खेल
नई दिल्ली, 13 जुलाई। भारतीय टीम ने 13 जुलाई 2002 को नेटवेस्ट ट्रोफी के फाइनल में इंग्लैंड को हराया था। टीम इंडिया ने 326 के लक्ष्य को हासिल किया था। दो विकेट से मिली यह जीत भारतीय टीम के इतिहास में काफी मायने रखती है। यह जीत इस लिहाज से भी काफी अहम हो जाती है कि इसमें युवा खिलाडिय़ों ने सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सचिन तेंडुलकर जब आउट होकर पविलियन लौटे तो भारत का स्कोर पांच विकेट पर 146 रन था। ऐसे में युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने मिलकर भारत को संकट से उबारा। युवराज के आउट होने के बाद भी कैफ जमे रहे और भारत को जीत दिलाकर ही लौटे। युवराज और कैफ के बीच 121 रनों की पार्टनरशिप हुई थी। युवराज के आउट होने के बाद हरभजन सिंह ने कैफ का अच्छा साथ दिया और सातवें विकेट के लिए 47 रन जोड़े। मोहम्मद कैफ ने नाबाद 87 रन बनाए। कैफ फाइनल में मैन ऑफ द मैच बने।
18 साल बाद भी कैफ को वह जीत याद है। वह कहते हैं, उस जीत ने भारतीय क्रिकेट को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया। उस जीत ने बताया कि हम बड़े स्कोर का पीछा कर सकते हैं। इस जीत ने बताया कि हम बड़े फाइनल जीत सकते हैं। भारतीय फैंस इस मैच को इसलिए याद करते हैं क्योंकि 1983 के वर्ल्ड कप फाइनल की जीत के बाद यह लॉर्ड्स पर भारत की सबसे बड़ी जीत थी।
कैफ ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के साथ खास बातचीत में उस मैच को याद करते हुए कहा, 'मुझे इस मैच की एक और खास इमेज याद है। जब मैं इलाहाबाद लौटा तो मुझे खुली जीप पर ले जाया गया। मेरे घर का पांच-छह किलोमीटर का सफर तय करने में मुझे करीब तीन-चार घंटे का वक्त लगा।
इलाहाबाद के रहने वाले कैफ कहते हैं जब वह स्टेशन से बाहर निकले तो सड़क के दोनों ओर लोग फूल-मालाएं लेकर खड़े हुए थे। उन्होंने कहा, लोग नारे लगा रहे थे। जब मैं छोटा था तो मैंने अमिताभ बच्चन को चुनाव जीतने के बाद अपने गृह नगर (इलाहाबाद) में यूं खली जीप में घूमते देखा था। उस दिन, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं अमिताभ बच्चन हूं। (नवभारत टाईम्स)
नई दिल्ली, 13 जुलाई । टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली अपने आक्रामक रवैये के लिए मशहूर रहे हैं। गांगुली की कप्तानी में ही टीम इंडिया ने आक्रामक होकर खेलना शुरू किया, उन्होंने हमेशा फ्रंट से टीम को लीड किया है। 'दादा' और बंगाल टाइगर के नाम से मशहूर रहे गांगुली विरोधी टीम से आंख में आंख मिलाकर सामना करते थे। कई बार मैदान पर हुई कहासुनी का हिस्सा भी गांगुली बन चुके हैं। श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर रसेल अर्नाल्ड के साथ भी एक छींटाकशी उनकी काफी चर्चा में रही थी। श्रीलंका के पूर्व कप्तान कुमार संगकारा ने बताया कि किस तरह उस किस्से के बाद गांगुली श्रीलंका के ड्रेसिंग रूम में पहुंच गए थे।
2002 चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मैच खेला जा रहा था। पिच पर डेंजर एरिया में दौडऩे के लिए अर्नाल्ड को चेतावनी मिली थी, उसके बावजूद वो ऐसा करने से बाज नहीं आ रहे थे, जिसके बाद गांगुली को गुस्सा आ गया था। हाल में श्रीलंका के पूर्व कप्तान संगकारा ने बताया कि मैच के बाद गांगुली श्रीलंकाई ड्रेसिंग रूम में पहुंच गए थे। उन्होंने स्टार स्पोर्ट्स के क्रिकेट कनेक्टेड शो पर कहा, मुझे एक किस्सा याद है, जिसमें वनडे मैच में गांगुली की अर्नाल्ड के साथ तीखी बहस हो गई थी। मैच के बाद गांगुली ड्रेसिंग रूम में सभी खिलाडिय़ों से बात करने के लिए आए और कहा कि मैच के दौरान इस तरह की दिक्कतें ना खड़ी करें। अगर यह बात ज्यादा खिंची तो वो सस्सेंड भी हो जाते। हमने उनसे कहा कि इस बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है, हम इस बात को और बड़ा नहीं बनाएंगे और सब सही हो जाएगा।
अर्नाल्ड ने यह किस्सा याद करते हुए ही गांगुली को उनके 48वें जन्मदिन की बधाई दी थी। अर्नाल्ड ने उस मैच की क्लिप शेयर करते हुए गांगुली को बर्थडे विश किया था। गांगुली इस समय भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष हैं। वो भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक गिने जाते हैं। 2002 चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मैच बारिश में धुल गया था, जिसके बाद भारत और श्रीलंका ने वो खिताब शेयर किया था। (लाइव हिन्दुस्तान)
नई दिल्ली, 12 जुलाई । केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने खेल संस्कृति बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए शनिवार को कहा कि भारत में लोगों को और यहां तक कि संसद में उनके कुछ सहयोगियों को खेलों की समझ बेहद ही सीमित है। रिजिजू इस बात को लेकर आश्चर्यचकित थे कि उनके सहयोगियों को लगा कि ज्योति कुमारी, कंबाला जॉकी श्रीनिवास गौड़ा और रामेश्वर गुर्जर जैसे सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरने वाले ओलंपिक संभावित थे।
ज्योति कुमारी कोविड-19 महामारी के दौरान अपने बीमार पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से बिहार तक ले गई थी। कर्नाटक के गौड़ा के बारे में दावा किया गया था कि उन्होंने लगभग 11 सेकंड में 100 मीटर कर दौड़ पूरी की। रिजिजू ने ईएलएमएस खेल संस्थान और अभिनव बिंद्रा संस्थान द्वारा आयोजित हाई परफोरमेंस लीडरशिप कार्यक्रम के लॉन्च के मौके पर कहा, खेलों के बारे में भारतीय समाज में ज्ञान बहुत कम है। मैं अपने संसद के सहयोगियों को नीचा नहीं दिखाना चाहता हूं, लेकिन उन्हें भी इसका ज्ञान नहीं है।
उन्होंने कहा, क्रिकेट के बारे में हर कोई जानता है, अंग्रेज लोगों ने हमारे दिमाग में डाल दिया है कि खेल में दूसरी टीम को हराना होता है। लेकिन इसके अलावा, कोई ज्ञान नहीं है, सब सिर्फ स्वर्ण पदक चाहते हैं।
मई के महीने में 15 साल की ज्योति कुमारी साइकिल पर बीमार पिता को बैठाकर आठ दिनों में गुरुग्राम से अपने पैतृक गांव तक का 1200 किलोमीटर का सफर तय की थी। भारतीय साइकिल महासंघ ने उसे ट्रायल का प्रस्ताव दिया जिसे ज्योति ने ठुकरा दिया। ज्योति के बारे में रिजिजू ने कहा, यह लड़की कोविड-19 के कारण पैदा हुई कठिन परिस्थितियों में अपने पिता को गुडग़ांव (गुरुग्राम) से बिहार तक साइकिल पर ले गई थी। यह दुखद बात थी, लेकिन मेरे कुछ सहयोगियों ने ऐसी कल्पना की कि वह साइकिलिंग में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतेगी।
उन्होंने कहा, देखिये ज्ञान की कमी लोगों को इस तरह से सोचने के लिए मजबूर करती है, बिना यह जाने कि साइकिल के प्रारूप क्या हैं और ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के लिए क्या मानक हैं, बस कुछ भी बोलने से नहीं होगा। इससे पहले गौड़ा और मध्य प्रदेश के गुर्जर भी मिट्टी के मैदानों में दौड़ के कारण सोशल मीडिया सनसनी बने जिसके बाद इन दोनों की तुलना ओलंपिक में कई स्वर्ण जीतने वाले फर्राटा धावक उसेन बोल्ट से की गयी। उन्हें ट्रायल के लिए बुलाया गया था।
रिजिजू ने कहा, कर्नाटक में भी एक मामला था, एक बैलगाड़ी की प्रतियोगिता में कोई श्रीनिवास था। लोगों को यह न लगे कि हम स्थिति से अवगत नहीं हैं इसलिए भारतीय खेल प्राधिकरन (साइ) ने उसे ट्रायल के लिए बुलाया। खेल मंत्री ने कहा, मुझे बताया गया था कि वह विश्व स्तरीय धावक के लिए उपयुक्त नहीं है, लेकिन यह महत्वपूर्ण नहीं है। लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि हमें एक ऐसा व्यक्ति मिला है जो ओलंपिक चैंपियन उसेन बोल्ट से तेज है। हमें प्रतिभा की पहचान करनी है, लेकिन लोगों में समझ की कमी को देखिये।
