अंतरराष्ट्रीय
मॉस्को, 25 दिसंबर | रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि रूसी कंपनियों पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा प्रतिबंध लगाना द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक विनाशकारी कदम है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने गुरुवार को मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा के हवाले से कहा, " 'मिल्रिटी एंड यूजर्स' के नाम पर उठाए गए अमेरिकी वाणिज्य विभाग के नए कदमों का उद्देश्य उनके निर्यात शासन का आधुनिकीकरण करना है। इसके तहत 40 से अधिक रूसी कानूनी संस्थाओं को सूची में शामिल करना, खराब और अपमानजनक है।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह रूस पर काबू पाने के उद्देश्य से उठाया गया अमेरिका का एक और अनुचित कदम था।
उन्होंने आगे कहा, "हम अमेरिका से एक बार फिर से कहते हैं कि वे कारणों को सुनें। साथ ही इस विनाशकारी कार्रवाई से दोनों देशों के सामान्य राजनीतिक वातावरण, व्यापार और आर्थिक तौर पर होने वाले नुकसान का आकलन करें।"
मंत्रालय का मानना है कि इस कदम के जरिए अमेरिका वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा को कम करना चाहता है और केवल अपने व्यवसायों को आगे रखना चाहता है।
बता दें कि सोमवार को अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने 103 संस्थाओं की प्रतिबंध सूची तैयार की है, जिसमें 45 रूसी कंपनियां थीं। इन्हें 'मिल्रिटी एंड यूजर' बताते हुए कहा गया है कि इनके सैन्य संबंध हैं।(आईएएनएस)
पाकिस्तान की एक अदालत ने 2002 में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या के अभियुक्त चरमपंथी उमर सईद शेख़ को रिहा करने का फ़ैसला सुनाया है.
उमर को इस साल की शुरुआत में रिहा कर दिया गया था लेकिन इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील की गई थी जिसके बाद वो जेल में ही थे.
कराची में सिंध हाई कोर्ट ने फ़ैसला दिया है कि शेख़ को अस्थाई तौर पर हिरासत में रखना अवैध है.
शेख़ के वकील ने कहा है कि उन्हें अगले 24 घंटों में रिहा किया जा सकता है.
वॉल स्ट्रीट जनरल के पत्रकार पर्ल का कराची के दक्षिणी हिस्से में अपहरण करके उनकी हत्या कर दी गई थी जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था.
शेख़ को पर्ल के अपहरण के कुछ दिनों बाद गिरफ़्तार किया गया था और बाद में आतंक निरोधक अदालत ने उन्हें हत्या का दोषी पाया था. दोषी ठहराए जाने के बाद उनको फांसी दी जानी थी.
लेकिन इस साल अप्रैल में सिंध हाई कोर्ट ने शेख़ की सज़ा को कम करते हुए उन्हें केवल अपहरण का दोषी बताया और उन्हें उन तीन अन्य लोगों के साथ रिहा कर दिया जो इस मामले में दोषी थे.
डेनियल पर्ल के परिवार ने इस फ़ैसले की निंदा की थी जिसके बाद पाकिस्तानी सरकार और उनके परिवार ने इस फ़ैसले को चुनौती दी थी.
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने फ़ैसले की निंदा की है और कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अभियुक्त 'इस समय' न रिहा हो.
साथ ही मंत्रालय ने पर्ल परिवार को समर्थन देते हुए कहा है, "हम डेनियल पर्ल की विरासत के लिए निर्भीक पत्रकारों को सम्मानित करना जारी रखेंगे."
डेनियल पर्ल के साथ क्या हुआ था?
वॉल स्ट्रीट जर्नल के दक्षिण एशिया ब्यूरो चीफ़ पर्ल जनवरी 2002 में ग़ायब हो गए थे.
वो कराची में इस्लामी चरमपंथी गतिविधियों और रिचर्ड रीड के बीच संबंध तलाश रहे थे. रीड ने जूतों में बम छिपाकर एक यात्री विमान में विस्फोट की कोशिश की थी.
अभियोजकों ने शेख़ पर आरोप लगाया कि उन्होंने पर्ल को एक मौलवी से मिलवाने का लालच दिया था.
पर्ल और शेख़ के बीच संबंध अपनी-अपनी पत्नियों की चिंताओं को लेकर भी बना क्योंकि उस समय वे दोनों गर्भवती थीं.
इसके बाद पर्ल ग़ायब हो गए और पाकिस्तानी और अमेरिकी समाचार संस्थानों को ईमेल आए जिसमें कई मांगें थीं. इनमें से एक मांग अमेरिकी जेलों में बंद पाकिस्तानी क़ैदियों के साथ बेहतर व्यवहार करने को लेकर भी थी.
एक महीने के बाद कराची में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास को 38 साल के पर्ल की हत्या का वीडियो भेजा गया था.
कौन हैं अहमद उमर सईद शेख़?
1973 में लंदन में पैदा हुए शेख़ ने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई से पहले एक स्वतंत्र स्कूल से पढ़ाई की.
उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी नहीं की और फ़र्स्ट ईयर में उन्होंने बोस्निया के लिए मदद का अभियान चलाया लेकिन वो वहां जाने में नाकाम रहे.
उन्हें 1994 में भारत में गिरफ़्तार किया गया था. उनको चार पर्यटकों के अपहरण से जुड़े मामले में गिरफ़्तार किया गया था जिनमें तीन ब्रिटिश और एक अमेरिकी नागरिक था.
उनको 1999 में तब रिहा किया गया जब चरमपंथियों ने इंडियन एयरलाइंस के आईसी-814 विमान का अपहरण कर लिया था और अपहरणकर्ताओं ने उनको भी रिहा करने की मांग की थी.
सरकारी अधिकारियों के हवाले से अमेरिकी मीडिया ने रिपोर्ट किया था कि शेख़ पर अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के हमले के एक चरमपंथी के ख़ाते में पैसे ट्रांसफ़र करने का भी आरोप है. (bbc.com)
मनीला, 25 दिसंबर | फिलीपींस के लूजॉन द्वीप पर स्थित बटांगास प्रांत में शुक्रवार को रिक्टर पैमाने पर 6.3 तीव्रता के भूकंप का झटका लगा। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलीपीन इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजी एंड वॉल्केनोलॉजी (फिवोल्कस) के अनुसार, सुबह 7.43 बजे भूकंप आया। इसका केन्द्र किलागन शहर से लगभग 11 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में लगभग 102 किलोमीटर की गहराई में था। ये झटके मेट्रो मनीला और आसपास के प्रांतों बटांगास, लगुना, कैविटे, रिजाल में भी महसूस किए गए।
संस्थान ने कहा कि इस भूकंप के बाद आफ्टरशॉक्स भी आ सकते हैं लेकिन इनसे नुकसान नहीं होगा। फिवोल्कस के डायरेक्टर रेनाटो सोलिडियम ने कहा कि भूकंप से सुनामी नहीं आएगी।
वहीं नेशनल डिजास्टर रिस्क रिडक्शन एंड मैनेजमेंट काउंसिल के प्रवक्ता ने कहा है कि अभी तक भूकंप से नुकसान की कोई खबर नहीं है।
पैसिफिक 'रिंग ऑफ फायर' के साथ लगे होने के कारण फिलीपींस में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। (आईएएनएस)
अंकारा, 25 दिसंबर | तुर्की के सुरक्षा बलों ने वेन और अडाना प्रांतों में 2 अलग-अलग आतंकवाद विरोधी अभियानों में कम से कम इस्लामिक स्टेट (आईएस) के 34 संदिग्धों को हिरासत में लिया है। सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने स्टेट मीडिया की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि गुरुवार को आतंकवाद निरोधी पुलिस और खुफिया अधिकारियों ने पूर्वी वेन प्रांत में एक ऑपरेशन चलाया और आईएस के 31 संदिग्धों को हिरासत में लिया। साथ ही संगठन से संबंधित कई दस्तावेज और डिजिटल मटेरियल भी बरामद किया है।
वहीं अडाना प्रांत में किए गए एक अलग ऑपरेशन में तुर्की पुलिस ने आईएस के 3 संदिग्धों को हिरासत में लिया है। अभी ये ऑपरेशन जारी है।
तुर्की की आतंक-रोधी टीमों ने देश में आईएस के आतंकी समूह की गतिविधियों को उजागर करने के लिए समूह के सदस्यों को पकड़ने के लिए छापेमारियां तेज कर दी हैं। 2015 से आईएस पर तुर्की में घातक हमल करने के आरोप लग रहे हैं। (आईएएनएस)
सुमी खान
ढाका, 25 दिसंबर | बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गुरुवार को सेना के जवानों से राष्ट्र के लोगों के साथ खड़े होने और उनकी आजीविका, जीवनस्तर में सुधार करने का आग्रह किया।
हसीना 79वें बीएमए लॉन्ग कोर्स के पासिंग आउट कैडेट्स के प्रेसीडेंट परेड-2020 को वर्चुअल रूप से ढाका में अपने आवास गणभवन से मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थीं। बांग्लादेशी सेना ने चटगांव में बांग्लादेश मिल्रिटी अकेडमी (बीएमए) के परेड मैदान में समारोह का आयोजन किया।
हसीना ने कहा, "मैं हमेशा आप सभी के साथ हूं। मेरे सबसे छोटे भाई रसेल, जिनकी 1975 में हत्या कर दी गई थी, एक सेना अधिकारी बनने का सपना देखते थे। मेरे दो अन्य भाइयों, कमाल और जमाल ने राष्ट्र के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। हम चाहते हैं कि आप हमेशा देशवासियों के साथ खड़े रहें और उनकी आजीविका, जीवनस्तर में सुधार लाने की दिशा में योगदान दें।"
यह उल्लेख करते हुए कि बांग्लादेश ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में एक मुक्ति संग्राम के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त की थी, हसीना ने कहा, "आपको (सेना के जवानों) अपने आप को इस तरह से तैयार करना होगा ताकि आप अपने सिर को ऊंचा और ऊंचा रखते हुए और देश की गरिमा को बनाए रख कर दुनिया भर में फख्र से चल सकें।"
प्रशिक्षण के पूरा होने पर बांग्लादेश सेना के अधिकारियों के रूप में कमीशन पाने के लिए नए कैडेटों को बधाई देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं चाहती हूं कि आप नेतृत्व में अधिक सफल, कुशल और शिक्षित हों, ताकि देश हमेशा आप पर गर्व महसूस कर सके।"
हसीना ने कहा, "हमारी सेना के जवानों को देश और विदेश में काम करना पड़ता है। इसलिए, आपको हर सूरत में कुशल होना चाहिए।"
प्रधानमंत्री की ओर से, सेनाध्यक्ष जनरल अजीज अहमद ने विजेताओं के बीच विभिन्न पुरस्कार वितरित किए। सेना प्रमुख ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद भी दिया। (आईएएनएस)
अफगानिस्तान में महिला अधिकारों की आवाज उठाने वाली एक कार्यकर्ता फ्रेस्ता कोहिस्तानी की बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इसी हफ्ते अफगानिस्तान में धमाके और हत्या की कई वारदातें दर्ज की गई हैं.
