अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और प्रमुख विपक्षी नेता ख्वाजा आसिफ को आय से अधिक संपत्ति के मामले में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने गिरफ्तार किया है. आसिफ की गिरफ्तारी की विपक्षी दलों ने आलोचना की है.
मंगलवार को राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने विपक्ष के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया. एनएबी आसिफ के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच कर रही है और उसी के तहत यह गिरफ्तारी हुई है. आसिफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक हैं, एनएबी ने उन्हें इस्लामाबाद में पार्टी की बैठक के बाद गिरफ्तार किया. एनएबी ने एक बयान में कहा है, "ख्वाजा आसिफ ने कथित रूप से आय से अधिक संपत्ति बनाई है. उन्होंने संपत्ति बनाने की प्रकृति, साधन और हस्तांतरण को छिपाया."
पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक एनएबी ने कहा है कि आसिफ को जांच के लिए समन किया गया था लेकिन वे जरूरी सबूतों को उपलब्ध कराने में नाकाम रहे थे. 1991 में जब आसिफ ने सरकारी पद संभाला था तब उनकी कुल संपत्ति 51 लाख पाकिस्तानी रुपये थी लेकिन साल 2018 में यह बढ़कर 22 करोड़ पाकिस्तानी रुपये हो गई. स्थानीय मीडिया में एनएबी के हवाले से कहा गया है कि "उनकी आय के ज्ञात स्रोतों के साथ बढ़ी हुई संपत्ति न्यायोचित नहीं है."
एनएबी ने यह भी कहा कि आसिफ ने यूएई में एक कंपनी के लिए काम करके इतनी बड़ी धनराशि अर्जित करने का दावा किया था. हालांकि, "जांच से पता चला कि वे उस समय पाकिस्तान में थे और उन्होंने अपने रोजगार के सिलसिले में जो दस्तावेज उपलब्ध कराए थे वे आय के फर्जी स्रोतों का सबूत हैं."
विपक्ष ने गिरफ्तारी की आलोचना की
पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ ने ख्वाजा आसिफ की गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "आसिफ की गिरफ्तारी चयनकर्ताओं और चयनित साठगांठ के बीच एक बेहद निंदनीय घटना है. इस तरह की घिनौनी कार्रवाई से सरकार की घबराहट का अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन वे अपने अंत को करीब ला रहे हैं." नवाज शरीफ पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं और हाल ही में अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया है.
आसिफ भी पीएमएल-एन के उन नेताओं में से एक हैं, जिन्हें पार्टी में प्रधानमंत्री इमरान खान की कड़ी आलोचना के लिए जाना जाता है और नवाज शरीफ की तरह उन्हें भी भ्रष्टाचार जैसे कई आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. आसिफ की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब विपक्ष इमरान खान के चुनावी धोखाधड़ी और राजनीतिक मामलों में सैन्य हस्तक्षेप के आरोपों पर इस्तीफे की मांग कर रहा है. विपक्ष ने प्रधानमंत्री पर देश की आर्थिक स्थिति में सुधार करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया है.
एए/एनआर (एपी)
न्यूयॉर्क, 30 दिसंबर | एक संघीय अदालत ने अमेरिका स्थित एक कंप्यूटर स्कैम को स्थायी रूप से बंद कर दिया है, जो भारत में कॉल सेंटर ऑपरेटरों द्वारा बुजुर्ग अमेरिकियों को निशाना बनाने से संबंधित है। इसके चलते हजारों डॉलर का नुकसान होता था।
न्याय विभाग ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि अदालत ने माइकल ब्रायन कॉटर और चार कंपनियों के खिलाफ स्थाई रोक का आदेश दिया और उनके टेलीमार्केटिंग और वेब साइटों के माध्यम से तकनीकी सहायता देने की पर भी रोक लगा दी। अमेरिकी अधिकारियों और भारत के केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के संयुक्त अभियान के बाद ऐसा किया गया।
विभाग ने कहा कि कुछ मामलों में कथित धोखाधड़ी करने वालों ने माइक्रोसॉफ्ट की आड़ लेकर ऐसा किया जिससे मामलों को ट्रांसनेशनल एल्डर फ्रॉड स्ट्राइक फोर्स के संज्ञान में लाया गया।
विभाग ने अक्टूबर में कोटर और कंपनियों के खिलाफ मयामी, फ्लोरिडा में अदालत के समक्ष इंजंक्शन का अनुरोध किया था, और एक अस्थायी रोक लगाने का आदेश तुरंत दिया गया था और अब इसे स्थायी बना दिया गया है।
भारत के सहयोग की सराहना करते हुए, कार्यवाहक सहायक अटॉर्नी जनरल जेफरी बॉसर्ट क्लार्क ने कहा, तकनीकी सहायता धोखाधड़ी योजनाओं और विदेशों में बनाई गई अन्य योजनाओं की जांच करने, मुकदमा चलाने में भारत की सीबीआई सहित विदेशी कानून प्रवर्तन के सहयोग के लिए विभाग आभारी है।
शिकायत में कहा गया कि कोटर ने कथित तौर पर भारत में साजिशकर्ताओं के साथ काम किया।
शिकायत में उल्लिखित कंपनियों में से एक सिंगापुर में पंजीकृत है। (आईएएनएस)
जाग्रेब, 30 दिसंबर | क्रोएशिया में आए भूकंप में करीब पांच लोगों के मारे जाने और 20 लोगों के घायल होने की जानकारी मिली है। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने मंगलवार को यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सिस्मोलॉजिकल सेंटर (ईएमएससी) के हवाले से बताया, यह भूकंप क्रोएशिया की राजधानी जाग्रेब से लगभग 50 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में दोपहर 12.19 बजे छोटे से शहर पेट्रींजा में आया।
घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और बचाव दल मलबे में फंसे लोगों की तलाश कर रहे हैं।
मीडिया रिपोटरें से पता चला है कि प्रभावित क्षेत्र में मकानों की छतें ढह गई हैं, वहीं कई इमारतें और कार भी क्षतिग्रस्त हुई हैं।
पेट्रींजा के मेयर डारिन्को डंबोविक ने संवाददाताओं को बताया, "मेरा शहर पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। हमारे पास एक मृत बच्चा है। इसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। यह हिरोशिमा जैसा है।"
प्रधानमंत्री एंड्रेज प्लेनकोविच , राष्ट्रपति जोरान मिलानोविच और अन्य मंत्रियों ने घटना के एक दिन बाद शहर का दौरा किया।
प्लेंकोविच ने पेट्रींजा में संवाददाताओं से कहा, हम दुखी हैं। यह एक त्रासदी है। सेना यहां है और पुलिस, नागरिक सुरक्षा, अग्निशमन, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं पहुंच रही हैं। वहीं भूकंप क्षेत्र में सोमवार की सुबह भी 5.2 तीव्रता के झटके महसूस किए गए, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ।
वहीं मंगलवार को आया भूकंप पूरे देश में महसूस किया गया।
सरकार ने हाल ही में कोरोनावायरस प्रकोप के कारण शुरू की गई काउंटियों के बीच यात्रा पर प्रतिबंध को समाप्त कर दिया है।
भूकंप से राजधानी जाग्रेब को भी नुकसान हुआ।
जाग्रेब में मार्च में भी 5.3 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 30 घायल हो गए थे।
हालिया भूकंप के मद्देनजर पड़ोसी स्लोवेनिया में क्रैस्को परमाणु ऊर्जा संयंत्र को एहतियात के तौर पर बंद कर दिया गया है।
यह संयंत्र पेट्रींजा से लगभग 80 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है।
संयंत्र के एक प्रवक्ता ने स्थानीय मीडिया को बताया कि इस तरह के एक मजबूत भूकंप के दौरान यह एक सामान्य प्रक्रिया थी।
यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उसुर्ला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) क्रोएशिया का समर्थन करेगा।
उन्होंने मंगलवार को ट्वीट किया, "हम समर्थन के लिए तैयार हैं .. हम क्रोएशिया के साथ खड़े हैं।" (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 30 दिसंबर | वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 8.19 करोड़ से अधिक हो गई है, जबकि मौतें 17.8 लाख से अधिक हो गई है। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने बुधवार को दी।
यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने बुधवार सुबह अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि वर्तमान वैश्विक मामले और मृत्यु क्रमश: 81,960,614 और 1,788,731 हैं।
सीएसएसई के अनुसार, दुनिया का सबसे अधिक कोविड प्रभावित देश अमेरिका है, जहां 19,548,706 मामले और 338,544 मौतें दर्ज की गई हैं।
संक्रमण के मामलों के हिसाब से अमेरिका के बाद भारत 10,224,303 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में कोविड से मरने वालों की संख्या 148,153 है।
सीएसएसई के अनुसार, दस लाख से अधिक मामलों वाले अन्य देश ब्राजील (7,563,551), रूस (3,073,923), फ्रांस (2,631,110), ब्रिटेन (2,389,963), तुर्की (2,178,580), इटली (2,067,487), स्पेन (1,893,502), जर्मनी (1,692,109), कोलम्बिया (1,614,822), अर्जेंटीना (1,602,163), मैक्सिको (1,401,529), पोलैंड (1,268,634), ईरान (1,212,481), यूक्रेन (1,068,476), दक्षिण अफ्रीका (1,021,451) और पेरू (1,008,908) हैं।
कोविड से हुई मौतों के मामले में अमेरिका के बाद ब्राजील 192,681 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है।
वहीं 20,000 से अधिक मृत्यु दर्ज करने वाले देश मेक्सिको (123,845), इटली (73,029), ब्रिटेन (71,675), फ्रांस (64,204), रूस (55,107), ईरान (54,946), स्पेन (50,442), अर्जेंटीना (43,018), कोलंबिया (42,620), पेरू (37,525), जर्मनी (31,655), दक्षिण अफ्रीका (27,568), पोलैंड (27,454), इंडोनेशिया (21,703) और तुर्की (20,388) है। आईएएनएस
जब से इंटरनेट हमारे घरों में दाख़िल हुआ है, एक छोटी सी बात कई घरों में बहुत से परिवारों के साथ हो रही है. कैथलीन मैंगन वैल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उनके पति इंटरनेट पर वक़्त गुज़ारा करते थे और ये बात कैथलीन को कहीं खटक रही थी. एक रोज़ कैथलीन का कम्प्यूटर ख़राब हो गया तो वो अपने पति का सिस्टम इस्तेमाल करने लगीं.
कैथलीन को लगता था कि उनके पति का किसी दूसरी औरत के साथ चक्कर चल रहा है. अपने इस शक को दूर करने के लिए कैथलीन ने अपने पति के कम्प्यूटर में एक ऐसा सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल कर दिया जिससे वे उन पर नज़र रख सकती थीं. लेकिन इस जासूसी की वजह से जो बात उनके सामने आने वाली थी, इसका उन्हें दूर-दूर तक अंदाज़ा नहीं था.
कैथलीन के पति इंटरनेट पर यंत्रणा और यौन हमले का शिकार होती महिलाओं की तस्वीरें खोज रहे थे. इतना ही नहीं, वो शख़्स जिसे कैथलीन अपना पति मानती थीं, वो इंटरनेट पर 'किसी महिला को किडनैप करने', 'इंसानी गोश्त को पकाने की रेसिपी' और 'गोरे लोगों की ग़ुलामी' खोज रहा था.