उन्होंने देश में खेल संस्कृति की कमी पर भी जोर देते हुए कहा कि भारत ओलंपिक में अधिक स्वर्ण पदक जीतने के लिए यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि खेल को लेकर पूरा माहौल बदले।
उन्होंने कहा, इन सभी वर्षों में जिस चीज ने मुझे परेशान किया वह यह था कि हम भारत में एक खेल संस्कृति क्यों नहीं बना पा रहे हैं। अभिनव बिंद्रा को बीजिंग में स्वर्ण मिला। हमारी हॉकी टीम मास्को में स्वर्ण पदक जीती थी। इससे खुशी होती है लेकिन ऐसे अधिक अवसरों के लिए कोई सामूहिक प्रयास नहीं होता है।
रिजिजू ने कहा, भारत में निश्चित रूप से एक खेल परंपरा है, लेकिन दुर्भाग्य से हमारे पास खेल संस्कृति नहीं है। बिंद्रा को स्वर्ण मिले इतने साल हो गए हैं। सौभाग्य से 1996 ओलंपिक से अब तक हम पदक तालिका में जगह बनाने में सफल रहे लेकिन भारत जैसे बड़े देश के लिए यह काफी नहीं है।
उन्होंने कहा, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए देश में पूरे वातावरण (खेल से जुड़े) को बदलना होगा कि ऐसे क्षण अधिक आये। हम केवल एक या दो आइकॉन (खिलाड़ी) नहीं रख सकते, सिर्फ एक या दो पदक का जश्न नहीं मना सकते है।(एजेंसी)
ज्यूरिख (स्विट्जरलैंड), 12 जुलाई । स्विट्जरलैंड के स्टार टेनिस खिलाड़ी रोजर फेडरर ने कहा है कि खेलों में सफल होने के लिए उनके पिता ने उन्हें दो साल का अल्टीमेटम दिया था। 20 बार के ग्रैंड स्लैम विजेता फेडरर ने कहा कि शुरुआती दिनों में जब उनके माता-पिता ने उन्हें पेशेवर बनने के लिए आर्थिक रूप से समर्थन दिया, तो उन्हें यकीन नहीं था कि उनके बेटे को प्रतिस्पर्धात्मक खेलों में सफलता मिलेगी।
पूर्व वर्ल्ड नंबर-1 फेडरर ने डिए जीट से कहा, मेरे माता-पिता ने मेरी टेनिस कोचिंग का भुगतान करने के लिए एक वर्ष में 30,000 स्विस फ्रैंक (आज की कीमत के हिसाब से करीब 24 लाख रुपये) खर्च किए। लेकिन एक पेशेवर खिलाड़ी बनने की मेरी क्षमता पर उन्हें संदेह था।
उन्होंने कहा, जब मैं 16 साल का था, तो मैंने उनसे पूछा कि टेनिस में 100 फीसदी शामिल होने के लिए क्या मुझे स्कूल छोड़ देना चाहिए। मेरे पिता ने मुझे सफल होने के लिए दो साल दिए। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं असफल रहा या पेशेवर खिलाड़ी नहीं बन पाया, तो मुझे स्कूल वापस जाना पड़ेगा। मैंने उनसे कहा कि मुझ पर भरोसा रखिए और किस्मत से मैं जूनियर में वल्र्ड नंबर 1 बन गया।(आईएएनएस)
डीआरएस के बचाव में सचिन
नई दिल्ली, 12 जुलाई । क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर का मानना है कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) को अंपायर कॉल्स से डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) को मुक्त करना चाहिए। यह फैसला पूरी तरह से उस पर निर्भर करता है, जो तकनीक दिखाती है। उन्होंने कहा कि कितने फीसदी गेंद स्टंप्स को हिट कर रही थी यह मैटर नहीं करता, यदि डीआरएस दिखाता है कि गेंद स्टंप को हिट कर रही थी तो उसे आउट दिया जाना चाहिए।
सचिन के कहा कि अगर गेंद स्टंप्स पर लग रही है, तो फिर ऑन फील्ड अंपायर के फैसले की परवाह किए बिना बल्लेबाज को आउट देना चाहिए। इसके साथ ही सचिन ने आईसीसी से एलबीडब्ल्यू के मामले में अंपायर कॉल के प्रावधान को हटाने पर विचार करने के लिए भी कहा है।
उन्होंने कहा कि इस बात का कोई प्रभाव नहीं पडऩा चाहिए कि मैदान पर खड़े अंपायर ने क्या फैसला दिया है। तकनीक का यह उद्देश्य है। सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट करते हुए कहा, हम जानते हैं कि तकनीक भी मनुष्य की तरह 100 फीसदी सही नहीं होती। तेंदुलकर ब्रायन लारा के साथ डिसीजन रिव्यू सिस्टम पर 100एमबी एप पर चर्चा कर रहे थे।
सचिन ने कहा, जब टीम मैदान पर खड़े अंपायर से नाखुश होती है, तभी वह तीसरे अंपायर के पास जाती है। इसके बाद टेक्नोलॉजी पर भरोसा करना चाहिए। दोनों के बीच में कुछ नहीं होना चाहिए। जैसा कि टेनिस में होता है या तो गेंद अंदर होती है या लाइन के बाहर। जब एक बार आपने तकनीक के इस्तेमाल का निर्णय कर लिया तो आपको उस पर भरोसा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर गेंद सिर्फ स्टंप्स को छूकर भी निकल जाए, तो भी फैसला गेंदबाज के हक में होना चाहिए।
तेंदुलकर की इस बात का हरभजन सिंह ने भी समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट किया, आपसे 1000 फीसदी सहमत हूं पाजी। यदि गेंद स्टंप्स को छू रही है या किस कर रही है तो उसे आउट दिया जाना चाहिए। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि गेंद स्टंप्स के कितने हिस्से को छू रही थी। खेल की बेहतरी के लिए कुछ नियम बदले जाने चाहिए। यह निमय भी ऐसा ही है।(लाइव हिन्दुस्तान)
नई दिल्ली, 12 जुलाई। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने शनिवार को यह साफ कर दिया कि टीम इंडिया दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेगी। हालांकि गांगुली ने उम्मीद जताई है कि टीम के खिलाडिय़ों के लिए वहां क्वारंटाइन का समय कुछ कम किया जाए।
ऑस्ट्रेलिया ने कोविड- 19 वायरस को मेलबर्न में छोड़कर बाकी पूरे देश में नियंत्रित कर लिया है। हाल ही में मेलबर्न शहर में कोविड- 19 केसों की संख्या में उछाल देखने को मिला था।
दादा ने कहा, हां, हां, हमने इस दौरे की मंजूरी दे दी है। दिसंबर में हम वहां आएंगे। हमें बस यह उम्मीद है कि हमारे खिलाडिय़ों के लिए क्वारंटाइन के दिनों को वहां कुछ कम किया जाएगा। टीम इंडिया को यहां 4 टेस्ट मैच की सीरीज खेलनी है।
बोर्ड के अध्यक्ष गांगुली ने कहा, क्योंकि हम यह नहीं चाहते कि खिलाड़ी इतनी दूर जाएं और दो सप्ताह के लिए होटल के कमरों में जाकर बैठ जाएं। यह बहुत-बहुत कष्टकारी और निराशाजनक होगा।
उन्होंने कहा, और जैसा मैंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड मेलबर्न को छोड़कर बेहद अच्छी स्थिति में हैं। इसी को ध्यान में रखकर हम वहां का दौरा कर रहे हैं और उम्मीद करता हूं कि क्वारंटीन के दिन कम होंगे और हम क्रिकेट में वापसी कर पाएंगे।
कोरोना वायरस के वैश्विक संक्रमण के बाद दुनिया भर के देश हेल्थ प्रोटोकॉल फॉलो करते हुए विदेशी नागरिकों को या विदेश से आने वाले अपने नागरिकों को अपनी सीमा में आने के बाद सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें 14 दिन क्वारंटीन कर रहे हैं।
सौरव गांगुली ने संकेत दिये हैं इस साल के इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का आयोजन खाली स्टेडियमों में किया जा सकता है और कहा है कि कोविड-19 महामारी के बावजूद इस निलंबित प्रतियोगिता को आयोजित करने के लिये सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
वेस्ट इंडीज की टीम इन दिनों इंग्लैंड दौरे पर 3 टेस्ट मैचों की सीरीज खेल रही है। इस सीरीज से पहले उनके खिलाडिय़ों ने भी 14 दिन क्वॉरंटीन में बिताए और इसके पाकिस्तान की टीम इंग्लैंड से खेलेगी और उनके खिलाड़ी भी 14 दिन क्वारंटीन में रहे। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम इंडिया की (नवभारत टाईम्स)
नई दिल्ली, 12 जुलाई । पूर्व भारतीय क्रिकेटर और उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं। चौहान के इस घातक संक्रमण के लिए पॉजिटिव पाए जाने की जानकारी शनिवार देर रात मिली, जब पूर्व भारतीय क्रिकेटरों आकाश चोपड़ा और आरपी सिंह ने ट्वीट करके उनके जल्द उबरने की कामना की।
आकाश चोपड़ा ने ट्वीट किया, चेतन चौहान भी कोविड-19 के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं। उनके जल्द उबरने की कामना करता हूं।