गुरुवार को उत्तरी कपीसा प्रांत में कोहिस्तानी की अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक अरियन ने पत्रकारों को बताया, "मोटरसाइकिल पर सवार अज्ञात हमलावरों ने कपीसा प्रांत के कोहिस्तान जिले में कोहिस्तानी की हत्या कर दी." उन्होंने बताया कि हमले में कोहिस्तानी का भाई भी घायल हुआ है. कोहिस्तानी प्रांतीय परिषद की पूर्व सदस्य रह चुकी हैं और अफगानिस्तान में महिला अधिकारों को लेकर विरोध प्रदर्शन और महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर सोशल मीडिया पर अभियान चला चुकी हैं. उन्होंने पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में अब्दुल्ला अब्दुल्ला के लिए चुनाव प्रचार भी किया था. इसी के साथ राजधानी काबुल में उन्होंने महिला अधिकारों की मांग को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किए थे. अब्दुल्ला ने 29 साल की कोहिस्तानी की हत्या पर कहा है कि वह एक "आतंकी हमले" में मारी गईं. फेसबुक पोस्ट में उन्होंने कोहिस्तानी को "बहादुर और निडर" बताया और कहा कि वो अफगानिस्तान में नागरिक और सामाजिक जीवन में सबसे आगे रहती थी. अब्दुल्ला ने कहा, "इस तरह की हत्याओं का जारी रहना स्वीकार्य नहीं है." गुरुवार को हुए इस हमले की अब तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है.
अफगानिस्तान में रहना कितना "खतरनाक"?
दो दिनों के भीतर दो कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है. काबुल में बुधवार को लोकतंत्र समर्थक एक कार्यकर्ता की इसी तरह से हत्या कर दी गई थी. देश में हिंसा की ये नई घटनाएं ऐसे समय हो रही हैं जब तालिबान और अफगान सरकार के वार्ताकार कतर में दो दशक पुराने युद्ध की समाप्ति के उद्देश्य से शांति समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं. हाल के सप्ताहों में हुई इन हत्याओं में एक ही तरह का पैटर्न नजर आता है, दिनदहाड़े टार्गेट किलिंग में इसी तरह से कई कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी हैं जिनमें से कई हत्या को अंजाम काबुल में दिया गया.
बुधवार को गैर सरकारी "फ्री एंड फेयर इलेक्शन फोरम ऑफ अफगानिस्तान" के कार्यकारी निदेशक मोहम्मद युसूफ रशीद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इससे एक दिन पहले पत्रकार रहमतुल्लाह नेकजाद की साइलेंसर वाली पिस्तौल से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. नेकजाद पास की ही मस्जिद की तरफ जा रहे थे तभी उनपर हमला हुआ और उनकी मौके पर ही मौत हो गई.
कोहिस्तानी ने अपनी हत्या के कुछ दिनों पहले फेसबुक पर लिखा था कि उन्होंने धमकी मिलने के बाद पुलिस से सुरक्षा की मांग की थी. उन्होंने देश में पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की हत्याओं की लहर की निंदा भी की थी. देश में निरंतर जारी हिंसा पर उन्होंने नवंबर में एक ट्वीट किया था,"अफगानिस्तान रहने लायक जगह नहीं है. यहां शांति की कोई उम्मीद नहीं है. अपने दर्जी से कह दो कि कफन का नाप ले लें, कल आपकी बारी भी हो सकती है."
एए/सीके (एएफपी,एपी)
ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच ब्रेक्जिट के बाद नए कारोबारी समझौते पर सहमति हो गई है. दोनों पक्षों ने इसकी पुष्टि कर दी है. ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद संक्रमण काल में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं.
ब्रिटेन, 24 दिसंबर | ब्रिटेन की सरकार के प्रवक्ता ने कहा है, "करार हो गया है. यह यूके के हरेक हिस्से में रहने वाले परिवारों और व्यापारियों के लिए शानदार खबर है. हमने पहला फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हासिल कर लिया है जो यूरोपीय संघ के साथ शून्य शुल्क और शून्य कोटे पर आधारित है." उधर यूरोपीय संघ आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लायन ने कहा है कि यह एक लंबा और घुमावदार रास्ता था लेकिन आखिरकार समझौता हो गया. उन्होने यह भी कहा कि पूरी बहस संप्रभुता को लेकर थी.
यह डील कई महीनों की खींचतान के बाद हासिल हुई है. दोनों पक्ष फिशरिज और कंपटीशन को लेकर अपने रुख पर अड़े हुए थे. ब्रिटेन यूरोपीय संघ से जनवरी के आखिर में अलग हो गया लेकिन वह यूरोपीय संघ के अंदरूनी बाजार और कस्टम यूनियन का सदस्य बना रहा जो कि साल के आखिर तक के संक्रमण काल के लिए है.
यह समय पूरा हो जाने के बाद डील नहीं होने की सूरत में इनके बीच भारी शुल्क और दूसरी कारोबारी बाधाएं खड़ी हो जातीं जिनसे सप्लाई चेन में दिक्कत और बड़े आर्थिक समस्याओं के पैदा होने का खतरा था. डील पर कई महीनों की बातचीत में कोविड-19 के कारण भी कई बाधाएं आई. कई बार तो यह आसार बनते दिखे कि बिना डील किए ही ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर निकल जाएगा.
इस डील का मतलब है कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन और यूरोपीय देशों के बीच सहयोग की जो लंबी परंपरा रही है वह बिना किसी समस्या के दोनों पक्षों को अलग भी कर देगी और उनके बीच व्यापार का सरल रास्ता भी बना रहेगा. आखिरी पल तक दोनों पक्ष डील हासिल करने के लिए कोशिश में जुटे रहे और बातचीत बुधवार को रात भर चलती रही. ब्रिटेन का अब यूरोपीय संघ से रिश्ता भले ही दूर का होगा लेकिन वह सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार बना रहेगा. हाल के यूरोपीय इतिहास की एक बेहद अहम डील में दोनों पक्षों के बीच इस बात पर सहमति नहीं बन पा रही थी कि यूरोपीय संघ के जहाज ब्रिटेन के पानी में कितनी मछलियां पकड़ सकेंगे.
दोनों पक्षों के बीच शून्य शुल्क और शून्य कोटे की डील होने का मतलब है कि इनके बीच सामान का व्यापार आराम से चलता रहेगा जो 900 अरब के सालाना कारोबार का करीब आधा हिस्सा है. इसके साथ ही यह उत्तरी आयरलैंड में शांति का भी समर्थन करेगा. अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए खासतौर से यह बड़ी चिंता थी. उन्होंने कहा था कि 1998 में हुआ गुड फ्राइडे शांति समझौता कायम रहना चाहिए.
एनआर/ओएसजे(एपी, रॉयटर्स, डीपीए, एएफपी)
कैलिफ़ोर्निया में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें कहा जा रहा है कि कोरोना के एक मरीज़ ने दूसरे मरीज़ की जान ले ली.
37 वर्षीय एक मरीज़ पर इस सिलसिले में हत्या और हेट-क्राइम का मामला दर्ज किया गया है.
आरोप है कि 37 वर्षीय जेस मार्टिनेज़ ने 82 वर्षीय एक अन्य मरीज़ को ऑक्सीजन सिलेंडर से मारा, जिससे उनकी मौत हो गई.
लॉस एंजिल्स पुलिस के मुताबिक़, बुज़ुर्ग मरीज़ ने जब कमरे में पूजा करनी शुरू कर दी तो जेस को यह पसंद नहीं आया और वो इससे बहुत ज़्यादा अपसेट हो गया.
आरोप है कि इससे नाराज़ होकर जेस ने ऑक्सीजन सिलेंडर उठाकर बुज़ुर्ग मरीज़ को दे मारा जिससे अगले दिन उनकी मौत हो गई.
पुलिस का मुताबिक़, कमरे में ये दोनों मरीज़ एक-दूसरे से अनजान थे और दोनों का कोरोना का इलाज किया जा रहा था.
घटना पिछले हफ्ते की है जिसके सिलसिले में जेस को अब हिरासत में लिया गया है.
कैलिफ़ोर्निया में बीते छह हफ्तों के दौरान कोरोना संक्रमण के एक लाख नए मामले सामने आए हैं.
इससे अस्पतालों पर दबाव पड़ा है जहां बिस्तर कम और मरीज़ों की संख्या अधिक देखी गई है. (bbc.com/hindi)
जर्मन राष्ट्रपति ने क्रिसमस के मौके पर अपने सालाना संदेश में अगले साल स्थिति सामान्य होने और चुनौतियों का मिल कर सामना करने के लिए संदेश दिया है. उन्होंने इस बार के क्रिसमस को असाधारण और उम्मीद का क्रिसमस कहा है.
"'कब मैं अपने सपनों को फिर जी सकूंगा?' मेरे जर्मनों लोगों की झुंझलाहट से भरे इस तरह के हजारों संदेश हर रोज मुझे देश के कोने कोने से आते हैं." जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने अपना पारंपरिक क्रिसमस संदेश इन्हीं शब्दों के साथ शुरू किया. बीते कुछ सालों में यह एक दुर्लभ मौका है जब राष्ट्रपति के संबोधन का मुख्य हिस्सा इतना स्पष्ट और शुरुआत से ही हर इंसान के लिए था. इससे पहले के सालों में आमतौर पर राष्ट्रप्रमुख क्रिसमस के मौके पर कई सारे सामाजिक मुद्दों की चर्चा करते थे, लेकिन इस बार उनके भाषण में कोरोना वायरस की महामारी थी.
राष्ट्रपति ने कहा कि "एक छोटे से वायरस" ने हमारी जिंदगी और हमारी सोच पर कब्जा कर लिया है, हमारी योजनाओं को धराशायी कर दिया है और सपनों को ध्वस्त कर दिया. लोगों के पास करने को कितना कुछ होता थाः "स्टेडियम में जा कर फुटबॉल मैच देखना, सिनेमा जाना, कंसर्ट, छु्टियों पर जाना, शादी का उत्सव मनाना और बहुत, बहुत सारी चीजें."
जर्मन राष्ट्रपति ने स्कूली बच्चों की निराशा और परेशान परिवारों की मुश्किलों के बारे में बात की जो अपनी कामकाजी जिंदगी और बच्चों को पढ़ाने की मुश्किलों से जूझ रहे हैं, साथ ही कलाकारों, रेस्तरांओं, होटल और खुदरा व्यापारियों के अस्तित्व को लेकर चिंताओं के बारे में भी.
एक बिल्कुल अलग क्रिसमस
खासतौर से इस बार का क्रिसमस तो बिल्कुल ही अलग है. राष्ट्रपति ने कहा, "प्यार का एक उत्सव: निश्चित रूप से! लेकिन खासतौर से जब इस वक्त जब हम एक दूसरे के पास होते हैं हमें अपने बीच दूरियां बनाए रखनी हैं. हम- जिसमें मैं शामिल हूं- अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को याद कर रहे हैं जिन्हें हमने पूरे साल नहीं देखा. बहुत से बुजुर्ग और बीमार लोग अकेले समय बिता रहे हैं ताकि खुद को वायरस से बचा सकें."