अजीब तरह की यौन इच्छाओं को स्पेस देने वाले एक वेब फ़ोरम पर कैथलीन के पति ने 'गर्लमीट हंटर' यूज़रनेम से इंसानी गोश्त खाने और किसी पर यौन हमला करने से जुड़े अपने अनुभवों के बारे में बहुत विस्तार से पोस्ट किए थे.
इससे भी बदतर बात ये थी कि उनके पति अन्य पुरुषों के साथ इंटरनेट पर चैट करते थे कि अपने जानने वाली औरतों को वो कब, कहां और कैसे किडनैप करेंगे, उसका क़त्ल करेंगे और फिर उसे खा लेंगे. इन औरतों में कैथलिन के ज़िक्र के साथ-साथ उसके कॉलेज की दोस्तों से लेकर पास में रहने वाली एक किशोर उम्र की लड़की तक शामिल थी.
गिलबर्टो वैले की कहानी
आख़िरकार, अक्टूबर 2012 में उनके पति को गिरफ़्तार कर लिया गया. फ़रवरी, 2013 में जब कैथलीन के पति पर मुक़दमे की सुनवाई हो रही थी तो उन्होंने अपनी गवाही में रोते हुए कहा, "वो मेरा पैर बांध कर मेरा गला काट देना चाहते थे ताकि जब ख़ून का फ़व्वारा फूटे तो वो इसका मज़ा उठा सके."
इन लोगों पर पागलपन की हद तक एक तरह का यौन जुनून छाया हुआ था, जिनमें कैथलिन के पति भी शामिल थे. वे इंटरनेट पर दो महिलाओं का एक-दूसरे के सामने ही रेप करने की बात कर रहे थे ताकि दोनों का डर ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ जाए. इतना ही नहीं, उनका इरादा दोनों महिलाओं को 'तंदूर में 30 मिनट तक पकाने' का भी था ताकि उनका दर्द लंबे समय तक बना रहे.
कैथलिन की गवाही सुनने के बाद उनके पति गिलबर्टो वैले भी रो पड़े. लेकिन इस कहानी के दुनिया के सामने आने और खेल ख़त्म होने से पहले तक गिलबर्टो वैले न्यूयॉर्क पुलिस के एक ऐसे अधिकारी थे जिनके पास मनोविज्ञान की डिग्री थी. 28 साल के गिलबर्टो के घर कुछ महीने पहले ही बेटी ने जन्म लिया था.
गिलबर्टो पर इंटरनेट पर महिलाओं के अपहरण, बलात्कार, हत्या और इंसानी गोश्त खाने की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया था. उन पर कई महिलाओं के पते और फ़ोन नंबर प्राप्त करने के लिए सरकारी डेटाबेस के इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया था. सबूत इतने मज़बूत थे कि उन्हें नकारा नहीं जा सकता था.
गिलबर्टो की हक़ीक़त जानने के बाद कैथलिन डर कर अपने अपने माता-पिता के घर भाग गईं, जहां से उन्होंने एफ़बीआई से संपर्क किया और फिर उन्हें अपने लैपटॉप और घर के दूसरे कंप्यूटर तक एक्सेस दी. अभियोजन पक्ष ने कई दलीलें दीं. प्रॉसीक्यूशन जब अपनी बात रख रहा था तो रैंडल डब्ल्यू जैक्सन नाम के एक वकील का हवाला दिया गया.
मुक़दमा और सबूत
इस वकील से गिलबर्टो ने एक बातचीत में एक जानने वाली महिला के बारे में कहा था कि वो उसे ओवन में रखने की योजना बना रहा है. डार्क वेब पर गिलबर्टो की गतिविधियों का ज़िक्र आया तो ये बात सामने आई कि उसने अपराध के हर बारीक ब्योरे के बारे में वहां पर ज़िक्र कर रखा है.
बचाव पक्ष के वकील ने गिलबर्टो के ख़िलाफ़ पेश किए गए सबूतों की वास्तविकता पर एतराज़ नहीं जताया. इसके विपरीत, उन्होंने स्वीकार किया कि ये बातें किसी डरावनी फ़िल्म की तरह ही चौंकाने वाली और भयानक थीं.
हालांकि गिलबर्टो की पैरवी कर रहीं वकील जूलिया एल. गैटो ने कहा कि उनके मुवक्किल और हॉरर फ़िल्म में एक चीज़ कॉमन है, "वे विशुद्ध रूप से कपोल कल्पना है, जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नही है. ये दहला देने वाली फ़ैंटसी है."
एटॉर्नी जूलिया ने गिलबर्टो के मुक़दमे को मौलिक अधिकारों से जोड़ते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को सोचने का अधिकार है, अपनी बात कहने का हक़ है और यहां तक कि कल्पनाओं में आने वाली अंधकारपूर्ण विचारों को लिखने का भी अधिकार है.
इस मुक़दमे का एक दूसरा पहलू ये भी था कि गिलबर्टो के ख़िलाफ़ जो भी सबूत सामने रखे गए थे, उन सब के बावजूद एक भी ऐसा साक्ष्य नहीं पेश किया जा सका जिससे ये साबित होता हो कि उन्होंने उन महिलाओं को ज़रा सा भी नुक़सान पहुँचाया हो.
'आदमख़ोर पुलिसवाला'
मीडिया ने गिलबर्टो को 'आदमख़ोर पुलिसवाला' क़रार दिया था. ये मुक़दमा लॉ स्कूल में अब केस स्टडी के तौर पर पढ़ाया जाता है. कौन से विचार 'सामान्य' हैं और कौन से 'ख़तरनाक'? इसकी क़ानूनी हद क्या है? गिलबर्टो के केस में ये सारे हैरान कर देने वाले सवाल सामने आए.
अपराध की रोकथाम के नाम पर दख़ल देने का सही समय कब है? क्या इच्छाएँ और फ़ैटेसी अपराध हो सकती हैं? गिलबर्टो का मुक़दमा देख रहे जूरी के मुताबिक़, इसका जवाब हां था. गिलबर्टो को 'अपहरण की साज़िश' और 'सरकारी डेटाबेस के बेजा इस्तेमाल' का दोषी पाया गया था.
उन्होंने इंटरनेट पर जो कुछ भी लिखा, उसमें से उन्होंने कुछ भी नहीं किया था, लेकिन इसके बावजूद ये सब लिखने के लिए उन्हें जेल भेजा गया था. लेकिन क्या ये उन लेखकों पर लागू नहीं होती हैं, जो ऐसी किताबें, फ़िल्में और टीवी शो की स्क्रिप्ट लिखते हैं और जो बेहद कामयाब भी होती हैं.
ये सच है कि इन लेखकों के विपरीत गिलबर्टो और जिन लोगों के साथ उन्होंने ये विचार व्यक्त किए थे, उनकी स्थिति अलग थी. ऐसा इसलिए था क्योंकि गिलबर्टो इस तरह की यौन उत्तेजना की स्थिति में थे, जिस वजह से उन्होंने ऐसी स्थिति की कल्पना की थी.
लेकिन गिलबर्टो को दोषी पाया गया, न केवल अपने विचारों को लिखने के लिए, बल्कि अन्य लोगों के साथ अपराध की साज़िश रचने और उसे ईमेल पर दूसरे लोगों के साथ शेयर करने के लिए. उन्होंने जो किया वो 'अपराध की शुरुआती अवस्था' थी.
'होमिसाइडल आइडिएशन'
अमेरिका में जहां उन पर मुक़दमा चला, ये वो अपराध होते हैं जो दरअसल हुए ही नहीं होते हैं या जिन्हें अंजाम नहीं दिया गया होता है. लेकिन क्या वे वास्तव में ऐसा करते? जो करने की वे योजना बना रहे थे? क्या इससे कोई फ़र्क़ पड़ता है? ये बात ध्यान में रखी जानी चाहिए कि नरभक्षी इच्छाएं इतनी सामान्य नहीं हैं जितना किसी के क़त्ल करने की ख्वाहिश होती है.
मनोविज्ञान में इसे 'होमिसाइडल आइडिएशन' कहा जाता है और कई वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च किया है. एक रिसर्च में पाया गया कि 73 फ़ीसद पुरुषों और 66 फ़ीसद महिलाओं के मन में किसी की जान लेने का विचार आया. नतीजों की पुष्टि के लिए जब ये प्रयोग दोहराया गया तो लगभग वही नतीजे रहे. 79 फ़ीसद पुरुषों और 58 फ़ीसद महिलाओं ने ये बात मानी.
इस स्टडी में भाग लेने वाले प्रतिभागी किसको मारना चाहते थे? पुरुषों के मन में अपने सहकर्मियों या अजनबियों को मारने का ख़्याल अधिक आया था जबकि महिलाएं किन्हीं वजहों से परिवार के किसी सदस्य को लेकर ज़्यादा आशंकित थीं.
लेकिन ऐसा क्यों होता है? क्रिमिनल साइकोलॉजी की जानकार जूलिया शॉ कहती हैं, "कुछ विकासवादी मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह के विचार अलग-अलग रूप ले सकते हैं. ऐसी इच्छाएं वास्तव में काल्पनिक योजना बनाने की हमारी क्षमता से पैदा होती हैं. ये हमें ख़ुद से सवाल पूछने की अनुमति देता है. अगर मैंने कुछ बहुत ग़लत किया तो क्या होगा?"
"जब हम मानसिक रूप से इस स्थिति का पूर्वाभ्यास करते हैं, तो हम महसूस करते हैं कि किसी को मारना शायद ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम वास्तव में करना चाहते हैं या जिसके परिणाम को हम जी सकते हैं."
फ़ैसले के ख़िलाफ़ फ़ैसला
ये अच्छे विचार नहीं हैं, लेकिन 'डुइंग ईविल' नाम की किताब की लेखक जूलिया शॉ कहती हैं, "जो लोग आने वाले कल के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होते, उनके भावनात्मक होने की अधिक संभावना होती है और फिर वे इस पर जीवन भर पछतावा करते हैं."
इसलिए बुरी इच्छाओं के बारे में सोचते रहना अच्छा हो सकता है. लेकिन इसकी लक्ष्मण रेखा क्या होनी चाहिए? गिलबर्टो की अपील की सुनवाई करने वाले एक जज ने कहा, "गिलबर्टो जहां पाए गए, यक़ीनन वो जगह तो उसकी लक्ष्मण रेखा नहीं हो सकती." ट्रायल कोर्ट के जजमेंट के 21 महीने बाद अपील कोर्ट में पिछले फ़ैसले को पलट दिया गया.
जज पॉल गार्डेफ़ ने फ़ैसला सुनाया, "गिलबर्टो अपनी पत्नी, यूनिवर्सिटी के पुराने दोस्तों और परिचितों के बारे में जिस तरह के विचार रखते थे, वो उनके वास्तव में एक बीमार दिमाग़ को दिखलाते हैं लेकिन ये उन्हें दोषी ठहराने का ठोस आधार नहीं हो सकता."
गिलबर्टो के ख़िलाफ़ साज़िश रचने के जितने पुख़्ता सबूत थे, उसके बावजूद जज पॉल गार्डेफ़ ने ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले को ग़लत ठहराया. अपने फैसले में उन्होंने एक स्थिति का हवाला दिया जिसमें गिलबर्टो ने कथित तौर पर साल 2012 की शुरुआत में एक ही सोमवार को तीन महिलाओं का अपहरण करने के लिए अपने ऑनलाइन दोस्तों के साथ 'सहमति' जताई थी.