आरपी सिंह ने लिखा, अभी सुना कि चेतन चौहान कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं। उनके जल्द उबरने की कामना करना हूं।
चौहान का शुक्रवार को कोरोना वायरस परीक्षण किया गया था और 72 साल के इस पूर्व क्रिकेटर को लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
चौहान के परिवार के सदस्यों का भी कोविड-19 परीक्षण होगा और फिलहाल उन्हें घर में ही आइसोलेशन में रखा गया है। उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में चौहान के पास सैनिक कल्याण, होमगार्ड, पीआरडी और नागरिक सुरक्षा मंत्रालय हैं। लोकसभा के पूर्व सदस्य चौहान उन कुछ पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों में शामिल हैं, जो इस वायरस से संक्रमित हुए हैं।
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी और स्कॉटलैंड के माजिद हक संक्रमित पाए जाने के बाद इस बीमारी से उबर गए हैं। चौहान ने भारत की ओर से 1969 से 1978 के बीच 40 टेस्ट में 2084 रन बनाए। इस दौरान उनका औसत 31.57, जबकि सर्वश्रेष्ठ स्कोर 97 रन रहा। उन्होंने सात वनडे इंटरनैशनल मैचों में 153 रन भी बनाए।
चौहान और सुनील गावस्कर की सलामी जोड़ी काफी सफल रही। दोनों ने 1970 के दशक में 10 बार शतकीय साझेदारी की और मिलकर तीन हजार से अधिक रन बनाए। चौहान ने घरेलू क्रिकेट में दिल्ली और महाराष्ट्र की ओर से खेलते हुए काफी रन बनाए।(भाषा)
नई दिल्ली, 11 जुलाई। कोरोना वायरस महामारी के कारण रद्द होने के बावजूद विम्बलडन 620 खिलाडिय़ों को पुरस्कार राशि के रूप में 1.25 करोड़ डॉलर बांटेगा। ऑल इंग्लैंड क्लब ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। बीमा प्रदाता कंपनी के साथ सलाह मश्विरे के बाद क्लब के अधिकारियों ने कहा कि मुख्य ड्रॉ में भाग लेने वाले 256 में से प्रत्येक खिलाड़ी को 31,000 डालर की राशि दी जाएगी।
वहीं जो 224 खिलाड़ी क्वालीफाइंग में भाग लेते, उन्हें प्रत्येक को 15,600 डॉलर की राशि मिलेगी। ऑल इंग्लैंड क्लब के मुख्य कार्यकारी रिचर्ड लुईस ने कहा कि चैम्पियनशिप के रद्द होने के तुरंत बाद हमने अपना ध्यान इस बात पर लगा दिया कि हम उन लोगों की कैसे मदद कर सकते हैं जो विम्बलडन को आयोजित करने में सहायता करते हैं।
इसके साथ ही 120 खिलाड़ी युगल स्पर्धाओं में हिस्सा लेते। प्रत्येक को 7,800 डॉलर, व्हीलचेयर स्पर्धा में भाग लेने वाले 16 खिलाडिय़ों को 7,500 डॉलर और क्वैड (चार खिलाडिय़ों की) व्हीलचेयर स्पर्धा में भाग लेने वाले चार खिलाडिय़ों को 6,200 डॉलर दिए जाएंगे। (एजेंसी)
नई दिल्ली, 11 जुलाई । क्रिकेट के खेल में जितनी अहमियत एक बल्लेबाज की होती है उतनी ही गेंदबाज की भी होती है। आक्रामक गेंदबाजी की वजह से कई बार मैच का रुख पूरी तरह से बदल जाता है। वैसे तो क्रिकेट की दुनिया में आज तक कई शानदार और महान गेंदबाज हुए हैं जिनके भरोसे उनकी टीम ने कई बार जीत हासिल की है, इसी वजह से क्रिकेट के खेल में गेंदबाजी काफी अहम है. यूं तो मैदान पर हर गेंदबाज ज्यादा से ज्यादा रन बचाकर विकेट झटकना चाहता है, लेकिन कई बार ऐसा हो नहीं पाता। न चाहते हुए भी गेंदबाज अपने स्पेल में बहुत ज्यादा रन दे देते हैं। भारतीय गेंदबाजों के नाम जिन्होंने वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन दिए हैं।
इस लिस्ट में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व शानदार गेंदबाज अनिल कुंबले का नाम सबसे पहले आता है। कुंबले ने सालों तक टीम को इंटरनेशनल मैचों में जीत दिलवाने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा कुंबले टेस्ट क्रिकेट में भी सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज हैं। लेकिन वनडे क्रिकेट में उनकी गेंदबाजी टीम इंडिया को काफी महंगी पड़ी है। कुंबले ने अपने 17 साल के करियर में 271 वनडे मैच खेले जिनमें उन्होंने 10,412 रन दिए हैं। इस दौरान उन्होंने 337 विकेट भी चटकाए हैं।
भारत के एक और लाजवाब गेंदबाज हरभजन सिंह का नाम यहां दूसरे नंबर पर दर्ज है। अपनी शानदार गेंदबाजी की वजह से भज्जी ने अपना नाम दुनिया के शानदार गेंदबाजों में लिखवा लिया है। वनडे क्रिकेट में हरभजन सिंह ने अब तक 236 मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 8,973 रन खर्च किए हैं। साथ ही हरभजन के नाम इन मैचों में 269 विकेट भी दर्ज हैं. भज्जी वैसे काफी किफायती गेंदबाज हैं, लेकिन करियर के आखिरी पड़ाव पर आने के बाद उनकी गेंदबाजी टीम के लिए थोड़ी महंगी साबित हुई है।
तीसरे नंबर पर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ का नाम दर्ज है. इस बेहतरीन गेंदबाज ने साल 1991 से साल 2003 तक कुल 229 वनडे मैचों में हिस्सा लिया, जिनमें उन्होंने 8,847 रन दिए. जवागल श्रीनाथ ने अपने वनडे क्रिकेट करियर में 315 विकेट अपने नाम लिखवाए हैं. हरभजन की तरह श्रीनाथ भी करियर के आखिरी दौर में महंगे बॉलर बन गए थे. आप सभी को याद होगा कि कैसे 2003 वर्ल्ड कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों ने श्रीनाथ की जमकर पिटाई की थी और उनका यही प्रदर्शन टीम इंडिया की हार का सबसे बड़ा कारण बना था। (जी न्यूज)
नई दिल्ली, 11 जुलाई। टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज किरन मोरे ने बताया है कि किस तरह से पाकिस्तान के पूर्व बल्लेबाज सलीम मलिक एक बार उन्हें बैट से मारना चाहते थे। उन्होंने बताया कि यह किस्सा 1989 में कराची के नैशनल स्टेडियम पर खेले गए टेस्ट मैच का है। यह वही मैच था, जिसमें सचिन तेंदुलकर और वकार यूनिस ने डेब्यू भी किया था। उस किस्से को याद करते हुए मोरे ने बताया कि वो मलिक को उनकी भाषा में जवाब देने की कोशिश कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें पूर्व क्रिकेटर ने धमकाया था।
इतना ही नहीं मोरे ने कहा कि अगर उस समय स्टंप्स माइक्रोफोन्स होते तो खेल और ज्यादा मजेदार और रोमांचक हो जाता। उन्होंने कहा, जब भी भारत-पाकिस्तान सीरीज होती है, स्लेजिंग होती ही है। जब हम 1989 में पाकिस्तान गए थे, मैंने सलीम मलिक को कराची टेस्ट में स्लेज किया था और वो बैट से मुझे मारने आ गए थे। मैंने उन्हें पंजाबी में एक बहुत खराब शब्द कहा था, पंजाबी ऐसी भाषा थी, जो हम लोगों के लिए कॉमन थी। दरअसल वो काफी मजेदार किस्सा था। मुझे लगता है कि उस समय माइक्रोफोन्स होने चाहिए थे, यह सबके लिए काफी मजेदार हो जाता।
भारत और पाकिस्तान के बीच वो टेस्ट मैच ड्रॉ हुआ था। भारत ने दूसरी पारी में तीन विकेट गंवाकर 96 ओवर खेल डाले थे। मलिक ने पहली पारी में 36 रन और दूसरी पारी में नॉटआउट 102 रन बनाए थे। मोरे ने इसके अलावा गद्दाफी स्टेडियम पर जावेद मियांदाद के 100वें टेस्ट का भी एक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा, लाहौर में टेस्ट मैच खेला जा रहा था, जो जावेद मियांदाद का 100वां टेस्ट मैच था। मनिंदर सिंह गेंदबाजी कर रहे थे, और वो बल्लेबाजी के लिए आए थे। तीसरा या चौथा ओवर था, उनके खिलाफ एलबीडब्ल्यू की अपील हुई। उन्होंने मुझसे कहा कि क्यों अपील कर रहे हो तुम, यह मेरा 100वां टेस्ट मैच है, मैं सेंचुरी मारूंगा और घर लौटूंगा। वो मैच भी ड्रॉ रहा था और मियांदाद ने 145 रन बनाए थे। (लाइव हिन्दुस्तान)
नई दिल्ली, 11 जुलाई । वेस्टइंडीज के टी20 वल्र्ड कप विजेता कप्तान डेरेन सैमी ने 'ब्लैक लाइव्स मैटर (बीएलएम)' पर दक्षिण अफ्रीका के पूर्व खिलाडिय़ों द्वारा आलोचना का सामना कर रहे लुंगी नगिदी का समर्थन किया है। हरफनमौला सैमी उन क्रिकेटरों में शामिल है, जिन्होंने क्रिकेट में नस्लवाद के मुद्दे को सबसे पहले उठाया था।