श्टाइनमायर ने खासतौर से उन लोगों की ओर ध्यान दिलाया,"जो औरत और मर्द वायरस से इंटेंसिवर केयर यूनिट में जूझ रहे हैं और उनके करीबी परिजन जो सबसे बुरा होने की आशंकाओं के साथ जी रहे हैं या फिर जो लोग इस बीमारी से जंग में हार गए हैं. बहुत से लोगों को एक बेहद कड़वी और अकेली मौत मिली है और इन सब लोगों की याद आएगी."
'हमारा देश एक मजबूत देश है'
इसी के साथ राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि महामारी ने हमें यह दिखा दिया है कि हमारा समाज कितना मजबूत है, "क्योंकि बहुत से लोग दूसरों के लिए संकट की इस घड़ी में हद से आगे बढ़ कर काम कर रहे हैं."
राष्ट्रपति के शब्दों में पांच साल पहले जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के मशहूर भाषण की गूंज सुनाई दे रही थी. अगस्त 2015 में चांसलर ने कहा था हमारा देश एक मजबूत देश है और इसके साथ ही उन्होंने यह कह कर कि "हम यह कर सकते हैं," लाखों आप्रवासियों और शरणार्थियों के लिए जर्मनी के दरवाजे खोल दिए. अब यह साफ नहीं है कि श्टाइनमायर ने जान बूझ कर मैर्केल के शब्दों को अपने भाषण में शामिल किया या फिर नहीं, लेकिन उनका संदेश जरूर साफ हैः जर्मनी इस चुनौती का सामना कर सकता है.
राष्ट्रपति यह बताना चाहते थे कि अगर सारे लोग मिल कर काम करें और सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाए तो जर्मनी इस संकट से बाहर निकल आएगा. महामारी के दौरान उन्होंने कहा कि सामुदायिक भावना मजबूत हुई है. उन्होंने कहा कि इसने हमारे अंदर की उस हिम्मत को दिखाया है जो जलवायु परिवर्तन से लेकर भूख और गरीबी से लड़ने जैसे दूसरे संकटों के सामने है.
लोकतंत्र और लोकतांत्रिक सरकारों के सामने आज जो खतरे हैं उन पर श्टाइनमायर का ध्यान राष्ट्रपति के रूप में सबसे ज्यादा रहा है. इस भाषण में भी वो वो उन लोगों का जिक्र करने से नहीं चूके जो सरकार और समाज के कामकाज पर संदेह करते हैं. उन्होंने कहा कि वह इस बात से वाकिफ हैं कि बहुत से लोग वैक्सीन लगाने के विरोधी हैं और जर्मनी में संदेह के बादल उड़ा रहे हैं. श्टाइनमायर ने कहा, "अनिश्चितता के इस दौर में हमने सीखा है कि हम हमारे लोकतंत्र पर भरोसा कर सकते हैं. हमने सही कदमों पर बहस की है और फिर फैसलों को लागू करने में सहयोग किया है. जो लोग वायरस के खतरे से इनकार करते हैं साफ तौर पर अकसर बहुत मुखर हैं.हालांकि बहुमत उन लोगों की है जो औचित्य के साथ हैं."
'उम्मीद का क्रिसमस'
बड़े पैमाने पर टीकाकरण महामारी के दौर में उम्मीद की एक किरण लेकर आया है और श्टाइनमायर लोगों से टीका लगवाने के लिए सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं. वो इसे एकजुटता के लिए उठाया कदम मानते हैं.
अब टीकाकरण के लिए जमीनी तैयारी हो चुकी है तो श्टाइनमायर कह सकते हैं, "इस बार का क्रिसमस उम्मीद का उत्सव है" और 2021 का जो क्रिसमस होगा वह "गले मिलने और गीत गाने" का होगा.
इसके बाद भी जर्मन राष्ट्रपति ने मुश्किल स्थिति में मिठास लपेटने की कोशिश नहीं की बल्कि उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के लिए उत्साह बढ़ाया,"हमारे सामने अब भी एक लंबा और मुश्किल रास्ता है. हालांकि अब हम इस सुरंग के आखिरी सिरे पर बहुप्रतीक्षित रोशनी की किरण देख रहे हैं जो और ज्यादा चमकदार हो रही है."
इसके साथ ही श्टाइनमायर ने कहा कि यह हम सब पर निर्भर करेगा कि यह रास्ता कितना लंबा होगा. अगर हर कोई धैर्य और अच्छी समझ बनाए रखेगा तो बहुत सी चीजें जो लंबे समय के लिए संभव नहीं थीं वो एक बार फिर संभव होंगी.
भाषण के आखिर में राष्ट्रपति ने पूरे भरोसे के साथ अब से अगले एक साल की भविष्यवाणी की, "हम सब को अधिकार है कि अगले साल क्रिसमस के उत्सव का इंतजार करें, जिस रूप में हम इसे मनाना चाहते हैं: मेज पर पूरा परिवार हो, अपने दोस्तों को हम गले लगाएं और गीत गाएं. आइए उम्मीद करें कि अगले साल के जश्न की उम्मीद इस असाधारण त्यौहारी मौसम में चमक भर दे. आप सब को क्रिसमस की ढेर सारी बधाइयां."
पाकिस्तान की एक प्रांतीय अदालत ने 2002 में अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या के आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया है. सिंध हाईकोर्ट के इस फैसले ने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उलट दिया है.
पाकिस्तान,24 दिसम्बर | अहमद उमर सईद शेख को डैनियल पर्ल की हत्या के मामले में पाकिस्तान के ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख संदिग्ध माना था और कहा था कि शेख को हिरासत में रहना चाहिए. इस साल शेख को इसी अदालत ने हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया. अदालत ने माना था कि गलत सबूतों के आधार पर शेख और बाकियों को दोषी करार दिया गया. इस फैसले के बाद चारों लोगों को रिहा हो जाना था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इस फैसले के खिलाफ पर्ल के परिजनों की अपील पर उन्हें हिरासत में ही रखा गया.
शेख के वकील महमूद ए शेख ने अपने मुवक्किल की तुरंत रिहाई की मांग की है. पर्ल परिवार के वकील फैसल सिद्दिकी का कहना है,"हिरासत में रखने के आदेश को रद्द कर दिया गया है." शेख को अपील पर सुनवाई पूरी होने के बाद रिहा कर दिया जाए हालांकि अगर पर्ल का परिवार शेख को दोषमुक्त किए जाने के फैसले को पलटवाने में सफल रहता है तो उसे फिर जेल जाना होगा.
सईद शेख को हत्या में उनकी भूमिका के लिए मौत की सजा और तीन दूसरे लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. इस साल अप्रैल में सिंध हाई कोर्ट ने शेख और बाकियों को भी दोषमुक्त कर दिया. कोर्ट के इस फैसले से अमेरिका की सरकार, पर्ल का परिवार और पत्रकार जगत के लोग सन्न रह गए. अब दोषमुक्त किए जाने को सरकार और पर्ल के परिवार दोनों ने अलग अलग चुनौती दी है. सरकार ने शेख की रिहाई का भी विरोध किया है. सरकार का कहना है कि इससे आम लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 5 जनवरी से सुनवाई शुरू करेगा.
पर्ल को दक्षिणी पाकिस्तान के कराची में एक मुलाकात के लुभाया गया और इसी दौरान उन्हें अगवा कर लिया गया. पर्ल पाकिस्तानी आतंकवादियों और रिचर्ड सी रीड के बीच संपर्क सूत्रों की तलाश कर रहे थे. रिचर्ड सी रीड को शू बॉम्बर भी कहा जाता है उसने अपने पैरों में विस्फोटक छिपा कर पेरिस से मियामी के बीच उड़ान भरने वाले विमान को उड़ाने की कोशिश की थी.
पर्ल का सिर काट कर उसकी हत्या की गई और इसका वीडियो अमेरिकी वाणिज्य दूतावास को भेजा गया. 38 साल के पर्ल वाल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर थे और तब वह दिल्ली में रह कर दक्षिण एशिया संवाददाता के रूप में काम कर रहे थे. उन्हें 23 जनवरी 2002 को अगवा किया गया. पर्ल पश्चिमी देशों के उन पत्रकारों में शामिल थे जिन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान का शासन उखड़ने के बाद पाकिस्तान का दौरा किया था.
लेबनान की राजधानी बेरूत में धमाके को हुए चार महीने पूरे हो गए है. लेकिन मृतकों के परिजनों को अब भी उनके सवालों का जवाब नहीं मिला है. जांचकर्ताओं ने अब तक जांच रिपोर्ट नहीं जारी की है.
बेरूत,24 दिसम्बर | ट्रेसी और पॉल नज्जर को लगता है कि उनकी बेटी अलेक्रजांड्रा आज जीवित होती अगर 4 अगस्त को हुए धमाके के पहले अधिकारी समय पर सतर्क हो जाते. तीन साल की बेटी के चले जाने के गम में डूबे माता-पिता आज भी सवाल करते हैं कि आखिर क्यों नहीं किसी अधिकारी ने धधकती आग को लेकर चेतावनी जारी की. आग उस वक्त भड़क उठी थी जब शहर के बंदरगाह के गोदामों में 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट खाद में विस्फोट हो गया था.
ट्रेसी नज्जर कहती हैं, "उनके पास 40 मिनट थे, यह कहने के लिए कि बेरूत छोड़ कर चले जाओ, खिड़कियों से हट जाओ, छिप जाओ. उन्होंने ऐसा नहीं किया." 34 साल की ट्रेसी धमाके के वक्त परिवार के साथ जेमेजेयह जिले में अपने घर पर थीं. धमाका उनके घर के पास बंदरगाह में हुआ था. जब रॉयटर्स ने इन सवालों पर सुरक्षा अधिकारियों से सवाल किए तो उन्होंने टिप्पणी नहीं की.
4 अगस्त का धमाका गैर-परमाणु वाला सबसे शक्तिशाली धमाका था. धमाके में 220 लोगों की जान चली गई और हजारों लोग घायल हो गए. शक्तिशाली विस्फोट से राजधानी बेरूत तहस-नहस हो गई थी. चार महीने से अधिक समय के बाद भी पीड़ितों को इस जवाब का इंतजार है कि संभावित रूप से विस्फोटक सामग्री को बंदरगाह पर अनिश्चित रूप से क्यों पिछले छह साल तक रखा गया था, जो कि आवासीय क्षेत्रों से घिरा हुआ है.
लेबनानी नेताओं ने वादा किया था कि जांच के नतीजे कुछ ही दिनों में आ जाएंगे. हफ्ते और महीने बीतने के बाद भी नज्जर को जवाब नहीं मिला है.