इनमें एक महिला न्यूयॉर्क शहर में, एक पाकिस्तान में और एक ओहियो में थी. जज पॉल गार्डेफ़ ने कहा, "कोई जूरी ये निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है कि गिलबर्टो वास्तव में एक ही तारीख़ पर ये सब कुछ कैसे अंजाम दे सकता है."
गिलबर्टो की वकील जूलिया साल 2014 की जुलाई के महीने में ये मुक़दमा जीतने के बाद अदालत से ये कहते हुए बाहर निकलीं कि "गिलबर्टो केवल अपनी अपरंपरागत सोच के लिए दोषी हैं. हम किसी के विचारों की पुलिसिंग नहीं कर सकते. सरकार को हमारे दिमाग़ों में नहीं झांकना चाहिए."
साल 2016 में आई किताब 'रॉ डील, द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ एनवाईपीडीस कैनिबल कॉप' को गिलबर्टो ने ब्रायन व्हाइटनी के साथ मिल कर लिखा था. किताब के प्रकाशक 'वाइल्ड ब्लू प्रेस' ने किताब छापने की वजह बताई. इसमें लिखा गया कि लेखक की कल्पना में महिलाओं के साथ जैसा बर्ताव होता है, जनता के बहुमत की तरह, वो भी इस बात को नापसंद करते हैं.
किताब के अग्रलेख में लिखा गया है, "लेकिन यह सोचना भी महत्वपूर्ण है कि जब कोई विचार अपनी हद को पार करता है और अपराध बन जाता है? तो इसके बारे में सोचा जाना चाहिए...."
इस किताब के बाद गिलबर्टो ने चार उपन्यास लिखे हैं और अब वह उन चीज़ों को बेचकर पैसा कमा रहा है जो वह गुप्त रूप से लिखा करते थे. (bbc)
लैटिन अमेरिकी देश अर्जेंटीना में गर्भपात को वैध बनाने की तैयारी हो रही है. देश की सीनेट मंगलवार को इससे जुड़े बिल पर वोटिंग करेगी. हालांकि ईसाई बहुल देश में कई हल्के इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं.
अर्जेंटीना, 29 दिसंबर | गर्भपात के मुद्दे पर दो फाड़ हुई सीनेट मंगलवार को मतदान के जरिए तय करेगी कि अर्जेंटीना में गर्भपात को वैध होना चाहिए या नहीं. विशेषज्ञों का कहना है कि फैसला किसी भी तरफ जा सकता है.
राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज ने इस बिल का प्रस्ताव रखा था. कैथोलिक चर्च और इवैंजेलिक ईसाइयों के कड़े विरोध के बावजूद संसद के निचले सदन चैंबर ऑफ डेप्युटीज ने 11 दिसंबर को इस बिल को मंजूरी दे दी.
फर्नांडीज का कहना है, "मैं कैथोलिक हूं, लेकिन मुझे सभी के लिए कानून बनाना है. हर साल लगभग 38,000 महिलाओं को (गुप्त रूप से) गर्भपात कराने के लिए अस्पताल जाना पड़ता है और (1983 में) लोकतंत्र बहाली के बाद से 3,000 से अधिक महिलाएं इस कारण मारी गई हैं."
जन्म और मृत्यु
सरकार का कहना है कि तकरीबन 4.4 करोड़ की आबादी वाले देश अर्जेंटीना में एक साल में 3.7 लाख से 5.2 लाख अवैध गर्भपात होते हैं. दो साल पहले इसी तरह का बिल निचले सदन में पारित हुआ, लेकिन सीनेट में इसे मंजूरी नहीं मिली. मौजूदा बिल का लक्ष्य है 14 सप्ताह तक स्वैच्छिक गर्भपात को वैध बनाना. फिलहाल सिर्फ दो मामलों में गर्भपात की अनुमति है. पहला बलात्कार और दूसरा जब मां के जीवन को खतरा हो.
कोरोना महामारी को रोकने के उपायों के बावजूद, गर्भपात के समर्थक और विरोधी, दोनों ही ने संसद के सामने प्रदर्शन करने की योजना बनाई है. कैथोलिक चर्च और इवैंजेलिक चर्चों के नेताओं ने अपने समर्थकों से कहा है, "अजन्मे जीवन के सम्मान और देखभाल के लिए एकजुट हों." ईसाई नेताओं का कहना है, "जन्म और मृत्यु का समय सिर्फ भगवान तय करता है और इस मामले में वह इंसान के हस्तक्षेप को रोकता है."
अहम परीक्षा
फर्नांडीज के सत्ताधारी गठबंधन के पास 72 सदस्यों वाली सीनेट में 41 सीटें हैं. फिर भी यह मतदान उनके लिए कड़ी परीक्षा है. सत्ताधारी गठबंधन में भी हर कोई इस बिल के समर्थन में नहीं है, जबकि ज्यादातर दक्षिणपंथी नव-उदारवादी विपक्ष इसके विरोध में है.
सत्ताधारी गठबंधन की एक सीनेटर नैन्सी गोंजालेज का कहना है, "सीनेट में कई वोट ऐसे हैं जिनका फैसला अभी तक नहीं हुआ है. उनका पता अंत में ही चलेगा."
परिणाम दो गर्भपात विरोधी सीनेटरों की अनुपस्थिति के कारण प्रभावित हो सकता है. एक यौन शोषण का आरोप लगने के कारण वोटिंग के समय मौजूद नहीं रह सकेंगे, जबकि 90 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति कार्लोस मेनम अस्पताल में भर्ती हैं जहां उनके हृदय और गुर्दे के दर्द का इलाज चल रहा है.
अगर मतदान में कोई निर्णय नहीं हुआ तो फैसला सीनेट अध्यक्ष क्रिस्टीना किर्शनर लेंगी. किर्शनर देश की पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान उप-राष्ट्रपति हैं. दो साल पहले गर्भपात विरोधी अपना नजरिया बदलकर वह इसके समर्थकों में शामिल हो गईं.
बहुत हुआ
कॉर्डोबा विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलॉजिकल म्यूजियम के निदेशक फाबियोला हेरेडिया ने सोशल मीडिया पर लिखा, "यह (गर्भपात) कानून को आखिरकार मंजूरी देने का मौका है. बहुत हो चुका. आपराधीकरण, कलंक और ऐतिहासिक रूप से गर्भवती महिलाओं की स्वतंत्रता को दबाने वाली रणनीति बंद होनी चाहिए." गर्भपात समर्थक कई वर्षों से गर्भपात कानूनों को बदलने के लिए अभियान चला रहे हैं, जो 1921 से देश में चले आ रहे हैं.
लैटिन अमेरिका में सिर्फ क्यूबा, उरुग्वे, गुयाना और मेक्सिको सिटी में गर्भपात कानूनी है. अल सल्वाडोर, होंडुरास और निकारागुआ में यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है और यहां महिलाओं को गर्भपात के लिए जेल की सजा हो भी सुनाई जा सकती है.
एसएस/एके (एएफपी)
ब्राजील के स्टार फुटबॉल खिलाड़ी एक नए विवाद के केंद्र में आ गए हैं. ब्राजील की मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि वो नए साल के मौके पर एक बड़ी पार्टी दे रहे हैं. महामारी के दौर में पार्टी की बात से नेमार की आलोचना हो रही है.
ब्राजील, 29 दिसंबर | ब्राजील के ओ ग्लोबो अखबार के कॉलमनिस्ट अकेलमो गोज ने लिखा है कि पेरिस सेंट जर्मन के फॉरवर्ड प्लेयर रियो डे जनेरो के पास समंदर किनारे आलीशान बंगले में 500 लोगों की पार्टी की मेजबानी कर रहे हैं. शनिवार को शुरू हुई यह पार्टी नए साल के पहले दिन तक चलेगी.
मशहूर फुटबॉल खिलाड़ी अपनी पार्टियों से जुड़े विवादों के लिए भी खासे चर्चित रहे हैं. खबर ये आ रही है कि पड़ोसियों को उनकी पार्टी से दिक्कत ना हो इसके लिए उन्होंने साउंडप्रूफ उपकरण भी लगवाए हैं. चर्चित हस्तियों के बारे में सनसनीखेज खबरें लाने वाले मेट्रोपोल्स के कॉलमनिस्ट लियो डियास ने तो उन कलाकारों के नाम भी बताए हैं जो कथित रुप से नेमार की पार्टी में परफॉर्म करेंगे. इसमें लुडमिला और वेस्ले साफादाओ का नाम लिया गया है. पार्टी में शामिल मेहमानों के मोबाइल फोन कथित रूप दरवाजे पर ही जमा करा लेने की कबात भी कही जा रही है. ये इसलिए ताकि पार्टी से जुड़ा कोई सबूत सोशल मीडिया तक ना पहुंचे.
कोरोना के कारण सबसे ज्यादा लोगों की मौत वाले देशों की सूची में ब्राजील दूसरे नंबर पर है. करीब 74 लाख लोग यहां संक्रमित हुए हैं और 191,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है.
इवेंट आयोजित करने वाली एजेंसी एजेंसिया फाब्रिका ने एक बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि नए साल के मौके पर कोस्टा वेर्डे में 150 लोगों की एक पार्टी के लिए उससे संपर्क किया गया है. नेमार का विला इसी इलाके में है. एजेंसिया फाब्रिका का कहना है कि पार्टी में सार्वजिक संस्थाओं के तय किए सारे नियमों का पालन किया जाएगा. एजेंसी का कहना है कि पार्टी के लिए जरूरी सभी मंजूरियां हासिल कर ली गई हैं.
हालांकि नेमार के वकील ने किसी पार्टी की योजना या फाब्रिका की पार्टी से नेमार के जुड़े होने से इनकार किया है. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "नहीं यह एक फाब्रिका इवेंट है. यह नेमार से जुड़ा नहीं है."
नेमार का विला कोस्टा वेर्दे के मांगारातिबा म्युनिसिपल इलाके में है. स्थानीय नगरपालिका ने इलाके में रहने वाले 41000 लोगों से कहा है कि वो कोई पार्टी आयोजित ना करें और बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा होने से रोकने कि लिए जगह जगह बैरियर भी लगाए गए हैं. नगरपालिका ने भी ऐसी किसी पार्टी की जानकारी होने से इनकार किया है.
नेमार ने 13 दिसंबर को टखने में चोट लगने के बाद से कोई मैच नहीं खेला है. उन्होंने पार्टी की खबर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और हाल के दिनों में वो सोशल मीडिया पर बस अपने परिवार की तस्वीरें डालते रहे हैं.
उनका मांगारातिबा मैनसन 10,000 वर्गमीटर जमीन पर बना है. इसमें हेपीपोर्ट, स्पोर्ट पिच, स्पा, सटन, मसाज पार्लर, जिम और डाइनिंग एरिया शामिल है. इससे पहले वो यहां अपनी चोट से उबरने के लिए आते रहे हैं. जब फ्रांस में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने के कारण मार्च से जून तक पेशेवर फुटबॉल बंद था तब भी वो यहीं रह रहे थे.
