्रेस के उम्मीदवार रितेश टंडन भी शामिल हुए। (भाषा)
संयुक्त राष्ट्र, 29 मार्च। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने ‘‘यूक्रेन में मानवीय संघर्ष विराम’’ की संभावित व्यवस्थाओं का पता लगाने के लिए एक पहल की है, ताकि अत्यंत आवश्यक सामग्री की आपूर्ति की जा सके और एक महीने से जारी युद्ध को समाप्त करने के वास्ते राजनीतिक वार्ता के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया जाए।
गुतारेस ने सोमवार को कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के विश्वव्यापी मानवीय अभियानों के प्रमुख अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफिथ्स से रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष विराम की संभावना का पता लगाने को कहा है। उन्होंने कहा कि ग्रिफिथ्स पहले ही इस संबंध में कुछ कदम उठा भी चुके हैं।
गौरतलब है कि 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दो मार्च और 24 मार्च को तत्काल युद्ध समाप्त करने का आह्वान किया था।
गुतारेस ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें लगता है कि ‘‘संयुक्त राष्ट्र के लिए यह पहल करने’’ का वक्त है।
महासचिव ने कहा कि 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण करने के बाद से, ‘‘ हजारों लोगों की बेवजह जान गई, करीब एक करोड़ लोग विस्थापित हुए...मकान, स्कूल, अस्पताल और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे तबाह किए गए और दुनिया भर में खाद्य सामग्री की कीमतें आसमान छू रही हैं।’’ (एपी)
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 29 मार्च। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने हिंद-प्रशांत रणनीति में सहयोग के लिए 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रस्ताव पेश किया साथ ही रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में चीन के आक्रामक बर्ताव से मुकाबला करने के लिए 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर का एक अन्य प्रस्ताव सोमवार को पेश किया।
अमेरिका, भारत और कई विश्व शक्तियां इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के मद्देनजर एक स्वतंत्र, मुक्त और संपन्न हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने पर जोर दे रही हैं।
बाइडन ने कहा, ‘‘ हिंद-प्रशांत में, अमेरिका अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है और लंबे समय से सहयोगियों तथा भागीदारों के साथ अपने सहयोग का विस्तार कर रहा है, जिसमें नए राजनयिक, रक्षा तथा सुरक्षा, महत्वपूर्ण एवं उभरती हुई प्रौद्योगिकी, आपूर्ति श्रृंखला और जलवायु एवं वैश्विक स्वास्थ्य पहल शामिल हैं। इसके साथ ही, हमारे यूरोपीय और हिंद प्रशांत सहयोगियों के बीच मजबूत संबंधों का समर्थन भी किया जा रहा है।’’
व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति ने चीन के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को प्राथमिकता दी है। चीन और रूस की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ मिलकर काम किया है। साथ ही, अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को स्वदेश बुलाकर 20 साल से जारी युद्ध को समाप्त किया।
ये दोनों प्रस्ताव वर्ष 2023 के लिए अमेरिका के 773 अरब अमेरिकी डॉलर के वार्षिक रक्षा बजट का हिस्सा हैं, जिसे व्हाइट हाउस ने अपने वार्षिक बजटीय प्रस्तावों के हिस्से के रूप में कांग्रेस के समक्ष प्रस्तुत किया। (भाषा)
यूक्रेन का एक प्रतिनिधिमंडल रूस के साथ शांतिवार्ता के लिए तुर्की के इस्तांबुल शहर पहुंच गया है.
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेज़निकोव के साथ-साथ राष्ट्रपति कार्यालय के प्रमुख मिखाइल पोडोलियाक कर रहे हैं.
इस प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता युद्ध-विराम होगा, हालांकि शांतिवार्ता में इस तरह के किसी प्रस्ताव पर सहमति बनने को लेकर संदेह है.
ये वार्ता, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन की ओर से आयोजित की जा रही है जो मंगलवार को सुबह 10 बजे स्थानीय समयानुसार शुरु होगी.
इसके अलावा रूस मांग कर रहा है कि यूक्रेन नेटो में शामिल होने का इरादा छोड़ दे. उधर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि इस पर वह समझौता करने को तैयार हैं.
इसके अलावा इस शांतिवार्ता में यूक्रेन के अलगाववादियों के कब्ज़े वाले क्षेत्रों को लेकर भी बातचीत संभव है. (bbc.com)
बेलारूस में यूक्रेन-रूस वार्ताओं में हिस्सा लेने के बाद लौटे रूसी अरबपति रोमान अब्रामोविच पर संदिग्ध ज़हर के असर के लक्षण दिखाई दिए हैं.
ये जानकारी उनके एक करीबी सूत्र ने दी.
उन्हें कथित तौर पर आंखों में दर्द और त्वचा के छिलने जैसी दिक्कत पेश आ रही है.
यूक्रेन के दो अन्य शांति वार्ताकारों में भी ऐसे ही लक्षण नज़र आने की ख़बर है.
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कथित ज़हर देने की कोशिश रूस के कट्टरपंथियों की ओर से की गई थी जो नहीं चाहते थे कि ये शांति वार्ता हो.
आरोपों के सामने आने के कुछ ही समय बाद, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से लिखा कि ख़ुफ़िया एजेंसियों के अनुसार ये लक्षण किसी ज़हर के कारण नहीं बल्कि "पर्यावरणीय" कारणों से थे.
इसके बाद, यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी, आईहोर जोव्कवा ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने अब्रामोविच से कोई बात नहीं की, लेकिन यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य "ठीक" हैं, वहीं एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ये कहानी "झूठी" है. (bbc.com)
आज एक बार फिर तुर्की में यूक्रेन और रूस के प्रतिनिधिमंडल मुलाक़ात कर रहे हैं. इन वार्ताओं में यूक्रेन अपने क्षेत्र की संप्रभुता को छोड़े बिना युद्धविराम की मांग करता रहा है.