किसकी जिम्मेदारी
कुछ लोगों को लगता है कि धमाका और उसके बाद की स्थिति को संभालने में नेताओं की भूमिका देश को और संकट की ओर ले जा रही है. कई वरिष्ठ अधिकारी, जिनमें बंदरगाह के जनरल मैनेजर और कस्टम विभाग के प्रमुख शामिल हैं, हिरासत में लिए जा चुके हैं. जांच कर रहे जज ने कार्यकारी प्रधानमंत्री हसन दियाब और तीन पूर्व मंत्रियों पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं. दियाब के मंत्रिमंडल ने धमाके के बाद इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा है कि उनकी अन्तरात्मा साफ है और जज संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स और वरिष्ठ सूत्रों द्वारा देखे गए दस्तावेजों के मुताबिक जुलाई महीने में ही सुरक्षा अधिकारियों ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को चेतावनी दी थी कि बंदरगाह पर रखा अमोनियम नाइट्रेट सुरक्षा के लिए खतरा है और अगर इसमें विस्फोट होता है तो यह राजधानी को तबाह कर सकता है.
धमाके के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया था कि धमाका वेल्डिंग के कारण हुआ था. वहीं अमेरिकी जांच एजेंसी ने बेरूत में भी जांच दल भेजा था, अक्टूबर में उसने कहा था कि वह विस्फोट के कारण के बारे में कोई ठोस निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई है. अमेरिकी और यूरोपीय सरकारी एजेंसी जो जांच पर करीब से नजर रख रही है, उनका मानना है कि धमाका आकस्मिक था.
अबू धाबी, 24 दिसंबर | संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रहने वाले एक भारतीय लड़के ने एक मिनट में सबसे ज्यादा हवाईजहाजों के पिछले हिस्से को पहचानने का गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड बनाया है। गल्फ न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले 12 साल के सिद्धांत गम्बर का नाम पहले 'इंडिया बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्डस' में दर्ज हुआ था। पिछले महीने उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया।
दुनिया की शीर्ष शीर्ष 100 सबसे ऊंची इमारतों की पहचान करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति के तौर पर भी सिद्धांत का नाम इंडिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में दर्ज है।
उन्होंने गल्फ न्यूज को बताया, "बचपन से ही मैं अपने पिता के साथ मिलकर प्लास्टिक के टुकड़ों को जोड़कर (लेगो बफ) कई तरह के मॉडल, रॉकेट, हवाईजहाज, गाड़ियां और इमारतें आदि बनाते थे। इससे मैं कई सारे हवाईजहाजों के पिछले हिस्सों को पहचानने लगा था। मेरी मां भी इस काम में मेरी मदद करती थी।"
गम्बर अब आसानी से करीब 300 हवाईजहाजों की 'पूंछ' पहचान सकता है। (आईएएनएस)
हमजा अमीर
इस्लामाबाद, 24 दिसंबर | पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि दोनों देशों के बीच मौजूदा कड़वाहट के हालात में भारत के साथ कोई बातचीत नहीं हो सकती।
कुरैशी ने यह भी कहा कि भारत के साथ अभी पर्दे के पीछे से बातचीत या किसी भी प्रकार की कूटनीतिक बातचीत नहीं चल रही है।
उन्होंने कहा, "मौजूदा स्थिति में भारत के साथ पर्दे के पीछे या कूटनीतिक बातचीत की कोई संभावना नहीं है।"
कुरैशी ने कहा, "यह तब तक संभव नहीं है, जब तक कि कश्मीर में भारतीय अत्याचारों को रोका नहीं जाता है। फिलहाल हालात किसी भी बातचीत के लिए उपयुक्त नहीं हैं।"
कुरैशी का बयान ऐसे समय में आया है, जब भारतीय और पाकिस्तान सीमा सुरक्षा बलों के बीच सीमा पार होने वाली गोलीबारी भी तेज हो गई है, जिससे दोनों पक्षों के दर्जनों हताहत हुए हैं।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारत की ओर से कथित संघर्ष विराम उल्लंघन के लिए भारतीय राजदूत को तलब किया है।
पाकिस्तान का कहना है कि भारतीय सुरक्षाबलों ने हाल ही में एक यूएन व्हीकल को निशाना बनाया है। इसके साथ ही पाकिस्तान का आरोप है कि भारत ने विभिन्न उल्लंघनों से सीमा से सटकर रहने वाले नागरिकों की जान को नुकसान पहुंचाया है।
इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने एक बयान में कहा, "भारतीय सैनिकों ने नियंत्रण रेखा के साथ ताता पानी और जंद्रोत सेक्टरों में अकारण संघर्ष विराम उल्लंघन किया है और वह जानबूझकर मोर्टार और भारी हथियारों के साथ नागरिक आबादी को टारगेट कर रहा है।"
बयान में कहा गया है, "एक 50 वर्षीय महिला की मौत हो गई और चार वर्षीय बच्चे सहित अन्य नागरिक ताता पानी और जंद्रोत क्षेत्रों में हुई घटनाओं में घायल हो गए हैं।"
पाकिस्तान ने कहा है कि भारतीय सेना की तरफ से की गई गोलाबारी पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की एलओसी पर अग्रिम पंक्ति के सैनिकों से मिलने आने से पहले की गई।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा गया है, "अंतर्राष्ट्रीय कानून के ये उल्लंघन नियंत्रण रेखा के साथ स्थिति को बढ़ाने के लिए लगातार भारतीय प्रयासों को दर्शाते हैं और क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हैं।"
पाकिस्तान ने दावा किया है कि भारत ने वर्ष 2020 में कम से कम 3,000 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है, जिसमें कम से कम 28 नागरिकों की मौत हो गई और करीब 250 अन्य घायल हो गए।
पाकिस्तान ने भारत पर इन उल्लंघनों का आरोप लगाया है, वहीं नई दिल्ली ने इस्लामाबाद के दावों का खंडन किया है।(आईएएनएस)
विलुप्त हो रही ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को बचाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है. क्या देश की सबसे बड़ी पर्यावरण संबंधी अदालत के हस्तक्षेप के बाद यह दुर्लभ पक्षी हमेशा के लिए खोने से बच पाएगा?
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सारंग पक्षी की एक प्रजाति है जो सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है. अनुमान है कि पिछले एक दशक में इसकी संख्या 250 से घट कर 150 ही रह गई है. बुधवार को इसके संरक्षण के लिए नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने कई महत्वपूर्ण आदेश दिए.
अधीकरण ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिया कि वो सुनिश्चित करे कि जहां जहां यह विलुप्तप्राय पक्षी पाया जाता है, वहां सौर ऊर्जा की तारों पर बर्ड डाइवर्टर लगाए जाएं और नई सौर परियोजनाओं को तब तक अनुमति ना दी जाए जब तक उनकी तारों को जमीन के नीचे बिछाने का कार्य पूरा नहीं हो जाता.
इस आदेश की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट में सामने आया था कि भारी करंट वाली बिजली की तारें ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षियों की मृत्यु की घटनाओ में से 15 प्रतिशत घटनाओं के लिए जिम्मेदार होती हैं. जानकारों के अनुसार यह भारी पक्षी होते हैं, इनकी सामने की नजर कमजोर होती है और इन्हें अक्सर चीजों से टकरा जाने का खतरा रहता है.
नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिया कि वो सुनिश्चित करे कि जहां जहां विलुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पाया जाता है वहां सौर ऊर्जा की तारों पर बर्ड डाइवर्टर लगाए जाएं.
बिजली की तारें अगर इन्हें दूर से ना दिखें तो भारी होने के कारण ये आखिरी समय में अपनी उड़ान की दिशा बदल नहीं पाते और तारों से टकरा जाते हैं. बर्ड डाइवर्टर बिजली की तारों पर लगाए जाने वाले छोटे लेकिन चमकदार उपकरण होते हैं जो हवा के साथ घूमते रहते हैं. इनसे तारें आसानी से दिख जाती हैं. जानकारों का दावा है कि दुनिया भर में इनके इस्तेमाल से पक्षियों की मृत्यु दर आधी हुई है.
अधीकरण के ये दोनों आदेश पांच राज्यों पर लागू होंगे, जिनमें महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश शामिल हैं. इन सभी राज्यों में किसी भी नई सौर परियोजना को शुरु करने से पहले पर्यावरण असर समीक्षा (ईआईए) रिपोर्ट में जैविक असर समीक्षा भी करना अनिवार्य होगा. इस बीच मीडिया में आई एक खबर में बताया गया है कि वन्य-जीव संरक्षण सोसाइटी इंडिया ने राजस्थान के पोखरण जिले में ऐसे 1,848 डाइवर्टर लगाने का काम शुरू भी कर दिया है.
चीन के नियामक ने जैक मा के अलीबाबा समूह के खिलाफ एंटीट्रस्ट जांच यानी एकाधिकार का गलत इस्तेमाल करने के मामले में जांच का आदेश दिया है. चीनी सरकार को शक है कि अलीबाबा एकाधिकार का गलत इस्तेमाल कर रहा है.
चीनी सरकार के बाजार विनियमन ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि उसने अलीबाबा के संदिग्ध एकाधिकार कार्य की जांच के आदेश दिए हैं. बाजार नियामक ने कहा कि वह अलीबाबा की "दो में से एक चुनो" की नीति पर नजर रख रहा था. जिसके लिए व्यापार भागीदारों को प्रतियोगियों के साथ काम करने से बचने की आवश्यकता होती है. असल में अलीबाबा अपने पार्टनरों के साथ ऐसा समझौता करता है ताकि वे प्रतिद्वंदी प्लेटफॉर्म पर अपने उत्पाद नहीं बेच पाएं. यानी जो विक्रेता अलीबाबा के साथ व्यापार कर रहे हैं वो किसी दूसरी कंपनी के साथ व्यापार नहीं कर सकते हैं.
नियामक ने कहा कि वह अलीबाबा की वित्तीय सेवा सहायक एंट समूह के साथ "पर्यवेक्षी और मार्गदर्शन" वार्ता भी आयोजित करेगा. गौरतलब है कि पिछले महीने बीजिंग ने एंट समूह के 37 अरब डॉलर के आईपीओ को खारिज कर दिया था. इस आईपीओ को भारी प्रतिक्रिया मिली थी. शंघाई और हांगकांग के शेयर बाजार में लिस्टिंग के ठीक दो दिन पहले चीन सरकार ने आईपीओ पर रोक लगा दी थी. एंट समूह ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि "वह विनियामक विभाग के सभी नियामक आवश्यकताओं का सख्ती से पालन करेगा और उससे जुड़े कार्य करने के लिए प्रयास करेगा."
चीनी नेताओं ने पहले ही कहा था कि वे एकाधिकार विरोधी कदम को तेज कर देंगे. वे विशेष रूप से अलीबाबा और अन्य प्रमुख इंटरनेट कंपनियों के बारे में चिंतित थे जो वित्त और स्वास्थ्य देखभाल के बाजार में विस्तार कर रही हैं.