सैमी ने ट्विटर पर लिखा कि नगिदी की आलोचना से पता चलता है कि इस मुद्दे पर बोलना क्यों जरूरी है। सैमी ने ट्वीट किया, 'यह तथ्य है कि कुछ पूर्व खिलाडिय़ों को 'बीएलएम' आंदोलन पर नगिदी के रुख से परेशानी है, यही कारण है कि हम अश्वेत लोगों के मुद्दे पर यहां हैं। हम तुम्हारे साथ हैं।'
इस हफ्ते की शुरुआत में नगिदी ने कहा था, नस्लवाद का मुद्दा कुछ ऐसा है जिसे हमें वैसे ही बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है जैसे बाकी दुनिया कर रही है।'
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटरों पैट सिमकॉक्स, बोएटा डिप्पेनार और विकेटकीपर रूडी स्टेन को हालांकि उनकी बात नागवार गुजरी, जिन्होंने देश के श्वेत किसानों पर हो रहे हमले के मुद्दे पर चुप रहने पर नगिदी पर निशाना साधा था।
इन खिलाडिय़ों ने कहा था कि नस्लवाद के खिलाफ 'बीएलएम'मुद्दे का साथ देने चाहिए, लेकिन अपने देश के श्वेत किसानों की जानवरों की तरह हत्या पर चुप्पी साधने वालों का वे समर्थन नहीं कर सकते।(आजतक)
नई दिल्ली, 11 जुलाई । कोरोना वायरस महामारी कहर पूरे देश में देखने को मिल रहा है, पश्चिम बंगाल भी इससे अछूता नहीं है। इसी कड़ी मे अब कोलकाता के ईडन गार्डन्स को भी कोविड-19 के जंग में इस्तेमाल किया जाएगा, कोलकाता पुलिस के लिए इस स्टेडियम को क्वारंटीन सेंटर में बदला जाएगा। कोलकाता पुलिस ने क्वारंटीन की सुविधा मुहैया कराने के लिए बंगाल क्रिकेट संघ से मदद मांगी है।
पश्चिम बंगाल की राजधानी में कोरोना संक्रमण का केस लगातार बढ़ रहा हैं, ऐसे में कोलकाता पुलिस ने बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष अभिषेक डालमिया को चिट्ठी लिखकर स्टेडियम में अस्थायी क्वारंटीन सेंटर बनाने के लिए 5 ब्लॉक्स के इस्तेमाल की इजाजत मांगी है। स्पेशल कमिनश्नर जावेद शमीम और CAB के अधिकारियों के बीच एक इमरजेंसी मीटिंग हुई। इसके बाद ईडन गार्डन्स का संयुक्त निरीक्षण किया गया। इस दौरान CAB के अध्यक्ष अभिषेक डालमिया और सचिव स्नेहाशीष गांगुली शामिल मौजूद थे।
क्वारंटीन सेंटर तैयार करने के लिए ईडन के E, F, G और H ब्लॉक्स के नीचे की जगह का इस्तेमाल होगा। अगर और ज्यादा जगह की जरूरत पड़ी, तो ब्लॉक छ्व का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्राउंड्समैन और दूसरे कर्मचारियों को स्टेडियम के अंदर B, C, K और रु ब्लॉक में डॉर्मिटरी और अन्य सुरक्षित जगहों पर ट्रांस्फर किया जाएगा। अब तक कोलकाता पुलिस के 500 से भी ज्यादा जवान कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए हैं। अभिषेक डालमिया ने कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में प्रशासन की मदद और समर्थन करना हमारा फर्ज है।(एएनआई)
इंग्लैंड-वेस्टइंडीज टेस्ट
साउथम्पटन, 11 जुलाई । साउथम्पटन में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच खेला जा रहा है। 117 दिनों के बाद कोई इंटरनेशनल मैच खेला जा रहा है, ऐसे में फैन्स के बीच इस टेस्ट मैच को लेकर उत्साह चरम पर है। कोरोना वायरस के कारण आईसीसी ने नए नियम के साथ टेस्ट मैच को कराने की कोशिश की है जिसमें खिलाडिय़ों को जश्न मनानें के क्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। लेकिन टेस्ट मैच के दौरान गेंदबाज और फील्डर सोशल डिस्टेंसिंग को भूल गए हैं और पहले की ही तरह विकेट गिरने पर जश्न मनाते नजर आए हैं। यहां तक कि इंग्लैंड के दिग्गज तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने वेस्टइंडीज के बल्लेबाज रॉस्टन चेस का विकेट चटकाया तो साथी खिलाड़ी को गले से भी लगाते हुए नजर आए। ऐसे में एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर में खिलाड़ी ऐसी भूल कैसे कर रहे हैं। यही नहीं इंग्लैंड की पारी के दौरान भी वेस्टइंडीज खिलाड़ी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते दिखे थे और विकेट गिरने के बाद एक साथ खड़े नजर आए थे। किसी भी खिलाड़ी ने 2 गज की दूरी का पालन मैच के दौरान नहीं किया। खिलाड़ी एक दूसरे की पीठ भी थपथपाते नजर आए तो वहीं हाई फाइव भी करते दिखे हैं।
यहां तक कि क्रिकेट कमेंट्री करने वाले कमेंटेटर नासिर हुसैन ने भी कमेंट्री करते समय सोशल डिस्टेंसिंग की बात की थी। गौतरलब है कि पहले टेस्ट में इंग्लैंड ने टॉस जीता था और पहली पारी में केवल 204 रन ही बना पाई थी। वेस्टइंडीज की ओर से कप्तान होल्डर ने 6 विकेट चटकाए थे। इसके बाद वेस्टइंडीज ने शानदार बल्लेबाजी पहली पारी में की और 318 रन बनाए। इंग्लैंड की ओर से सबसे ज्यादा विकेट बेन स्टोक्स ने झटके। स्टोक्सने 4 विकेट लिए तो वहीं एंडरसन के नाम 3 विकेट दर्ज हुए। तीसरे दिन के खेल खत्म तक इंग्लैंड की टीम ने दूसरी पारी में बिना कोई विकेट खोए 15 रन बना लिए थे। इंग्लैंड की टीम वेस्टइंडीज से पहली पारी के आधार पर अभी भी 99 रन पीछे है।
जेम्स एंडरसन अबतक 587 विकेट चटका चुके हैं। 13 विकेट लेते ही एंडरसन टेस्ट क्रिकेट में 600 विकेट लेने वाले दुनिया के पहले तेज गेंदबाज बन जाएंगे। अबतक किसी भी तेज गेंदबाज ने 600 विकेटों का आंकड़ा नहीं पार किया है। वर्तमान में एंडरसन टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट चटकाने वाले चौथे गेंदबाज हैं। एंडरसन से आगे मुरलीधरन, शेन वार्न और अनिल कुंबले हैं। टेस्ट क्रिकेट में अभी तक केवल स्पिन गेंदबाजों ने 600 से ज्यादा विकेट झटके हैं। ऐसे में एंडरसन के पास विश्व रिकॉर्ड बनाने का अहम मौका है।(एनडीटीवी)
नई दिल्ली, 11 जुलाई । भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट का बड़ा स्टार होने के बावजूद अपने निजी जीवन में काफी साधारण तरीके से रहना पसंद करते हैं। धोनी न तो सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय रहते हैं न ही मीडिया के साथ इंटरव्यू करते नजर आते हैं। वह हमेशा औरों से हटकर काम करते नजर आते हैं, चाहे वह सेना में ट्रेनिंग लेना हो या फिर लॉकडाउन में जैविक खेती करना। धोनी ने फैसला किया है कि अब वह किसी तरह के ऐड और प्रमोशन इवेंट का हिस्सा नहीं बनेंगे। उनके बचपन के करीबी दोस्त और मैनेजर मिहीर दिवाकर ने इसकी वजह बताई है।
धोनी आए दिन किसी न किसी वजह से खबरों में रहते हैं। कभी उनके रिटायरमेंट को लेकर ट्रेंड शुरू हो जाता है तो कभी कोरोना में उनके दिए दान को लेकर चर्चा शुरू हो जाती है। हालांकि इन सबके बीच धोनी ने कभी किसी चीज पर कोई बयान या सफाई नहीं दी। वह हमेशा ही इन सबसे दूर रहते हैं। उनकी पत्नी साक्षी जरूर समय-समय पर सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स को जवाब देती रहती है लेकिन धोनी ने कभी ऐसा नहीं किया। (न्यूज18)
नयी दिल्ली, 10 जुलाई (वार्ता)। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष मोहम्मद मुश्ताक अहमद ने निजी और पारिवारिक कारणों से अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।
हॉकी इंडिया के कार्यकारी बोर्ड ने शुक्रवार को आपात बैठक कर मणिपुर के ज्ञानेन्द्रो निंगोमबम को मुश्ताक अहमद के स्थान पर कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। हॉकी इंडिया को मुश्ताक अहमद का इस्तीफ़ा पत्र सात जुलाई को प्राप्त हुआ था जिसमें उन्होंने निजी और पारिवारिक प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए अपना पद छोडऩे की पेशकश की थी।
हॉकी इंडिया की आपात कार्यकारी बोर्ड बैठक में मुश्ताक मोहम्मद का इस्तीफ़ा मंजूर कर लिया गया है।