एनआर/ओएसजे(एएफपी)
बीजिंग, 29 दिसंबर | चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 28 दिसंबर की रात को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की। दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने एक दूसरे और दोनों देशों की जनता को नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। शी चिनफिंग ने कहा कि वर्ष 2020 चीन और रूस समेत पूरे विश्व के लिए एक अत्यंत असाधारण साल रहा है। संकट के समय चीन-रूस संबंधों का विशिष्ट लाभ और अनमोल मूल्य अधिक स्पष्ट दिखता है। दोनों देशों ने एक दूसरे को मदद देकर साथ-साथ कठिन समय काटा और एक दूसरे के केंद्रीय हितों से जुड़े सवालों पर पारस्परिक समर्थन बनाए रखा, जिसने दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय विश्वास और मित्रता जाहिर की है।
शी चिनफिंग ने बल दिया कि चीन रूस मैत्रीपूर्ण सहयोग समझौते में निर्धारित पीढ़ी दर पीढ़ी मित्रता अवधारण और नयी किस्म वाले अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास में एक महान पहल है। अगले साल दोनों पक्षों को इस समझौते की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर अधिक बड़े दायरे में अधिक गहराई से द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाना चाहिए।
शी चिनफिंग ने कहा कि चीन और रूस रणनीतिक समन्वय मजबूत करने से दोनों देशों का दमन करने वाली किसी भी कुचेष्टा की कारगर रोकथाम कर सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय की सुरक्षा के लिए मजबूत आवरण स्थापित करेंगे। चीन रूस के साथ नये युग में सर्वांगीण रणनीतिक समन्वय साझेदारी का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है।
वहीं, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद रूस-चीन संबंधों का स्थिर विकास हो रहा है। दोनों देश महामारी के मुकाबले में एक दूसरे का समर्थन करते हैं और विभिन्न क्षेत्रों का सहयोग आगे बढ़ा रहे हैं। रूस ²ढ़ता के साथ दोनों देशों की सर्वांगीण रणनीतिक समन्वय साझेदारी को अधिक ऊंचे स्तर पर ले जाने में संलग्न रहेगा।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)
बीजिंग, 29 दिसंबर | चीनी राष्ट्रीय विकास और सुधार कमेटी, चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने 28 दिसंबर को विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने वाले उद्योगों की सूची (2020 संस्करण) सार्वजनिक की। यह सूची 27 जनवरी, 2021 से लागू होगी। इस सूची में वेंटिलेटर, ईसीएमओ, मॉनिटर, पीसीआर इंस्ट्रूमेंट विनिर्माण, ऑनलाइन शिक्षा, ऑनलाइन चिकित्सा उपचार, ऑनलाइन कार्यालय प्रणाली विकास एवं अनुप्रयोग सेवा, 5जी मोबाइल दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास एवं अनुप्रयोग आदि 65 प्रकार के नए विषय शामिल हैं और अन्य 51 विषय संशोधित किए गए हैं।
इस सूची के अनुसार चीन औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला में विदेशी पूंजी की सक्रिय भूमिका को आगे निभाएगा, उत्पादक सेवा उद्योगों में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करेगा, मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में विदेशी निवेश को आगे प्रोत्साहित करेगा।
चीनी राष्ट्रीय विकास और सुधार कमेटी के संबंधित प्रमुख ने कहा कि विदेशी निवेश को और स्थिर करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)
बीजिंग, 29 दिसंबर | चीनी उद्योग और सूचनाकरण मंत्री श्यो याछिंग ने 28 दिसंबर को पेइचिंग में कहा कि चीन वर्ष 2021 में 5जी नेटवर्क के निर्माण और प्रयोग पर जोर देगा और मुख्य शहरों में 5जी के आवरण में तेजी लाएगा। चीन नये साल में 6 लाख से अधिक नये 5जी बेस स्टेशन स्थापित करेगा। उसी दिन आयोजित 2021 राष्ट्रीय उद्योग और सूचनाकरण कार्य बैठक में श्यो याछिंग ने कहा कि चीन दस मुख्य व्यवसायों और 20 बड़े औद्योगिक उपयोग में 5जी विशेष नेटवर्क का परीक्षात्मक कार्य करेगा।
इसके अलावा, चीनी उद्योग और सूचनाकरण मंत्रालय साइबर नेटवर्क को अपडेट करेगा और 20 करोड़ से अधिक ग्राहकों को गीगाबिट स्पीड उपलब्ध कराने की कोशिश करेगा।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)
बीजिंग, 29 दिसंबर | सुबह उठने के बाद जब आप अपने दिन की शुरूआत एक कप कॉफी के साथ करते हैं, तो आप शायद कल्पना नहीं करते कि कॉफी की सुगंध चाय के जन्मस्थान चीन की है। और कॉफी का यह प्याला चीनी किसानों का भाग्य बदल रहा है। हाल में पश्चिमी सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हुए 'कॉफी के एक प्याले में गरीबी उन्मूलन की कहानी' नामक एक वीडियो में इसका वर्णन है। जैसे कि इस वीडियो में बताया गया कि 2020 में चीन के युन्नान प्रांत के छोटे शहर फूअर में करीब 6 लाख लोगों ने गरीबी से छुटकारा पाया है। यह संख्या यूरोप के लग्जमबर्ग की पूरी आबादी के बराबर है। इसमें युन्नान प्रांत में उत्पादित कॉफी का बड़ा योगदान है।
पानी की एक बूंद सूर्य की किरणों को अपवर्तित कर सकती है। 2020 में चीन ने कोविड-19 का मुकाबला कर समय पर अति गरीबी और क्षेत्रीय सामूहिक गरीबी की समस्या को खत्म किया और 10 साल पहले संयुक्त राष्ट्र संघ के 2030 अनवरत विकास कार्यक्रम के गरीबी उन्मूलन लक्ष्य को साकार किया। विश्व के गरीबी उन्मूलन कार्य में चीन की योगदान दर 70 प्रतिशत से अधिक पहुंची है।
आम जनता को अच्छा जीवन मुहैया करवाना चीन सरकार के सभी कार्यों का मकसद है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने चीन में गरीबी उन्मूलन कार्य में प्राप्त अहम विजय को केंद्रीय प्रेरणा शक्ति बताया। यूएन महासचिव एंटोनिओ गुटरेस ने कहा कि गरीबी उन्मूलन की रणनीति अति गरीब आबादी को मदद देना है और 2030 अनवरत विकास कार्यक्रम इस महान लक्ष्य को साकार करने का एकमात्र तरीका है। चीन के अनुभव अन्य विकासशील देशों को लाभदायक सबक ले सकते हैं।
हाल में कोविड-19 की महामारी विश्व में फैल रही है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में विश्व में संभवत: और 10 करोड़ आबादी अति गरीबी में फंसेगी। इस कठिन वक्त पर चीन ने समय पर गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य को साकार किया, जो मानव जाति के गरीबी उन्मूलन के कार्य में विश्वास और प्रेरणा शक्ति डाल सकता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक चीन द्वारा पेश की गयी बेल्ट एंड रोड पहल 76 लाख लोगों और 3.2 करोड़ लोगों को अति गरीबी और मध्यम गरीबी से छुटकारा पाने में मदद दे सकेगी।
गरीबी उन्मूलन का कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ है, जबकि चीनी जनता द्वारा समान समृद्धि की ओर जाने की नयी शुरूआत है।
(अनिल आजाद पांडेय --- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)
वीडियो गेम कंपनी यूजू के संस्थापक और चीनी अरबपति लिन छी की मौत गेम ऑफ थ्रोन्स के थ्रिलर से कम नहीं हैं. उन्हें जहर देकर मारे जाने का संदेह है. यह मौत अपने पीछे कई अनसुलझे सवाल छोड़ गई है.
चीन, 29 दिसंबर | लिन की मौत के बाद शंघाई में पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है. चीनी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है उसका नाम शू याओ हो सकता है जो लिन की कंपनी यूजू की फिल्म निर्माण शाखा के प्रमुख हैं.
चीन के सरकारी अखबार पीपल्स डेली की साप्ताहिक पत्रिका चाइना इकोनॉमिक वीकली ने इस मौत के पीछे आपसी खींचतान होने की संभावना जताई है. पत्रिका का कहना है कि लिन ने शू का वेतन कम कर दिया था क्योंकि वह उन्हें कंपनी से निकलना चाहते थे.
लिन की मौत के बाद यूजू के नौ सदस्यीय बोर्ड में एक जगह खाली हो गई है. कंपनी का कहना है कि वह जल्द ही इस पद को भर लेगी और कंपनी का काम पहले की तरह ही चलता रहेगा.
क्या है यूजू
2009 में स्थापित यूजू कंपनी को चीन के बाहर सबसे ज्यादा 'गेम ऑफ थ्रोन्स: विंटर इज कमिंग' बनाने वाली कंपनी के तौर पर जाना जाता है. यह स्मार्टफोन और कंप्यूटरों के लिए एक स्ट्रैटजिक गेम है. यह गेम इतना मशहूर हुआ कि इस साल के शुरू के छह महीनों में कंपनी का लगभग आधा राजस्व चीन के बाहर से आया. यूजू चीन की उन चुनिंदा गेमिंग कंपनियों में शामिल है जिन्होंने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है.
खुद लिन एक अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक थे. वह कंपनी के सबसे बड़े शेयरहोल्डर थे. उनके पास 23.99 प्रतिशत शेयर थे. 39 साल के लिन की मौत क्रिसमस वाले दिन हुई. इससे पहले उन्हें 17 दिसंबर को अस्पताल ले जाया गया. संभवतः उन्हें जहर दिया गया था. मीडिया में अटकलें लग रही हैं कि शायद उन्हें एक चीनी ड्रिंक में जहर मिलाकर दिया गया था.
थ्री बॉडी प्रॉब्लम
लिन एक साइंस फिक्शन सीरीज थ्री बॉडी प्रॉब्लम के फिल्म एडैप्शन पर काम कर रहे थे जिसे नेटफ्लिक्स के लिए बनाया जाना था. यूजू में फिल्म निर्माण शाखा का नेतृत्व शू के हाथ में है. बताया जाता है कि मार्च 2019 में अमेजन ने इस फिल्म के अधिकार एक अरब डॉलर में खरीदने के लिए यूजू से संपर्क किया. यूजू ने अमेजन की पेशकश ठुकरा दी और अधिकार नेटफ्लिक्स को बेच दिए गए. कितने में, यह नहीं बताया गया.
सितंबर में नेटफ्लिक्स ने कहा कि वह गेम ऑफ थ्रोन्स के क्रिएटर डेविडन बेनिहोफ और डीबी वाइस के साथ मिलकर थ्री बॉडी प्रॉब्लम सिरीज की बेस्ट सेलिंग किताबों पर अंग्रेजी में एक सीरीज बनाएगा. लिन एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के तौर पर इस प्रोजेक्ट का हिस्सा थे. जैसे जैसे कंपनी मोबाइल गेम की तरफ बढ़ती गई, उसके लिए फिल्म बनाना मुश्किल होता गया.
द हॉलीवुड रिपोर्टर का कहना है कि यूजू ने 2015 में जब अपनी प्रोडक्शन टीम के साथ थ्री बॉडी प्रॉब्लम सीरीज को डेवलप करने के अधिकार खरीदे तो कंपनी को कई तरह की दिक्कतें आईं. कंपनी के कई सीनियर कर्मचारी काम छोड़कर चले गए. कंपनी ने 2015 में कहा कि वह द थ्री बॉडी पार्ट प्रॉब्लम उपन्यास को छह अलग अलग फिल्मों में तब्दील करने पर 18.3 करोड़ डॉलर खर्च करेगी.