एंट समूह अपने मुख्य उत्पाद अलीपे की सफलता के बाद तेजी से बढ़ा है. अलीपे एक ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म है जिसने चीनी अर्थव्यवस्था में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है. अलीपे लाखों लोगों और छोटे व्यवसायों को ऋण, ऋण निवेश और बीमा जैसे उत्पाद देता है. चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के आधिकारिक अखबार पीपुल्स डेली ने अपने संपादकीय में लिखा, "यह हमारे देश के लिए इंटरनेट क्षेत्र में एकाधिकार-विरोधी निगरानी को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, अगर एकाधिकार को सहन किया जाता है और कंपनियों को अव्यवस्थित तरीके से विस्तार करने की इजाजत दी जाती है तो उद्योग का विकास स्वस्थ और टिकाऊ तरीके से नहीं होता है."
अलीबाबा के संस्थापक और चीन के सबसे अमीर व्यक्ति जैक मा पूर्व में चीन की वित्तीय प्रणाली पर भड़ास तक निकाल चुके हैं. वे चीन के सरकारी बैंक को "ब्याजखोर की दुकान" तक कह चुके हैं.
एए/सीके (एपी, एएफपी)
कोरोना वायरस का शिकार होने वाले 500 लोगों के परिजन इटली की सरकार पर मुकदमा करने जा रहे हैं. मुकदमे में इटली के पीएम और स्वास्थ्य मंत्री को पक्षकार बनाया जाएगा.
फरवरी 2020 में उत्तरी इटली के लोम्बार्डी इलाके कोरोना बेकाबू होने लगा. पहली लहर में चीन के बाहर कोरोना की सबसे बुरी मार इटली के इसी इलाके पर पड़ी. अब सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इटली की सरकार पर केस दायर करने का एलान किया है. याचिकाकर्ताओं ने नोइ डेनुनसेर्मो नाम का एक फेसबुक ग्रुप बनाया है. संघ का आरोप है कि महामारी की शुरुआत से ही प्रशासन नाकाम रहा. इस नाकामी के लिए सरकार से 10 करोड़ यूरो का हर्जाना भी मांगा जा रहा है.
लोम्बार्डी के बेरगामों शहर में सरकार के खिलाफ 300 से ज्यादा शिकायतें दर्ज कराई जा चुकी हैं. शिकायतों में इटली के प्रधानमंत्री जुसेप्पे कोंते, स्वास्थ्य मंत्री रॉबेर्टो स्पेरांजा और लोम्बार्डी के गर्वनर एटिलियो फोनटाना को निशाने पर लिया गया है. इटली में अब तक कोरोना वायरस से 70,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
नोइ डेनुनसेर्मो के मुताबिक, लोम्बार्डी के अलसानो हॉस्पिटल को कोरोना वायरस का पहला केस आने के बाद बंद किया था. 23 फरवरी को अस्पताल को फिर से खोल दिया गया. शुरुआत में इस अस्पताल से भी कोरोना काफी फैला.
केंद्र और राज्य के बीच आरोप प्रत्यारोप
याचिकाकर्ताओं के साझा बयान में कहा गया है कि वायरस के फैलने के बावजूद अलसानो और नेमब्रो जैसे शहरों को काफी देर में बंद किया गया. उस दौरान स्थानीय और प्रांतीय स्तर पर महामारी से निपटने का कोई प्लान नहीं बनाया गया.
इटली की सरकार ने 10 मार्च को देश भर में लॉकडाउन लागू किया. अभियोजक इस बात की जांच कर रहे हैं कि स्थानीय स्तर पर पहले ही लॉकडाउन क्यों लागू नहीं किया गया. प्रांतीय प्रशासन और केंद्र सरकार एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
क्रिसमस में मृतकों की याद
याचिकाकर्ताओ के संगठन नोइ डेनुनसेर्मो के अध्यक्ष लुका फुस्को कहते हैं, "इस कार्रवाई को अपनी जिम्मेदारी ना निभाने वालों के लिए क्रिसमस के तोहफे के रूप में देखा जाना चाहिए. इस बार 25 दिसंबर को इटली में 70,000 कुर्सियां खाली रहेंगी.”
फुस्को ने यह भी कहा, "यूरोपीय संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन बार बार सही तैयारियों की दरख्वास्त करते रहे. अगर ऐसा होता तो हमें यकीन है कि ये संख्या कम होती.”
इटली में करीब साढ़े चार महीने हाहाकार मचाने के बाद कोरोना की पहली लहर मध्य जुलाई में कमजोर पड़ी.अब दूसरी लहर भी जानलेवा साबित हो रही है. देश में इस बार लॉकडाउन नहीं लगाया गया है. हालांकि क्रिसमस और नए साल के मौके पर पूरे देश में कईतरह की पाबंदियां लागू की गई हैं.
ओएसजे/एनआर (एएफपी)
जेम्स गैलाघर
ब्रिटेन में कोरोना वायरस का एक और नया वेरिएंट मिला है जो पिछले नए वेरिएंट से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने बुधवार को बताया कि नए वेरिएंट वाले कोरोना वायरस के दो मामले सामने आए हैं.
कोरोना वायरस का यह नया वेरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ़्रीका में मिला है.
ब्रिटेन में जिन दो लोगों के इससे संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, वो हाल ही में दक्षिण अफ़्रीका की यात्रा पर गए थे.
मैट हैनकॉक के मुताबिक़ दक्षिण अफ़्रीका में मिला ये नया वेरिएंट ब्रिटेन में मिले नए वेरिएंट से भी ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला और ज़्यादा म्यूटेटेड है.
उन्होंने इस वेरिएंट के प्रसार को 'बेहद चिंताजनक' बताया.
ताज़ा चिंताओं के मद्देनज़र दक्षिण अफ़्रीका की यात्रा पर अभी के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है.
इसके अलावा, पिछले 15 दिनों में दक्षिण अफ़्रीका से लौटे या उनके संपर्क में आए लोगों को तुरंत क्वारंटीन होने के निर्देश दिए गए हैं.
कोरोना वायरस का यह नया वेरिएंट दक्षिण अफ़्रीका में भी गंभीर चिंता का विषय बन गया है.
दक्षिण अफ़्रीका के स्वास्थ्य मंत्री ज़्वेली मिख़ाइज़ ने बताया कि इस नए वेरिएंट की चपेट में आकर 'युवा और स्वस्थ्य लोग भी बुरी तरह बीमार पड़ रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि "देश उस मुश्किल दौर से नहीं गुज़र सकता, जिससे एड्स महामारी के शुरुआती दिनों में गुज़रा था."
वहीं, दक्षिण अफ़्रीकी वैज्ञानिकों ने कहा है कि नया वेरिएंट 'बहुत तेज़ी' से फैल रहा है और देश के कई हिस्सों को इसने बुरी तरह अपनी चपेट में ले लिया है.
फ़िलहाल कोरोना वायरस के इस वेरिएंट का अध्ययन किया जा रहा है लेकिन अब तक जितनी जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक़ ये कई गुना ज़्यादा तेज़ी से फैलता है.
ब्रिटेन में इस नए वेरिएंट का पहला मामला मंगलवार को मिला था.
दक्षिण अफ़्रीका में मिला नया वेरिएंट ब्रिटेन में मिले नए वेरिएंट से मिलता-जुलता है हालाँकि दोनों अलग-अलग विकसित हुए हैं.
दोनों वेरिएंट्स में N501Y नाम का म्यूटेशन हुआ है जो शरीर की कोशिकाओं को प्रभावित करता है.
इस बीच पिछले 24 घंटों में ब्रिटेन में कोविड-19 के रिकॉर्ड 39,237 मामले दर्ज किए गए.
इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर नील फर्ग्यूसन ने कहा, "मुझे लगता है कि इस समय हमारी सबसे बड़ी चिंता दक्षिण अफ्ऱीका वाले वेरिएंट को लेकर है."
"उस वायरस के तेज़ी से फैलने की रिपोर्टें आई हैं और मामलों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है."
डाउनिंग स्ट्रीट पर मीडिया से बात करते हुए ब्रितानी स्वास्थ्य मंत्री हैनकॉक ने कहा कि नया वेरिएंट "बहुत ज़्यादा चिंताजनक" है और जिन्हें क्वारंटीन होने के लिए कहा गया है उन्हें "किसी अन्य व्यक्ति से मिलने से बचना चाहिए."
इसी दौरान उन्होंने घोषणा की कि वायरस को नियंत्रित करने के लिए बॉक्सिंग डे पर लाखों और लोगों पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीचई) की डॉ. सुसान हॉपकिंस ने कहा कि "दोनों वेरिएंट ज़्यादा संक्रामक लगते हैं", लेकिन दक्षिण अफ़्रीका से आए वेरिएंट के बारे में अभी वो और जानकारी जुटा रहे हैं.
उन्होंने विश्वास जताया कि क्वारंटीन और यात्रा नियमों से नए वेरिएंट के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी.
वारविक मेडिकल स्कूल के प्रो लॉरेंस यंग ने कहा, "हाथ धोने, चेहरा ना छूने और सोशल डिस्टेंसिंग रखने जैसे उपायों से इस वेरिएंट को रोकने में भी मदद मिलेगी."
उन्होंने कहा कि देश भर में प्रतिबंधों को कड़ा किया जाना ज़रूरी है.
दक्षिण अफ़्रीका क्या कदम उठा रहा है?
सरकार ने त्योहार को देखते हुए प्रतिबंध सख़्त कर दिए हैं. साथ ही पश्चिमी केप प्रांत के लोकप्रिय गार्डन रूट के साथ लगने वाली तमाम बीच को बंद कर दिया गया है.
प्रमुख विपक्षी दल डेमोक्रेटिक अलायंस और कुछ लॉबी समूहों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है. उन्होंने इस फ़ैसले को अदालतों में ये कहते हुए चुनौती दी है कि बीच बंद करने से छोटे कारोबारों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा.
लेकिन जजों ने प्रतिबंधों को बरक़रार रखते हुए कहा कि जनता के स्वास्थ्य की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है.
पश्चिमी केप प्रांत के प्रमुख नेता एलन विंडे ने कहा कि प्रांत के अस्पतालों पर बोझ बढ़ता जा रहा है. प्रांत में पहली लहर के मुक़ाबले इस बार कोविड-19 के ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं.