नई दिल्ली, 10 जुलाई । टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अध्यक्ष सौरव गांगुली ने अपने करियर के सबसे मुश्किल दौर को लेकर बात की है। गांगुली टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तानों में गिने जाते हैं, लेकिन 2005 का साल उनके लिए काफी निराशाजनक रहा था। उनसे कप्तानी छिनी और इसके बाद उन्हें टीम से भी बाहर कर दिया गया था। गांगुली ने कहा कि उन्हें टीम से निकालने में सिर्फ पूर्व कोच ग्रेग चैपल ही नहीं बल्कि पूरा सिस्टम शामिल था। गांगुली का मानना है कि उनसे कप्तानी छीनना नाइंसाफी थी।
उन्होंने कहा, वो मेरे करियर का सबसे बड़ा झटका था। मेरे साथ सरासर नाइंसाफी हुई थी। मुझे पता है कि आपको हमेशा न्याय नहीं मिल सकता, लेकिन फिर भी जो कुछ हुआ था मेरे साथ वो नहीं होना चाहिए था। मैं टीम इंडिया का कप्तान था और जिम्बाब्वे से जीतकर लौटा था और स्वदेश लौटते ही मुझे कप्तानी से हटा दिया गया था। मैंने 2007 वल्र्ड कप भारत के लिए जीतने का सपना देखा था।
गांगुली ने आगे कहा, इससे पहले हम फाइनल (2003 वल्र्ड कप) में पहुंचे थे, मेरे पास यह सपना देखने के कारण थे। पांच सालों में टीम ने मेरी कप्तानी में अच्छा प्रदर्शन किया था, वो चाहे भारत में हो या फिर बाहर। इसके बाद आप अचानक मुझे टीम से ड्रॉप कर देते हैं? आप कहते हैं कि मैं वनडे इंटरनैशनल टीम का हिस्सा नहीं हूं और फिर मुझे टेस्ट टीम से भी बाहर कर दिया जाता है। गांगुली ने कहा कि मुझे इसमें कोई शक नहीं कि इसकी शुरुआत ग्रेग चैपल के बीसीसीआई को भेजे उस ई-मेल से हुई, जिसमें उनके खिलाफ काफी बातें लिखी गई थीं और जो लीक हो गया था।
गांगुली ने कहा, मैं सिर्फ ग्रेग चैपल को इसका दोषी नहीं ठहराऊंगा। इसमें कोई शक नहीं कि उन्होंने ही यह सब शुरू किया था। उन्होंने मेरे खिलाफ बोर्ड को एक ई-मेल लिखा, जो लीक हो गया। क्या ऐसा कुछ होता है? क्रिकेट टीम एक परिवार की तरह होती है। लोगों में मतभेद हो सकते हैं, मिसअंडरस्टैंडिंग हो सकती है, लेकिन यह सब बातचीत से सुलझाया जा सकता है। आप कोच हैं, अगर आपको लगता है कि मुझे कुछ खास तरीके से खेलना चाहिए, तो आप मुझे बताइये। जब मैं खिलाड़ी के तौर पर टीम में लौटा, तो उन्होंने मुझे बताया, तो पहले क्यों नहीं ऐसा किया गया?
गांगुली ने इसके लिए अकेले चैपल को जिम्मेदार नहीं ठहराया, कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि कोई सिस्टम की मदद के बिना कप्तान को हटा दे। उन्होंने कहा, बाकी लोग भी निर्दोष नहीं थे। एक विदेशी कोच, जिसकी टीम सिलेक्शन में कोई नहीं राय मायने नहीं रखती थी, वो टीम इंडिया के कप्तान को ड्रॉप नहीं कर सकता। मुझे समझ में आ गया था यह बिना सिस्टम के सपोर्ट के नहीं हो सकता है। मुझे टीम से निकालने में सभी लोग शामिल थे, लेकिन मैं दबाव में बिखरा नहीं, मेरा आत्मविश्वास खत्म नहीं हुआ। 2005 में टीम से ड्रॉप होने के बाद गांगुली ने 2006 में दक्षिण अफ्रीकी दौरे के साथ टीम में वापसी की। इंटरनैशनल क्रिकेट में वापसी गांगुली ने रनों के साथ की और अगले दो साल में अपने करियर की कुछ यादगार पारियां खेलीं।
उन्होंने 2008 में नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था और रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी। गांगुली ने 311 वनडे इंटरनैशनल मैचों में 11363 रन और 113 टेस्ट मैचों में 7212 रन बनाए। उनके खाते में 22 वनडे इंटरनैशनल और 15 टेस्ट सेंचुरी शामिल हैं। गांगुली को महान कप्तानों में बिना जाता है, क्योंकि उन्होंने 2000 में हुए फिक्सिंग कांड के बाद टीम इंडिया को संभाला और अपनी कप्तानी में टीम को आगे बढ़ाया।(लाइव हिन्दुस्तान)
साउथम्पटन, 10 जुलाई । वेस्टइंडीज के वर्तमान से लेकर पूर्व क्रिकेटरों के बीच इन दिनों नस्लवाद को लेकर खासा रोष है। ये क्रिकेटर खुलेआम अपना विरोध जता रहे हैं, बातें कह रहे हैं। इंग्लैंड के साथ पहला टेस्ट शुरू होने से पहले भी दोनों टीमों के खिलाडिय़ों ने अलग ही अंदाज में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अपना विरोध प्रकट किया। और अब अपने जमाने के दिग्गज तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग नस्लवाद पर दमदार भाषण देने के एक दिन बाद सीधे प्रसारण के दौरान अपने माता पिता के साथ हुए नस्ली व्यवहार पर बात करते हुए सीधे प्रसारण के दौरान आंसू नहीं रोक पाये।
इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच पहले टेस्ट मैच क्रिकेट मैच से पूर्व होल्डिंग ने कहा था कि अश्वेत नस्ल का अमानुषिकीकरण किया गया और अगर नस्लवाद पर संपूर्ण मानव जाति को शिक्षित नहीं किया गया तो यह जारी रहेगा। दूसरे दिन इस विषय पर बात करते हुए वह भावुक हो गये।
उन्होंने 'स्काई न्यूज से कहा, ''यह भावनात्मक पक्ष तब सामने आया जब मैंने अपने माता पिता के बारे में सोचना शुरू किया और मैं फिर से भावुक हो रहा हूं। मैं जानता हूं कि मेरे माता पिता किस दौर से गुजरे हैं। मेरी मां के परिवार ने उनसे इसलिए बात करना बंद कर दिया था क्योंकि उनके पति बहुत ही गहरे रंग थे।
होल्डिंग ने कहा, ''मैं जानता हूं कि वे किस दौर से गुजरे हैं और वह बात तुरंत ही मेरे जेहन में आ गयी। मैं जानता हूं कि यह धीमी प्रक्रिया है, लेकिन भले ही यह छोटा कदम हो, भले ही यह बेहद धीमी से गति से आगे बढ़ रहा हो लेकिन मैं उम्मीद कर रहा हूं कि यह सही दिशा में आगे बढ़ता रहेगा।
अमरीका में अफ्रीकी मूल के जार्ज फ्लॉयड के एक श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों मौत के बाद नस्लवाद प्रमुख मसला बन गया है। इसके बाद ही दुनिया भर में 'ब्लैक लाइव्स मैटर अभियान चला और पहले टेस्ट मैच से पूर्व वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के खिलाडिय़ों ने इसका समर्थन किया।(भाषा)
नई दिल्ली, 10 जुलाई । भारतीय टीम के कलात्मक तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी का कहना है कि कोरोना वायरस लॉकडाउन में थके हुए शरीर को आराम और मजबूत होने का समय जरूर मिला लेकिन उन्हें डर है कि लंबे ब्रेक से उनकी लय पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। शमी ने कहा कि महानगरों में रहने वाले दूसरे भारतीय क्रिकेटरों की तुलना में वह बेहतर स्थिति में हैं और साहसपुर में अपने पैतृक घर के खुले आंगन में अभ्यास करते रहे हैं। उन्होंने घर के भीतर ही एक छोटा क्रिकेट मैदान बना रखा है। उन्होंने कहा, 'इसे दो तरीके से देख सकते हैं। भारतीय टीम का कार्यक्रम हमेशा व्यस्त रहता है और इस ब्रेक से थके हुए शरीर को आराम का समय मिला। शमी ने कहा, 'एक तरफ आपको शारीरिक फायदा हुआ और आप अधिक फिट तथा मजबूत हो गए लेकिन लंबे समय तक नहीं खेलने से लय चली जाती है। यही फर्क है। फायदे और नुकसान तो इस पर निर्भर है कि आप अपने शरीर की देखभाल कैसे कर रहे हैं।
भारत के लिये 49 टेस्ट में 180 विकेट ले चुके इस गेंदबाज ने कहा कि बीसीसीआई जब भी शिविर शुरू करेगा, उन्हें फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर मुझे फायदा होगा क्योंकि मैं नियमित अभ्यास कर रहा हूं। यह चोट के कारण मिले ब्रेक से अलग है। मैं लय में रहा हूं और कोई जकडऩ महसूस नहीं हो रही। समय के साथ लय मिल ही जाएगी।
शमी ने यह भी कहा कि वह अनुमान नहीं लगा सकते कि लार के बिना लाल गेंद कैसे पेश आयेगी। उन्होंने यह भी कहा कि नेट पर उन्होंने पुरानी गेंद से अभ्यास नहीं किया। उन्होंने कहा, ''जैसी परिस्थितियां चाहिये वैसी नहीं होने पर आप पुरानी गेंद से अभ्यास नहीं कर सकते। नेट पर जो पुरानी गेंद ली जाती है, वह कई दिन बाक्स में रहती है और मैच की पुरानी गेंद से अलग होती है। मैच में तो लगातार खेलते हुए गेंद पुरानी होती है।