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने इस्तांबुल में वार्ता के बारे में कहा, "हम लोगों का, भूमि या संप्रभुता का सौदा नहीं कर रहे हैं."
उन्होंने यूक्रेन के सरकारी टीवी चैनल को बताया, "इस बातचीत का हासिल कम से कम मानवीय मुद्दों पर सहमति और ज़्यादा से ज़्यादा युद्धविराम पर रज़ामंदी हो सकती है."
लेकिन यूक्रेन के गृह मंत्रालय के सलाहकार वादिम डेनिसेंको ने कहा कि उन्हें संदेह है कि वार्ता में कोई सफलता मिलेगी.
अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यूक्रेन-रूस के बीच बेहतरी की उम्मीदों पर संदेह जताते हुए कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन युद्ध को खत्म करने के लिए समझौता करने को तैयार नहीं हैं.
इस बीच क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि अब तक की बातचीत में कुछ महत्वपूर्ण हासिल नहीं हुआ है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि वार्ताएं जारी रहे. (bbc.com)
कीव: रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़े एक महीने से ज्यादा समय हो चुका है। अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। इस बीच ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जिसमें कहा जा रहा है कि यूक्रेन में केमिकल अटैक का दौर शुरू हो चुका है। दरअसल, प्रसिद्ध यूरोपीय फुटबॉल क्लब चेल्सी एफसी के मालिक रोमन अब्रामोविच मार्च की शुरुआत में यूक्रेन के शांति वार्ताकारों के साथ राजधानी कीव में बैठक करने आए थे। अब्रामोविच रूसी नागरिक हैं। वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान उन पर और यूक्रेनी वार्ताकारों के ऊपर पॉयजन अटैक (जहर से हमला) हुआ। अब्रामोविच समेत तीन लोगों में अजीब से लक्षण दिखे, जिनमें शरीर में दर्द, लाल आंखें और चेहरों और हाथ की स्किन का छूटना शामिल है।
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इस रिपोर्ट को मानें तो 3 मार्च को रोमन अब्रामोविच समेत तीन शांति वार्ताकारों को बैठक के बाद जहर दिया गया। रोमन अब्रामोविच रूस और यूक्रेन की जंग में पीसमेकर के रूप में काम कर रहे थे। बैठक में अब्रामोविच के अलावा एक अन्य रूसी बिजनेसमैन और यूक्रेन के सांसद उमेरोव मौजूद थे। रात 10 बजे तक चली बातचीत के बाद इन तीनों लोगों ने केमिकल हथियारों के जरिये जहर दिए जाने के लक्षण महसूस किए।
रूसी कट्टरपंथियों पर केमिकल हमले का आरोप
वॉल स्ट्रीट जनरल ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बैठक में शामिल तीनों लोगों ने मॉस्को में बैठे कट्टरपंथियों पर केमिकल हमला करने का आरोप लगाया है। दरअसल ये कट्टरपंथी नहीं चाहते कि जंग खत्म हो, इसलिए वे शांति वार्ता को पूरी तरह से नाकाम बनाना चाहते हैं। आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस को चेतावनी दी थी कि अगर वह परमाणु हमला करता है तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
कीव में गोली लगने से घायल भारतीय छात्र अस्पताल से डिस्चार्ज
इस बीच, कीव में गोली लगने से घायल हुए भारतीय छात्र हरजोत सिंह को दिल्ली के अस्पताल से आज छुट्टी मिल गई है, हालांकि अभी उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में करीब 1 साल का समय लग सकता है। हरजोत की मानें तो वह अब बिल्कुल ठीक होने के बाद ही पढ़ाई शुरू करेंगे। दिल्ली के अस्पताल से आज शाम उन्हें डिस्चार्ज कर दिया है। यूक्रेन से वापस आने के बाद उनका इलाज जारी चल रहा था। हरजोत सिंह दिल्ली के छतरपुर निवासी है, वहीं युक्रेन से जब निकलने की कोशिश कर रहे थे तब उनपर गोलियां चलाई गई और वह घायल हो गए। इसके बाद 4 दिन बेहोश रहने के बाद उन्होंने अपने परिजनों से संपर्क किया। हरजोत के एक गोली उनके सीने में और दूसरी गोली कमर में और दो गोली उनके पैर में लगी थी।
आज तुर्की में यूक्रेन और रूस के बीच होगी बातचीत
दूसरी ओर, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने कहा है कि वह मंगलवार को होने वाली बातचीत से पहले यूक्रेन और रूस के प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात करेंगे। एर्दोआन ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक के बाद टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा कि वह यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर अलग-अलग बात कर रहे हैं और दोनों नेताओं के साथ बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं दी। रूस और यूक्रेन के वार्ताकार मंगलवार को इस्तांबुल में शुरू हो रही दो दिवसीय आमने-सामने की बातचीत में हिस्सा लेंगे। (navbharattimes.indiatimes.com)
पेशावर, 28 मार्च। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सोमवार को एक यात्री वैन गहरी खाई में गिर गई जिससे उसमें सवार महिलाओं और बच्चों समेत कम से कम सात लोगों की मौत हो गई तथा 10 अन्य घायल हो गए।
अधिकारियों ने बताया कि वाहन मरदान जिले से अपर पीर जिले के कालकोट जा रहा था जब एक मोड़ पर चालक वैन को संभाल नहीं पाया। घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती किया गया है।
खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान ने मृतकों के प्रति शोक व्यक्त किया और घायलों को इलाज की सुविधा मुहैया कराने का निर्देश दिया। (भाषा)
(हरेंद्र मिश्रा)
यरूशलम, 28 मार्च। इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट सोमवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। उनके मीडिया सलाहकार ने यह जानकारी दी।
बेनेट (50) तीन अप्रैल से पांच अप्रैल तक भारत के दौरे पर आने वाले थे। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि क्या उनकी यात्रा रद्द की जाएगी।
बेनेट के कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री स्वस्थ महसूस कर रहे हैं और वह घर से काम जारी रखेंगे।’’
बयान में कहा गया, ‘‘बेनेट आज सुबह रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज, आंतरिक सुरक्षा मंत्री ओमर बारलेव, इजराइल रक्षा बलों के चीफ ऑफ स्टाफ अवीव कोहावी, शिन बेट प्रमुख रोनेन बार, पुलिस प्रमुख कोबी शबताई और अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर कल रात हुए आतंकवादी हमले संबंधी घटनाओं की समीक्षा करेंगे।’’
हादेरा में रविवार को एक आतंकवादी हमले में दो इजराइली पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी और कुछ अन्य लोग घायल हुए थे। बेनेट ने हादेरा में एक बैठक में भाग लिया था, लेकिन आधिकारिक रूप से जारी तस्वीर में वह मास्क पहने दिखाई दिए थे। (भाषा)
बीबीसी ने कहा है कि पश्तो, फारसी और उज्बेक में बुलेटिन हटा दिए गए हैं. वॉयस ऑफ अमेरिका को भी तालिबान प्रसारण रोकने का आदेश दिया है.