दक्षिण अफ़्रीका में अब तक कोरोना संक्रमण के क़रीब 950,0000 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 25,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. अफ़्रीका में ये सबसे बड़ा आँकड़ा है. (bbc.com)
वाशिंगटन, 24 दिसंबर | एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि तीसरी तिमाही के दौरान सार्स-कोव-2 (कोविड-19 वायरस) से संक्रमित होने वाली गर्भवती महिलाओं के अपने नवजात शिशुओं में संक्रमण प्रसारित करने की संभावना न के बराबर है। यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा वित्त पोषित शोध ने करीब 127 गर्भवती महिलाओं को अपने शोध में शामिल किया। इन महिलाओं को साल 2020 के वसंत के दौरान बोस्टन के अस्पतालों में भर्ती कराया गया था।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सार्स कोव-2 से संक्रमित हुईं 64 गर्भवती महिलाओं के किसी भी नवजात का वायरस टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव नहीं आया।
यूनिस कैनेडी श्रीवर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्यूमन डेवलपमेंट की निदेशक डायना बियांची ने कहा, "इस अध्ययन से थोड़ा आश्वासन मिलता है कि तीसरी तिमाही के दौरान सार्स-कोव-2 संक्रमण का भ्रूण के प्लेसेंटा से गुजरने की संभावना नहीं है, लेकिन इस खोज की पुष्टि करने के लिए और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है।"
पत्रिका जेएएमए नेटवर्क ओपन में प्रकाशित किए गए रिपोर्ट में बताया गया है कि, शोध के अनुसार, यह परिणाम तीसरी तिमाही की महिलाओं तक ही सीमित है, क्योंकि पहली और दूसरी तिमाही के दौरान संक्रमित महिलाओं के डेटा अभी भी एकत्र किए जा रहे हैं और उनका मूल्यांकन किया जा रहा है।
शोधकतार्ओं का सुझाव है कि उनके निष्कर्ष कोविड-19 से संक्रमित गर्भवती महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं की देखभाल में सुधार करने में मदद कर सकते हैं, साथ ही साथ गर्भवती महिलाओं के वैक्सीनेशन के लिए नई रणनीतियों के विकास में सहायता करने के लिए जानकारी प्रदान करते हैं। (आईएएनएस)
पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद में एक हिंदू मंदिर के निर्माण की इजाजत दे दी है. छह महीने पहले कट्टरपंथी गुटों द्वारा दबाव के कारण काम को रोक दिया गया था.
इस्लामाबाद में यह पहला हिंदू मंदिर होगा और इसके निर्माण पर सरकार का पैसा नहीं लगेगा क्योंकि कुछ धार्मिक संगठनों की चिंताओं को देखते हुए सरकार ने धन नहीं देने का फैसला किया है. इस्लामाबाद में हिंदुओं के नेता प्रीतम दास ने समाचार एजेंसी डीपीए को बताया, "अधिकारियों ने मंदिर बनाने की अनुमति दी है, लेकिन इसके निर्माण में सरकार से वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी."
जून महीने में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पांच लाख डॉलर मंदिर, सामुदायिक भवन और श्मशान बनाने के लिए देने की घोषणा की थी लेकिन कुछ इस्लामी नेताओं ने इसका विरोध किया और इसे गैर-इस्लामी बताया. सीडीए ने श्री कृष्ण मंदिर की चारदीवारी के निर्माण कार्य को रोक दिया था. जुलाई महीने में कुछ कट्टरपंथी तत्वों ने इसमें तोड़फोड़ भी की थी.
इसके बाद सरकार ने इस्लामिक वैचारिक परिषद (सीआईआई) को मामला सौंपा, इस्लामिक स्कॉलरों ने सरकार को सरकारी पैसे के इस्तेमाल नहीं करने का सुझाव दिया. परिषद ने मंदिर निर्माण के लिए पैसे देने को गैर-इस्लामी बताया. सीआईआई सरकार को इस्लामिक मामलों से जु़ड़े सुझाव देती है. दास के मुताबिक सीडीए ने सोमवार को मंदिर निर्माण की इजाजत दी है. लेकिन उनके मुताबिक समुदाय के पास दोबारा निर्माण कार्य शुरू करने के लिए धन नहीं है. निर्माण कार्य छह महीने पहले बंद कर दिया गया था. दास का कहना है कि चारदीवारी बनाने के लिए करीब 20 लाख रुपये का खर्च आएगा. दास कहते हैं, "हम धन जुटाने का अभियान दोबारा शुरू करेंगे और उसके बाद पहले चरण में चारदीवारी का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा."
इस्लामाबाद में करीब तीन हजार हिंदू रहते हैं लेकिन उनके पास पूजा के लिए पर्याप्त जगह नहीं है. पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी करीब 80 लाख के करीब है, अधिकतर हिंदू दक्षिणी प्रांत सिंध में रहते हैं.
एए/सीके (डीपीए)
मास्को, 24 दिसंबर| रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि मॉस्को हाल ही में लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का बदला लेने के लिए योजना बना रहा है। इन प्रतिबंधों को वॉशिंगटन के उन रणनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है जो प्रतिस्पर्धा को कमजोर करने के लिए उठाए गए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, मॉस्को न केवल बराबर प्रतिक्रिया देगा बल्कि रूसी-अमेरिकी संबंधों के हर पहलू पर भी विचार करेगा। उन्होंने कहा कि "संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय से हमारे देश के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाए हुए है।" साथ ही उन्होंने वाशिंगटन को पूरी तरह से अविश्वसनीय व्यापारिक साझेदार भी करार दिया।
लावरोव ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों का घोर उल्लंघन किया है और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने प्रतिद्वंद्वियों को विवश कर रहा है। यह प्रतिबंध अंतर्राष्ट्रीय कानून की कड़ी अवहेलना करने वाले हैं। इसने यह साबित कर दिया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका दूसरों पर अपने नियम थोपना जारी रखना चाहता है। (आईएएनएस)
लंदन, 24 दिसंबर| ब्रेक्सिट के बाद यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के बीच बातचीत जारी है और अटकलें हैं कि वे एक समझौते पर सहमत होने के करीब हैं। बीबीसी ने बुधवार को बताया कि एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा है कि दोनों पक्षों में समझौते की 'बहुत संभावना' दिख रही है। हालांकि अभी ना तो एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुए हैं और ना ही यह सील हुआ है। मछली पकड़ने के अधिकार और व्यापार प्रतियोगिता के नियमों पर विवाद अभी भी डील को अंतिम रूप देने में रुकावट बने हुए हैं।
यूरोपीय संघ के एक अधिकारी ने कहा, "अभी कम समय बाकी है, लेकिन अभी एग्रीमेंट की घोषणा को लेकर बातचीत प्रीमैच्योर है।"
वहीं डाउनिंग स्ट्रीट के सूत्र ने कहा कि ऐसी दूर की संभावना है कि बुधवार को एग्रीमेंट हो सकता है। बता दें कि दोनों पक्षों के पास 31 दिसंबर तक का समय है। उस दिन से ब्रिटेन यूरोपीय संघ के व्यापारिक नियमों का पालन नहीं करेगा। यदि तब तक वे एग्रीमेंट नहीं कर पाते हैं तो वे एक-दूसरे के सामानों पर आयात कर लगा सकते हैं और इससे संभावित रूप से कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।
माना जा रहा है कि ब्रिटेन के मुख्य वार्ताकार लॉर्ड फ्रॉस्ट और यूरोपीय संघ टीम के एक वरिष्ठ सदस्य स्टेफनी रिसो की ब्रसेल्स में चर्चा चल रही है। यूरोपीय संघ के सूत्रों ने कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन भी क्रिसमस के दौरान बातचीत में आने वाली रुकावट से पहले गतिरोध को तोड़ने के प्रयास में एक-दूसरे के संपर्क में थे।
मामला इस बात पर अटका है कि ब्रिटेन 1 जनवरी से अपने पानी में मछली पकड़ने पर नियंत्रण रखना चाहता है और मौजूदा कोटा प्रणाली की तुलना में बड़ा हिस्सा चाहता है। लेकिन यूरोपीय संघ मछली पकड़ने की नई प्रणाली लाना चाहता है। साथ ही फ्रांस, स्पेन और अन्य सदस्य राज्यों की ब्रिटेन के पानी तक नावों के जरिए पहुंच बनाए रखना चाहता है।
यूरोपीय संघ के मुख्य वार्ताकार मिशेल बार्नियर ने मंगलवार को कहा था कि एक एग्रीमेंट को लेकर आखिरी प्रयास हो रहे हैं।
ब्रिटेन ने कहा है कि वह 31 दिसंबर तक बात करने के लिए तैयार है, लेकिन वह हर तरह के नतीजे के लिए तैयार है। वहीं यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने सुझाव दिया है कि यदि आवश्यक हो तो वह 2021 में वार्ता जारी रखना चाहेंगे। (आईएएनएस)
ओटावा, 24 दिसंबर| कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ब्रिटेन से आने-जाने वाली उड़ानों पर 6 जनवरी तक प्रतिबंध बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने यह फैसला ब्रिटेन में मिले कोरोनावायरस के दो नए स्ट्रेन के कारण लिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पहले ये प्रतिबंध 72 घंटों के लिए लगाए गए थे। ट्रूडो ने बुधवार को ओटावा में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "पहले से लागू उपायों के अलावा हमने ब्रिटेन की स्थिति को देखते हुए तेजी से यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं। हमारी सरकार ने ब्रिटेन से कनाडा के लिए सभी कमर्शियल और यात्री उड़ानों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। आज मैं घोषणा कर सकता हूं कि हम अगले 2 हफ्तों के लिए उड़ानों का यह निलंबन बढ़ा रहे हैं। ताकि हम कोविड-19 के इन नए स्ट्रेन्स को कनाडा में फैलने से रोक सकें।"
वायरस के नए स्ट्रेन के कारण ब्रिटेन की उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने वालों में कनाडा भी दुनिया के कई देशों में शामिल है। ब्रिटेन में एक हफ्ते पहले कोरोना का एक ऐसा स्ट्रेन मिला है जो पहले के कोरोनावायरस के मुकाबले 70 प्रतिशत अधिक संक्रमणीय है।
वहीं ब्रिटेन के हेल्थ सेक्रेटरी मैट हैनकॉक ने इन स्ट्रेन को ध्यान में रखते हुए घोषणा की है कि अब इंग्लैंड के पूर्व और दक्षिण पूर्व के कई क्षेत्रों को टियर-4 प्रतिबंधों में रखा जाएगा। (आईएएनएस)
मॉस्को, 24 दिसंबर| रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि बाइडेन प्रशासन के दौरान रूस के लिए स्थिति बदतर नहीं होगी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पुतिन ने बुधवार को देश की स्टेट काउंसिल और काउंसिल फॉर स्ट्रेटेजिक डेवलपमेंट एंड न्यू प्रोजेक्ट्स की संयुक्त बैठक में कहा, "इस कथन के संबंध में कि संयुक्त राज्य अमेरिका में नेतृत्व बदल रहा है और यह हमारे लिए अधिक कठिन होगा, मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ होगा। हालात वही रहेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "हमें इस पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि समझना चाहिए कि कठिनाइयां और खतरे कहां पैदा हो सकते हैं। अर्थव्यवस्था और रक्षा दोनों क्षेत्रों में, उनके अनुसार अपने काम को अंजाम दें और व्यवस्था करें।" (आईएएनएस)
चीन, 24 दिसंबर । चीन की एक वैज्ञानिक पर अपुष्ट आरोप लगते रहै हैं कि कोरोना वायरस उनकी ही लैब से लीक हुआ। अब वो इन आरोपों की जाँच के लिए तैयार हो गई हैं।
प्रोफ़ेसर शी ज़ेंग्ली का कहना है कि वो इन आरोपों की जाँच के लिए 'किसी को भी अपने यहाँ आने की इजाज़त देने के लिए तैयार हैं।
प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली का आश्चर्यजनक बयान ऐसे समय में आया है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम अगले महीने जाँच के लिए वुहान जाने की तैयारी कर रही है।
चीनी अधिकारियों ने बीबीसी की टीम का पीछा किया
चीन के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत युनान में स्थित सुदूर जि़ले टांग्वान तक पहुँचना वैसे भी आसान नहीं है, लेकिन जब बीबीसी की एक टीम ने हाल ही में वहाँ जाने की कोशिश की तो यह बिल्कुल असंभव था।
साधारण गाडिय़ों में सादे कपड़े वाले पुलिस और अन्य अधिकारी बीबीसी की टीम का संकरे और ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर मीलों तक पीछा करते रहे। वो हमारा लगातार पीछा करते रहे और हमें पीछे लौटने को मजबूर कर दिया।
हमारे रास्ते में कई बाधाएँ आईं, जिनमें 'टूटी-फूटी लॉरी' भी शामिल थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि हमारे आने से कुछ मिनटों पहले उसे सड़क पर रखा गया था।
चेकपॉइंट्स पर हमें कुछ अज्ञात लोग मिले, जिन्होंने हमसे कहा कि उनका काम हमें दूर रखना है।
पहली नजऱ में लगा कि ये सब हमें अपने गंतव्य पर पहुँचने से रोकने की कोशिशें हैं। हमें एक खाली और सुनसान पड़ी ताँबे की ख़दान में पहुंचना था, जहाँ साल 2012 में छह मज़दूर एक रहस्यमय बीमारी का शिकार हो गए थे। बाद में इस बीमारी से तीन मज़दूरों की मौत भी हो गई थी।
लेकिन उस समय मज़दूरों की जिस बीमारी और मौत की त्रासदी को भुला दिया गया, उसे अब कोरोना वायरस महामारी ने एक नया अर्थ दे दिया है।
उन तीन मज़दूरों की मौतें अब कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर एक बड़े बड़े वैज्ञानिक विवाद के केंद्र में हैं। अब ये सवाल भी उठ रहे हैं कि नॉवल कोरोना वायरस क्या सचमुच प्राकृतिक है या किसी लैब में बना है?