उन्होंने कहा , अभ्यास के दौरान मैं नयी गेंद से ही गेंदबाजी करूंगा और कोशिश करूंगा कि लार का इस्तेमाल नहीं करूं। उन्होंने कहा कि उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि लार के बिना गेंद को स्विंग मिलेगी या नहीं। उन्होंने कहा, लोग मुझसे यह सवाल पूछते हैं लेकिन मेरे पास कोई जवाब नहीं है। हम बरसों से लार का इस्तेमाल करते आये हैं। यह आदत है। एक बार लार के बिना गेंदबाजी करेंगे, तभी पता चल सकेगा।(भाषा)
साउथैम्पटन, 10 जुलाई । साउथैम्पटन टेस्ट में अपने गेंदबाजों के दमदार खेल की मदद से कैरेबियाई टीम ने इंग्लैंड को बैकफुट पर धकेल दिया है। इंग्लैंड की टीम अपनी पहली पारी में 204 रन पर सिमट गई जिसके जवाब में दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक इंग्लैंड ने एक विकेट के नुकसान पर 57 रन बना लिए हैं। तीसरे दिन मौसम साफ रहने की उम्मीद है और वेस्टइंडीज की कोशिश होगी कि बल्लेबाजों के दम पर मजबूत स्कोर खड़ा किया जा सके।
गेंदबाजों का जलवा, वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को बैकफुट पर धकेलाकप्तान जेसन होल्डर (6/42) की करियर की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी और गैब्रियल (4/62) की बदौलत वेस्टइंडीज ने पहले क्रिकेट टेस्ट के दूसरे दिन इंग्लैंड को 204 रन पर आउट कर दिया।
कप्तान होल्डर ने जाक क्राउले (10) को पविलियन भेजकर इंग्लैंड की मुश्किलें और बढ़ा दीं। एक बार फिर मैदानी अंपायर ने बल्लेबाज के पक्ष में फैसला दिया था जो रिव्यू पर बदला गया। ओली पोप ने आते ही कवर पर चौका लगाया लेकिन उसके बाद आउट हो गए। होल्डर की गेंद पर उन्होंने विकेट के पीछे कैच थमाया।
दिन का खेल खत्म होने तक एक विकेट के नुकसान पर 19.3 ओवरों में 57 रन बनाए। शाई होप (5) और क्रेग (20) क्रीज पर थे। तभी खराब लाइट की वजह समय से पहले स्टंप्स की घोषणा हो गई। उसका एकमात्र विकेट जॉन कैंपबेल (28) जेम्स एंडरसन के खाते में गया।
इससे पहले इंग्लैंड के कार्यवाहक कप्तान बेन स्टोक्स का टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला गलत साबित होता नजर आया। उनके शीर्ष क्रम के बल्लेबाज शेनोन गैब्रियल और जैसन होल्डर की गेंदों का सामना नहीं कर सके। गैब्रियल ने 62 रन देकर चार और होल्डर ने 42 रन देकर छह विकेट चटकाए।
इंग्लैंड के लिए स्टोक्स ने सर्वाधिक 43 रन बनाए। एक समय पर इंग्लैंड के नौ विकेट 174 रन पर गिर गए थे और लग रहा था कि टीम 200 तक भी नहीं पहुंच सकेगी, लेकिन डोम बेस ने नाबाद 31 रन बनाए और तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन के साथ 30 रन की साझेदारी की।
इंग्लैंड की पारी खत्म होते ही चाय का ब्रेक समय से पहले ले लिया गया। लंच से पहले स्टोक्स को 14 के स्कोर पर लॉन्ग लेग में केमार रोच ने जीवनदान नहीं दिया होता तो इंग्लैंड की हालत और खराब होती। लंच के बाद भी उन्हें 32 के स्कोर पर जीवनदान मिला जब रोच की गेंद पर एक्स्ट्रा कवर में शामार ब्रूक्स ने उनका कैच छोड़ा। स्टोक्स और बटलर ने मिलकर 67 रन बनाए।
बटलर 35 के स्कोर पर होल्डर का शिकार हुए जिनका कैच विकेट के पीछे शेन डोरिच ने लपका। जोफ्रा आर्चर के रूप में होल्डर ने पांचवां विकेट चटकाया। मार्क वुड उनका छठा शिकार बने जिनका कैच गली में शाई होप ने लपका। होल्डर ने 20 ओवर में 42 रन देकर छह विकेट चटकाए।
इससे पहले इंग्लैंड ने कल के स्कोर एक विकेट पर 35 रन से आगे खेलना शुरू किया था। गैब्रियल ने जो डेनले को 18 के स्कोर पर आउट किया और एक फुललैंग्थ गेंद पर ही रोरी बर्न्स (30) को पविलियन भेजा। मैदानी अंपायर ने पगबाधा की अपील पर उन्हे नॉट आउट करार दिया था लेकिन रिव्यू के बाद फैसला बदल गया। उस समय तक इंग्लैंड का स्कोर तीन विकेट पर 34 रन हो गया था।(नवभारत टाईम्स)
साउथैम्टन, 9 जुलाई। वेस्टइंडीज के कप्तान जेसन होल्डर इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच से पहले हाथ न मिलाने का निर्देश लगभग भूल ही गए थे। बुधवार को साउथैम्पटन में इंग्लैंड के खिलाफ टॉस हारने के बाद उन्होंने इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स की ओर हाथ बढ़ा दिया।
लेकिन, यहां स्टोक्स ने अपनी कोहनी आगे बढ़ा दी और दोनों कप्तान अपनी हंसी रोक नहीं पाए। टॉस जीतने के बाद इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। कोरोन वायरस महामारी के बाद यह पहला अंतरराष्ट्रीय मुकाबला खेला जा रहा है।
जैसे ही यह घटना हुई माइक पर ब्रॉडकास्टर ने कहा, आप ऐसा नहीं कर सकते, कोई बात नहीं अब हाथ सैनेटाइज कर लेना। कमाल की बात यह है कि मैदान पर ब्रॉडकास्टर भी मौजूद नहीं था। लेकिन कैमरे और माइक के जरिए वह पूरी घटना का ब्योरा दे रहा था।
वैश्विक महामारी ने आईसीसी को नियम बदलने पर मजबूर किया है ताकि खिलाडिय़ों के लिए सुरक्षित माहौल बनाया जा सके। इसके लिए स्टेडियम में दर्शकों का आना भी मना है और यह पूरी सीरीज खाली ग्राउंड में खेली जा रही है। इसके साथ ही खिलाडिय़ों के लिए भी खुद को ने माहौल मे ढाल पाना आसान नहीं है। उन्हें हाथ मिलाने, गले मिलने और मैच के दौरान जश्न के अन्य तरीकों पर काबू रखना होगा।
116 दिन बाद बुधवार को इंग्लैंड के साउथैम्पटन से इंटरनैशनल क्रिकेट की वापसी हो गई। कोविड- 19 महामारी के संक्रमण फैलने के बाद से ही क्रिकेट समेत सभी खेल गतिविधियों पर लंबा ब्रेक लग गया था। आज से आईसीसी ने क्रिकेट का सीजन तो खोल दिया लेकिन मौसम ने इसे पूरी तरह अपनी हरी झंडी नहीं दी। मैच के पहले सिर्फ 17.4 ओवर का ही खेल हो सका। मैच का पहला सत्र पूरा का पूरा बारिश ने धो दिया। साउथैम्पटन के मैदान पर हल्की-हल्की बारिश पूरा दिन जारी रही। इस बीच कई बार बारिश रुकी लेकिन उसने खेल शुरू होने का मौका नहीं दिया। ग्राउंडमैन कवर को अंदर-बाहर ही करते दिखाई दिए।
पहला सत्र बारिश की भेंट चढ़ गया। दूसरे सत्र में मौसम खुला तो आयोजकों के साथ-साथ टीवी पर मैच देख रहे फैन्स की भी खुशी का ठिकाना न रहा। इंग्लैंड ने टॉस जीता और पहले बैटिंग का निर्णय लिया।
इस टेस्ट में इंग्लिश टीम के नियमित कप्तान जो रूट तो पारिवारिक कारणों से छुट्टी पर थे। ऐसे में उपकप्तान बेन स्टोक्स को टीम की कमान संभालने का मौाक मिला है। स्टोक्स पहली बार किसी टेस्ट मैच में कप्तानी कर रहे हैं। किसी भी स्तर पर बतौर कप्तान यह इस इंग्लिश ऑलराउंडर की पहली परीक्षा है। इससे पहले उन्होंने कभी क्लब स्तर पर भी कप्तानी नहीं की है।
इंग्लैंड की तेज पिचें हमेशा ही अपनी उछाल और स्विंग के लिए जानी जाती हैं। इस बारिश भरे माहौल में स्टोक्स का पहले बैटिंग करने का फैसला साहसिक ही था। भले यहां खेल 17.4 ओवर ही हुआ लेकिन इस दौरान विंडीज के गेंदबाजों ने पिच से उछाल और स्विंग बोलिंग पर पूरा जोर दिया। इंग्लैंड की शुरुआत काफी खराब रही। पारी के दूसरे ओवर में ही डोम सिबली ग्रैबियल की गेंद पर बोल्ड हो गए। वह अपना खाता भी नहीं खोल पाए। इसके बाद रोरी बर्न्स का साथ निभाने जो डेनली आए।
इन दोनों ने इंग्लैंड को कोई और झटका नहीं लगने दिया।
पहले दिन का खेल पूरी तरह बारिश के ही नाम रहा। मैच शुरू होने के बाद भी दो से तीन बार बारिश ने मैच में बाधा डाली। फिर चायकाल से पहले आई बारिश और खराब रोशनी ने खेल दोबारा शुरू ही नहीं करने दिया। अंत में अंपायरों ने पहले दिन का खेल समाप्त घोषित किया। गुरुवार को इंग्लैंड 35/1 से आगे खेलना शुरू करेगा।