ब्रिटेन के राष्ट्रीय प्रसारक के मुताबिक बीबीसी समाचार बुलेटिनों को ऑफ एयर करने का आदेश अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने दिया है. बीबीसी ने रविवार को यह घोषणा की और कहा."अफगानिस्तान के लोगों के लिए अनिश्चितता और अशांति के समय में यह एक चिंताजनक स्थिति है."
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में भाषाओं के प्रमुख तारिक कफाला ने कहा कि 60 लाख से अधिक अफगान बीबीसी की "स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता" की सेवाएं लेते हैं और कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें पहुंच से वंचित न किया जाए.
बीबीसी की पत्रकार यालदा हकीम ने कफाला का बयान ट्वीट किया है, जिसमें लिखा है, "हम तालिबान से अपने फैसले को वापस लेने की अपील करते हैं और अपने टीवी पार्टनरों के लिए बीबीसी के समाचार बुलेटिनों को तत्काल प्रसारण बहाल करने की मांग करते हैं."
वॉयस ऑफ अमेरिका को भी किया बंद
जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए ने अफगान मीडिया कंपनी मोबी ग्रुप का हवाला देते हुए कहा कि तालिबान की खुफिया एजेंसी के आदेश के बाद उसने वॉयस ऑफ अमेरिका (वीओए) का प्रसारण भी बंद कर दिया. डीपीए ने कहा कि सूचना एवं संस्कृति मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल हक हम्माद ने इसकी पुष्टि की है.
अगस्त 2021 में तालिबान के कब्जे में आने के बाद कई पत्रकार देश छोड़कर भाग गए हैं. तालिबान के अंतरराष्ट्रीय प्रसारकों को ऑपरेशन से रोकने का कदम उसके द्वारा लड़कियों के माध्यमिक स्कूलों को फिर से खोलने के फैसले से पीछे हटने के कुछ दिनों बाद आया है. तालिबान ने जब अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो पूरे देश में स्कूल बंद कर दिए गए.
पिछले हफ्ते ही भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी के परिजन ने तालिबान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (आईसीसी) में शिकायत दर्ज कराई है. पुलित्जर पुरस्कार विजेता दानिश की हत्या 16 जुलाई 2021 को हुई थी. हत्या का आरोप तालिबान पर लगा था. परिवार के वकील ने कहा कि दानिश की हत्या के लिए जिम्मेदार तालिबान के उच्च स्तरीय कमांडरों पर कानूनी कार्रवाई के मकसद से शिकायत दर्ज कराई गई है.
एए/सीके (एएफपी, डीपीए)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपनी सरकार पर अविश्वास मत आने से पहले राजधानी इस्लामाबाद में अहम रैली को संबोधित किया है.
इस्लामाबाद के परेड ग्राउंड में अपने समर्थकों की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए इमरान ख़ान ने ये भी कहा है कि उनके ख़िलाफ़ बाहर से साज़िश की जा रही है और वो किसी की ग़ुलामी स्वीकार नहीं करेंगे.
इमरान ख़ान ने कहा, "हमारे देश को हमारे पुराने नेताओं की करतूतों की वजह से धमकियां मिलती रही हैं. हमारे देश में अपने लोगों की मदद से लोगों तब्दील किया जाता रहा."
इमरान ख़ान ने कहा, "ज़ु्ल्फ़ीकार अली भुट्टो ने जब देश की विदेश नीति को आज़ाद करने की कोशिश की तो फ़ज़लुर्रहमान और नवाज़ शरीफ़ की पार्टियों ने अभियान चलाया जिसकी वजह से उन्हें फ़ांसी दे दी गई. आज उसी भुट्टो के दामाद और उनके नवासे दोनों कुर्सी के लालच में अपने नाना की क़ुर्बानी को भुलाकर उसके क़ातिलों के साथ बैठे हुए हैं."