द थ्री बॉडी प्रॉब्लम के सामने उस समय भी समस्याएं आईं जब इसे लिखने वाले लियू सिशिन ने 2019 में शिनचियांग प्रांत में चीन सरकार के कदमों को सही ठहराया. वहां चीनी सरकार ने लाखों उइगुर मुसलमानों को शिविरों में कैद कर रखा है. विवाद बढ़ता गया और कई अमेरिकी सांसदों ने नेटफ्लिक्स ने कहा कि वह इस प्रोजेक्ट को छोड़ दे.
डेमोक्रैटिक पार्टी के बहुमत वाली संसद के निचले सदन ने रक्षा नीति बिल पर डॉनल्ड ट्रंप के वीटो के खिलाफ प्रस्ताव भारी मतों से पास कर दिया है. राष्ट्रपति ट्रंप के लिए यह पहला मौका है जब उनका वीटो संसद में खारिज होगा.
अमेरिका, 29 दिसंबर | निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में वीटो को खारिज करने का प्रस्ताव 87 के मुकाबले 322 मतों से पारित हुआ. राष्ट्रपति के वीटो को दरकिनार करने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है लेकिन उससे कहीं ज्यादा वोट इस प्रस्ताव को हासिल हो गए. प्रस्ताव पर संसद के ऊपरी सदन सीनेट में भी इसी हफ्ते मतदान होगा और वहां से भी इसे दो तिहाई मतों से पारित कराना होगा.
क्या है डिफेंस बिल
डिफेंस बिल का नाम है नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट या एनडीएए. इसमें सैनिकों के लिए तीन प्रतिशत वेतन वृद्धि और 740 अरब डॉलर के सैन्य कार्यक्रमों और निर्माण को मंजूर दी गई है. डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते डिफेंस बिल को खारिज कर दिया था. उनका कहना था कि यह बिल सोशल मीडिया कंपनियों पर लगाम कसने में नाकाम है. ट्रंप सोशल मीडिया पर उनके चुनाव अभियान के दौरान भेदभाव वाला रवैया अपनाने का आरोप लगाते हैं. ट्रंप ने मित्र नेताओं के सम्मान में बाकी बचे सैन्य अड्डों को जारी रखने की बात कहने वाले प्रस्ताव की भाषा का भी विरोध किया था. बिल में अफगानिस्तान और जर्मनी से सैनिकों की वापसी के लिए कुछ शर्तें लगाई गई हैं.
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की सभापति नेन्सी पेलोसी ने मतदान के बाद कहा कि सदन ने अपना हिस्से का काम कर दिया है ताकि "राष्ट्रपति की ओर से रुकावट डालने की खतरनाक कोशिशों के बावजूद" एनडीएए को कानून बनाना सुनश्चित किया जा सके. पेलोसी के मुताबिक ट्रंप का अंधाधुंध वीटो अमेरिकी सैनिकों को खतरनाक काम के भत्ते से वंचित कर देगा. उनका यह भी कहना है कि वीटो से वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए संरक्षण खत्म होगी और नस्लवाद को रोकने जैसे अमेरिकी मूल्य कमजोर होंगे.
रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर जिम इनहोफे सीनेट की आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन हैं. उन्होने कहा कि यह बिल "हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और सैनिकों के लिए बेहद जरूरी है. वर्दी पहनने के लिए आगे आने वाले हमारे मर्द और औरतों को उस चीज से वंचित नहीं किया जाना चाहिए जिसकी उन्हें हमेशा से जरूरत है."
आखिरी समय में कमजोर पड़े ट्रंप
डॉनल्ड ट्रंप ने चार साल के कार्यकाल के दौरान संसद में पार्टी के भीतर एक तरह का अनुशासन लागू किया है जिसमें सार्वजनिक रूप से उनके खिलाफ कम ही रिपब्लिकन सांसदों ने आवाज उठाई है. जिस तरह से दोनों पार्टियों के सांसदों ने इस लोकप्रिय डिफेंस बिल के पक्ष में वोट दिया है उससे व्हाइट हाउस से ट्रंप की विदाई के पहले आखिरी हफ्तों में उनके घटते असर का अंदाजा हो जाता है. इस बिल पर वोटिंग के कुछ ही मिनटों पहले 130 सांसदों ने ट्रंप की उस प्रस्ताव के खिलाफ भी वोट दिया जिसमें कोविड 19 के लिए 2000 डॉलर की रकम राहत के रूप में अमेरिकी लोगों को देने की योजना थी. निचले सदन ने बढ़ी रकम के प्रस्ताव को तो मंजूरी दे दी लेकिन रिपब्लिकन सांसदों के बहुमत वाले ऊपरी सदन से इसका पास होना मुश्किल है.
ट्रंप ने डिफेंस बिल को वीटो करने के पीछे कई कारण दिए. उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि वो ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर कुछ रोक लगाएं. ट्रंप का दावा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उनके साथ भेदभाव करते हैं. इसके साथ ही वो फोर्ट बेनिंग और फोर्ट हुड जैसे सैनिक अड्डों का मित्र नेताओं के सम्मान में नाम बदलने के प्रस्ताव को भी हटाना चाहते थे. ट्रंप ने बिना सबूतों के दावा किया कि डिफेंस बिल का सबसे बड़ा फायदा चीन को होगा. कई सासंदों ने चीन को लेकर ट्रंप की आशंकाओं से इनकार किया है और यह भी कहा है कि ट्रंप वीटो के पीछे अपने कारण बदल रहे हैं.
अफगानिस्तान और जर्मनी से सैनिक वापसी
ट्रंप ने अपने वीटो संदेश में यह भी कहा कि बिल विदेश नीति को चलाने में उनकी क्षमता को सीमित करेगा, "खासतौर से हमारे सैनिकों को घर वापस बुलाने में." ट्रंप बिल की उन बातों का जिक्र कर रहे थे जिनमें जर्मनी और अफगानिस्तान से हजारों की तादाद में सैनिकों को वापस बुलाने की उनकी योजना के लिए शर्तें रखी गईं थीं. ट्रंप सैनिकों की वापसी चाहते हैं लेकिन बिल में कहा गया है कि इसके लिए रक्षा विभाग को एक रिपोर्ट सौंपनी होगी जिसमें इस बात की पुष्टि होगी कि सैनिकों की प्रस्तावित वापसी अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में नहीं डालेगी.
डिफेंस बिल पर वीटो का विरोध करने वालों में 212 डेमोक्रैट और 109 रिपब्लिकन के साथ एक निर्दलीय सांसद शामिल थे. डेमोक्रैटिक पार्टी के 20 और 66 रिपब्लिकन सांसद और एक निर्दलीय सांसद ने वीटो को जारी रखने के पक्ष में वोट दिया. डिफेंस बिल को सीनेट ने 13 के मुकाबले 84 मतों से इसी महीने मंजूरी दी थी.
ट्रंप ने आठ दूसरे बिलों को भी वीटो किया लेकिन उन बिलों के समर्थक दोनों सदनों में दो तिहाई वोट जुटाने में नाकाम रहे. दो तिहाई वोट मिलने के बाद ही किसी बिल को बिना राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ कानून में बदला जा सकता है.
इस्लामाबाद, 29 दिसंबर | पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने देश में चुनाव सुधारों पर राष्ट्रीय संवाद का समर्थन किया है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि प्रधानमंत्री इमरान खान ही यह तय करेंगे कि बातचीत कब और किसके साथ होगी। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में पत्रकारों के साथ बैठक में ये विचार व्यक्त किए।
राष्ट्रपति ने 11-पक्षीय विपक्षी गठबंधन, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) की सरकार से इस्तीफे की मांग को अनुचित बताया और कहा कि पिछले दो वर्षो से राजनीतिक प्रणाली को अस्थिर किया जा रहा है।
राष्ट्रपति अल्वी ने कहा, "चुनावी सुधार पर एक राष्ट्रीय संवाद की आवश्यकता है, लेकिन प्रधानमंत्री ही यह फैसला करेंगे कि यह कब और किसके साथ हो।"
विपक्ष ने हालांकि, खान के इस्तीफे की मांग की है और सरकार के साथ किसी भी मुद्दे पर बातचीत करने से इनकार कर दिया।
--आईएएनएस
बीजिंग, 29 दिसम्बर | शाओमी ने चीन में स्नैपड्रैगन 888 प्रोसेसर और 120 हट्र्ज डिस्प्ले से लैस एमआई 11 को लॉन्च कर दिया है। एमआई 11 के 8जीबी प्लस 128 जीबी वेरिएंट की कीमत 3,999 युआन यानि कि 44932.85 रुपये रखी गई है, जबकि इसके अगले वेरिएंट 8जीबी प्लस 256 जीबी की कीमत 4,299 युआन यानि कि 48303.66 रुपये रखी गई है। 128जीबी प्लस 256 जीबी के साथ इसके तीसरे मॉडल को 4,699 युआन के साथ मार्केट में उतारा गया है, जिसकी कीमत भारतीय मुद्रा के हिसाब से 52798.06 रुपये है।
जीएसएमएरिना की रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी बिक्री 1 जनवरी से शुरू होने वाली है।
इस डिवाइस को छह अलग-अलग रंगों में पेश किया जाएगा, जिनमें ब्लैक, व्हाइट, ब्लू, खाकी वेगन लेदर, पर्पल लेदर सहित एक स्पेशल एडिशन शामिल है, जिसमें लेई जून का ऑटोग्राफ है।
शाओमी का यह नया मॉडल स्नैपड्रैगन 888 प्रोसेसर से लैस है, जिसमें 128जीबी रैम और 256जीबी यूएफएस 3.1 स्टोरेज दी गई है।
स्मार्टफोन को 6.81 इंच की डब्ल्यूक्यूएचडी (3200 1440 पिक्सल) रेजोल्यूशन एमोलेड स्क्रीन, एचडीआर10प्लस सपोर्ट, पी3 कलर स्पेकट्रू और कॉनिर्ंग गोरिल्ला ग्लास विक्टस के साथ पेश किया गया है।
इसमें 1/1.33 इंच के बड़े सेंसर, 7पी लेंस और एफ/1.85 अपर्चर के साथ एक 108एमपी का प्राइमरी रियर कैमरा है और साथ ही 13 मेगापिक्सल का एक वाइड-एंगल लेंस सेंसर भी शामिल है, जो 123-डिग्री फील्ड ऑफ व्यू और एफ/2.4 अपर्चर के साथ आता है।
इन कैमरों से आप 24/30एफपीएस पर 8के वीडियो रिकॉर्ड कर सकते हैं। इसमें सामने की ओर एक 20एमपी का कैमरा भी है।
सॉफ्टवेयर की जहां तक बात है, तो शाओमी का यह नया मॉडल ऐसा पहला स्मार्टफोन है, जो एमआईयूआई 12.5 अपडेट से लैस है, जिसमें कई नए तरह के वॉलपेपर और नोटिफिकेशन साउंड शामिल होंगे।
डिवाइस में 55 वार्ट वायर्ड चाजिर्ंग, 50 वार्ट वायरलेस चाजिर्ंग और 10 वार्ट रिवर्स वायरलेस चाजिर्ंग सपोर्ट के साथ 4,600 एमएएच की बैटरी दी गई।
--आईएएनएस
तेल अवीव, 29 दिसंबर| इजरायली सेना ने मंगलवार को कहा कि गाजा पट्टी से दागा गया एक रॉकेट यहूदी देश तक पहुंचने में विफल रहा और फिलिस्तीनी क्षेत्र के भीतर ही गिर गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सोमवार आधी रात के ठीक बाद गाजा के पास किब्बुत्ज केरेम शालोम कम्युनिटी में सायरन बज गया।
एक सैन्य प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि "गाजा पट्टी से एक रॉकेट दागे जाने के बारे में पता चला जो इजरायली क्षेत्र में नहीं पहुंच सका।"
चार दिनों में यह दूसरी बार था कि गाजा के चरमपंथियों द्वारा इजरायल के लिए एक रॉकेट दागा गया।
25 दिसंबर की रात को गाजा से दो रॉकेट लॉन्च किए गए थे।
बाद में, इजरायल ने हवाई हमले शुरू किए और गाजा में कई साइटों पर हमला किया, जिसमें एक रॉकेट निर्माण सुविधा, भूमिगत बुनियादी ढांचा, और हमास से संबंधित एक मिलीट्री पोस्ट था।
हालांकि, गाजा से रॉकेट हमले पिछले कुछ महीनों में उग्र कोरोनोवायरस महामारी के बीच घटे हैं। (आईएएनएस)