लंबे अरसे से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर लगा ब्रेक हट तो गया लेकिन खेल प्रेमियों की मायूसी पूरी तरह हट नहीं पाई। इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच पहले टेस्ट मैच के जरिए फैन्स को लाइव क्रिकेट मैच के दर्शन तो हो गए लेकिन बारिश के चलते वह ज्यादा देर इसका लुत्फ नहीं उठा पाए। आईसीसी ने क्रिकेट का सीजन तो खोल दिया लेकिन मौसम ने इसे पूरी तरह अपनी हरी झंडी नहीं दी। मैच के पहले सिर्फ 17.4 ओवर का ही खेल हो सका।
मैच का पहला सत्र पूरा का पूरा बारिश ने धो दिया। साउथैम्पटन के मैदान पर हल्की-हल्की बारिश पूरा दिन जारी रही। इस बीच कई बार बारिश रुकी लेकिन उसने खेल शुरू होने का मौका नहीं दिया। (नवभारत टाईम्स)
नई दिल्ली, 9 जुलाई । भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली अपनी फिटनेस और वर्कआउट से युवाओं को प्रेरित करते रहते हैं। विराट अपने रूटीन वर्कआउट में ट्विस्ट लाकर अपने स्तर और ऊपर उठा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने हार्दिक पांड्या के दिए गए फ्लाइंग पुश अप्स में ताली जोड़कर उसे और मुश्किल बनाया। अब भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने उन्हें एक और मुश्किल प्लैंक का चैलेंज दिया है। अब देखना होगा कि विराट इस चैलेंज को कैसे और कब पूरा करते हैं।
सुनील छेत्री ने अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम से एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में वह दो बड़े बॉल्स के सहारे प्लैंक करते हुए नजर आ रहे हैं। एक बॉल पर छेत्री के हाथ हैं तो दूसरे पर पैर और इन्हीं पर वह खुद को बैलेंस कर प्लैंक कर रहे हैं। यह काफी मुश्किल है, क्योंकि गेंदों पर शरीर को इस तरह से बैलेंस करना आसान नहीं है।
इस वीडियो को शेयर करते हुए सुनील छेत्री ने लिखा- विराट कोहली मैंने देखा, आपने कुछ दिनों पहले एक चैलेंज दिया था। इसलिए अब मैं भी ऐसा कर रहा हूं। आप भी ऐसा करके दिखाइए। मुझे लगता है कि इसमें कोई ताली बजाना शामिल नहीं होगा! यह जितना दिख रहा है, उससे थोड़ा ज्यादा मुश्किल है।
लॉकडाउन के दौरान भी विराट कोहली ने अपना अधिकतर समय वर्कआउट और खुद को फिट बनाए रखने में बिताया है। विराट की फिटनेस ऐसी है कि वो किसी भी समय इंटरनैशनल मैच खेलने के लिए तैयार रहते हैं। हाल ही में पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान वकार युनूस ने भी विराट कोहली की फिटनेस की जमकर तारीफ की थी।
पूर्व पाकिस्तानी कप्तान ने कहा था, विराट ने दुनिया भर में खिलाडिय़ों के लिए फिटनेस का आधार स्थापित किया है। मुझे लगता है कि इसे हराना मुश्किल है और इस कारण से भी आपको विराट के बारे में सब कुछ पसंद आता है। वह फिट है, वह सबसे अच्छे हैं,वह एक फाइटर हैं इसीलिए हम सभी उन्हें पसंद करते हैं।(लाइव हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली, 8 जुलाई । एक जूनियर खिलाड़ी के पिता की उत्पीडऩ के मामले में लड़ाई से जूनियर डेविस कप खिलाड़ी और चार अन्य के द्वारा कथित आयु धोखाधड़ी का पता चला है, लेकिन राष्ट्रीय टेनिस महासंघ (एआईटीए) ने वर्षों से खेल को प्रभावित करने वाले इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं की है। जूनियर खिलाड़ी ने आरोप लगाया था कि साथी प्रशिक्षु खिलाडिय़ों ने चंडीगढ़ लॉन ट्रेनिस संघ (सीएलटीए) परिसर में उसका उत्पीडऩ किया जिसमें जूनियर डेविस कप खिलाड़ी भी शामिल था। इसके बाद लड़की के पिता के प्रयासों पर आयु धोखाधड़ी का खुलासा हुआ जिसकी जांच पुलिस भी कर रही है।
पीडि़ता के नाबालिग होने के कारण उसके पिता की पहचान नहीं बताई जा सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि लड़की का सबसे पहले मई 2019 में उत्पीडऩ किया गया और फिर जुलाई में दोबारा उसे इसका सामना करना पड़ा। इसके बाद अगस्त में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई। लड़की के पिता ने कहा कि उन्हें यकीन है कि उत्पीडऩ करने वाले अधिक उम्र के खिलाड़ी हैं।
लड़की के पिता ने टेलीफोन पर पीटीआई को बताया, इस मामले में सीएलटीए को मेरी मदद करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने मेरे खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करा दी। उन्हें विश्वास नहीं है कि खिलाड़ी अधिक उम्र के हैं। हम पीडि़त थे लेकिन सीएलटीए ने खिलाडिय़ों को बचाने के लिए वकीलों की सेवाएं ली। यहां तक कि उनके जमानती बांड भी सीएलटीए अधिकारियों ने भरे।
उन्होंने कहा, क्या आप विश्वास कर सकते हो? वे खिलाड़ी अब भी सीएलटीए में खेल रहे हैं जबकि उन्हें सजा दी जानी चाहिए थी। इन पांच खिलाडिय़ों को चार्ट कार्यक्रम में जगह मिली थी जिसके लिए सीएलटीए को कारपोरेट से भारी भरकम राशि मिलती है।
लड़की के पिता ने कहा, इसलिए जब उन्होंने उन खिलाडिय़ों को बचाने और इसकी जगह मुझे प्रताडि़त करने का प्रयास किया तो इस समझा जा सकता था। उन्होंने आरोप लगाया कि 2012 में चंडीगढ़ एकेडमी फॉर रूरल टेनिस (चार्ट) कार्यक्रम से जुडऩे के बाद सीएलटीए ने उन्हें फर्जी आयु प्रमाण पत्र हासिल करने में मदद की। होंडा मोटरसाइकिल एवं स्कूटर इंडिया प्राइवेज लिमिटेड सीएसआर पहल के तहत चार्ट कार्यक्रम का समर्थन करता है।
लड़की के पिता ने हालांकि हार नहीं मानी और रोहतक, पलवल और हिसार के सरकारी स्कूलों में गए जहां आरोपी प्राथमिक स्तर पर पढ़ते थे और वहां से उनके वास्तविक जन्म तिथि जुटाई।
पंजीयक कार्यालय ने इसके बाद पांच में से एक खिलाड़ी के जन्म प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया और अन्य के खिलाफ कार्रवाई चल रही है।
आयु धोखाधड़ी से निपटने में नीरस रवैया दिखाने के आरोपों का सामना करने रहे अखिल भारतीय टेनिस महासंघ (एआईटीए) के पास सीएलटीए में हुआ उसे लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। एआईटीए अधिकतर आयु धोखाधड़ी की शिकायतों में हड्डियों के जरिए आयु निर्धारण करने वाले टैनर वाइटहाउस 3 परीक्षण के लिए संसाधनों की कमी का हवाला देता रहा है।
संपर्क करने पर एआईटीए के महासचिव हिरणमय चटर्जी ने कहा, हमें इस मामले की जानकारी है। यह चिंता की बात है कि इस मामले (उत्पीडऩ के) में डेविस का खिलाड़ी का नाम आया है। यह शर्मनाक है। हमने सीएलटीए से रिपोर्ट मांगी है।
सीएलटीए के महासचिव सुधीर राजपाल ने यह कहकर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि यह मामला अदालत में है जबकि संघ के सीओओ मेघराज ने फोन या एसएमएस का कोई जवाब नहीं दिया। चटर्जी ने कहा कि एआईटीए आयु धोखाधड़ी के मामले में अदालत के फैसले का इंतजार करेगा और फिर भविष्य की कार्रवाई पर फैसला करेगा।(एजेंसी)
नई दिल्ली, 8 जुलाई । पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज वकार यूनुस का कहना है कि 1992 की विश्व कप टीम में ना होने का उन्हें बड़ा अफसोस है। उन्हें चोट की वजह से टीम से बाहर होना पड़ा था। 1996 के वर्ल्ड कप में क्वॉर्टर फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया था। हालांकि, पाकिस्तान 1992 में वल्र्ड कप जीता था, लेकिन टूर्नामेंट के दौरान उसे भारत से हार का सामना करना पड़ा था। 1999 में भी यूनुस पाकिस्तान टीम में नहीं थे और पाक को एक बार फिर से भारत से हार का सामना करना पड़ा था।
2003 में वह पाकिस्तान टीम के कप्तान थे। उन्होंने भारत के खिलाफ बड़ा स्कोर बनाया। 2011, 2015, 2019 में भी वल्र्ड कप के दौरान भारत का दबदबा बना रहा। यूनुस ने ग्लोफैन्स ऑफिशियल के ट्विटर प्लेटफॉर्म पर बताया कि क्यों विश्व कप में पाकिस्तान अच्छा परफॉर्म नहीं पाया? उन्होंने बताया कि क्यों विश्व कप में पाकिस्तान भारत को नहीं हरा पाया है?