इमरान ने कहा, "मेरे ख़िलाफ़ साज़िश बाहर से की जा रही है, बाहर से हमारी विदेश नीति को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है. ये जो आज क़ातिल और मक़तूल इकट्ठा हो गए हैं, इन्हें इकट्ठा करने वालों का भी हमें पता है."
उन्होंने कहा, "मेरे ख़िलाफ़ साज़िश बाहर से हो रही है, मुझे हटाने के लिए बाहर का पैसा इस्तेमाल किया जा रहा है."
पाकिस्तान, क़तर के बाद चीन और रूस के नेताओं का काबुल दौरा, अफ़ग़ानिस्तान में आख़िर हो क्या रहा है?
पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव: इमरान ख़ान के लिए आने वाले दिन कितने मुश्किल?
इमरान ख़ान ने और क्या कहा
इमरान ख़ान ने अपने भाषण की शुरुआत में रैली में आने वाले लोगों और अपनी पार्टी के सांसदों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा, "मैं जानता हूं कि तुम्हें पैसे देने और ख़रीदने की कोशिश हुई लेकिन आपने मुझे ख़ुश किया और मुझे आप पर गर्व है."
इमरान ने अपनी इस रैली का नाम अम्र बिन मारूफ़ रखा है जिसका मतलब होता है अच्छाई के साथ आओ.
इमरान ख़ान ने कहा, "मैं अपने दिल की बात रखना चाहता हूं और मैं चाहता हूं कि आप ख़ामोशी से मुझे सुने. मैंने आपको अच्छाई का साथ देने के लिए बुलाया है. हमारे पाकिस्तान की बुनियात इस्लामी कल्याणकारी राज्य की विचारधारा पर पड़ी थी. हमें अपने देश को रियासत-ए-मदीना के आधार पर बनाना है."
इमरान ख़ान ने कहा, "मुझसे लोग पूछते हैं कि आप दीन को सियासत के लिए क्यों इस्तेमाल करते हैं, तो मैं अपने दिल की बात कहूंगा कि आज से पच्चीस साल पहले जब मैंने अपनी पार्टी बनाई थी तो मैं सिर्फ़ इसलिए सियासत में आया तो मेरा एक मक़सद था कि मेरा मुल्क जिस नज़रिए के तहत बना था. जब तक हम अपने नज़रिए पर नहीं खड़े होंगे, हम एक राष्ट्र नहीं बन पाएंगे."
इमरान ख़ान ने कहा, "ब्रिटेन में फ्री मेडिकल इलाज मिलता है, फ्री शिक्षा मिलती है, बेरोज़गारों को फ़ायदे मिलते हैं और लोगों को फ्री क़ानूनी सलाह भी दी जाती है. हमारे पैगंबर ने रियासत-ए-मदीना में ऐसा ही निज़ाम बनाया था जहां राज्य लोगों का खयाल रखता था."
'पाकिस्तान की बदक़िस्मती'
इमरान ख़ान ने कहा, "ये सिर्फ़ पाकिस्तान की बदक़िस्मती नहीं है, बल्कि दुनिया के सभी विकासशील देशों की बदक़िस्मती है, कोई ग़रीब देश इसलिए ग़रीब नहीं होता कि उसके पास संसाधन नहीं है, बल्कि वो इसलिए ग़रीब होता है क्योंकि उसके ताक़तवर डाकुओं को क़ानून पकड़ नहीं पाता है. जो बड़े डाकू ग़रीब देशों से पैसा चुराते हैं वो विदेशों में महल बना लेते हैं. छोटा चोर देश को तबाह नहीं करता है बल्कि डाकू देश को तबाह करते हैं जिस तरह से ये तीन चूहे जो इकट्ठा हुए हैं, ये तीस साल से मुल्क को लूट रहे हैं. ये तीन चूहे तीस साल से देश का ख़ून चूस रहे हैं. इनकी विदेशी बैंकों में खाते हैं, इनका पैसा डॉलर में हैं."
नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम नवाज़ शरीफ़ पर निशाना साधते हुए इमरान ख़ान ने कहा, "अगर मरियम बीबी जिसने ज़िंदगी में एक घंटे का काम नहीं किया, जिसको अभी चौदह साल में उर्दू ही बोलनी नहीं आई, वो नेता बनना चाहती है."
वहीं बिलावल भुट्टो पर निशाना साधते हुए इमरान ख़ान ने कहा, "बिलावल कहते हैं मैं लीडर बनना चाहता हूं, अरे आसिफ़ ज़रदारी उसे नेता बनने से पहले थोड़ा बड़ा होने देता था. वो हर दिन धमकी देता है कि नैब ने मुझे बुलाया तो मैं यो करूंगा, पूछो क्या करोगो तो कहता है मैं रो पड़ूंगा."
इमरान ख़ान ने कहा, "ये चूहे ये सारा ड्रामा इसलिए कर रहे हैं कि परवेज़ मुशर्रफ़ की तरह इमरान ख़ान भी डर जाए और इन्हें एनआरओ दे दे. ये चाहते हैं कि इनकी चोरी माफ़ हो जानी चाहिए. जनरल मुशर्रफ़ ने इनके दबाव में और अपनी सरकार बचाने के लिए इन चोरों को एनआरओ (राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश) दिया जिसका बोझ हम आज तक उठा रहे हैं. हम इनके लिए हुए क़र्ज़ों की किश्ते अदा कर रहे हैं."
इमरान ख़ान ने कहा, "सरकार जाती है जाए, जान जाती है जाय, मैं कभी इनको माफ़ नहीं करूंगा."
अपने भाषण के दौरान इमरान ख़ान ने अपनी सरकार की साढ़े तीन साल की उपलब्धियों का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि इस दौरान महामारी आई लेकिन उन्होंने देश को कमज़ोर नहीं होने दिया.
मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा था कि इमरान ख़ान अपने भाषण के दौरान इस्तीफ़ा भी दे सकते हैं. लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा.
अपना भाषण ख़त्म करते हुए इमरान ख़ान ने कहा, "आप सबको मुझसे एक वादा करना है, कि आप, मेरी क़ौम कभी भी इज़ाज़त नहीं देंगे, किसी पाकिस्तान हुक्मरान को कि वो अपनी क़ौम को किसी के आगे झुकने दे. कभी आपको किसी हुक्मरान को किसी के आगे झुकने की इजाज़त नहीं देनी है. जैसा पाकिस्तान ने अमेरिका की जंग लड़कर किया, अस्सी हज़ार पाकिस्तानियों की क़ुर्बानी दिलवाई, हमारे क़बीलाई लोगों को ज़ुल्म का सामना करना पड़ा, पैंतीस लाख लोगों को घर छोड़ना पड़ा."
इमरान ख़ान की रैली के जवाब में विपक्षी दलों का गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट सोमवार को राजधानी में बड़ी रैली करने जा रहा है. माना जा रहा है कि दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी ताक़त दिखा रहे हैं.
इसी बीच पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद ने कहा है कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में 2 और 4 अप्रैल के बीच हो सकता है. (bbc.com)
रूस ने अज़रबैजान पर नागार्नो-काराबाख़ में रूस के शांतिबलों के नियंत्रण वाले क्षेत्र में दख़ल देने के आरोप लगाए हैं.
साल 2020 में आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच हुए युद्ध के बाद रूस ने ही शांति-समझौता कराया था और अपने शांति बल तैनात किए थे.
ये पहली बार है जब रूस ने समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया है. रूस के रक्षा मंत्रालय ने अज़रबैजान पर तुर्की निर्मित ड्रोन के जॉरिए काराबाख़ में बलों पर हमला करने के आरोप भी लगाए हैं.
रूस ने क्षेत्र में बढ़ रहे तनाव को लेकर चिंता भी ज़ाहिर की है. वहीं अज़रबैजान के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि वो रूस की तरफ़ से जारी इकतरफ़ा बयान पर अफ़सोस ज़ाहिर करते हैं क्योंकि इसमें पूरा सच नहीं बताया गया है.
अज़रबैज़ान ने दावा किया है कि उसकी तरफ़ से संघर्ष विराम की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं हुआ है. समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक रूस और अज़रबैजान के रक्षा मंत्रियों ने इस क्षेत्र की स्थिति पर चर्चा की है और अज़रबैजान का कहना है कि उसने अपने सैन्य बलों की ज़मीनी स्थिति के बारे में जानकारी दी है.
अज़रबैजान ने आर्मीनिया पर काराबाख से सैनिक हटाने में नाकाम रहने और उकसावे की कार्रवाइयां करने के आरोप भी लगाए हैं.
अज़रबैजान ने कहा है कि वह रूस से मांग करता है कि अज़रबैजान के अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त क्षेत्र में मौजूद बाकी आर्मीनियाई बलों को भी वहां से हटाए. इस क्षेत्र में आर्मीनिया और अज़रबैजान की सेनाओं के बीच टकराव होता रहा है.
लेकिन शनिवार का घटनाक्रम पहली बार है जब रूस ने किसी पक्ष पर 2020 में हुए संघर्ष विराम का उल्लंघन करने के आरोप लगाए हैं. रूस ने ये भी कहा हि कि उसने अज़रबैजान से इस क्षेत्र से अपनै सैनिकों को पीछे हटाने के लिए कहा है. (bbc.com)
कनाडा का कहना है कि वो वैश्विक ऊर्जा संकट के समाधान के लिए अधिक तेल, गैस और यूरेनियम देने के लिए तैयार है.
यूक्रेन पर आक्रमण की वजह से रूस से आने वाले तेल और गैस की आपूर्ति बाधित हुई है जिसकी वजह से दुनिया भर में ईंधन के दाम बढ़ रहे हैं.
कनाडा के ऊर्जा मंत्री का कहना है कि कई देश रूस के तेल और गैस का विकल्प देने के लिए मदद करने के लिए तैयार हैं. कनाडा दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. कनाडा ने कहा है कि वो अतिरिक्त दो लाख बैरल तेल देने के लिए प्रतिबद्ध है.
प्राकृतिक संसाधन मंत्री जोनाथन विल्किंसन ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि कनाडा एक लाख बैरल अतिरिक्त प्राकृतिक गैस निर्यात करने के लिए भी तैयार है.
विल्किंसन ने कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि सालके अंत तक हम अपनी क्षमता में तीन लाख बैरल तक बढ़ा लेंगे. हालांकि रूस पर प्रतिबंधों की वजह से अगले महीने से बाज़ार में तीस लाख बैरल तेल और गैस की कमी आ जाएगी.
कनाडा तेल के निर्यात की क्षमता सीमित है क्योंकि उसकी पाइपलाइनें अभी अपनी पूरी क्षमता पर काम कर रही हैं. हालांकि विल्किंसन का कहना है कि अमेरिका के ज़रिए तेल भेजने का एक विकल्प खुला हुआ है.
वहीं, कनाडा की सबसे बड़ी पाइपलाइन कंपनी एनब्रिज ने बीबीसी से कहा है कि वो उत्तरी अमेरिका और यूरोप में ऊर्जा आपूर्ति बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठाने के लिए तैयार है. यूक्रेन में युद्ध की वजह से कई देशों ने रूस की गैस और तेल पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल के दाम भी बढ़ रहे हैं. (bbc.com)
लड़कियों के लिए स्कूल खोले जाने को लेकर अफ़ग़ानिस्तान में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है.