चीन ने बीबीसी की टीम को क्यों रोका?
ऐसे में चीनी अधिकारियों ने हमें जिस तरह उस खदान तक पहुँचने से रोकने की कोशिश की, उससे संकेत मिलता है कि वो इस कहानी को अपने हिसाब से दुनिया को सुनाना चाहते हैं।
चीन के युनान प्रांत में पहाड़ों से ढँके जंगल और गुफाएं पिछले एक दशक से ज़्यादा समये से वैज्ञानिक शोध के लिए आकर्षण का केंद्र रही हैं। इस शोध का नेतृत्व वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी की प्रोफ़ेसर शी ज़ेंग्ली करती रही हैं।
प्रोफेसर ज़ेंग्ली को साल 2003 में उस वक़्त अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली जब उन्होंने सार्स नाम की बीमारी का पता लगाया। वायरस के कारण फैली इस बीमारी ने 700 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली थी। ये वायरस संभवत: युनान प्रांत की गुफाओं में रहने वाले चमगादड़ों की एक प्रजाति से निकला था।
सार्स बीमारी की खोज के बाद से ही प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली को 'चीन की बैटवुमन' कहा जाने लगा। वो एक प्रोजेक्ट की अगुआई कर रही हैं, जो ऐसी बीमारियों का पता लगाने और उनकी भविष्यवाणी से जुड़ा है।
तब से प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली की टीम चमगादड़ों का सैंपल लेकर वुहान के लैब में जाती रही है और चमगादड़ों से मिलने वाले वायरस का पता लगाती रही है।
मगर एक सच ये भी है कि कोरोना वायरस महामारी सबसे पहले वुहान में ही फैली थी। इसलिए ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि ये दोनों चीज़ें कहीं न कहीं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी से बीबीसी को फ़ोन आया।।।
प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली ने इन कयासों को सिरे से ख़ारिज़ कर दिया है। हालाँकि अब, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी जनवरी में वुहान जाने वाले हैं, प्रोफेसर ज़ेंग्ली ने बीबीसी के कुछ सवालों का ईमेल पर जवाब दिया है।
प्रोफेसर जेंली के मुताबिक़ उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन से दो बार बात की है। उन्होंने अपने जवाब में लिखा, मैंने उन्हें (डब्ल्यूएचओ की टीम) को कहा है कि अगर वो यहाँ आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है।
बीबीसी ने प्रोफेसर जेंग्ली से पूछा कि क्या वो अपनी तरफ़ से लैब की जाँच के आधिकारिक न्योता लिए देंगी और वहाँ के डेटा शेयर करेंगी?
इस पर उन्होंने जवाब दिया, मैं व्यक्तिगत रूप से खुले, पारदर्शी, भरोसेमंद, विश्वसनीय और उचित संवाद के आधार पर यात्रा के किसी भी रूप का स्वागत करूंगी लेकिन ये योजना मैंने तय नहीं की है।
बाद में बीबीसी को वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के प्रेस कार्यालय से एक कॉल आया, जिसमें कहा गया कि प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली व्यक्तिगत क्षमता में अपनी बात रख रही थीं और उनके जवाबों पर वुहान इंस्टीट्यूट ने मुहर नहीं लगाई है।
वुहान इंस्टिट्यूट ने बीबीसी से इस लेख के छपने से पहले इसकी एक प्रति उन्हें भेजने का अनुरोध किया था, जिसे बीबीसी ने अस्वीकार कर दिया।
कोरोना वायरस फैलने की लैब लीक थ्योरी
कई वैज्ञानिकों का मानना है कि कोविड-19 के लिए जि़म्मेदार सार्स-ष्टश1-2 वायरस चमगादड़ों से इंसानों तक प्राकृतिक रूप से पहुँचा है।
हालाँकि प्रोफेसल ज़ेंग्ली की पेशकश के बाद भी इस बात के आसार कम ही लग रहे हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस फैलने की 'लैब लीक थ्योरी' की पड़ताल करेगा।
डब्ल्यूएचओ की टीम के इंक्वॉयरी रेफऱेंस में ऐसी किसी पड़ताल का जि़क्र नहीं है।
हाँ, टीम का फ़ोकस वुहान के उस बाज़ार पर ज़रूर रहेगा जहाँ जंगली जानवरों का व्यापार होता है और जहाँ से शुरुआत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आए थे।
वुहान जाने वाली डब्ल्यूएचओ की टीम में शामिल डॉक्टर डैसेक कहते हैं, हम क्लस्टर मामलों और संपर्क में आए लोगों की जाँच करेंगे। हम देखेंगे कि बाज़ार में जानवर कहाँ से आए। अभी देखना होगा कि इस जाँच से हम कहाँ तक पहुँचते हैं।
डॉक्टर डैसेक कोरोना वायरस के लैब से फैलने की थ्योरी को बोगस मानते हैं।
पहले भी चीन की लैब से लीक हो चुके हैं वायरस
टांग्वान में तीन मज़दूरों की मौत के बाद और चमगादड़ों से भरी खदान की ख़बरें आने के बाद ही ये आशंका जताई जा रही थी कि वो 'बैट (चमगादड़) कोरोना वायरस' के कारण मरे थे।
इसके बाद वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी के वैज्ञैनिकों ने वहाँ के चमगादड़ों की सैंपलिंग की और अगले तीन बरसों में वो कई बार वहाँ गए। लेकिन उन्होंने जो वायरस इक_े किए, उससे कम बहुत कम जानकारियाँ हासिल हो पाईं।
प्रोफ़ेसर शी ज़ेंग्ली नॉवल कोरोना वायरस के लिए जि़म्मेदार सार्स-ष्टश1-2 वायरस का सबसे पहले सीक्वेंस बनाने वाले वैज्ञानिकों में से एक हैं। उन्होंने ये साल 2020 की शुरुआत यानी जनवरी में ये उस वक़्त किया था जब उनके शहर में वायरस तेज़ी से फैल रहा था।
इसके बाद उन्होंने वायरस की लंबी स्ट्रिंग की दूसरे वायरस से तुलना की और पाया कि उनके डेटा में इससे सबसे अधिक मिलता जुलता सार्स-ष्टश1-2 वायरस है।
लैब से वायरस लीक होने के कई ऐसे मामले हैं जिनकी बाक़ायदा पुष्टि हो चुकी है। मिसाल के तौर पर, पहल सार्स वायरस साल 2004 में चीन की राजधानी बीजिंग में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी से दो बार लीक हुआ था। इतना ही नहीं, इस पर संक्रमण फैलने के काफ़ी समय बाद ही काबू पाया जा सका था।
वायरस को जेनेटिक तौर पर मैनिप्युलेट करने (बदलने) का चलन भी नया नहीं है। ऐसा करके वैज्ञानिक वायरस को ज़्यादा ख़तरनाक और ज़्यादा संक्रामक बना सकते हैं जिससे उन्हें ख़तरे का बेहतर अंदाज़ा लग सके और वो बीमारी के इलाज के लिए प्रभावी वैक्सीन बना सकें।
लैब में म्यूटेट किया गया नॉवल कोरोना वायरस?
जबसे सार्स-ष्टश1-2 का सीक्वेंस बनाया गया है तब से इसे इंसानों को संक्रमित करने की क्षमता ने वैज्ञानिकों को हैरत में डाल रखा है।
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के कई समूहों ने इस आशंका को गंभीरता से लिया कि हो सकता है कोरोना वायरस को भी लैब में म्यूटेट किया गया हो।
डॉक्टर डैनियल लूसी वॉशिंगटन डीसी के जॉर्जटाउन मेडिकल सेंटर में संक्रामक बीमारियों के प्रोफ़ेसर हैं। वो कई महामारियों के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने चीन में सार्स, अफ्ऱीका में इबोला और ब्राज़ील में ज़ीका जैसे वायरस पर विस्तृत अध्ययन किया है।
डॉक्टर लूसी को यक़ीन है कि चीन ने पहले ही इंसानों और जानवरों के सैंपल लेकर बीमारी के लिए जि़म्मेदार मूल वायरसों पर विस्तृत शोध कर लिया है।
उन्होंने कहा, चीन के पास संसाधन हैं, क्षमता है और उनके ज़ाहिर इरादे भी हैं। इसलिए निश्चित तौर पर उन्होंने इंसानों और जानवरों के सैंपल का अध्ययन कर लिया है।
डॉक्टर लूसी का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के स्रोत का पता लगाना न सिफऱ् विस्तृत वैज्ञानिक समझ के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि ये बीमारी भविष्य में दोबारा न फैले, ये इसके लिए भी ज़रूरी है।
उन्होंने कहा, हमें संक्रमण का स्रोत तब तक ढूँढना चाहिए जब तक ये मिल न जाए। मुझे लगता है कि इसे ढूँढा जा सकता है और शायद पहले ही ढूँढा जा चुका है। लेकिन सवाल ये है कि इस बारे में अब तक बताया क्यों नहीं गया?