कराची, 29 दिसंबर| पाकिस्तान के सिंध प्रांत में ब्रिटेन में पाए गए नए कोरोनावायरस वेरिएंट की पहचान यात्रियों से लिए गए तीन नमूनों में की गई है जो हाल ही में ब्रिटेन से लौटे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार को यह घोषणा की।
जियो न्यूज के मुताबिक, सिंध स्वास्थ्य विभाग ने जीनोटाइपिंग के लिए ब्रिटेन से लौटे 12 लोगों के नमूने लिए, जिनमें से छह कोवडि-19 पॉजिटिव पाए गए।
विभाग ने एक बयान में कहा, "तीन की रिपोर्ट में पहले चरण में कोविड-19 का नया वेरिएंट नजर आया।"
बयान में कहा गया है कि जीनोटाइपिंग ने नए स्ट्रेन का 95 प्रतिशत मैच होने का खुलासा किया, जो कि 70 प्रतिशत अधिक संक्रमणीय है।
विभाग के प्रवक्ता मीरान यूसुफ ने कहा, "ये नमूने जीनोटाइपिंग के दूसरे दौर की जांच से गुजरेंगे।"
पाकिस्तान में कोरोनावायरस के कुल मामलों की संख्या मंगलवार तक बढ़कर 475,085 हो गई है और अब तक 9,992 लोगों की मौत हो चुकी है। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 29 दिसंबर | अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के बेटे हंटर का नाम हाल ही में न्यूयॉर्क पोस्ट की एक विवादास्पद रिपोर्ट में सामने आई थी। इसमें अपना नाम शामिल किए जाने के चलते यहां के एक कम्प्यूटर रिपेयर शॉप के मालिक ने ट्विटर पर 50 करोड़ डॉलर का मानहानि का मुकदमा किया है। अक्टूबर में आई इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि डेलावेयर में स्थित मैक शॉप को हंटर बाइडन के लैपटॉप से डेटा रिकवरी के लिए भुगतान किया गया था। इसमें कथित तौर पर हार्ड ड्राइव की एक कॉपी से ईमेल और तस्वीरें भी प्रकाशित की गईं।
इस आर्टिकल के वायरल होने के बाद फेसबुक और ट्विटर दोनों ने ही इसके प्रदर्शन पर अपने प्लेटफॉर्म पर रोक लगा दी थी और ट्विटर ने इसके लिए स्पष्टीकरण के रूप में हैक्ड मैटेरियल्स को पोस्ट करने के इसके बैन की ओर इशारा किया था।
अब द वर्ज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मैक शॉप के मालिक रह चुके जॉन पॉल मैक आइजैक ने यह कहते हुए ट्विटर पर मुकदमा ठोका है कि इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दुनिया से मैक का परिचय एक हैकर के रूप में कराया गया है।
आइजैक ने कहा है कि ट्विटर की ही वजह से लोग अब उन्हें एक हैकर के रूप में जानते हैं। उन्होंने अब ट्विटर से 50 करोड़ डॉलर और सार्वजनिक रूप से अपने इस बयान की वापसी की मांग की है।
आईजैक ने अपनी शिकायत में कई नेगेटिव बिजनेस रिव्यूज का हवाला दिया है, जिसमें कहानी के इस तथ्य के आधार पर मैक की आलोचना की गई है, लेकिन यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि इन नकारात्मक समीक्षाओं के लिए ट्विटर को ही क्यों जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
ट्विटर ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। (आईएएनएस)
सऊदी अरब एक तरफ महिलाओं को ऐतिहासिक अधिकार दे रहा है जिनमें गाड़ी चलाने से लेकर मैच देखने और सिनेमा जैसी चीजें हैं तो दूसरी तरफ इन्हीं सब के लिए मांग करने वाली महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है.
महिला अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने वाली लुजान की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय लंबे समय से मांग कर रहा है. 31 साल की हथलौल को मई 2018 में दर्जन भर दूसरी महिला कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार किया गया. ये महिलाएं देश में ड्राइविंग और दूसरे महिला अधिकारों के लिए अभियान चला रही थीं. इन महिलाओं की गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग की अनुमति देने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया. ऐसे में इनकी गिरफ्तारी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी विरोध हुआ.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनने के बाद हथलौल की आधी सजा को निलंबित करने का फैसला लिया गया. आंशिक रूप से सजा निलंबित होने के कारण उन्हें कुछ महीनों में रिहा कर दिए जाने की उम्मीद है. उनकी बहन ने ट्विटर पर लिखा है कि दो महीने में उन्हें रिहा कर दिया जाना चाहिए. माना जा रहा है कि यह निलंबन अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के अगले महीने पदभार संभालने को देखते हुए किया गया है. जो बाइडेन सऊदी अरब में मानवाधिकारों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने की बात कह चुके हैं. बाइडेन का मानना है कि ट्रंप के शासन में मानवाधिकारों के मामले में सऊदी अरब को खुली छूट मिल गई.
आतंकवाद निरोधी अदालतद ने हथलौल को हुई पांच साल आठ महीने की सजा में से दो साल 10 महीने की सजा निलंबित की है, अगर वो अगले तीन साल में "कोई अपराध नहीं करतीं." सरकार समर्थक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सब्क और दूसरे मीडिया संस्थानों को इस मुकदमे की सुनवाई देखने की अनुमति मिली थी. उन्होंने ही यह जानकारी दी है.
महिला अधिकार कार्यकर्ता को सऊदी सरकार के आतंकवाद निरोधी कानूनों के तहत आपराधिक करार दिए गए संगठनों के साथ सहयोग करने का दोषी माना गया. यह भी कहा गया कि ये संगठन देश में सत्ता परिवर्तन की मांग करते हैं और सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा डालते हैं. हिरासत में ली गई एक और महिला कार्यकर्ता माया अल जाहरानी को भी इसी तरह के आरोपों में इतनी ही सजा सुनाई गई है. हालांकि यह साफ नहीं है कि उन्हें कब रिहा किया जाएगा. अदालत ने हथलौल को सऊदी अरब से बाहर जाने पर पांच साल की रोक लगा दी है.
फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने हथलौल को तुरंत रिहा करने की मांग की है. जर्मनी की मानवाधिकार आयुक्त बार्बेल कोफलर ने भी यही मांग रखी है. जो बाइडेन के प्रशासन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी संभालने जा रहे जेक सुलिवन ने ट्वीट किया है, "सऊदी अरब का लुजान अल हथलौल को सामान्य रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग करने के लिए सजा दिया जाना अनुचित और परेशान करने वाला है." इसके उलट ट्रंप प्रशासन की प्रतिक्रिया थोड़ी हल्की रही है. विदेश विभाग के उप प्रवक्ता केल पब्राहु ने ट्वीट कर कहा है कि अमेरिका चिंतित है और हमें 2021 में उनकी संभावित जल्द रिहाई का इंतजार है.
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन मानवाधिकार के मामलों में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की नाकामियों पर दबाव बनाने की बात कह चुके हैं. माना जा रहा है कि पद संभालने के बाद वे अमेरिका -सऊदी अरब के दोहरे नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शाही परिवार के उन सदस्यों के रिहाई के लिए दबाव बनाएंगे जिन्हें बिना औपचारिक आरोपों के गिरफ्तार किया गया है.
रियाद की अपराध अलादत में सुनवाई के बाद पिछले महीने हथलौल का मामला विशेष अपराध अदालत या आतंकवाद निरोधी अदालत में सुनवाई के लिए लाया गया. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर आलोचना की आवाज दबाई जा रही है.
इसी महीने विदेश मंत्री प्रिंस फैजल बिन फरहान ने कहा था कि हथलौल "अप्रिय" देशों के संपर्क में थीं और गुप्त सूचनाएं पहुंचा रही थीं. हालांकि हथलौल के परिवार का कहना है कि इन आरोपों के पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं किया गया है. कई महिला कार्यकर्ताओं को रिहा किया गया लेकिन हथलौल और कुछ दूसरी महिलाएं को जेल में ही रखा गया.
सरकार समर्थक सऊदी मीडिया उन्हें "गद्दार" बताने में जुटा है. हथलौल के परिवार का कहना है कि उन्होंने हिरासत में यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का भी सामना किया है. सऊदी अदालत इन आरोपों से इनकार करती है.
महिला कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को लेकर सऊदी अरब की काफी आलोचना हुई है. 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के लिए सऊदी सरकार पहले ही आलोचनाएं झेल रही है.
एनआर/एके(एएफपी)
बर्लिन, 29 दिसंबर| ब्रिटेन में इस महीने की शुरूआत में पाए गए कोरोनावायरस के नए वेरिएंट के बारे में एक हालिया मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यह जर्मनी में नवंबर से ही मौजूद है। सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मन राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र डाई वेल्ट में सोमवार को प्रकाशित हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हनोवर मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने नवंबर के करीब कोरोनावायरस से संक्रमित हुए एक बुजुर्ग मरीज के नमूने में नए वेरिएंट का पता लगाया था, जिसकी बाद में मौत हो गई थी।
यहां दक्षिण-पश्चिमी राज्य बेडेन-वर्टेम्बर्ग के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, जर्मनी में 24 दिसंबर को नए वेरिएंट के पहले मामले का पता लगा। इससे संक्रमित हुई यह महिला ब्रिटेन से लौटी थी।
जर्मनी में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या इस वक्त 16,72,643 है और अब तक 30,508 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 29 दिसंबर | पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को दोहराया कि प्रधानमंत्री इमरान खान 11 विपक्षी दलों वाले गठबंधन पीडीएम के कहने पर इस्तीफा नहीं देंगे। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, कुरैशी की टिप्पणी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो-जरदारी के उस धमकी के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर खान 31 जनवरी तक इस्तीफा नहीं देते हैं तो इस्लामाबाद तक एक लंबे मार्च की अगुवाई करेंगे।
कुरैशी ने कहा, "पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के विरोध, लंबे मार्च और रैलियों से सरकार कहीं नहीं जाएगी। मैं आज पीडीएम को बता रहा हूं कि प्रधानमंत्री इमरान खान 31 जनवरी को इस्तीफा नहीं देंगे।"
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, " वे 31 जनवरी का इंतजार क्यों कर रहे हैं?"