काबुल में हुए इस विरोध प्रदर्शन में ज़्यादातर महिलाओं और बच्चियों ने हिस्सा लिया. वो अपने हाथ में तख़्तियां थामे हुए थीं, जिनपर स्कूल खोलने की मांग और ''शिक्षा हमारा अधिकार है'' जैसे नारे लिखे हुए थे.
प्रदर्शनकारियों के इस समूह ने शिक्षा मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन किया और ''शिक्षा हमारा अधिकार, लड़कियों के लिए दरवाज़े खोलो'' जैसे नारे लगाए.
ये प्रदर्शन तालिबान के सशस्त्र बलों के सामने चल रहा था लेकिन उन्होंने कोई हस्तक्षेप नहीं किया. तालिबान की तरफ़ से पहले प्रदर्शनों को रोक दिया जाता था और लोगों को हिरासत में ले लिया जाता था लेकिन इस बार प्रदर्शन को चालू रहने दिया गया.
प्रदर्शन में मौजूद एक महिला शिक्षक ने बीबीसी से कहा, ''जब आज़ादी के लिए और जो बच्चियां स्कूल जाना चाहती हैं उनके लिए खड़े होने की बात हो तो मैं मरने के लिए तैयार हूं.''
उन्होंने कहा, ''हम अपनी बच्चियों के शिक्षा के हक़ के लिए यहां हैं, हक़ के बिना तो हम पहले ही मर चुके हैं.''
बीते साल अगस्त में जब तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा किया था तो लड़कों और लड़कियों के प्राइमरी स्कूलों को खुला रखा गया था लेकिन सेकेंडरी स्कूल की बच्चियों को क्लासरूम में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी.
हाल ही में तालिबान ने सेकेंडरी स्कूल की लड़कियों के लिए भी स्कूल खोलने का एलान किया था लेकिन तालिबान के केंद्रीय नेतृत्व ने इस फ़ैसले को अचानक से पलट दिया.
दरअसल, वहां के शिक्षा मंत्रालय ने एलान किया था कि लड़कियों के स्कूल समेत देश के सभी स्कूल बुधवार को खोले जाएंगे. लेकिन अब कहा गया है, "लड़कियों के सभी स्कूल और वे स्कूल जिनमें लड़कियां पढ़ती हैं, अगले आदेश तक बंद रहेंगे."
नोटिस में कहा गया है कि लड़कियों के लिए यूनिफ़ॉर्म तय करने के बाद ही स्कूल खोले जाएंगे औय ये यूनिफ़ॉर्म, "शरीयत क़ानून और अफ़गानी परंपरा" के मुताबिक़ होगी. लेकिन यूनिफ़ॉर्म का हवाला देकर स्कूल न खोलने के फ़ैसले को लेकर कई परिवार नाराज हैं.
अमेरिका और ब्रिटेन समेत 10 देशों के अधिकारियों ने एक साझा बयान में तालिबान के स्कूल नहीं खोलने के फ़ैसले को परेशान करने वाला कदम बताया है. (bbc.com)
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने पश्चिमी देशों की सरकारों से एक बार फिर अपील की है कि वो यूक्रेन की मदद के लिए लड़ाकू विमान, टैंक और मिसाइल डिफेन्स सिस्टम दें.
देर रात एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा कि यूरोप की सुरक्षा के लिए जो हथियार बनाए गए हैं वो गोदाम में पड़े धूल खा रहे हैं. ज़ेलेन्स्की ने शिकायत की कि मशीन गनों से वो रूसी लड़ाकू विमान नहीं गिरा सकते.
उन्होंने कहा, "हमारे सहयोगियों के पास हथियार हैं और वो गोदाम में पड़े हैं. ये केवल यूक्रेन की आज़ादी की बात नहीं है, ये पूरे यूरोप की स्वतंत्रता की बात है."
उन्होंने कहा कि यूक्रेन को नेटो का बस एक फ़ीसदी लड़ाकू विमान और एक फ़ीसदी टैंक चाहिए, इससे अधिक हम नहीं मांग रहे. उन्होंने नेटो सदस्यों से पूछा कि क्या वो रूस की धमकियों से डर गए हैं.
ज़ेलेंस्की ने सवाल किया, "यूरो-अटलांटिक इलाक़े में रहने वालों के लिए ज़िम्मेदार कौन है? क्या ये ज़िम्मेदारी रूस की होनी चाहिए, वो भी केवल इसलिए कि वो डरा रहा है?"
ज़ेलेंस्की बार-बार कहते रहे हैं कि अगर यूक्रेन पर रूस का क़ब्ज़ा हो गया तो, उसके बाद रूस आगे यूरोप के क्षेत्र में अपने पैर पसारेगा.
वहीं पोलैंड के दौरे पर गए अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेनी सरकार के मंत्रियों से मुलाक़ात की है. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेनी नेताओं से ये उनकी पहली मुलाक़ात है.
यूक्रेन के विदेश मंत्री दमित्रो कुलेबा ने कहा कि उन्हें दूसरे मुल्कों से हथियारों की मदद मिल रही है.