हालाँकि डॉक्टर लूसी को अब भी लगता है कि कोरोना वायरस प्राकृतिक रूप से पैदा हुआ है लेकिन वो बाकी आशंकाओं को ख़ारिज भी नहीं करना चाहते हैं।
वो कहते हैं, आप सोचिए कि अगर किसी चीनी लैब में सार्स-ष्टश1-2 से मिलते-जुलते वायरस पर अध्ययन चल रहा हो तो क्या वो हमें इस बारे में बताएंगे? लैब में होने वाली हर चीज़ प्रकाशित नहीं की जाती।
कोरोना वायरस की वैक्सीन इतनी जल्दी कैसे आ गई?
अपने यहाँ वायरस के स्रोत से चीन करता रहा है इनकार
बीबीसी ने जब डॉक्टर लूसी की आशंकाओं को वुहान जाने वाली डब्ल्यूएचओ टीम के सदस्य डॉक्टर डैसेक के सामने रखा तो उनका कहना, "मैंने वुहान इंस्टिट्यूट के साथ एक दशक से ज़्यादा समय तक काम किया है। मैं वहाँ के लोगों को जानता हूँ। मैं उनकी प्रयोगशालाओं में अक्सर जाता रहता हूँ।"
उन्होंने कहा, "मैं अपने आँख-कान खुले रखकर और पूरी तरह चौकन्ना होकर काम कर रहा हूँ लेकिन मुझे ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है।"
क्या वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी से उनका पुराना सम्बन्ध और वहाँ के वैज्ञानिकों से उनकी दोस्ती इस जाँच को प्रभावित नहीं करेगी?
इस सवाल के जवाब में डॉक्टर डैसेक ने कहा, "हम जो भी रिपोर्ट प्रकाशित करेंगे वो पूरी दुनिया के सामने होगी और वुहान इंस्टिट्यूट से मेरा संबंध मुझे इस दुनिया के उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में से एक बनाता है जिन्हें चीन में चमगादड़ों से फैलने वाले कोरोना वायरस के बारे में सबसे ज़्यादा जानकारी है।
हो सकता है कि चीन ने नॉवल कोरोना वायरस के उत्पत्ति के बारे में अपने शोध से जुड़ा सीमित डेटा ही साझा किया हो। इतना ही नहीं, वायरस की उत्पत्ति के बारे में यह अपनी थ्योरी का प्रचार-प्रसार करने में जुटा है।
चीन यूरोप में हुए कुछ अपुष्ट अध्ययनों का हवाला देकर यह साबित करने की कोशिश करता रहा है कि सार्स-ष्टश1-2 चीन से शुरू ही नहीं हुआ है। चीन की सरकारी मीडिया यह दावे भी करती रही है कि कोरोना वायरस काफ़ी पहले से अस्तित्व में रहा होगा।
वुहान इंस्टिट्यूट के उलट दावे करते शोध
हालाँकि इन सबने अटकलों को बढ़ावा ही दिया है। इनमें से कई अटकलें टांग्वान की ताँबे की ख़दान से भी जुड़ी हुई हैं। इंटरनेट पर उन पुराने अकादमिक शोधपत्रों को खोजा जा रहा है जो मज़दूरों की मौत के बारे में वुहान इंस्टिट्यूट के दावों से अलग हैं।
इन्हीं में से एक थीसिस कन्मिंग हॉस्पिटल यूनिवर्सिटी के एक छात्र की थीसिस भी है।
प्रोफ़ेसर शी ज़ेंग्ली ने बीबीसी से कहा, मैंने वो थीसिस डाउनलोड करके पढ़ी है। इसके दावों से कुछ साबित नहीं होता। थीसिस का निष्कर्ष न तो किसी प्रमाण पर आधारित है और न ही किसी तर्क पर। हाँ, कॉन्स्पिरेसी थ्योरी को बढ़ावा देने वालों ने मेरे खिलाफ़ इसका इस्तेमाल ज़रूर किया है। अगर आप मेरी जगह होते तो क्या करते?
बीबीसी ने प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली से ये भी पूछा कि वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी की वेबसाइट पर उपलब्ध वायरस डेटाबेस अचानक हटा क्यों लिया गया?
इसके जवाब में उन्होंने कहा, हमारे व्यक्तिगत और आधिकारिक ईमेल्स पर साइबर हमला हुआ था इसलिए इस डेटा को सुरक्षा के नज़रिए से ऑफ़लाइन कर लिया गया। हमने ये डेटाबेस अंग्रेज़ी पत्रिकाओं में प्रकाशित किया है। ये पूरी तरह पारदर्शी है। हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है।
कोरोना वायरस का नया रूप कितना ख़तरनाक है?
कई सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी हैं
हालाँकि युनान प्रांत में न सिफऱ् वैज्ञानिक मुश्किल सवाल पूछेंगे बल्कि पत्रकारों के पास भी पूछने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रश्न होंगे।
चीन के वैज्ञानिक साल 2013 से ही युनान में मज़दूरों की मौत के बाद चमगादड़ों से फैलने वाले कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहे हैं लेकिन लेकिन वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी से प्रकाशित होने वाली पत्रिका के मुताबिक़ वैज्ञानिकों ने इस जानकारी से कुछ भी अहम हासिल नहीं किया, सिवाय इसका सीक्वेंस और डेटाबेस तैयार करने के।
हालाँकि प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली और डॉक्टर डैसेक इससे पूरी तरह इनकार करते हैं कि वैज्ञानिकों ने इस बारे में पर्याप्त काम नहीं किया।
डॉक्टर डैसेक ने कहां, यह कहना बिल्कुल उचित नहीं होगा कि हम असफल रहे।
प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली और डॉक्टर डैसेक दोनों इस बात पर अड़े नजऱ आए कि मौजूदा वक़्त में वायरस के स्रोत का पता लगाने से ज़्यादा ज़रूरी इसे रोकने के तरीके ढूँढना है।
प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली ने बीबीसी को भेजे ईमेल में लिखा, हम भविष्य को ध्यान में रिसर्च कर रहे हैं और ग़ैर-वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के लोगों के लिए यह समझना मुश्किल है।
सवालों के लिए तैयार नजऱ नहीं आता चीन
विश्व स्वास्य संगठन एक पारदर्शी जाँच का वादा कर रहा है लेकिन चीन सरकार सवालों का सामना करने के लिए इच्छुक नजऱ नहीं आती। कम से कम पत्रकारों के सवालों के लिए तो बिल्कुल नहीं।
टांग्वान से निकलने के बाद बीबीसी की टीम ने उस गुफा के उत्तर में जाने की कोशिश की जहाँ प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली ने एक दशक पहले सार्स से जुड़ा ऐतिहासिक शोध किया था। लेकिन अब भी कई अज्ञात कारें हमारा पीछा कर रही थीं। हम फिर एक जैसी जगह पहुँचे जहाँ रास्ता बंद था और हमें बताया गया कि हम वहाँ से आगे नहीं जा सकते।
कुछ घंटों बाद हमें पता चला कि स्थानीय ट्रैफि़क को एक धूल भरे रास्ते की ओर डायवर्ट कर दिया गया है। जब हमने भी उसी रास्ते पर जाने की कोशिश की तो हमें फिर बीच सड़क पर टूटी हुई कार मिली।
हम वहाँ करीब एक घंटे तक फँसे रहे और आखऱिकार हमें एयरपोर्ट लौटने को मजबूर कर दिया गया।(https://www.bbc.com/)
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एक अधिकारी ने संकेत दिया है कि शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुस्लिमों पर जारी नीति नहीं रुकने वाली है और सरकार का ध्यान अब यहां उग्रवाद की जड़ों को खत्म करने पर रहेगा.
शिनजियांग मुख्य रूप से उइगुर मुस्लिम और बहु-जातीय आबादी वाला प्रांत है. वहां चीन की जारी नीतियों-कथित मानव अधिकारों के मुद्दे पर चीन और अमेरिकी और अन्य पश्चिमी देशों के बीच तकरार का अहम विषय बना हुआ है.
एसोसिएटेड प्रेस को दिए इंटरव्यू में शिनजियांग में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचार विभाग डिप्टी डायरेक्टर जनरल शू गुइश्यांग ने कहा, ''हम इस समय आत्मसंतुष्ट नहीं हो सकते क्योंकि वहां अभी भी खतरे हैं.''
विश्लेषकों का कहना है कि चीन दस लाख से अधिक लोगों को शिनजियांग के कैंपों में रख कर उन्हें उनके धर्म और उनकी मान्यताओं से दूर करने के लिए उन्हें मजबूर करता है. वहीं अधिकारियों का कहना है कि उनके प्रयास के कारण कट्टरपंथ को खत्म करने में सफलता मिली है, वे उन्हें नौकरी पाने के लिए ट्रेनिंग देते हैं और वे कहते हैं कि इस क्षेत्र में चार साल में आतंकवादी हमला नहीं हुआ है.
नीति में बदलाव नहीं करेगा चीन
गुइश्यांग ने सीधे जवाब नहीं दिए कि कड़ाई कम होगी कि की नहीं लेकिन कहा, ''आतंकवाद से मुक्त चार साल का मतलब यह नहीं है वहां कोई खतरा नहीं है या बिल्कुल खतरा नहीं है.'' उन्होंने कहा कि पार्टी शिनजियांग जैसे बहु-जातीय सीमा क्षेत्र में निरंतर स्थिरता हासिल करने के रास्ते तलाश रही है. उनके मुताबिक, ''हमें गंभीर मुद्दों के बारे में अधिक सोचने की जरूरत है जिसमें सामाजिक नींव और जमीन शामिल हैं जो अतिवाद और आतंकवाद को जन्म देती है.'' गुइश्यांग ने सरकार के उन दावों को दोहराया कि चीन और शिनजियांग में फैक्ट्रियों में जबरन मजदूरी नहीं कराया जाता है.
उनके मुताबिक वोकेशनल ट्रेनिंग लेने के बाद 1,17,000 लोग 2014 से चीन के अन्य भाग में काम के लिए गए हैं. चीनी सरकार कैंपों को वोकेशनल ट्रेनिंग केंद्र बताती है और कहती है वहां लोगों को रोजगार के अवसर देने के लिए ट्रेनिंग दिए जाते हैं. अमेरिकी कस्टम विभाग ने उइगुरों पर दमन और बंधुआ मजदूरी के आरोप में शिनजियांग प्रांत से कपड़ा और अन्य उत्पाद के आयात पर रोक लगा दिया है और ब्रिटेन के नेताओं की मांग है कि ब्रिटिश कंपनी यह सुनिश्चित करे कि उनकी सप्लाई चेन बंधुआ मजदूरी से मुक्त हो.
शिनजियांग में अधिकारी क्षेत्र में विदेशी पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने की इजाजत नहीं देते हैं. कई बार सूचनाएं मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और विश्लेषकों के जरिए दुनिया के सामने आती है.
एए/सीके (एपी)