पिछले हफ्ते, जरदारी ने सरकार के खिलाफ लंबे मार्च शुरू करने के लिए अपना रुख दोहराया था, जिसमें जोर देकर कहा गया था कि बातचीत के लिए समय नहीं बचा है।
उन्होंने कहा था कि पीडीएम मार्च शुरू करने के लिए अंतिम कदम उठाएगा और इसमें गरीब, नौकरीपेशा, छात्र आदि हिस्सा लेंगे।
पीडीएम प्रधानमंत्री खान की सरकार के लिए एक बड़ा प्रतिरोध बन गया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि विपक्षी आंदोलन का मुख्य एजेंडा भ्रष्टाचार के मामलों से अपने नेताओं को राहत दिलाना है।
खान ने हाल के एक बयान में कहा कि विपक्षी दल चाहे जितने मजबूत हो जाएं, लेकिन वह विपक्ष को कभी भी देश के लोगों के चुराए गए पैसों का लाभ नहीं लेने देंगे।(आईएएनएस)
पश्चिमी देशों का सैन्य संगठन नाटो नई उम्मीदों के साथ नए साल में प्रवेश कर रहा है. अमेरिका में सत्ता बदलने वाली है. डॉनल्ड ट्रंप की जगह जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से क्या कुछ बदलेगा?
डॉयचे वैले पर टेरी शुल्स का लिखा-
दिसंबर 2019 में नाटो के 70 साल पूरे हुए तो इस मौके पर कोई बड़ा आयोजन नहीं किया गया, बल्कि लंदन में सादा सा समारोह किया गया, जिसे 'नेताओं की बैठक' का नाम दिया गया. इसकी एक वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी रहे जो ऐसे मौकों को अपनी बातों से अकसर हाइजैक करने में माहिर हैं और अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाने की बजाय उन्हें निशाना बनाने लगते हैं.
हालिया अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आने के बाद आम तौर पर तटस्थ माने जाने वाले नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग अपनी उत्सुकता को छिपा नहीं पा रहे हैं. उन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन को "नाटो और ट्रांस अटलांटिक (यूरोप-अमेरिका) संबंधों का मजबूत समर्थक बताया है." उन्होंने बाइडेन को प्रशासन की बागडोर संभालने के बाद ब्रसेल्स आने का न्यौता दिया है.
व्हाइट हाउस में ट्रंप के स्थान पर बाइडेन का होना नाटो के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. फ्रेंड्स ऑफ यूरोप संस्था में सीनियर फेलो पॉल टेलर कहते हैं, "वाकई बहुत मुश्किल समय रहा. लेकिन बड़ी बात यह है कि नाटो ने डॉनल्ड ट्रंप को झेल लिया, बिना टूटे फूटे और बिना बदले हुए."
पहले से बेहतर या बुरा
वैसे ट्रंप के रहते कुछ बातें अच्छी भी हुई. मिसाल के तौर पर सदस्यों देशों की तरफ से नाटो के लिए दिए जाने वाले योगदान में गिरावट नहीं आई. नाटो का लक्ष्य है कि सदस्य देश अपनी जीडीपी का दो प्रतिशत सैन्य गठबंधन के लिए दें. इस दो प्रतिशत की मांग को देखते हुए सभी सदस्य देशों ने अपने रक्षा खर्च में इजाफा किया है ताकि ट्रंप की किसी भी सार्वजनिक फटकार से बचा जा सके.
टेलर कहते हैं, "उन्होंने सहयोगियों के बीच चीन के मुद्दे को भी लगातार गर्म रखा जबकि यह कभी नाटो के एजेंडे पर नहीं रहा. क्या कभी ना कभी इसे एजेंडे पर आना ही था? पता नहीं, लेकिन यह उनके रहते हुआ, उनकी जिद पर हुआ."
हालांकि इराक और अफगानिस्तान से एकतरफा तौर पर अमेरिकी सेनाओं को हटाने के उनके फैसले का अच्छा पहलू ढूंढना मुश्किल है. वहां नाटो सैनिक स्थानीय बलों को प्रशिक्षण दे रहे हैं ताकि वे अपने देश की सुरक्षा जिम्मेदारी अपने हाथों में ले सकें. अपने सैनिकों को हटाने का फैसला करते वक्त ट्रंप ने ना तो नाटो से सलाह मशविरा किया और ना ही उन सरकारों से जिनके सैनिक वहां तैनात हैं. अमेरिकी सैनिकों के ना होने के चलते अब इन देशों के सैनिकों को लिए वहां हालात पहले से मुश्किल होंगे.
नाटो में जर्मनी की भूमिका
आधिकारिक तौर पर पश्चिमी जर्मनी 1955 में ट्रांस-अटलांटिक सैनिक संधि में शामिल हुआ. लेकिन 1990 में पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के एकीकरण के बाद से ही जर्मन सेना को नाटो के नेतृत्व में "आउट ऑफ एरिया" मिशनों के लिए भेजा गया. नाटो के कई साथी देशों की मदद के लिए जर्मन सेना ने शांति स्थापना से लेकर शक्ति संतुलन बनाने तक के मिशन पूरे किए हैं.
ऐसे हालात में सत्ता संभाल रहे बाइडेन से नाटो को उम्मीद है कि वे मौजूदा और निकट भविष्य की सुरक्षा चिंताओं से निपटने में सामूहिक प्रयासों को मजबूत करेंगे. अब स्टोल्टेनबर्ग ऐसी चुनौतियों की प्राथमिकता सूची बना रहे हैं. नाटो के लिए मौजूद खतरों और क्षमताओं से जुड़ी "सामरिक अवधारणा" को 2010 से अपडेट नहीं किया गया है. नाटो में नई जान फूंकना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों कह चुके हैं कि इसकी "दिमागी मौत" हो चुकी है.
"नाटो रिफ्लेक्शन ग्रुप" की नई रिपोर्ट "नाटो 2030: नए युग के लिए एकजुट" कहती है कि लगातार आक्रामक बना हुआ रूस अगले दशक में भी सैन्य गठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगा, लेकिन निश्चित रूप से चीन से भी निटपना होगा. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के पूर्व अधिकारी और पूर्व जर्मन विदेश मंत्री थॉमस दे मेजिएरे के साथ मिलकर नाटो के रिफ्लेशन समूह की साझा तौर पर अध्यक्षता करने वाले वेस मिचेल कहते हैं, "चीन का उदय नाटो के रणनीतिक परिदृश्य में अकेला और सबसे बड़ा बदलाव है और इस बदलाव को समझना होगा."
फिलहाल तो अफगानिस्तान में नाटो की सबसे बड़ी परीक्षा है. वहां अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता कछुए की चाल से चल रही है. नाटो महासचिव का कहना है कि फरवरी में इस बात का फैसला होगा कि अफगान बलों को ट्रेनिंग देने का काम जारी रखा जाए या फिर वहां दो दशक से जारी नाटो के अभियान को अब समेट लिया जाए.
मील का पत्थर, 2008
2008 में जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी से खस्ताहाल हो रही थी, तभी चीन अपने यहां भव्य तरीके ओलंपिक खेलों का आयोजन कर रहा था. ओलंपिक के जरिए बीजिंग ने दुनिया को दिखा दिया कि वह अपने बलबूते क्या क्या कर सकता है.
बीते चार साल में नाटो के लिए बजट योगदान को लेकर सबसे ज्यादा विवाद रहा है. "दो प्रतिशत" की कुख्यात मांग को लेकर अब भी तनाव होगा. थॉमस दे मेजिएरे ने सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस में कहा, "बाइडेन प्रशासन हमारे लिए कहीं ज्यादा सख्त होगा क्योंकि उनका अंदाज ज्यादा दोस्ताना हैं." वह कहते हैं कि ट्रंप के अक्खड़ रवैये के कारण चर्चा कभी इतनी गंभीरता से हुई ही नहीं. उन्होंने कहा, "इससे हमारे लिए यहां यूरोप में, जर्मनी में स्थिति ज्याादा मुश्किल होगी.. लेकिन मैं इसका स्वागत करता हूं."
पॉल टेलर भी कहते हैं कि यह उम्मीद करना बेमानी होगा कि बाइडेन के प्रशासन में सब कुछ बहुत सहज होगा, लेकिन सहयोगी इतना तो उम्मीद कर ही सकते हैं कि मुश्किल वार्ताओं का मतलब लड़ाई करना नहीं होगा. वह कहते हैं, "इसका आधार कुछ तथ्य होंगे. इसका आधार कुछ बुनियादी अवधारणाएं होंगी कि हम मिलकर हालात का सामना कर रहे हैं, कि हम एक साथ ज्यादा मजबूत हैं, कि अमेरिका सिर्फ अकेला नहीं बल्कि अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कहीं ज्यादा मजबूत है, और सहयोगी भी अकेले अकेले नहीं बल्कि अमेरिका के साथ मिलकर ज्यादा मजबूत हैं."
पश्चिमी देशों का सैन्य संगठन नाटो नई उम्मीदों के साथ नए साल में प्रवेश कर रहा है. अमेरिका में सत्ता बदलने वाली है. डॉनल्ड ट्रंप की जगह जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से क्या कुछ बदलेगा?
डॉयचे वैले पर टेरी शुल्स का लिखा-
दिसंबर 2019 में नाटो के 70 साल पूरे हुए तो इस मौके पर कोई बड़ा आयोजन नहीं किया गया, बल्कि लंदन में सादा सा समारोह किया गया, जिसे 'नेताओं की बैठक' का नाम दिया गया. इसकी एक वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी रहे जो ऐसे मौकों को अपनी बातों से अकसर हाइजैक करने में माहिर हैं और अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाने की बजाय उन्हें निशाना बनाने लगते हैं.
हालिया अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आने के बाद आम तौर पर तटस्थ माने जाने वाले नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग अपनी उत्सुकता को छिपा नहीं पा रहे हैं. उन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन को "नाटो और ट्रांस अटलांटिक (यूरोप-अमेरिका) संबंधों का मजबूत समर्थक बताया है." उन्होंने बाइडेन को प्रशासन की बागडोर संभालने के बाद ब्रसेल्स आने का न्यौता दिया है.
व्हाइट हाउस में ट्रंप के स्थान पर बाइडेन का होना नाटो के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. फ्रेंड्स ऑफ यूरोप संस्था में सीनियर फेलो पॉल टेलर कहते हैं, "वाकई बहुत मुश्किल समय रहा. लेकिन बड़ी बात यह है कि नाटो ने डॉनल्ड ट्रंप को झेल लिया, बिना टूटे फूटे और बिना बदले हुए."
पहले से बेहतर या बुरा
वैसे ट्रंप के रहते कुछ बातें अच्छी भी हुई. मिसाल के तौर पर सदस्यों देशों की तरफ से नाटो के लिए दिए जाने वाले योगदान में गिरावट नहीं आई. नाटो का लक्ष्य है कि सदस्य देश अपनी जीडीपी का दो प्रतिशत सैन्य गठबंधन के लिए दें. इस दो प्रतिशत की मांग को देखते हुए सभी सदस्य देशों ने अपने रक्षा खर्च में इजाफा किया है ताकि ट्रंप की किसी भी सार्वजनिक फटकार से बचा जा सके.