उन्होंने कहा, "हथियारों के मामले में यूक्रेन को जितनी मदद अमेरिका से मिली है उनकी किसी और देश से नहीं मिली है. ये बेहद अहम है. ये यूक्रेन के लोगों का जज़्बा है और पश्चिमी देशों के, ख़ासकर अमेरिका के दिए हथियारों की ताकत है जो हमारे लिए जंग के मैदान में सफल साबित होगी. हमें अमेरिका से और हथियारों का आश्वासन मिला है." (bbc.com)
ल्वीव, 27 मार्च। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने मॉस्को को गुस्से में चेतावनी दी कि वह यूक्रेनी लोगों के भीतर रूस के लिए गहरी घृणा के बीज बो रहा है, क्योंकि तोपों से किए जा रहे हमलों एवं हवाई बमबारी के कारण शहर मलबे में तब्दील हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे आम नागरिकों की मौत हो रही है और अन्य लोग शरणस्थलों की खोज में हैं तथा जीवित रहने के लिए भोजन एवं पानी की तलाश कर रहे हैं।
जेलेंस्की ने शनिवार देर रात एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘आप हर वह चीज कर रहे हैं जिससे हमारे लोग स्वयं ही रूसी भाषा का त्याग कर देंगे, क्योंकि रूसी भाषा अब केवल आपसे, आपके द्वारा किए विस्फोटों एवं आपके द्वारा की गई हत्याओं और अपराधों से जुड़ी रहेगी।’’
यूक्रेन पर जारी रूस के हमले में मारे गए लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। रूसी रॉकेट शनिवार को यूक्रेन के पश्चिमी शहर ल्वीव शहर में उस समय गिरे, जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन पड़ोसी देश पोलैंड की यात्रा पर थे। रूस ने दावा किया है कि वह देश के पूर्व में हमलों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, लेकिन ल्वीव पर हमले ने यह याद दिलाया कि मॉस्को यूक्रेन में किसी भी जगह हमला कर सकता है। रूसी हमले में एक तेल कंपनी का एक हिस्सा जल गया।
रूस के एक के बाद एक हवाई हमलों ने शहर को हिलाकर रख दिया है, जहां अपने गृहनगरों को छोड़कर आए करीब 200,000 लोगों ने आश्रय ले लिया है।
यूक्रेन पर रूसी हमले शुरू होने के बाद से ल्वीव पर अब तक हमले नहीं हुए थे, लेकिन पिछले सप्ताह मुख्य हवाई अड्डे के पास विमान सुधार केन्द्र पर एक मिसाइल गिरी थी।
वहीं, चेर्निहिव में रुके रह गये बाशिंदे विस्फोटों और तबाही से सहमे हुए हैं। (एपी)
वारसॉ, 26 मार्च। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शनिवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को हटाने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘यह व्यक्ति सत्ता में नहीं रह सकता।’’
बाइडन ने पोलैंड की राजधानी वारसॉ में अपने भाषण का इस्तेमाल उदार लोकतंत्र और नाटो सैन्य गठबंधन का बचाव करने के लिए किया। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप को रूसी आक्रामकता के खिलाफ लंबे संघर्ष के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।
व्हाइट हाउस ने बाइडन के संबोधन को एक प्रमुख संबोधन बताया। अमेरिकी राष्ट्रपति रॉयल कैसल के सामने बोल रहे थे, जो वारसॉ के उल्लेखनीय स्थलों में से एक है और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।
उन्होंने पोलैंड में जन्मे पोप जॉन पॉल द्वितीय के कहे शब्दों का जिक्र किया और चेतावनी दी कि यूक्रेन पर पुतिन के आक्रमण से ‘दशकों लंबे युद्ध’ का खतरा है। बाइडन ने कहा, ‘‘इस लड़ाई में हमें स्पष्ट नजर रखने की जरूरत है। यह लड़ाई दिनों या महीनों में नहीं जीती जाएगी।’’
लगभग 1,000 लोगों की भीड़ में कुछ यूक्रेनी शरणार्थी भी शामिल थे, जो यूक्रेन पर हमले के बीच वहां से भागकर पोलैंड और अन्य जगहों पर आ गए हैं। (एपी)
यूक्रेन पर हमले के बाद से रूसी ओलिगार्कों के सुपरयॉट खूब चर्चा में हैं. पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से इन यॉट के जब्त होने के कारण ही नहीं बल्कि इसलिए भी क्योंकि ओलिगार्क मौज-मस्ती के लिए दुनिया को खतरे में डाल रहे हैं.
डॉयचे वैले पर स्टुअर्ट ब्राउन की रिपोर्ट-
यूक्रेन पर रूसी हमले के एक महीने से ज़्यादा हो गए हैं. फिलहाल, किसी को नहीं पता कि यह युद्ध कब खत्म होगा. इस बीच रूस और रूसी ओलिगार्कों (धनाढ्य वर्ग) पर प्रतिबंधों का सिलसिला जारी है. रूसी ओलिगार्कों पर प्रतिबंधों के मद्देनजर, दुनिया के कुछ सबसे बड़े और आलीशान सुपरयॉट को यूरोपीय संघ के जलीय क्षेत्र से बाहर निकाला जा रहा है. जबकि कई यॉट पहले ही जब्त कर लिये गये हैं . अब तक रूसी ओलिगार्कों की करीब 50 करोड़ यूरो से ज्यादा मूल्य की यॉट जब्त कर ली गई है.
पुतिन के सहयोगी और जाने-माने अरबपति कारोबारी रोमन अब्रामोविच तेल और गैस बेचकर मौजूदा मुकाम पर पहुंचे हैं. प्रतिबंधों के मद्देनजर इन्होंने अपने दो सुपरयॉट को उन जलीय इलाके में पहुंचा दिया है जहां प्रतिबंध नहीं है. इसमें से एक यॉट को तुर्की के बोडरम बंदरगाह पर खड़ा किया गया है. अब्रामोविच का सुपरयॉट दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे महंगा यॉट माना जाता है.