वकार यूनुस ने कहा, हमने दूसरे फॉर्मैट में अच्छा प्रदर्शन किया। हमने टेस्ट में अच्छा परफॉर्म किया, लेकिन जब विश्व कप की बात आती है तो भारत का हाथ हमेशा ऊपर रहा है। वे सचमुच इसके काबिल भी रहे। वे हमसे अच्छा क्रिकेट खेले, लेकिन मैच पर नियंत्रण के बावजूद हम दबाव नहीं झेल पाते और हार जाते हैं।
यूनुस ने कहा, मुझे बैंगलोर और दक्षिण अफ्रीका में 2003 के मैच याद हैं। टीम इंडिया बहुत अच्छी टीम थी। वे सकारात्मक माइंड के साथ मैच खेले। उन्होंने हमसे अच्छा क्रिकेट खेला। हम स्मार्टली नहीं खेल पाए। मैच हमारे हाथ में था, लेकिन फिर भी हम हार गए। आप 2011 के वर्ल्ड कप को देखिए। या 1996 के विश्व कप को। मैच हमारे हाथ में था, लेकिन हमने गंवा दिया। इस बात को रेखांकित करना मुश्किल है कि विश्व कप का दबाव कई बार हम क्यों नहीं झेल पाते। यह मनोवैज्ञानिक दबाव भी हो सकता है।
2017 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान को फाइनल में भारत को हराकर मिली जीत एकमात्र बड़ी जीत है। इस साल भी उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी में भारत को हराया, लेकिन उसके बाद टी-20 वल्र्ड कप में पाकिस्तान हार गया।
वर्ल्ड कप में 1992 से दोनों टीमों के बीच मैच खेले जा रहे हैं, लेकिन टीम इंडिया कभी नहीं हारी है। वल्र्ड कप के दौरान भारत और पाकिस्तान सात बार आमने-सामने आए हैं और हर बार पाकिस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा है।(लाइव हिन्दुस्तान)
नई दिल्ली, 8 जुलाई । टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली इन दिनों अपनी पत्नी और बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा के साथ मुंबई में अपने घर में हैं। कोविड-19 महामारी (कोरोना वायरस संक्रमण) के चलते मिले इस अनचाहे ब्रेक के दौरान विराट क्रिकेट से दूर हैं। मुंबई में ही टीम इंडिया के युवा बल्लेबाज श्रेयस अय्यर भी अपने परिवार के साथ हैं। विराट और अय्यर के घर के बीच ज्यादा दूरी नहीं है। अय्यर अपनी मां के हाथ का बना डोसा लेकर विराट के घर पहुंचे। कप्तान विराट ने एक ट्वीट के जरिए खुद इस बात की जानकारी दी।
विराट ने श्रेयस अय्यर के साथ फोटो शेयर करते हुए लिखा, एक अच्छा पड़ोसी, जो हमारे घर से महज 500 मीटर की दूरी पर रहता है, हमारे लिए घर का बना डोसा लेकर आया, जिससे हमारे चेहरे पर मुस्कान आई। आपकी मां को बहुत शुक्रिया हमने लंबे समय से इतना स्वादिष्ट डोसा नहीं खाया था। उम्मीद है कि हमने जो मशरूम बिरयानी भेजी वो आपको पसंद आई होगी।
फोटो में विराट और श्रेयस अय्यर दोनों मास्क पहने हुए नजर आ रहे हैं, विराट ने हाथों में ग्लव्स भी पहन रखे हैं। इस फोटो के लिए विराट ने लिखा, यह नया फोटो नॉर्म है सोशल डिस्टैंसिंग के साथ। मार्च के बाद से टीम इंडिया ने कोई इंटरनैशनल मैच नहीं खेला है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अभी तक खिलाडिय़ों के लिए ट्रेनिंग कैंप भी शुरू नहीं किए हैं। सभी क्रिकेटर्स अपने-अपने हिसाब से इनडोर और आउटडोर ट्रेनिंग कर रहे हैं। (लाइव हिन्दुस्तान)
ऑकलैंड, 8 जुलाई । न्यूजीलैंड के पूर्व कोच माइक हेसन ने स्वीकार किया कि 2012 में रोस टेलर को कप्तान पद से हटाना उनके करियर का सबसे मुश्किल दौर था। उन्होंने कहा कि इसे बेहतर तरीके से निबटा जा सकता था, लेकिन उन्हें इस विवादास्पद फैसले पर खेद नहीं है। टेलर ने 2012 में सभी प्रारूपों में कप्तान पद छोड़ दिया था क्योंकि हेसन ने उनसे सीमित ओवरों की कप्तानी ब्रैंडन मैक्कुलम को सौंपने के लिए कहा था।
माइक हेसन ने स्काई स्पोर्ट्स के एक कार्यक्रम में कहा, निश्चित तौर पर यह मेरे कोचिंग करियर का सबसे मुश्किल दौर था। उन्होंने कहा, मैं उन कारणों के बारे में सोचता हूं, जिनकी वजह से मैं कोच हूं। कई बार मैं रात में खुद से पूछता हूं कि क्या मैंने सही कारणों से फैसला किया, क्योंकि मुझे लगता था कि इससे टीम को फायदा होगा।
यह 45 वर्षीय कोच अभी इंडियन प्रीमियर लीग की फ्रेंचाइजी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के क्रिकेट संचालन निदेशक हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि वह इस पूरे घटनाक्रम को बेहतर तरीके से संभाल सकते थे। हेसन ने कहा, वह वास्तव में बुरा दौर था। लेकिन मुझे अपने फैसले पर खेद नहीं है, लेकिन मुझे निश्चित तौर पर इसके परिणामों और लोगों ने इसे जिस तरह से समझा, उस पर खेद है।
उन्होंने कहा कि टीम के अंदर ही कुछ ऐसे लोग थे, जो दोनों पक्षों में अपना समर्थन दिखाकर आग में घी डालने का प्रयास कर रहे थे। हेसन ने कहा, रोस जिस दौर से गुजरा उससे मुझे उसके प्रति सहानुभूति है और यह वास्तव में पूरी टीम के लिए मुश्किल दौर था। हमारे साथ कुछ ऐसे भी लोग थे, जो दोनों पक्षों के प्रति हमदर्दी जताकर आग में घी डालने का प्रयास कर रहे थे।
उन्होंने कहा, मेरा आज भी मानना है कि वह सही फैसला है। क्या उसे बेहतर तरह से किया जा सकता था। बेशक ऐसा हो सकता था। हेसन ने कहा कि यह फैसला गलत समय पर किया गया था, क्योंकि टीम ने तब श्रीलंका पर जीत दर्ज की थी और टेलर ने उसमें एक जीनियस की तरह प्रदर्शन किया था। ब्रैंडन मैक्कुलम की कप्तानी में न्यूजीलैंड ने सभी प्रारूपों में सफलता हासिल की। इनमें 2015 का विश्व कप भी शामिल है, जिसमें टीम उप विजेता रही थी।(एजेंसी)