टेलर कहते हैं, "उन्होंने सहयोगियों के बीच चीन के मुद्दे को भी लगातार गर्म रखा जबकि यह कभी नाटो के एजेंडे पर नहीं रहा. क्या कभी ना कभी इसे एजेंडे पर आना ही था? पता नहीं, लेकिन यह उनके रहते हुआ, उनकी जिद पर हुआ."
हालांकि इराक और अफगानिस्तान से एकतरफा तौर पर अमेरिकी सेनाओं को हटाने के उनके फैसले का अच्छा पहलू ढूंढना मुश्किल है. वहां नाटो सैनिक स्थानीय बलों को प्रशिक्षण दे रहे हैं ताकि वे अपने देश की सुरक्षा जिम्मेदारी अपने हाथों में ले सकें. अपने सैनिकों को हटाने का फैसला करते वक्त ट्रंप ने ना तो नाटो से सलाह मशविरा किया और ना ही उन सरकारों से जिनके सैनिक वहां तैनात हैं. अमेरिकी सैनिकों के ना होने के चलते अब इन देशों के सैनिकों को लिए वहां हालात पहले से मुश्किल होंगे.
नाटो में जर्मनी की भूमिका
आधिकारिक तौर पर पश्चिमी जर्मनी 1955 में ट्रांस-अटलांटिक सैनिक संधि में शामिल हुआ. लेकिन 1990 में पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के एकीकरण के बाद से ही जर्मन सेना को नाटो के नेतृत्व में "आउट ऑफ एरिया" मिशनों के लिए भेजा गया. नाटो के कई साथी देशों की मदद के लिए जर्मन सेना ने शांति स्थापना से लेकर शक्ति संतुलन बनाने तक के मिशन पूरे किए हैं.
ऐसे हालात में सत्ता संभाल रहे बाइडेन से नाटो को उम्मीद है कि वे मौजूदा और निकट भविष्य की सुरक्षा चिंताओं से निपटने में सामूहिक प्रयासों को मजबूत करेंगे. अब स्टोल्टेनबर्ग ऐसी चुनौतियों की प्राथमिकता सूची बना रहे हैं. नाटो के लिए मौजूद खतरों और क्षमताओं से जुड़ी "सामरिक अवधारणा" को 2010 से अपडेट नहीं किया गया है. नाटो में नई जान फूंकना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों कह चुके हैं कि इसकी "दिमागी मौत" हो चुकी है.
"नाटो रिफ्लेक्शन ग्रुप" की नई रिपोर्ट "नाटो 2030: नए युग के लिए एकजुट" कहती है कि लगातार आक्रामक बना हुआ रूस अगले दशक में भी सैन्य गठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगा, लेकिन निश्चित रूप से चीन से भी निटपना होगा. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के पूर्व अधिकारी और पूर्व जर्मन विदेश मंत्री थॉमस दे मेजिएरे के साथ मिलकर नाटो के रिफ्लेशन समूह की साझा तौर पर अध्यक्षता करने वाले वेस मिचेल कहते हैं, "चीन का उदय नाटो के रणनीतिक परिदृश्य में अकेला और सबसे बड़ा बदलाव है और इस बदलाव को समझना होगा."
फिलहाल तो अफगानिस्तान में नाटो की सबसे बड़ी परीक्षा है. वहां अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता कछुए की चाल से चल रही है. नाटो महासचिव का कहना है कि फरवरी में इस बात का फैसला होगा कि अफगान बलों को ट्रेनिंग देने का काम जारी रखा जाए या फिर वहां दो दशक से जारी नाटो के अभियान को अब समेट लिया जाए.
मील का पत्थर, 2008
2008 में जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी से खस्ताहाल हो रही थी, तभी चीन अपने यहां भव्य तरीके ओलंपिक खेलों का आयोजन कर रहा था. ओलंपिक के जरिए बीजिंग ने दुनिया को दिखा दिया कि वह अपने बलबूते क्या क्या कर सकता है.
बीते चार साल में नाटो के लिए बजट योगदान को लेकर सबसे ज्यादा विवाद रहा है. "दो प्रतिशत" की कुख्यात मांग को लेकर अब भी तनाव होगा. थॉमस दे मेजिएरे ने सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस में कहा, "बाइडेन प्रशासन हमारे लिए कहीं ज्यादा सख्त होगा क्योंकि उनका अंदाज ज्यादा दोस्ताना हैं." वह कहते हैं कि ट्रंप के अक्खड़ रवैये के कारण चर्चा कभी इतनी गंभीरता से हुई ही नहीं. उन्होंने कहा, "इससे हमारे लिए यहां यूरोप में, जर्मनी में स्थिति ज्याादा मुश्किल होगी.. लेकिन मैं इसका स्वागत करता हूं."
पॉल टेलर भी कहते हैं कि यह उम्मीद करना बेमानी होगा कि बाइडेन के प्रशासन में सब कुछ बहुत सहज होगा, लेकिन सहयोगी इतना तो उम्मीद कर ही सकते हैं कि मुश्किल वार्ताओं का मतलब लड़ाई करना नहीं होगा. वह कहते हैं, "इसका आधार कुछ तथ्य होंगे. इसका आधार कुछ बुनियादी अवधारणाएं होंगी कि हम मिलकर हालात का सामना कर रहे हैं, कि हम एक साथ ज्यादा मजबूत हैं, कि अमेरिका सिर्फ अकेला नहीं बल्कि अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कहीं ज्यादा मजबूत है, और सहयोगी भी अकेले अकेले नहीं बल्कि अमेरिका के साथ मिलकर ज्यादा मजबूत हैं."
वाशिंगटन, 29 दिसंबर | अमेरिका ने सोमवार को लॉन्ग-टर्म केयर फैसिलिटीज (एलटीसीएफ) में लोगों को कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक देना शुरू कर दिया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार ऊटा, मैसाचुसेट्स, विस्कॉन्सिन, रोड आइलैंड और जॉर्जिया सहित राज्यों ने एलटीसीएफ रेजिडेंट और कर्मचारियों को कोविड-19 टीके देने शुरू किए।
सीवीसी और वालग्रीन जैसी अमेरिकी फामेर्सी चेन द्वारा एलटीसीएफ और नर्सिग होम रेजिडेंट और कर्मचारियों को वैक्सीन प्रदान करने की उम्मीद है।
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एलटीसीएफ हेल्थकेयर कर्मियों और रेजिडेंट को कोविड-19 टीकों की पहली आपूर्ति की पेशकश करने वालों में शामिल होने की सिफारिश की है।
इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रव्यापी दो कोविड-19 वैक्सीन को लॉन्च करने के बाद से फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स के टीकाकरण को विशेष रूप से प्राथमिकता दी गई है।
सीडीसी ने अपनी वेबसाइट पर कहा, "सुनिश्चित करते हुए कि एलटीसीएफ रेजिडेंट कोविड-19 टीका उपलब्ध होते ही प्राप्त कर सकें, उन लोगों की जान बचाने में मदद मिलेगी, जिन्हें कोविड-19 से मरने का सबसे अधिक खतरा है।"
(आईएएनएस)
सऊदी अरब की जानी-मानी महिला कार्यकर्ता लुजैन अल हथलौल को पांच साल आठ महीने की जेल की सज़ा सुनाई गई है.
लुजैन अल हथलौल सऊदी अरब की उन कुछ महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने महिलाओं को गाड़ी चलाने देने का अधिकार देने की मांग उठाई थी.
महिला अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाली 31 वर्षीय हथलौल बीते क़रीब ढाई साल से कड़ी सुरक्षा के बीच जेल में बंद हैं.
साल 2018 में हथलौल और उनके साथ कई अन्य कार्यकर्ताओं को सऊदी अरब के साथ दुश्मनी रखने वाले संगठनों के संपर्क में होने के आरोप के तहत हिरासत में ले लिया गया था.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने बार-बार उनकी रिहाई की बात दोहराई है.
लेकिन सोमवार को, आतंकवाद के मामलों की सुनवाई के लिए बनाए गए देश के विशेष आपराधिक न्यायालय ने हथलौल को राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने और विदेशी एजेंडे को आगे बढ़ाने समेत कई अन्य आरोपों का दोषी बताया.
कोर्ट ने अपने आदेश में उन्हें पांच साल आठ महीने के जेल की सज़ा सुनाई. चूंकि हथलौल बीते ढाई साल से अधिक समय से जेल में हैं तो इस अवधि को उनकी कुल सज़ा में से कम किया जा सकता है.
वहीं दूसरी ओर हथलौल और उनके परिवार ने इन सभी आरोपों से इनक़ार किया है. उन्होंने यह भी कहा कि जेल में हथलौल को यातनाएं दी गईं लेकिन आरोपों को अदालत ने ख़ारिज कर दिया.
हथलौल को साल 2018 में सऊदी में महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार मिलने के कुछ सप्ताह पहले ही हिरासत में ले लिया गया था.
सउदी अधिकारियों का कहना है कि उनको हिरासत में लिए जाने का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है.
हथलौल के परिवार का कहना है कि हिरासत में लिये जाने के तीन महीने तक उन्हें किसी से बातचीत करने की अनुमति नहीं थी. उन्हें बिजली के झटके दिए गए, कोड़े मारे गए और उनका यौन शोषण भी किया गया. परिवार का यह भी आरोप है कि उन पर दबाव बनाया गया कि अगर वो यह कह देती हैं कि उनके साथ प्रताड़ना नहीं हुई है तो उन्हें आज़ाद कर दिया जाएगा.
मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि उनका ट्रायल अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं हुआ है.
नवंबर में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने स्पेशलाइज़्ड क्रिमिनल कोर्ट में उनके केस को रेफ़र करने पर सऊदी की निंदा की थी और कहा था कि यह सऊदी अधिकारियों की क्रूरता और पाखंड को दर्शाता है.
इस मामले को इस तौर पर भी देखा जाता है कि इससे सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा. हालांकि बाद में उन्होंने नए सुधारों के तहत एक बड़ा बदलाव करते हुए साल 2018 में महिलाओं को गाड़ी चलाने की अनुमति दे दी थी.
लेकिन कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे हमलों और इसके अलावा पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या में सऊदी अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका को लेकर भी उनकी आलोचना होती रही है.
कौन हैं लुजैन अल हथलौल
सऊदी अरब सामाजिक कार्यकर्ता लुजैन अल हथलौल को एक दिसम्बर 2014 में कार चलाने के आरोप में सऊदी अरब की पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़, लुजैन को कार चलाकर देश की सीमा में दाख़िल होते वक्त गिरफ़्तार किया गया था.
इसके विरोध में पेशे से पत्रकार मायसा अल अमौदी भी, हथलौल के समर्थन में गाड़ी चलाते हुए सीमा पर जा पहुंचीं और पुलिस ने उन्हें भी गिरफ़्तार कर लिया. दोनों को जेल में बंद कर दिया गया.
उस दौरान कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि इन महिलाओं पर रियाद की उस अदालत में मुकदमा चलाया जाए जो आतंकवादी मामलों को देखती है.
उसके बाद अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था, एमनेस्टी इंटरनेशनल समेत पूरी दुनिया के मानवाधिकार संगठनों ने सउदी अरब की तीखी आलोचना की.
आख़िरकार 73 दिनों की क़ैद के बाद लुजैन को रिहा किया, लेकिन तब तक महिलाओं के अधिकार का मामला एक मुहिम बन चुकी थी. (bbc)