हालांकि चूहे-बिल्ली का यह खेल यूक्रेन पर रूसी हमले के दौरान एक नई कहानी बनकर सामने आया है. लोग इन सुपरयॉट से होने वाले कार्बन उत्सर्जन के बारे में काफी कम जानते हैं. अब इससे जुड़ी सच्चाई सामने आ रही है कि यह किस कदर पर्यावरण के लिए खतरनाक है. कहा यह भी जाता है कि पुतिन खुद एक लग्जरी यॉट के मालिक हैं.
इंडियाना विश्वविद्यालय में एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर रिचर्ड विल्क और एंथ्रोपोलॉजी से पीएचडी कर रहे उनके सहयोगी बीट्रिज बैरोस के रिसर्च के अनुसार, लक्जरी मेगा-यॉट एक वर्ष में 7,020 टन CO2 तक जला सकते हैं. विल्क और बैरोस दुनिया के अमीर व्यक्तियों के कारण होने वाले कार्बन के उत्सर्जन का रिकॉर्ड तैयार कर रहे हैं. वे कहते हैं कि ऐसे जहाज जिनमें हेलीकॉप्टर, पनडुब्बियां, स्विमिंग पूल और चालक दल के 100 सदस्य मौजूद होते हैं वे "पर्यावरण के लिहाज से अब तक की सबसे खराब संपत्ति" हैं.
विल्क और बैरोस के विश्लेषण से यह जानकारी सामने आयी है कि दुनिया के शीर्ष 20 अरबपतियों ने सिर्फ 2018 में औसतन 8,000 मीट्रिक टन CO2 का उत्सर्जन किया. हालांकि, इन अरबपतियों में से कुछ ने काफी कम तो कुछ ने काफी ज्यादा कार्बन का उत्सर्जन किया. इसी दौर में दुनिया भर में नागरिकों का औसत कार्बन फुटप्रिंट 4 टन और अमेरिकी नागरिकों का 15 टन था. इन शीर्ष अरबपतियों ने जितना कार्बन का उत्सर्जन किया उसमें से दो-तिहाई के लिए ये सुपरयॉट जिम्मेदार हैं.
सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले अरबपति रोमन अब्रामोविच के पास दो सबसे बड़ी यॉट भी है. अब्रामोविच का ‘एक्लिप्स' जो फिलहाल तुर्की में मौजूद है उसे दुनिया का सबसे महंगा मेगायॉट माना जाता है. अनुमान के मुताबिक, तेल और गैस के दिग्गज कारोबारी अब्रामोविच ने सिर्फ 2018 में 33,859 मीट्रिक टन CO2 का उत्सर्जन किया था. रूसी कारोबारी के दो-तिहाई कार्बन फुटप्रिंट के लिए यह यॉट जिम्मेदार है. इस एक्लिप्स यॉट के संचालन में हर साल करीब 6 करोड़ डॉलर खर्च होता है.
रिपोर्ट के लेखकों ने कहा कि बिल गेट्स के पास करीब 124 अरब डॉलर की संपत्ति है जो कि अब्रामोविच से करीब 10 गुना ज्यादा है. अब्रामोविच के पास महज 14 अरब डॉलर की संपत्ति है. इसके बावजूद, गेट्स ने अब्रामोविच से 80 फीसदी कम कार्बन का उत्सर्जन किया. बिल गेट्स के पास अपना सुपरयॉट भी नहीं है. हालांकि, वे कभी-कभी निजी जेट से यात्रा करते हैं.
विल्क और बैरोस इन आंकड़ों को ‘बर्फ के पहाड़ का ऊपरी हिस्सा' बताते हैं, क्योंकि उनमें ‘एम्बेडेड' कार्बन शामिल नहीं हैं. इसका मतलब है कि इन यॉट के बनाने के दौरान कार्बन का जितना उत्सर्जन हुआ वह आंकड़ा इसमें शामिल नहीं है. एम्बेडेड कार्बन का एक अन्य रूप जीवाश्म ईंधन के लिए खर्च किया गया पैसा हो सकता है जिसका इस्तेमाल इन लक्जरी यॉट के लिए किया जाता है.
इटली ने प्रतिबंधों के बाद जिस ‘सेलिंग यॉट ए' को जब्त किया है वह रूसी अरबपति एंड्री इगोरविच मेल्निचेंको का है. मेल्निचेंको कोयला कंपनी एसयूईके के मालिक हैं. इसके अलावा, गोपनीयता कानून और डेटा संरक्षण से जुड़ी नीतियां भी कई अरबपतियों के लिए ढाल का काम करती है.
रिपोर्ट के लेखकों का कहना है, "इन सब के बावजूद, हमें लगता है कि हमारा विश्लेषण एक उदाहरण है और जलवायु परिवर्तन के लिए कौन जिम्मेदार है, इस पर चल रही बहस में योगदान देकर मूलभूत मुद्दों को सामने लाता है.” वास्तव में किसी को भी यह नहीं पता कि 140 मीटर से ज्यादा लंबे ‘शहरजाद' सुपरयॉट का मालिक कौन है. कुछ लोगों का कहना है कि यह रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन का है.
दुनिया में मौजूद सभी मेगायॉट जलवायु के हत्यारे नहीं हैं. द अर्थ 300 दुनिया का सबसे बड़ा सुपरयॉट होगा. इसके बावजूद, इसका उत्सर्जन शून्य रहेगा. साथ ही, इस सुपरयॉट का उद्देश्य धरती की सबसे बड़ी चुनौती जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए विज्ञान और खोज को एकसाथ लाना है. 300 मीटर लंबे इस यॉट पर 400 लोग रहेंगे और इसे 2025 में लॉन्च किया जाएगा. इसका कार्बन फुटप्रिंट काफी कम होगा और यह परमाणु ऊर्जा से संचालित होगा. (dw.com)